हिंदी न्यूज़क्यों पता नहीं चलती किडनी की खराबी, जानिए लक्षण और इलाज के बारे में
क्यों पता नहीं चलती किडनी की खराबी, जानिए लक्षण और इलाज के बारे में
किडनी की बीमारी खतरनाक है, लेकिन इसकी सबसे खतरनाक बात यह है कि यह दबे पांव शरीर पर हमला करती है। अधिकांश मामलों में मरीज को जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। डायलिसिस और किडनी...
Anuradha
किडनी की बीमारी खतरनाक है, लेकिन इसकी सबसे खतरनाक बात यह है कि यह दबे पांव शरीर पर हमला करती है। अधिकांश मामलों में मरीज को जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता है। सवाल यह है कि किसी व्यक्ति को कब अपनी किडनी की चिंता करनी चाहिए? डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? जानिए इसी बारे में -
www.myupchar.com से जुड़ी ऐम्स की डॉ. वीके राजलक्ष्मी कहती हैं कि किडनी का फैल होना तब कहा जाता है जब यह शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती है। यह अपशिष्ट पदार्थ खून में होता है, जिसे छानने का काम किडनी करती है। यूरिन इन्फेक्शन को किडनी की बीमारी को पहला संकेत माना जा सकता है।
क्यों पता नहीं चलती किडनी की खराबी
किडनी की खराबी के कुछ आम लक्षण हैं, लेकिन एक भी किडनी स्वस्थ्य हो तो शरीर की बाकी क्रियाएं चलती रहती हैं। यही कारण है कि जब तक दोनों किडनी पूरी तरह काम करना बंद नहीं कर देती हैं, मरीज को पता नहीं चलता है। यानी एक किडनी खराब हो तो भी काम चलता रहता है, लेकिन जिस पल दूसरी किडनी भी काम करना बंद कर देती है, जीवन रुक जाता है।
वैसे डॉक्टरों ने किडनी खराब होने के जो लक्षण बताए हैं वो इस प्रकार हैं - पीठ में दर्द, यूरिन के रास्ते कभी-कभी खून आना, यूरिन की मात्रा कम-ज्यादा होना, यूरिन के दौरान जलन होना या दर्द होना, रात के समय ब्लडप्रेशर कम या ज्यादा होना, किडनी वाली जगह पर दर्द महसूस होना, पैरों में सूजन आना, थकान महसूस होना।
किन लोगों में ज्यादा होता है किडनी फेल होने का खतरा
जिन लोगों को डायबिटीज है, उनमें किडनी फेल होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर वालों को भी समय-समय पर किडनी की जांच करवाते रहना चाहिए। जो
लोग दर्द निवारक गोलियों का सेवन करते हैं या जिनमें यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत अधिक रहती है, वे भी सावधान रहें।
किडनी रोग होने का इस पर भी असर पड़ता है कि मरीज किस भौगोलिक क्षेत्र में रहता है। उदाहरण के लिए जो लोग कोस्टल एरिया यानी समुद्र तट के पास रहते हैं, उनमें मछली के अधिक सेवन के कारण किडनी रोग होते हैं, जबकि दो लोग पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में रहते हैं, वहां दूध और दही का अधिक सेवन किडनी की बीमारी का कारण बनता है।
क्या है किडनी का
इलाज
यदि किडनी में संक्रमण हुआ है तो इसे दवा से ठीक किया जा सकता है। लेकिन यदि किडनी फेल हो गई है तो सिवाय डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के कोई दूसरा तरीका नहीं है।
डॉ. वीके राजलक्ष्मी के अनुसार, किडनी रोग के बचना है तो स्वस्थ्य जीवन शैली अपनाएं। सक्रिय रहें, संतुलित आहार लें। नशे से दूर रहें, खासतौर पर शराब से परहेज करें। समय-समय पर डॉक्टर के पास जाएं और अपनी किडनी के बारे में जानकारी लें। कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें।
