Authored by
Rakesh Jha| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 1, 2022, 4:30 PM
शादी का बंधन हमारे जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिस तरह शादी एक खास पड़ाव होता है वैसे ही शादी से जुड़ी रस्में भी खास होती हैं। शादी एक संस्कार है, जिसमें कई तरह की परंपराओं का निर्वाहन किया जाता है। विवाह से जुड़ी अधिकांश रीति-रिवाज किसी खास उद्देश्य से निभाए जाते हैं। कहने का आशय है हर परंपरा के पीछे कोई न कोई धार्मिक मान्यता होती है। इन्हीं परंपराओं में से एक सगाई भी होती है। यह शादी के पहले निभाई जाने वाली रस्म होती है। सगाई के दौरान लड़का-लड़की एकदूसरे को हाथ की तीसरी उंगली में अंगूठी पहनाते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सगाई की अंगूठी इसी उंगली में क्यों पहनाई जाती है। आखिर इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? यह उंगली ज्योतिष के आधार पर अनामिका के नाम से जानी जाती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अनामिका में ही सगाई की अंगूठी पहनाने के पीछे कुछ खास धार्मिक मान्यताएं होती है। आज हम आपको सगाई की अंगूठी से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताओं के बारे में बताएंगे। वैदिक ज्योतिष में अनामिका का संबंध जीवन के क्षेत्रों जैसे प्रसिद्धि, उत्तेजना, दिखावा और चमक से माना जाता है। यह किसी मनुष्य के व्यक्तित्व में इन गतिविधियों की प्रमुखता दिखाता है। हमारे बाएं हाथ की तीसरी उंगली हमारे विवाहित जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह उनके प्यार के प्रति व्यक्ति की निष्ठा को दर्शाता है।
-
प्रेम का प्रतीक
अंगूठी का आकार
मान्यता है कि सगाई की अंगूठी का आकार गोल होना चाहिए, ऐसा करने के पीछे बताया जाता है जिस तरह गोले का न तो आरंभ होता है न अंत विवाह के रिश्ते को भी अनंत बनाए रखने के लिए सगाई की अंगूठी आमतौर पर गोल आकार ही पहनाई जाती है।
क्या कहता है चीनी ज्योतिष
चीनी ज्योतिष के अनुसार, हमारे हाथ की हर उंगली हमारे जीवन के एक विशेष हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। जैसे अंगूठा माता-पिता को प्रस्तुत करता है, तर्जनी भाई-बहन का प्रतिनिधित्व करती है, छोटी उंगली संतान के बारे में बताती है, मध्यमा अंगुली स्वयं को प्रस्तुत करती है और अनामिका उंगली जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व करती है।
अलेक्जेंड्रिया सिद्धांत
दूसरी शताब्दी के एक ग्रीको रोमन इतिहासकार अलेक्जेंड्रिया के मुताबिक मिस्रवासियों का मानना था कि हमारे शरीर की एक तंत्रिका है जो उस उंगली से सीधा दिल तक जाती है। इस विचार को 16 वीं शताब्दी के एक लोकप्रिय डच चिकित्सक लेविनस लेमनीस ने पुनर्जीवित किया था। उन्होंने लिखा था कि सोने की अंगूठी को उंगली पर रगड़ने से महिलाओं में दिल प्रभावित होता है और यह जीवन में जोश और उत्साह बढ़ाता है।
भारत में कहां पहनाते हैं
भारत में, पुरुष अपने दाहिने हाथ पर इस अंगूठी को पहन सकते हैं जबकि महिलाएं बाएं हाथ पर पहनती हैं। हालांकि हिंदू धर्म में शादी की अंगूठी पहनने के लिए कोई सही हाथ और उंगली का उल्लेख नहीं मिलता है। इस अंगूठी को पहनाने को लेकर भारत में ऐसी कोई सख्त परंपरा नहीं है।
शादी हुई है ना? क्या जानते हैं सप्तपदी का महत्व
होता है दिल से संबंध
धार्मिक मान्यता है कि आपकी शादी की अंगूठी आपके दिल के सबसे करीब होनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि बाएं हाथ की तीसरी उंगली सीधे दिल से जुड़ी होती है और यही मुख्य कारण है कि शादी की अंगूठी को इसी उंगली में पहना जाता है।
अनामिका ग्रह से संबंध
ज्योतिष के अनुसार, अनामिका ग्रह सूर्य से जुड़ा है। सूर्य को राजा के रूप में जाना जाता है। सूर्य सफलता और शक्ति का ग्रह है। यदि आप एक अनोखी, अद्भुत और आलौकिक ऊर्जा का अहसास पाना चाहते हैं तो अनामिका उंगली पर अंगूठी पहन सकते हैं। यह आपको हर प्रकार से मजबूती प्रदान करता है।
भावनात्मक रूप से होता है जुड़ाव
अनामिका उंगली को भावनात्मक उंगली के रूप में भी जाना जाता है। शादी की अंगूठी के रूप में अनामिका चुनने के पीछे एक कारण है। इस उंगली में शादी की अंगूठी पहनने का मतलब अपने जीवन साथी के प्रति वफादार रहना और भावनात्मक रूप से उनसे जुड़ा होना हो सकता है।
रचनात्मकता होती है मजबूत
यदि कोई व्यक्ति अपनी जोखिम लेने की क्षमता को बढ़ाना चाहता है, तो उसे अपने बाएं हाथ की अनामिका में एक अंगूठी पहननी चाहिए। मान्यता है कि इस उंगली में अंगूठी पहनना व्यक्ति की रचनात्मकता को मजबूत करने की इच्छा की ओर संकेत करता है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत जीवन में अपनी भावनाओं, विशिष्टता, रचनात्मकता और जोखिम लेने की क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता है।
ऐसे पहचानें असली मूंगा, जानें इसके लाभ और धारण करने की विधि