खरपतवार फसलों को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं - kharapatavaar phasalon ko kis prakaar nukasaan pahunchaate hain

खरपतवार (Weed) पेड़ पौधो का ही एक रूप होते है, यह एक तरह के अवांछित पौधे होते है, जो किसी स्थान पर अपने आप ही बिना बोए उग आते है| एक तरह से यह पौधे मनुष्यो के लिए इतने हानिकारक नहीं होते है, लेकिन बाकियो की तुलना में यह किसानो के लिए ज्यादा हानिकारक साबित होते है क्योकि यह खरपतवार अपने निकट उपस्थित पौधों की वृद्धि को दबाकर उपज को घटा देता है |

खरपतवार फसलों को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं - kharapatavaar phasalon ko kis prakaar nukasaan pahunchaate hain
खरपतवार फसलों को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं - kharapatavaar phasalon ko kis prakaar nukasaan pahunchaate hain

जिससे फसलों की वृद्धि को काफी नुकसान होता है | यदि आप भी खरपतवार के बारे में जानना चाहते है, तो यहाँ पर खरपतवार (Weed) क्या होता है, परिभाषा. प्रकार, खरपतवार नियंत्रण की विधिया क्या है | इसकी जानकारी दी जा रही है|

खरपतवार फसलों को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं - kharapatavaar phasalon ko kis prakaar nukasaan pahunchaate hain
खरपतवार फसलों को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं - kharapatavaar phasalon ko kis prakaar nukasaan pahunchaate hain

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खरपतवार की परिभाषा (Definition of weed)

सामान्य रूप से तो खरपतवार को अवांछित पौधों के रूप में जाना जाता है जो बिना किसी उपज के ही उग आते है तथा अपने निकट उपस्थित पौधों को नुकसान भी पहुंचाते है, खरपतवार (Weed) कहलाते है |

कई वैज्ञानिको ने इसके बारे अपने – अपने अलग विचार व्यक्त किये है जो कि इस प्रकार है :

  • पीटर के विचार : एक ऐसा पौधा जिसमे लाभ की अपेक्षा अधिक हानि पहुंचने की क्षमता होती है, खरपतवार कहलाते है |
  • बिल के विचार : एक ऐसा पौधा जो बिना किसी वजह जहाँ नही उगना चाहिए वह उग जाता है, उसे खरपतवार (Weed) कहते है|

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खरपतवार के प्रकार (Types of weed)

प्राकृतिक गुण के आधार पर खरपतवारों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा गया है-

  • घास (Grass)
  • सेज़ (Sage)
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (Broad Leaf Weed)

घास : यह एक बीजपत्रीय पौधा होता है | जिसकी पत्तिया लम्बी ,संकरी तथा शिरा – विन्यास वाली , तना बेलनाकार तथा अग्रशिखा शिश्नच्छद से ढका व् जड़े रेशेदार और अपस्थानिक ढंग की होती है |

सेज : यह एकवर्गीय खरपतवार होते है जो कि घास की तरह ही दिखते है , किन्तु इनमे तने बिना जुड़े हुए ठोस तथा कदाचित गोल आकार की अपेक्षा तिकोनी होती है |

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार : ऐसे खरपतवार जिनकी पत्तिया चौड़े आकार की होती है तथा जिनमे शिरा व्यवस्था के प्रारूप और मूसड़ जड़ तंत्र होते है वह चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार कहलाते है | यह समय रूप से द्विबीजपत्री (Dicotyledonous) होते है | तथा चौड़ी पत्ती वाले सभी खरपतवार द्विबीजपत्री नहीं होते है | जैसे : जलकुम्भी तथा ईकोर्निआ क्रॉसिपस ऐसे चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार है जो कि एकबीजपत्रीय (Monocot) ही है|

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जीवनकाल के आधार पर खरपतवार मुख्यत: तीन प्रकार के होते है

1:- एकवर्षीय खरपतवार (One Year Weed)

ऐसे खरपतवार जिनका जीवनकाल सिर्फ एक वर्ष का या उससे कम समय का होता है | यह खरपतवार प्रचुर मात्रा में बीजो का उत्पादन करते है तथा इनकी वृद्धि बहुत तेज़ गति से होती है इनका प्रवर्धन बीजो द्वारा तथा इनमे जकड़ा जड़े होती है | जैसे : बथुआ (Bathua), बिसखपरा (Lightheadedness), कनकुआ (Kanakua) आदि |

2:- दो वर्षीय खरपतवार (Two year weed)

ऐसे खरपतवार जिनका जीवनकाल दो वर्ष का होता है तथा पहले वर्ष में ये वनस्पतिक (Botanical) वृद्धि और दूसरे वर्ष में फूल (Flower) व बीज (Seed) में परिवर्तित होते है | जैसे : जंगली गाजर (Wild Carrots)|

3:- कई वर्षो तक रहने वाले खरपतवार (Weed Live for Many Years)

कुछ खरपतवार ऐसे भी होते है जो अपने जीवनकाल को कई वर्षो तक बनाये रखते है | यह कृषिकृत व अकृषिकृत क्षेत्रों में निकलते है तथा इनके फैलाव बीजो (Seeds), प्रकंदो (Rhizome), कंदो (Tubers) व शल्ककंदो (Flax) द्वारा होता है | इनका संचालन साधारण विधि से करना काफी मुश्किल है | जैसे : दूबघास, हिरनखुरी, मौथा आदि|

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खरपतवार की नियंत्रण विधियाँ (Weed control method)

खरपतवार नियंत्रण के लिए दो तरह कि विधियाँ अपनाई जा सकती है | जिनकी जानकारी इस प्रकार है:-

1 :- यांत्रिक विधि द्वारा (By Mechanical Method)

·        खरपतवार को हाथो से खींचकर जड़ से निकलना या फिर खुरपी (Spud), हँसिया (Sickle),कुल्हाड़ी (Axe) आदि कि सहायता से निकाला जाता है |

·        मशीन द्वारा खरपतवार निकलना जैसे रोटरी (Rotary), वीदर (Weidar) |

2 :- सस्य विधियों द्वारा (Crop Laws)

फसल का चुनाव :- खरपतवार पर निंयत्रण पाने के लिए ऐसी फसल का चुनाव करे जिसमे कुछ गुणों का समावेश हो | जैसे : बीज का सस्ता होना , अधिक तेजी से वृद्धि करने वाला हो , फसल के पौधों में कीट व बीमारियों की सहनशीलता की क्षमता होनी चाहिए | फसल की जड़ फैलने वाली हो, कम से कम पोषक तत्व ले ऐसी बातो का ध्यान रख कर ही फसलों का चुनाव करे |

भू परिष्करण विधि द्वारा:- फसलों की अच्छी उपज के लिए भूमि की गहरी व समय -समय पर जुताई करने से फसल काफी अच्छी उत्पन्न होती है, किन्तु बार – बार की गयी जुताई से मिट्टी में मिले हुए खरपतवार के बीज भी खेत की ऊपरी सतह पर आ जाते है और अंकुरित होते रहते है | इसलिए खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए नियंतर कृषि क्रियाएँ नहीं करनी चाहिए |

कार्बनिक खादों का प्रयोग कर:- कार्बनिक खाद के प्रयोग से खाद के सड़ने और गलने पर कार्बनिक अम्ल का निस्तारण होता है जिससे यह अम्ल खरपतवार में होने वाली वृद्धि को अव्यवस्थित कर देता है | कार्बनिक खादों का प्रयोग भूमि में उगने वाली फसलों को पर्याप्त वायु संचार,भूमि संरचना व अनुकूल नमी बनाये रखने के लिए किया जाता है|

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खरपतवारों के पुनर्विकास को कम करना (Reduce Weed Regrowth)

खुली जगहों को नई खरपतवार प्रजातियों द्वारा आसानी से उपनिवेशित किया जा सकता है, इसलिए देशी पेड़ों, झाड़ियों और घासों के रोपण के साथ-साथ खरपतवार वाले क्षेत्र को मल्चिंग करने से खरपतवार की वृद्धि को कम करने में बड़ा फर्क पड़ेगा।

तटीय क्षेत्रों में आपको देशी पौधों को हवा और नमक स्प्रे से बचाने के लिए उपयुक्त हो सकता है, जबकि वह स्थापित हो जाते हैं। आप खरपतवार को कम करने के लिए अपने पौधों के चारों ओर निराई करके अपने मूल पौधों को और अधिक तेज़ी से बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। सावधान रहें कि वांछित पौधों के आसपास गहरी खुदाई न करें ताकि आप उनकी जड़ों को नुकसान न पहुंचाएं।

प्रत्येक पौधे के चारों ओर गीली घास की एक परत डालकर खरपतवारों को कम या दबाया जा सकता है। अधिकांश सड़े हुए कार्बनिक पदार्थ जैसे लीफ मोल्ड, कम्पोस्ट, पुआल, लॉन की कतरन या साइलेज का उपयोग मल्चिंग के लिए किया जा सकता है।