अधिक जानकारी के लिए देखें:
//www.myupchar.com/disease/acute-kidney-failure
स्वास्थ्य आलेख www.myUpchar.com द्वारा लिखे गए हैं।
शरीर की छलनी का सेहतमंद रहना बहुत जरूरी
चाय को केतली में उबालने के बाद अगर छलनी से न छानें या फिर छलनी टूटी हो तो अच्छी चाय भी बेकार लगती है। हर चुस्की के साथ चाय पत्ती भी मुंह में आए तो मजा खराब हो जाता है। इसलिए जैसे अच्छी चाय का आनंद लेने के लिए छलनी का सही होना जरूरी है, वैसे ही हमारे शरीर में खून साफ करने और गंदगी को बाहर करने के लिए किडनी यानी शरीर की छलनी का सेहतमंद रहना बहुत जरूरी है। अगर
किसी को किडनी से जुड़ी परेशानी शुरू हो चुकी है तो ऐसे लोगों के लिए क्या खाना सही है, क्या नहीं खाना? और कितना पानी जरूरी है। यह जानते हैं।
किडनी में खराबी की अहम वजहें : ज्यादा दवाएं लेना
हमारे देश में ज्यादातर लोग खुद ही डॉक्टर बनने की कोशिश करते हैं। वे अपनी मर्जी से दवा खरीद कर खाते रहते हैं। आपको अगर दवाओं से 'प्रेम' है तो किडनी की समस्या आपको मुफ्त में मिल सकती है। गलत या ज्यादा दवा खाने से किडनी की हालत खराब होती है। पेनकिलर तो इस मामले में बेहद खतरनाक होते हैं। कभी पेनकिलर लें तो किडनी को जरूर याद कर लें। अगर आपको दर्द की समस्या लगातार है तो इसका सही इलाज कराएं नाकि पेनकिलर खरीद कर खाएं।
- आसानी से मिलने वाली पेनकिलर NSAIDs (Non-steroidal anti-inflammatory drugs) डॉक्टर से बिना पूछे लगातार खाना। इससे किडनी खराब होती हैं।
- बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन: बॉडी बिल्डिंग करने वाले लोग मसल्स बनाने के लिए लेते हैं। स्टेरॉइड्स लेना। ये किडनी के साथ-साथ दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। जिम में जाकर बॉडी बिल्डिंग करने वाले कई लोग मांसपेशियों को आकार देने के लिए हाई प्रोटीन का सेवन करते हैं। इससे किडनी खराब होने के कई मामले सामने आए हैं।
शराब पीना
अल्कोहल का सबसे बुास असर किडनी और लिवर पर पड़ता है। शराब, बीयर या ड्रग्स आदि में हानिकारक चीजें तो होते ही हैं, ये पेशाब की फ्रीक्वेंसी और मात्रा को भी बढ़ा देते हैं। ऐसे में किडनी को सामान्य क्षमता से कई गुना ज्यादा काम करना पड़ता है और इससे किडनी जल्दी खराब होने लगती है। जाहिर है, शराब से जितनी दूरी होगी, किडनी उतनी ही स्वस्थ रहेगी। डॉक्टरों का मानना है कि शराब की कम या ज्यादा मात्रा लेने से फर्क नहीं पड़ता, अगर हेल्दी किडनी चाहिए तो शराब से पूरी तरह दूर रहें। अगर शुगर और बीपी की परेशानी है तो न ही पिएं। फिर भी मन न माने तो महीने में 20 एमएल करके 3 बार में पी सकते हैं।
बेकाबू बीपी
गलत लाइफस्टाइल की वजह से आजकल हाई बीपी और शुगर की समस्या आम है। ये किडनी जैसे अंगों को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। अमूमन देखा गया है कि जिन्हें शुगर की समस्या होती है, उन्हें हाई बीपी की परेशानी भी हो ही जाती है। इसलिए बीपी और शुगर के मरीज को किडनी की ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। शुगर और बीपी से परेशान हैं तो डॉक्टर ने जो दवा आपको दी है, उसे हर दिन लें। अगर ये कंट्रोल में हैं तब भी डॉक्टरों की सलाह पर
