कान के अंदर की सूजन कैसे कम करें? - kaan ke andar kee soojan kaise kam karen?

  • 1/9

कान में दर्द एक आम समस्या है. ये दर्द दोनों कान में हो सकता है लेकिन ये ज्यादातर एक कान में ही होता है. कान का दर्द थोड़ी देर या बहुत देर तक भी रह सकता है. ये दर्द हल्का और तेज भी हो सकता है. इयर इंफेक्शन के अलावा और भी कई वजहों से कान में दर्द होता है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
 

  • 2/9

कान दर्द के लक्षण- कभी-कभी कान में दर्द होने की वजह से ठीक से सुनाई नहीं देता है. कुछ लोगों के कान से तरल पदार्थ भी निकलता है. कान दर्द की वजह से बच्चों में रुक-रुक सुनाई देना, बुखार आना, सोने में दिक्कत, कान में खिंचाव, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द और भूख में कमी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
 

  • 3/9

कान दर्द के सामान्य कारण- चोट, संक्रमण, कान में जलन की वजह से कान में दर्द हो सकता है. जबड़े या दांत में दर्द की वजह से भी कान में दर्द होता है. इंफेक्शन की वजह से कान में अंदर की तरफ दर्द होता है.
 

  • 4/9

इंफेक्शन स्विमिंग, हेडफोन लगाने, कॉटन या उंगली डालने पर कान में बाहरी तरफ इंफेक्शन हो सकता है. कान के अंदर की त्वचा छिल जाने और पानी चले जाने की वजह से कान में बैक्टीरिया भी हो सकते हैं.
 

  • 5/9

रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की वजह से कान में बीच की तरफ इंफेक्शन हो सकता है. कान में जमे हुए तरल पदार्थ की वजह से भी बैक्टीरिया होने लगते हैं. लैबीरिंथाइटिस की वजह से कान में अंदर की तरफ सूजन होने लगती है.
 

  • 6/9

कान दर्द के अन्य कारण- हवा का दबाव, कान का मैल, खराब गला, साइनस का इंफेक्शन, कान में शैम्पू या पानी चला जाना, रूई डालना, टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट सिंड्रोम, कान में छेद करवाने, दांतों में संक्रमण, कान में एक्जिमा होने की वजह से भी दर्द होता है.
 

  • 7/9

घर पर कैसे करें इलाज- कान में मामूली दर्द का इलाज घर पर भी किया जा सकता है. कान की ठंडे कपड़े से सिकाई करें. कान को गीला होने से बचाएं. कान के दबाव से राहत पाने के लिए बिल्कुल सीधे बैठें, च्विंगम चबाने पर भी कान पर कम दबाव पड़ता है. नवजात शिशु के कान में दर्द हो तो उस दूध पिलाएं, इससे भी कान का दबाव कम होता है.
 

  • 8/9

मेडिकल ट्रीटमेंट- अगर आपको कान में तेज दर्द के साथ बुखार है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. इसके लिए डॉक्टर आपको कुछ एंटीबायोटिक दवाएं और इयर ड्रॉप्स दे सकता है. कभी भी आराम मिलने के बाद दवा लेनी बंद ना करें. जब तक दवा का कोर्स पूरा नहीं होगा, इंफेक्शन पूरी तरह ठीक नहीं होगा.
 

  • 9/9

इन बातों का रखें ध्यान- अगर आपको अक्सर कान में दर्द की शिकायत रहती है तो कुछ बातों का खास ख्याल रखें. जैसे कि सिगरेट ना पिएं, कान में किसी भी तरह का औजार ना डालें, नहाने या स्विमिंग के बाद कान को सुखाएं, धूल-धक्कड़ और एलर्जी वाली चीजों से बचें.
 

कई बार घरेलू उपचार से ठीक करने की कोशिशों में कान से जुड़ी समस्याएं बहरेपन का कारण बन जाती हैं। ज्यादा दिन तक कान दर्द की अनदेखी करना सही नहीं। क्या करें, जानें... 

