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यूपी: 'भारत के रक्षक' थे महान गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त, अमित शाह ने किया याद| Updated: Oct 17, 2019, 1:08 PM अमित शाह ने कहा कि गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी सफलता यह रही कि हमेशा के लिए वैशाली और मगध साम्राज्य के टकराव को समाप्त कर एक अखंड भारत के रचना की दिशा में गुप्त साम्राज्य आगे बढ़ा था।विरोधियों को परास्त कर स्कंदगुप्त ने गद्दी संभाली अभिलेख के मुताबिक
राजगद्दी हासिल करने के लिए स्कंदगुप्त को कई रातें जमीन पर गुजारनी पड़ीं। इतिहासकार आरसी मजूमदार ने हूणों के आक्रमण से देश की रक्षा के लिए स्कंदगुप्त को 'भारत के रक्षक' की उपाधि दी है। सुधांसुधर द्विवेदी ने बताया कि हूण आंक्राता बेहद बर्बर माने जाते थे और उन्होंने सिकंदर के देश यूनान, महान रोमन साम्राज्य और मिस्र की सभ्यता को नष्ट कर दिया था। ये विदेशी हमलावर ईरान और चीनी सभ्यता को बर्बाद करते हुए भारत की सीमा तक पहुंच गए थे। 'युद्ध के दौरान धरती हिल सी
गई' आसपास के शहरों की खबरेंNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रेकमेंडेड खबरें
देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं?धन्यवादक्या स्कंदगुप्त को भारत का रक्षक माना जा सकता है तर्कपूर्ण उत्तर?अभिलेख के मुताबिक राजगद्दी हासिल करने के लिए स्कंदगुप्त को कई रातें जमीन पर गुजारनी पड़ीं। इतिहासकार आरसी मजूमदार ने हूणों के आक्रमण से देश की रक्षा के लिए स्कंदगुप्त को 'भारत के रक्षक' की उपाधि दी है।
स्कंद गुप्त नाटक का उद्देश्य क्या है?स्कंदगुप्त नाटक में गुप्तवंश के सन् 455 से लेकर सन् 466 तक के 11 वर्षों का वर्णन है। इस नाटक में लेखक ने गुप्त कालीन संस्कृति, इतिहास, राजनीति संधर्ष, पारिवारिक कलह एवं षडयंत्रों का वर्णन किया है। स्कंदगुप्त हूणों के आक्रमण (455 ई०) से हूण युद्ध की समाप्ति (466) तक की कहानी है।
स्कन्दगुप्त का अन्य नाम क्या है?जो समुद्रगुप्त (Skandagupta) के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुके थे। उन्होंने उसके पिता कुमारगुप्त प्रथम के शासन के समय से ही राज्य की कुछ अंगों पर अधिकार कर लिया था। वह राज्य के उन भागों को वापिस पाना चाहता था। हूणों को पुष्यमित्र या म्लेच्छ भी कहा गया है।
स्कंदगुप्त आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेता है क्यों?नाटक के अंतिम दृश्य में दिखाया कि स्कंदगुप्त देवसेना से एक बार फिर प्रेम निवेदन करता है। लेकिन असहायों और गरीबों की सेवा में देवसेना अपना जीवन लगा चुकी है। इसके बाद स्कंद भीष्म प्रतिज्ञा करता है कि वो आजीवन अविवाहित रहेगा। वो एक बार फिर से आर्य साम्राज्य की स्थापना और एकता के लिए घोषणा करता है।
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