ही चलें। एक्सरसाइज रोज करें। हाई बीपी के लक्षण: लगातार सिर दर्द, चक्कर आना, गुस्सा जल्दी आना, बार-बार गुस्सा आना, थकान या कमजोरी और नींद न आना आदि।
- अगर शुगर, बीपी आदि की समस्या नहीं है तो 120/80 तक और अगर ऐसी परेशानी है तो 130/90 तक बीपी सामान्य माना जाता है।
बीपी मशीन घर पर जरूर रखें: मेडिकल की दुकानों पर ऐसी मशीनें मिल जाती हैं। हालांकि इनकी रीडिंग कुछ ऊपर-नीचे हो सकती है। फिर भी यह मशीन हाई बीपी का संकेत जरूर दे देती है।
बीपी जांचने की कुछ मशीनें
- Dr Trust, कीमत: 2231 रुपये
- Omron HEM 7120, कीमत: 1950 रुपये
शुगर का बढ़
जाना
किडनी खराब होने के ज्यादातर मामले ऐसे मरीजों में होते हैं जिनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ होता है। अगर शुगर का लेवल लगातार 6 महीनों से ज्यादा समय तक 250 से ज्यादा हो तो समझें कि किडनी के लिए सांस लेना मुश्किल होने लगता है। इसलिए इसे काबू में रखें। शुगर फास्टिंग: 70-100 मिलीग्राम और खाने के बाद: 135 से 140 मिलीग्राम हो सकती है।
ये भी हैं कारण
- यूरिन इन्फेक्शन पर ध्यान न देना।
- पथरी के इलाज में देरी करना। पथरी का साइज 3 से 4 mm तक हो तो अमूमन यूरिन के दबाव से निकल जाती है।
- यूरिन को अक्सर रोककर रखना।
- नमक ज्यादा खाना। (एक दिन में 2 से 5 ग्राम या एक चम्मच ही खाएं। खाने में एक्स्ट्रा नमक न लें। ऊपर से नमक डालकर न खाएं।)
- सोडा (कोल्ड ड्रिंक) का सेवन ज्यादा करना।
- पथरी आकार में बढ़ जाए तो किडनी खराब करती है। इसकी जांच के लिए अल्ट्रासाउंड करवाया जाता है। किसी को पथरी बनती रहती है तो उसे साल में पेट के निचले हिस्से का 1 बार अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। इसमें 1500 से 2000 रुपये तक का खर्च आता है।
1. एक्यूट किडनी इंजरी (AKI)
इस तरह की परेशानी अमूमन अचानक होती है। किसी इंफेक्शन या दुर्घटना की वजह से जब किडनी अचानक काम करना बंद कर देती हैं। पहले से न शुगर की परेशानी थी और न बीपी की, फिर भी ब्लड और यूरिन टेस्ट में अचानक ही क्रिएटिनिन की मात्रा सामान्य से बढ़ी दिखे।
बहुत हेवी एक्सरसाइज और पानी की कमी में भी: अगर कोई शख्स हेवी एक्सरसाइज करता है। इस वजह से वह महीने का 3 से 4 किलो वजन कम कर लेता है। ऐसा 2-3 महीने तक करने के दौरान अगर वह ढाई से 3 लीटर पानी हर दिन नहीं पीता तो यह मुमकिन है कि उसका क्रिएटिनिन लेवल बढ़ जाए। इसलिए अगर कोई इस तरह का काम कर रहा है तो उसे भी केएफटी टेस्ट जरूर कराना चाहिए और सामान्य रिपोर्ट नहीं आने पर किसी नेफ्रॉलजिस्ट को जरूर दिखाए।
कैसे पहचानें: अगर किसी शख्स का यूरिन आना बंद हो जाए या फिर यूरिन में अचानक ही खून निकलने लगे। इनके अलावा दूसरे लक्षण भी हो सकते हैं। क्या करें: फौरन ही किसी नेफ्रॉलजिस्ट से संपर्क करें।
. क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD)
जब बीपी, शुगर या किसी दूसरी बीमारी की वजह से धीरे-धीरे किडनी की क्षमता कम होने लगती है या काम करना बंद कर देती हैं। यह कई स्टेज में होता है। किडनी अभी किस स्टेज में है इसका पता करने के लिए GFR (Glomerular
Filtration Rate) करना चाहिए। किडनी में जो सबसे ऊपर का स्तर होता है उसे ही ग्लोमेरुलर कहते हैं। यह किस गति से यूरिन को फिल्टर करता है, उसी से पता लगाया जाता है कि किडनी सही तरीके से काम कर रही है या नहीं। इसके लिए किसी शख्स को 24 घंटे का यूरिन जमा करने के लिए कहा जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि पसीने के माध्यम से कितना लिक्विड निकलता है। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि उसने दिनभर में पानी समेत कितना लिक्विड लिया है। चूंकि इस प्रक्रिया को पूरा करने में ज्यादा परेशानी होती है, इसलिए डॉक्टर इसकी
जगह eGFR (Estimated Glomerular Filtration Rate) यानी उस शख्स ने 24 घंटे में कितना लिक्विड लिया और कितना यूरिन निकाला। इसका औसत देखने के लिए ब्लड टेस्ट का सहारा लिया जाता है। जिसमें क्रिएटिनिन लेवल देखा जाता है। अल्ट्रासाउंड भी कराया जाता है ताकि किडनी की असल स्थिति का पता चल सके।
किडनी की पुरानी बीमारी को 5 स्टेज में बांट सकते हैं:
CKD-1 Stage
- eGFR 90 एमएल/ मिनट से ज्यादा।
- पेशाब में कुछ गड़बड़ी पता चलती है, लेकिन क्रिएटिनिन और ईजीएफआर सामान्य होता है। ईजीएफआर से पता चलता है कि किडनी फिल्टर सही से कर पा रही है या नहीं।
CKD-2 Stage
- eGFR 90-60 एमएल/ मिनट के बीच में होता है, लेकिन क्रिएटिनिन सामान्य ही रहता है। पेशाब की जांच में उसमें प्रोटीन ज्यादा होने के संकेत मिलने लगते हैं। शुगर या हाई बीपी रहने लगता है।
- कितना पानी: ऊपर के दोनों स्टेज में अगर चेहरे या पैरों में सूजन नहीं है तो सामान्य रूप से यानी डेढ़ से 2 लीटर तक पानी पीने के लिए कहा जाता है।
- नारियल पानी: जब तक किडनी सही तरीके से काम कर रही है तो नारियल पानी अमृत है। लेकिन किडनी में अगर परेशानी है तो इसकी मात्रा कम या फिर बंद करना पड़ता है। अगर ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन, यूरिया, सोडियम और पोटैशियम सामान्य है तो डॉक्टर की सलाह से हफ्ते में 1 से 2 नारियल पानी पिया जा सकता है।
- खाने में परहेज: सामान्य खाना, तेल-मसाले कम, रिफाइंड नहीं। नमक: सामान्य, ऊपर से नहीं खाना। पैक्ड नमकीन, चिप्स आदि नहीं खाना।
CKD-3 Stage
- eGFR 60-30 एमएल/ मिनट के बीच में होने लगता है। क्रिएटिनिन भी बढ़ने लगता है। यह 2 के करीब होता है। इस स्टेज में किडनी की बीमारी के लक्षण पूरी तरह सामने आने लगते हैं। ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आ सकता है। शरीर में खुजली की शिकायत रह सकती है। इसके अलावा कमजोरी आना, भूख में कमी, पेशाब की मात्रा भी कम हो सकती है।
- यहां इस बात को समझना भी जरूरी है कि CKD 3 स्टेज में पहुंचने पर चीजें ज्यादा खराब होने लगती हैं। अगर यहां से भी सही तरीके से इलाज होने लगे, खानपान में संयम बरता जाए तो डायलिसिस की स्थिति को कई बरसों तक टाला जा सकता है।
- कितना पानी: अमूमन चेहरे और पैरों में काफी सूजन दिखने लगती है। इसलिए डॉक्टर पानी की मात्रा को सीमित कर देते हैं। यह एक से डेढ लीटर प्रति दिन तक कर दी जाती है।
- नारियल पानी: अमूमन इसकी भी मनाही कर दी जाती है। अगर किसी को लेना भी हो तो हफ्ते में 50 एमएल से ज्यादा नहीं।
- खाने में परहेज: बाकी परहेज CKD 1 और 2 के जैसा ही होगा। एक नाशपाती या सेब (80 ग्राम तक का) ले सकते हैं। खट्टे फलों आदि की मनाही है या फिर एक हफ्ते में 2 से 3 दिनों पर एक टुकड़ा लें। केले हफ्ते में 2 से 3 काफी हैं।
- कितने दिनों पर टेस्ट: 2 से 3 महीने पर
CKD-4 Stage
- eGFR 30-15 एमएल/ मिनट के बीच होता है और क्रिएटिनिन भी 2-4 के बीच होने लगता है। शरीर में सूजन की समस्या हो सकती है। कितना पानी: इस समय कुल लिक्विड डेढ़ लीटर होगा, जिसमें पानी के अलावा, दल, फल आदि सभी कुछ लेने के लिए कहा जाता है।
- खाने में परहेज: बाकी परहेज CKD 1 और 2 के जैसा ही होगा। खट्टे फलों, केले आदि की सख्त मनाही हो जाती है। एक नाशपाती या सेब (80 ग्राम तक का) ले सकते हैं।
- कितने दिनों पर टेस्ट: 1 से 2 महीनों पर
D-5 Stage
eGFR 15 एमएल/ से कम हो जाता है और क्रिएटिनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है। मरीज को सांस लेने में भी कुछ परेशानी होने लगती है। ऐसी स्थिति में मरीज के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट जरूरी हो जाता है। यह गंभीर स्थिति है।
इनसे करें परहेज
जूस आदि पीने से: फलों का रस, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी, नीबू पानी, नारियल पानी, शरबत, सोडा
फलों से: संतरा, आम, नीबू, केला, मौसमी, आडू, खुमानी आदि।
ड्राई फ्रूट्स से : मूंगफली, बादाम, खजूर, किशमिश, काजू आदि।
सब्जियों से : कमलककड़ी, मशरूम, अंकुरित मूंग आदि।
लक्षणों पर दें ध्यान
- भूख कम लगना
- वजन तेजी से घटना। अगर महीने में 3 से 4 किलो वजन कम होने लगे तो अलर्ट हो जाएं।
- आंखों के नीचे, हाथों और पैरों में सूजन आना
- खून की कमी यानी एनीमिया होना
- यूरिन में ब्लड आना
- नींद आने में परेशानी
- स्किन ड्राई और खुजली
- बार-बार पेशाब आना
- यूरिन में झाग आना
बच्चों में परेशानी ऐसे पहचानें
बच्चों में किडनी की परेशानी बहुत कम होती है। लड़कियों की तुलना में लड़कों को परेशानी ज्यादा होती है। आमतौर पर मां के गर्भ में ही परेशानी शुरू हो जाती है। गर्भ के अंदर की परेशानी अल्ट्रासाउंड
में पता चल जाती है। बच्चा पैदा होने के बाद इसका इलाज फौरन करवाना चाहिए। जन्म लेने के बाद बच्चों (मेल बेबी) के पेशाब की धार पर जरूर गौर करना चाहिए।
- अगर पेशाब बूंद-बूंद के रूप में आ रहा है या पेशाब की धार नहीं बन पा रही है तो फौरन ही किसी बाल रोग विशेषज्ञ से मिलें। उनके सुझाव पर किसी नेफ्रॉलजिस्ट को दिखाएं।
- मां का दूध और बाद में घर का बना सामान्य खाना दें।
गुर्दे का दम देखने के लिए जरूरी जांच
किडनी की खराबी लोग तब मानते हैं जब क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाता है, जबकि क्रिएटिनिन बढ़ने के बाद किडनी खराबी की ओर कदम बढ़ा चुकी होती है।
नॉर्मल यूरिन टेस्ट
यह किडनी की शुरुआती जांच है। इसमें यह पता चल जाता है कि पेशाब में ऐल्ब्यूमन प्रोटीन की मात्रा कितनी है। अगर ज्यादा है (300 से) तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। पेशाब में ज्यादा प्रोटीन आने का मतलब है कि किडनी सही ढंग से प्रोटीन को फिल्टर नहीं कर पा रही है।
- खर्च: 100 से 120 रुपये,
- कैसे: यूरिन से
- कितने दिनों पर कराएं: अगर कोई समस्या नहीं है तो साल में 1 बार काफी है। परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह से कराएं। ऐसे लोगों को 6 महीने में 1 बार जांच करानी चाहिए।
इससे यह पता चल जाता है कि यूरिन में ऐल्ब्यूमन प्रोटीन की थोड़ी मात्रा में भी आ रहा है या नहीं। अगर थोड़ी मात्रा में आ रहा है तो इलाज की जरूरत है। यहां से किडनी में आगे आने वाली खराबी रोकी जा सकती है। दरअसल, ऐसी स्थिति तब आती है जब किडनी ऐल्ब्यूमन प्रोटीन के बड़े पार्टिकल को तो रोक लेती है लेकिन छोटे को नहीं।
- नॉर्मल: 30 से कम, माइक्रो ऐल्ब्यूमन: 30 से 300
- ऐल्ब्यूमन: 300 से ज्यादा (इसके बाद क्रिएटिनिन लेवल बढ़ना शुरू हो सकता है।)
- खर्च: 550 रुपये, कैसे: यूरिन से
KFT यानी किडनी फंक्शन टेस्ट। किडनी की असल स्थिति पता करने के लिए यह जांच सबसे कारगर है। इसमें किडनी से छनने वाली ज्यादातर चीजों के बारे में पता चल जाता है। प्रोटीन का पता इसमें भी चलता है। इसमें क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड और यूरिया का स्तर देखा जाता है।
- खर्च: 700 से 900 रुपये, कैसे: ब्लड से
- सीरम क्रिएटिनिन: 0.8 से 1.2 mg/dl
- अगर क्रिएटिनिन 5 से ऊपर चला जाए तो डॉक्टर डायलिसिस की तैयारी शुरू कर देते हैं। डॉक्टर डायलिसिस की शुरुआत करने से पहले इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि मरीज उसे झेलने के काबिल है या नहीं। अगर मरीज कमजोर दिखता है तो 5 पर और मजबूत शरीर वाला है तो 7 या 8 क्रिएटिनिन पर।
यह है किडनी का काम
- शरीर में 2 किडनी होती हैं। लेफ्ट साइड की किडनी थोड़ी बड़ी होती है। किडनी 10 से 11cm की होती हैं।
- हमें हर दिन ढाई से तीन लीटर तक लिक्विड लेना चाहिए। इसमें पानी, दूध, चाय, कॉफी और सब्जियों आदि से मिलने वाला लिक्विड शामिल है।
- किडनी शरीर से यूरिन फिल्टर करती है।
- कोई सेहतमंद शख्स एक दिन में 4 से 5 बार यूरिन जाता है। रात में सोने के बाद नहीं जाता या ज्यादा से ज्यादा 1 बार जाता है।
- हमारा शरीर औसतन एक से डेढ लीटर यूरिन हर दिन शरीर से बाहर निकलता है।
- किडनी में खराबी होगी तो पूरी तरह से छानने का काम नहीं कर पाएगी। इससे सबसे पहले आंखों के आसपास और पैरों में सूजन आएगी।
- यह सोचना भी गलत है कि पानी बहुत ज्यादा पीने से किडनी दुरुस्त रहती है। पानी उतना ही पीना चाहिए, जितनी प्यास हो।
ऐसे दुरुस्त रखें किडनी को
- डिटॉक्सिफिकेशन से आप किडनी को हमेशा हेल्दी रख सकते हैं। इसकी शुरुआत रोज सुबह करें।
- डिटॉक्स वॉटर से दिन की शुरुआत करना फायदेमंद रहता है। यह शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है। इसके लिए रात में शीशे के जग में पानी भरकर उसमें नीबू के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर डाल दें। सुबह छानने के बाद एक लीटर बोतल में उसे भर लें और दिन भर पिएं। पीतल या तांबे के बर्तन में कभी भी नीबू वाला पानी न डालें।
- सुबह उठने के बाद एक-दो गिलास नॉर्मल पानी लें।
- नीबू पानी (1 गिलास नॉर्मल या गुनगुने पानी में आधा नीबू निचोड़ें) भी ले सकते हैं।
- शरीर को डिटॉक्स करने के लिए पानी और हल्दी का कॉम्बिनेशन शानदार है। हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) होता है, जो शरीर को डिटॉक्स करने में काफी मददगार है। एक गिलास पानी उबालें और उसमें एक चम्मच हल्दी पाउडर या कच्ची हल्दी बारीक कटी हुई 5 से 10 ग्राम डालें। इसे 1 से 2 मिनट के लिए उबाल लें और छानकर पी लें।
हर दिन हो बैलंस्ड डाइट
किडनी की सेहत दुरुस्त रहे इसके लिए यह जरूरी है कि शरीर का वजन भी काबू में रहे। पोटैशियम और सोडियम जैसे न्यूट्रिएंट्स की मात्रा भी शरीर में ज्यादा न बढ़े।
ये भी हों जरूर शामिल
- मौसमी फल और हरी सब्जियों का सेवन कच्चे रूप में करें। अगर सब्जियों को कच्चा खाना मुमकिन न हो तो उबालकर या कम तेल में पकाकर खाएं।
- मैग्निशियम किडनी के लिए अच्छा है। यह हरी सब्जियों में मिलता है। भिंडी, लौकी, टमाटर, खीरा आदि खाएं।
- ऐसी कोई भी खाने की चीज न खाएं, जिसमें केमिकल मिलाया गया हो, न खाएं। मसलन: पैक्ड फूड आइटम्स।
- अंगूर खाएं। यह शरीर में मौजूद फालतू यूरिक एसिड को बाहर निकालता है।
- खाने में नमक की मात्रा कम करें। हर दिन एक चम्मच से ज्यादा नहीं।
- अगर किडनी की शुरुआती समस्या है तो दाल, बींस आदि खाएं, लेकिन इनके अलावा प्रोटीन वाली दूसरी चीजें कम खाएं।
- किडनी को हेल्दी रखने के लिए नारियल पानी बेहतरीन है, लेकिन जब किडनी खराब होने लगती है तो इसे पहले कम और बाद में बंद करना पड़ता है। नारियल पानी में सोडियम और पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जिसे छानना किडनी के लिए मुश्किल हो जाता है।
यह है बैलंस्ड थाली
- आपकी थाली में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट्स और फाइबर की सही मात्रा का होना जरूरी है। यह अच्छे सोर्स से भी आना चाहिए इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
- प्रोटीन के लिए अच्छे सोर्स: दूध, अंकुरित चना, मूंग, पनीर, दालें, सोयाबीन, मछली, चिकन और अंडे।
- कितनी मात्रा: एक औसत युवा के लिए 50 से 60 ग्राम हर दिन। 2 कटोरी दाल, 50 ग्राम पनीर, एक बाउल अंकुरित चना और मूंग लेने से पूर्ति हो जाती है।
- कार्बोहाइड्रेट के अच्छे सोर्स: सब्जियों, फलों, समूचे अनाज को इसका बेहतरीन सोर्स माना जाता है। वहीं चीनी, मैदा आदि का सेवन शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
- कितनी मात्रा: हर दिन 225 से 250 ग्राम। एक बाउल चावल, 2 से 3 चपाती और दूसरे सोर्स से पूर्ति हो जाती है। फैट के अच्छे सोर्स: शरीर के लिए यह भी बहुत जरूरी है। विटामिन A,D,E और K के पाचन के लिए हर दिन कुछ मात्रा में फैट खाना भी जरूरी है। अगर फैट का सोर्स हेल्दी है तो इससे अच्छा कुछ भी नहीं। जैसे, वनस्पति तेल (ओलिव, सनफ्लावर, सरसों, सोया आदि), बादाम और मछलियों में मौजूद तेल। कितनी मात्रा: 45 से 75 ग्राम।
किडनी को हेल्दी रखने के लिए ज्यादा जानकारी चाहिए तो यू-ट्यूब विडियो देखें और किताब भी पढ़ सकते हैं:
यू-ट्यूब विडियो
tinyurl.com/mwe42e22
tinyurl.com/3dwunr8d
किताबें
- किडनी आहार
लेखक: Dr. Asha Harish Khubnani
कीमत: 229 रुपये
- Stopping Kidney Disease
लेखक: Lee Hull,
कीमत: 449 रुपये
- INDIAN DIETS IN KIDNEY DISEASES
लेखक: Dr. Suneeti Ashwinikumar Khandekar, Dr. Rachana Jasani,
कीमत:
499 रुपये
नोट: ये किताबें ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। कीमतों में फर्क मुमकिन है।
- डॉ. रविन्द्र सिंह अहलावत, हेड नेफ्रॉलजी, MAMCडॉ. अरविंद लाल, एग्जिक्युटिव चेयरमैन, डॉ. लाल पैथ लैब्स
- आचार्य मोहन गुप्ता, सीनियर नेचरोपैथ
- डॉ. शिखा शर्मा, न्यूट्री-डाइट एक्सपर्ट
- डॉ. पूनम साहनी, डायरेक्टर-लैब, सरल डायग्नोस्टिक्स
- डॉ. संजीव सक्सेना, हेड नेफ्रॉलजी, PSRI हॉस्पिटल
- डॉ. प्रसन्ना भट्ट, सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक्स
- डॉ. प्रशांत जैन, सीनियर यूरॉलजिस्ट
- डॉ. अंशुल वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन
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