दो या तीन दिन से ज्यादा कान दर्द रहने पर डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर है। सफदरजंग अस्पताल के ई.एन.टी सर्जन व प्रो. डॉ. सुधीर मांझी बताते हैं,‘कान के मध्य से लेकर गले के पीछे मौजूद यूस्टेकियन ट्यूब के अवरुद्ध होने से अकसर कान में दर्द होने लगता है। कान के मध्य में सूजन या संक्रमण होने लगता है, जिससे दर्द होता है। कान में फुंसी होना, वैक्स का बहुत ज्यादा या कम बनना आदि सामान्य समस्याएं लापरवाही करने पर बहरेपन तक ले जा सकती है। 

कान दर्द दो तरह से होता है। एक, जब कान के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में गड़बड़ी के कारण दर्द होता है। दूसरा, जब शरीर के अन्य  हिस्से में हुई समस्या जैसे दांत में दर्द  या गला खराब होने पर कान में दर्द होता है। 

ये हो सकते हैं कारण 

यूस्टेकियन ट्यूब में अवरोध : कान एक नली से नाक के पिछले व गले के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होता है। साइनस और टॉन्सिल होने पर इसी कारण कान के भीतर दर्द महसूस होता है। कान में सूजन आ जाती है और यूस्टेकियन ट्यूब बंद होने लगती है। कान में मवाद बनने लगता है, जो कान के पर्दे को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा जब  महिलाएं छोटे बच्चों को करवट से लिटा कर दूध पिलाती हैं, तो कई बार दूध मध्य कान में पहुंच जाता है और संक्रमण पैदा कर देता है। कान में दर्द ,सूजन ,या कान से मवाद निकलना इसके लक्षण हैं। 

कान में मैल जमा होना : जिन लोगों की त्वचा बहुत तैलीय होती है, उनको वैक्स की परेशानी ज्यादा होती है। वैक्स नाखून की तरह बढ़ता है। इसके निकलने के कुछ दिनों बाद ही यह फिर से बनने लगता है। ज्यादा समय तक वैक्स जमा रहने से वह सख्त हो जाता है और कैनाल को ब्लॉक कर देता है। इस कारण कान में दर्द होता है और कम सुनाई देने लगता है। 

ओटाइटिस  मीडिया : यह कान के मध्य में होने वाला संक्रमण है। बच्चों को ज्यादा होता है। डब्ल्यू एचओ के अनुसार दो हफ्ते से अधिक संक्रमण रहने पर उसे क्रॉनिक इन्फेक्शन माना जाता है। यह बहरेपन का खतरा बढ़ाता है, पर यह ठीक हो सकता है।  संक्रमण के आम कारणों में सर्दी या फ्लू का वायरस, धूल से एलर्जी शामिल हैं। इसमें तेज बुखार, कान में दर्द, सुनने में कठिनाई या कान से पस निकलता है।   

कान के पर्दे का चोटिल होना : कान की भीतरी ट्यूब बेहद संवेदनशील होती है। हल्का सा अधिक दबाव पड़ने पर यह ट्यूब चोटिल हो जाती है, जिससे दर्द होने लगता है।  कान से पस भी निकलने लगता है। ज्यादा समय तक यह समस्या रहने से आस-पास की हड्िडयां गलने लगती है। बैरोट्रॉमा की समस्या, सिर पर गंभीर चोट, बहुत तेज आवाज, ओटाइटिस मीडिया, मध्य कान में संक्रमण जैसे कारण भी पर्दे को नुकसान पहुंचाते हैं। 

साइनस संक्रमण : यह संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया या फंगस से हो सकता है। साइनस में संक्रमण होने या अवरोध होने से कान में हवा का दबाव प्रभावित होता है, जिससे दर्द होने लगता है। 

ऑटोमीकोसिस : बारिश के मौसम में कान में फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। यह उमस के कारण हो जाता है। इसके मरीज को सीधे कूलर के सामने नहीं सोना चाहिए। इसमें  तेज दर्द और खुजली होती है।

