Solution : सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-आकार, रंग आदि की दृष्टि से समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। पशु गति करते हैं, बोलते हैं, साँस लेते हैं, खाते हैं, वंश वृद्धि करते हैं और उत्सर्जन करते हैं। पेड़-पौधे बोलते नहीं हैं, भागते-दौड़ते नहीं हैं पर फिर भी वे सजीव हैं। अति सूक्ष्म स्केल पर होने वाली उनकी गतियाँ दिखाई नहीं देतीं। अणुओं की गतियाँ न होने की अवस्था में वस्तु को निर्जीव माना जाता है। यदि वस्तु में अणुओं में गति हो तो वस्तु सजीव मानी जाती है। सामान्यत: सजीवों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं - <br> 1. सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है। <br> 2 उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं। <br> 3. उनकी संगठित और सुव्यवस्थित संरचना समय के साथ पर्यावरण के प्रभाव से विघटित होने लगती है। <br> 4. सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है। <br> 5. सजीव अपने शरीर की मरम्मत और अनुरक्षण करते हैं। उनकी संरचना अणुओं से हुई है और उन्हें अणुओं को लगातार गतिशील बनाए रखना चाहिए। <br> 6. सजीवों में विशेष सीमा में वृद्धि होती है। <br> 7. उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।
कोई वस्तु सजीव है इसका निर्धारण कैसे करेंगे? - koee vastu sajeev hai isaka nirdhaaran kaise karenge?
Solution : सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-आकार, रंग आदि की दृष्टि से समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। पशु गति करते हैं, बोलते हैं, साँस लेते हैं, खाते हैं, वंश वृद्धि करते हैं और उत्सर्जन करते हैं। पेड़-पौधे बोलते नहीं हैं, भागते-दौड़ते नहीं हैं पर फिर भी वे सजीव हैं।
सजीव अपनी आवश्यकतानुसार गति अथवा प्रचलन कर सकते हैं. वनस्पतियों में भी गति होती है. जीवित शरीर के नियंत्रण एवं विभिन्न अंगों में समन्वय स्थापित करने के लिए नाड़ी तंत्र तथा अतःस्रावी तंत्र पाया जाता है. अपनी जाति को बनाए रखने के लिए सजीवो में प्रजनन होता है.
प्रत्येक जीव का उन परिस्थितियों का एक निश्चित परास होता है जिसे वह सहन कर सकता है। उपयोग किए जाने वाले संसाधनों की विविधता तथा पारितंत्र में उसकी एक विशिष्ट क्रियात्मक भूमिका होती है । यह सब सामूहिक रूप से उसका निकेत बनाते हैं।