क्या वास्तव में देश का सम्मान करने के लिए हमें किसी कारण की आवश्यकता है आपको क्या लगता है - kya vaastav mein desh ka sammaan karane ke lie hamen kisee kaaran kee aavashyakata hai aapako kya lagata hai

देश की उन्नति के लिए अपने दायित्वों को पूरा करना जरूरी

Publish Date: Tue, 01 Nov 2016 06:28 PM (IST)Updated Date: Tue, 01 Nov 2016 06:28 PM (IST)

देश की पहचान केवल क्षेत्र से नहीं होती। उसकी अपनी अस्मिता, अपना संदर्भ, अपना आदर्श होता है। इसकी अपन

देश की पहचान केवल क्षेत्र से नहीं होती। उसकी अपनी अस्मिता, अपना संदर्भ, अपना आदर्श होता है। इसकी अपनी संस्कृति, अपनी परंपराएं, अपने संस्कार होते हैं। किसी देश की महानता का परिचय उस के आदर्श पुरुषों तथा महिलाओं से ही होती है। देश की लोकतंत्र प्रणाली पूरी तरह से देश के नागरिकों की स्वतंत्रता पर आधारित होती है। संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को मौलिक अधिकार कहा जाता है, जिन्हें हमसे सामान्य समय में वापस नहीं लिया जा सकता है। हमारा संविधान हमें छह मौलिक अधिकार प्रदान करता है जिसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार है।

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स्वतंत्रता का अधिकार यह बहुत ही महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, जो लोगों को अपने विचारों को भाषण, लेखन, व्यक्ति समालोचना, आलोचना या सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने के लिए स्वतंत्र है। वह देश के किसी भी कोने में कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार के तहत हम लोगों को अपनी पसंद के किसी भी धर्म को मानने, अभ्यास करने, प्रचार करने और अनुकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोई भी किसी के धार्मिक विश्वास में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखता है। समानता के अधिकार में अमीर व गरीब, उच्च-नीच में कोई भेदभाव और अंतर नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, जनजाति, स्थान का व्यक्ति किसी भी कार्यालय में उच्च पद को प्राप्त कर सकता है, वह केवल आवश्यक अहर्ताओं और योग्यताओं को रखता हो। संविधान ने प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया है और वह बच्चा किसी भी संस्था में किसी भी स्तर तक शिक्षा प्राप्त कर सकता है। शोषण के विरुद्ध अधिकार के तहत कोई भी किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध या 14 साल से कम उम्र के बच्चे से मजदूरी या वेतन के कार्य करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। इस अधिकार को संविधान की आत्मा कहा जाता है। क्योंकि यह संविधान के सभी अधिकारों की रक्षा करता है। यदि किसी को किसी भी स्थिति में ऐसा महसूस होता है कि उसके अधिकारों को हानि पहुंची है तो वह न्याय के लिए न्यायालय में जा सकता है।

देश का नागरिक होने के नाते हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारियां भी हैं। हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए। देश के कानून का पालन और सम्मान करना चाहिए। यदि सभी नागरिक इन बातों का ध्यान रखेंगे तभी देश उन्नति के रास्ते पर अग्रसर हो सकेंगा। इसके अलावा संविधान में नागरिकों के लिए कई तरह के दायित्व निर्धारित किए गए। देश की उन्नति के लिए प्रत्येक नागरिक को इन दायित्वों को पूरा करना चाहिए।

-जीएस आर्य ¨प्रसिपल, श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

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अपने अधिकारों का आनंद दूसरों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना लेना चाहिए। हमें हमेशा आवश्यकता पड़ने पर अपने देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें राष्ट्रीय धरोहर और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए। हमें अपने करों करों का भुगतान समय पर सही तरीके से करना चाहिए। इन बातों का ध्यान रख कर देश के प्रति अपने दायित्वों को पूरा कर सकते हैं।

-पूजा आर्य, अध्यापिका, श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

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संविधान ने हमें शोषण के विरुद्ध बोलने का अधिकार दिया हुआ है। इसके तहत कोई भी किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध या 14 साल से कम उम्र के बच्चे से मजदूरी या वेतन के कार्य करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। हम इनके खिलाफ कोर्ट में चुनौती देकर सजा दिला सकते हैं। देश का नागरिक होने के नाते हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखना होगा ताकि अन्य लोगों को किसी प्रकार की हमसे कोई परेशानी न हो।

-सविता चौधरी, अध्यापिका, श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

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संविधान ने प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया है और वह बच्चा किसी भी संस्था में किसी भी स्तर तक शिक्षा प्राप्त कर सकता है। शिक्षा के अधिकार के साथ बच्चों एवं युवाओं का विकास होता है तथा राष्ट्र शक्तिशाली एवं समृद्ध बनता है। यह उत्तरदायी एवं सक्रिय नागरिक बनाने में भी सहायक है। इसमें देश के सभी लोगों, अभिभावकों एवं शिक्षकों का भी सहयोग आवश्यक है। शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार का दर्जा देने के साथ ही इसे मूल कर्तव्यों में शामिल कर अभिभावकों का क‌र्त्तव्य बनाया गया है।

-डॉ. सविता गर्ग, अध्यापिका, श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

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देश में रहने वाले नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानना चाहिए। संविधान द्वारा निर्मित सभी नियमों और कानूनों को समझना, देश के नागरिकों की देश के प्रति जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद करेगा। हमें देश में अपनी भलाई और स्वतंत्रता के साथ ही समुदाय और देश की सेवा के लिए अपने अधिकारों को अवश्य जानना चाहिए।

-चेतन शिव, छात्र, श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

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किसी भी देश में लोकतंत्र तब काम करता है, जब उस देश के नागरिकों को अधिकार प्राप्त हों। इस तरह के अधिकार सरकार के तानाशाह और क्रूर होने से बचाते हैं। मौलिक अधिकार लोगों की नैतिक, भौतिक और व्यक्तित्व के विकास में लोगों की मदद करते हैं। अधिकारों के हनन होने की स्थिति में कोई भी व्यक्ति रक्षा के लिए न्यायालय की शरण ले सकता है।

-भुवनेश्वर, छात्र, श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

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हम कह सकते हैं कि, क‌र्त्तव्य किसी भी व्यक्ति के लिए नैतिक या वैधानिक जिम्मेदारी हैं जिनका पालन सभी को अपने देश के लिए करना चाहिए। ये एक कार्य हैं जिसका पालन देश के प्रत्येक और सभी नागरिकों को अपनी नौकरी या पेशे की तरह करना चाहिए। अपने राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता हैं।

-अनिष्का,श्रद्धा मंदिर पब्लिक स्कूल।

हम अपने देश का सम्मान क्यों करते हैं?

हमारे देश को हमारी मातृभूमि के रूप में जाना जाता है। और हमें अपने देश से वैसे ही प्यार करना चाहिए जैसे हम अपनी मां से करते हैं, जो लोग अपने देश के लिए वहीं प्रेम और भक्ति महसुस करते है, जो वो अपने मां और परिवार के लिए करते है तो सहीं मायने में वहीं असली देशभक्त होते हैं

आप अपने देश का सम्मान कैसे करते हैं?

देशभक्ति, देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना है। देशभक्त अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम तथा उसपे गर्व करने के लिए जाने जाते हैं। दुनिया के हर देश में उनके देशभक्तों का एक समूह होता है, जो अपने देश के विकास के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं

मेरे कौन से ऐसे 5 व्यवहार हैं जिनमें मेरा अपने देश के प्रति प्यार दिखाई देता है?

प्रत्येक बच्चे के अंदर देश के प्रति त्याग की भावना तथा त्याग करने वालों के प्रति सम्मान की भावना का विकास करना । है, जैसे: स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, कारगिल शहीदी दिवस आदि। जबकि रोजमर्रा के जीवन में अनेक ऐसे महत्वपूर्ण काम होते हैं जिन्हें करते समय हम जागरूक नहीं रहते और हमारी देशभक्ति में अधूरापन रह जाता है।

क्या वर्तमान समय में भी देश को देशभक्तों की जरूरत है अपने उत्तर के लिए तर्क दीजिए?

देशभक्त अपने देश के सुधार और अपने साथी प्राणियों के कल्याण के लिए सदैव कार्य करता रहता हैं। हमारी अपनी मातृ भूमि का समर्थन करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। ऐसे कई कारणों से देशभक्ति की भावना महत्वपूर्ण हो जाती है। हालांकि ये सत्य है कि देशभक्ति की भावना के बिना हमारा देश विकसित नहीं हो सकता।