ईयर बैरोट्रॉमा : इसके तहत बाहरी दबाव के कारण कान का अंदरूनी भाग चोटिल हो जाता है। बाहरी दबाव हवा या पानी का दबाव हो सकता है। इयर बैरोट्रॉमा आमतौर पर स्काई डाइविंग, स्कूबा डाइविंग या हवाई जहाज उड़ानों के दौरान अनुभव होता है। हवा के बुलबुले लगातार कान के भीतरी दबाव से संतुलन बनाने के लिए हलचल करते रहते हैं। बैरोट्रॉमा के कारणों में गले में सूजन, एलर्जी से नाक का बंद होना, श्वसन संक्रमण, दबाव में अचानक परिवर्तन शामिल हैं। मधुमेह रोगियों को खास एहतियात की जरूरत होती है। 

कैसे बचाव करें
- कानों को बार-बार न धोएं। पिन, तिल्ली, चाबी आदि कान में ना डालें। 
- अच्छी क्वालिटी का हेड फोन इस्तेमाल करें। लगातार तेज आवाज में हेड फोन लगाकर सुनने से बचें।
- त्वचा व बालों के उत्पाद अच्छी क्वालिटी के इस्तेमाल करें। 
- तैराकी करते हुए कान में पानी न जाने दें। कान दर्द है तो तैराकी न करें। 
- मांसपेशियों को सक्रिय रखने के लिए नियमित प्राणायाम आदि व्यायाम करें। 
- कान में वैक्स बहुत बनती है तो हर चार माह बाद डॉक्टर से सफाई करवाएं। 
- कान में हल्का दर्द है तो शुरुआती उपचार के तौर पर ठंडे पानी के कपड़े से कान के बाहरी हिस्से पर सेंक दें।  
- दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें। 

दीपिका शर्मा

इसे भी पढ़ें : नए ब्लड टेस्ट से स्तन कैंसर की जल्द पहचान होगी, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई स्टडी

कान के अंदर सूजन होने पर क्या करना चाहिए?

कान में सूजन के कारण होने वाले दर्द को ठीक करने के लिए गर्म सेकाई करना विशेष लाभदायक हो सकता है। इलेक्ट्रिक हीटिंग पैड या हीट पैक से निकलने वाली गर्मी कान में सूजन और दर्द को कम कर सकती है। गर्म पैड को कान पर कुछ समय तक लगाएं, सर्वोत्तम परिणाम के लिए गर्दन और गले की भी सेंकाई करें।

कान में सूजन क्यों आ जाती है?

कान में जब कोई संक्रमण होता है, तो यह कान के परदे के पीछे पीप और म्यूकस को इकठ्ठा कर देता है, जिस वजह से कान की नली अवरुद्ध हो जाती है और कान में दर्द और सूजन होने लगता हैं। जब कान के मध्य हिस्से में तरल बनता है, तो इस स्थिति को “बहाव के साथ मध्य कान का दर्द” भी कहा जाता है.

कान के नीचे सूजन क्यों आती है?

आमतौर पर ये बीमारी पानी में बदलाव और शरीर का तापमान असंतुलित हो जाने से होती है। बच्चों में यह बीमारी एक विशेष प्रकार के वायरस के कारण फैलती है जिसमें कान के नीचे गले की विशेष ग्रंथी प्रभावित होती है, जिसके कारण कान के नीचे सूजन आ जाने से बहुत दर्द होता है।

कान के पीछे सूजन किस रोग के लक्षण हैं और इसके मुख्य लक्षण क्या हैं?

यूस्टेकियन ट्यूब में अवरोध : कान एक नली से नाक के पिछले व गले के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होता है। साइनस और टॉन्सिल होने पर इसी कारण कान के भीतर दर्द महसूस होता है। कान में सूजन आ जाती है और यूस्टेकियन ट्यूब बंद होने लगती है। कान में मवाद बनने लगता है, जो कान के पर्दे को नुकसान पहुंचाता है।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग