क्या दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है इस विषय पर अपने विचार लिखें? - kya doosaron ko pyaar aur khushee dene se apane man ka dukh kam ho jaata hai is vishay par apane vichaar likhen?

इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।

कहानी मिठाईवाला पढ़कर इस बात की अनुभूति होती है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन को दुख कम होता है जैसे मिठाईवाले के बच्चे और पत्नी एक हादसे में मर चुके थे। वह दूसरे बच्चों को जब उनकी पसंद का सामान ला-लाकर बेचता तो उनके चेहरे पर खुशी की लहर देखकर उसे संतोष, धैर्य और सुख का अनुभव होता। वह उन्हीं में ही अपने बच्चों की झलक देखने लगता।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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दूसरों को प्यार और खुशी देकर क्या आपने मन का दुख कम किया जा सकता है?

इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए । लिखिए। ऊपर 'वाला' का प्रयोग है।

मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे उसकी ओर खिंचे चले आते थे?

Solution : मिठाई वाला अपनी चीजों को मधुर आवाज में गा-गाकर सस्ते दामों में बेचता था। वह नई-नई वस्तुएँ लाकर बच्चों के बीच आता था। वह अत्यन्त विनम्र और मृदुभाषी था। पैसे न होने पर भी बच्चों को चीजें दे देता था।

इस बार यह पैसे ना लूंगा कहानी के अंत में मिठाई वाले ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर - "अब इस बार यह पैसे न लूँगा”- ऐसा मिठाई वाले ने इसलिए कहा क्योंकि रोहिणी को अपनी कहानी बताते हुए वह अत्यंत भावुक हो गया था | उसे अपनी पत्नी और बच्चों की याद आ गई | जब उसने चुन्नू मुन्नू को मिठाई दी तो उसे लगा कि वह अपने उन्हीं बच्चों को मिठाई दे रहा है जो उससे दूर जा चुके हैं ।

खिलौने वाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती है?

खिलौनेवाले के आने पर बच्चे खिलौने देखकर पुलकित हो उठते थे। बच्चों का झुंड खिलौनेवाले को चारों तरफ़ से घेर लेता था। वे पैसे लेकर खिलौने का मोलभाव करने लगते थे। खिलौने पाकर बच्चे खुशी से उछलने - कूदने लगते थे।