कल्प और वत्सर के पिता का क्या नाम था? - kalp aur vatsar ke pita ka kya naam tha?

कल्प नाम के चार व्यक्ति हुए हैं जिनमें एक राजा उत्तानपाद के पुत्र प्रसिद्ध भक्त ध्रुव के पुत्र थे। इनकी माता शिशुपाल की कन्या भ्रमी थी। इनकी विस्तृत कथा श्रीमद्भगवत में दी गई हैं। इनके भाई का नाम वत्सल था।

दूसरे कल्प यदुवंशी वसुदेव के पुत्र थे जिनकी माता का नाम उपदेवा था। उपदेवा के दस पुत्र हुए जिनमें कल्प के अतिरिक्त राजन्य तथा वर्ष भी थे। इनकी कथा भी भागवत में है।

तीसरे कल्प हिरण्यकशिपु की बहन सिंहिका के 13 पुत्रों में से एक थे। इनके पिता का नाम विप्रचिति था। इनकी कथा [मत्स्यपुराण]] में है।

चौथे कल्प एक महर्षि थे जिनकी कथा स्कंदपुराण में मिलती है। इन्होंने सिंधुपति विश्वावसु की एक कन्या को पाला था जिसका विवाह नेपाल के राजा दुर्दर्श से हुआ।

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कल्प हिन्दू समय चक्र की बहुत लम्बी मापन इकाई है। मानव वर्ष गणित के अनुसार ३६० दिन का एक दिव्य अहोरात्र होता है। इसी हिसाब से दिव्य १२००० वर्ष का एक चतुर्युगी होता है। ७१ चतुर्युगी का एक मन्वन्तर होता है और १४ मन्वन्तर/ १०००चतुरयुगी का एक कल्प होता है। यह शब्द का अति प्राचीन वैदिक हिन्दू ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है। यह बौद्ध ग्रन्थों में भी मिलता है, हालाँकि बहुत बाद के काल में, वह भी हिन्दू वैदिक धर्म ग्रन्थ से लिया हुआ ही है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि बुद्ध एक हिन्दू परिवार में जन्में हिन्दू ही थे जिनके लगभग ५०० वर्ष पश्चात् उनके अनुयायी राजकुमार सिद्धार्थ जो बोध ग्यान के बाद गौतम बुद्ध नाम से प्रसिद्ध हुए।

परिचय[संपादित करें]

सृष्टिक्रम और विकास की गणना के लिए कल्प हिन्दुओं का एक परम प्रसिद्ध मापदंड है। जैसे मानव की साधारण आयु सौ वर्ष है, वैसे ही सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की भी आयु सौ वर्ष मानी गई है, परंतु दोनों गणनाओं में बड़ा अन्तर है। ब्रह्मा का एक दिन 'कल्प' कहलाता है, उसके बाद प्रलय होता है। प्रलय ब्रह्मा की एक रात है जिसके पश्चात्‌ फिर नई सृष्टि होती है।

चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं। १‚००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है। ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि। प्रत्येक कल्प के १४ भाग होते हैं और इन भागों को 'मन्वंतर' कहते हैं। प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष्‌ आदि १४ मनु हैं। प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं। इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात्‌ श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है। वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात्‌ कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है।

युगों की अवधि इस प्रकार है - सत्युग १७,२८,००० वर्ष; त्रेता १२,९६,००० वर्ष; द्वापर ८,६४,००० वर्ष और कलियुग ४,३२,००० वर्ष। अतएव एक कल्प १००० चतुर्युगों के बराबर यानी चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,00,000) मानव वर्ष का हुआ।

विभाजन[संपादित करें]

प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में मानव इतिहास को पाँच कल्पों में बाँटा गया है।[1]

  • हमत् कल्प : १,०९,८०० वर्ष विक्रमीय पूर्व से आरम्भ होकर ८५,८०० वर्ष पूर्व तक
  • हिरण्य गर्भ कल्प : ८५,८०० विक्रमीय पूर्व से ६१,८०० वर्ष पूर्व तक
  • ब्राह्म कल्प : ६०,८०० विक्रमीय पूर्व से ३७,८०० वर्ष पूर्व तक
  • पाद्म कल्प : ३७,८०० विक्रम पूर्व से १३,८०० वर्ष पूर्व तक और
  • वराह कल्प : १३,८०० विक्रम पूर्व से आरम्भ होकर वर्तमान तक

अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत प्रारम्भ होने से ५,६३० वर्ष पूर्व हुआ था।[1]

विविध[संपादित करें]

गिनीज़ बुक आफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने कल्प को समय का सर्वाधिक लम्बा मापन घोषित किया है।[2][1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. ↑ अ आ इ वैवस्वत मनु के इतिहास की रूपरेखा । वेबदुनिया
  2. McWhirter, Norris (November 1980). गिनियस बुक आफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स 1981. New York: Sterling Publishing Co. Inc. ISBN 0-8069-0196-9.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • कल्पों के नाम
  • वैदिक काल गणना, ब्यौरेवार वर्णन: गुरुदेव द्वारा
  • Vedic Time Travel, Elaborate depiction by Vinay Mangal Archived 2008-05-27 at the Wayback Machine