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खरपतवारों का सुरक्षित निपटान (Weeds Safe Disposal)

किसी क्षेत्र से खरपतवार निकालते समय खरपतवारों का सुरक्षित निपटान महत्वपूर्ण है। आपके द्वारा निकाले गए टुकड़ों से कई पौधे उग सकते हैं।  इसके निपटान के सर्वोत्तम तरीके इस प्रकार है-

  • निपटान के तरीकों में गहरी खुदाई, मल्चिंग या प्लास्टिक की थैली में खरपतवार डालना और जब तक वह मर नहीं जाते तब तक तेज धूप में छोड़ देना चाहिए।
  • कुछ पौधों को खाद नहीं बनाया जाना चाहिए, जैसे कि वह जो अपनी जड़ों या तनों से आसानी से फिर से अंकुरित हो सकते हैं। जिसमें यह भी शामिल है-
  • अदरक
  • आक्षेप
  • रेंगने वाला बटरकप
  • आइवी
  • बीज सिर और बल्बों को तब तक खाद न दें जब तक आप यह नहीं जानते कि वह  फिर से नहीं उगेंगे।
  • बगीचे के कचरे को कभी भी हरित पट्टी वाले क्षेत्र में न डालें क्योंकि इससे खराब खरपतवार फैलेंगे।

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खरपतवार वृद्धि नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है (Why it is Necessary to Control Weed Growth)

खरपतवार पोषक तत्वों, मिट्टी, पानी और स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा करके अपने आसपास के पौधों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं। छोटे या छोटे पौधों के मामले में, कुछ खरपतवार अपने युवा पौधों के हिस्सों पर भी हावी हो जाते हैं।

खरपतवार न केवल अपने आस-पास के पौधों को प्रभावित करते हैं, बल्कि वह पूरे खेत में अनावश्यक परेशानी उत्पन्न कर सकते हैं। कुछ प्रकार के खरपतवार जल निकासी पाइपों को अवरुद्ध करते हैं, जबकि कुछ खरपतवार यदि अनियंत्रित छोड़ दिए जाते हैं, तो खेती के लिए उपयोग की जाने वाली कृषि मशीनरी के कार्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है। वास्तव में यह  किसानों के लिए अधिक शारीरिक श्रम का कारण बन सकता है।

यदि इन्हें अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है, तो खरपतवार विभिन्न पौधों की बीमारियों और कीटों के लिए मेजबान बन सकते हैं जो आपके लिए अधिक महत्वपूर्ण सिरदर्द का कारण बन सकते हैं।

खरपतवार फसल के लिए कैसे हानिकारक है?

खरपतवार मुख्य फसल के साथ पोषक तत्व, प्रकाश, स्थान, नमी आदि को लेकर प्रतिस्पर्धा करते हैं जिससे मुख्य फसल की वृद्धि तथा उत्पादन में कमी आती है|.
खरपतवार अनेक प्रकार के कीट तथा बीमारियों को आश्रय देते हैं जिससे मुख्य फसल को हानि होती है|.
बगीचे में खरपतवार, जल ,फर्टिलाइजर , कीट तथा बीमारियों के प्रबंधन में बाधा पहुंचते है|.

खरपतवार क्या है इससे क्या नुकसान है?

खरपतवार एक ऐसा अवांछित पौधा है जो बिना बोए ही खेतों तथा अन्य स्थानों पर कर तेजी से बढ़ता है और अपने समीप के पौधों की वृद्धि को दबाकर उपज को घटा देता है जिससे फसलों की गुणवत्ता गिर जाती है। संक्षेप हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब फसल के साथ ही कई बार अनावश्यक पौधे उग जाते है उन्हें खरपतवार कहा जाता है।

खरपतवार से कितना नुकसान होता है?

गेहूं की फसल खरपतवार से प्रभावित होती है। 30 दिन के अंदर खरपतवार का नियंत्रण नहीं किया गया तो 25 से 30 प्रतिशत फसल नष्ट हो जाती है। कम उपज मिलने से किसानों को अच्छी आय नहीं मिल पाती है।

खरपतवार के कितने प्रकार होते हैं?

खरीफ की फसलों में मुख्यत: तीन प्रकार के खरपतवार पाये जाते हैं :.
घास वर्ग के खरपतवार.
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार.
नरकट खरपतवार.