कबीरदास के अनुसार संसार को स्वान रूप क्यों कहा गया है? - kabeeradaas ke anusaar sansaar ko svaan roop kyon kaha gaya hai?

‘स्वान रूप संसार है’-ऐसा क्यों कहा गया है ? Kabir Ne Sansar Ko Swan Roop Kyon Kaha Hai. स्वान रूप संसार है ऐसा क्यों कहा गया है हमें क्या करना चाहिए kabir ne sansar ko swan kyu kaha hai कबीरदास के अनुसार स्वान रूप कौन है? स्वान रूप संसार में स्वान का क्या अर्थ है? स्वान रूप संसार है के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं *?

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कवि ने इस संसार को स्वान कहा है अर्थात् कुत्ते के समान कहा है क्योंकि इस संसार में मनुष्य का व्यवहार कुत्ते के समान है। वह स्वयं को ठीक मानता है और दूसरों को बुरा भला कहता है। वे उनकी आलोचना करता रहता है।
हमें दूसरों के द्वारा की जाने वाली निंदा उपहास की परवाह नहीं करनी चाहिए। अपने मन में आए भक्ति और साधना के भावों पर स्थिर रहकर कर्म करना चाहिए।

Short Note

कबीर ने संसार को किसके समान कहा है और क्यों?

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Solution

कबीर ने संसार को श्वान रूपी कहा है क्योंकि जिस तरह हाथी को जाता हुआ देखकर कुत्ते अकारण भौंकते हैं उसी तरह ज्ञान पाने की साधना में लगे लोगों को देखकर सांसारिकता में फँसे लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगते हैं। वे ज्ञान के साधक को लक्ष्य से भटकाना चाहते हैं।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 A)

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Chapter 9: साखियाँ एवं सबद - अतिरिक्त प्रश्न

Q 9Q 8Q 10

APPEARS IN

NCERT Class 9 Hindi - Kshitij Part 1

Chapter 9 साखियाँ एवं सबद
अतिरिक्त प्रश्न | Q 9

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संत कबीर ने संसार को स्वान के रूप में क्यों कहा है इन हिंदी?...


हिंदीज्ञान गंगा

v k

https://youtu.be/uyNHR7BQQAE हिन्दी

0:43

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

संत कबीर ने संसार को शांति रुपए क्यों कहा है तो संत कवि ने स्वयं को संसार के लिए कहा है जो हाथी है उसको ज्ञान के समान बताया गया है और जो कुत्ता है उसको संसार के समान बताया जिस प्रकार की कोई व्यक्ति अच्छे कार्य करने जाता है ज्ञान ग्रहण करना चाहता है तो उसको रोकने वाले कुत्ते के सामान्य संसार में बहुत सारे लोग मिल जाते हैं जिस पर कराची को रोकने के लिए कुत्ता भक्त है भक्त हैं उसी प्रकार की कोई अच्छा काम करता है तो उसको रोकने बहुत रुकावट आती है इसलिए कभी दास ने कुत्ते को यह स्वयं को संसार के समान माना है

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कबीरदास के अनुसार संसार को स्वान रूप क्यों कहा गया है? - kabeeradaas ke anusaar sansaar ko svaan roop kyon kaha gaya hai?
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कबीरदास के अनुसार संसार को स्वान रूप क्यों कहा गया है? - kabeeradaas ke anusaar sansaar ko svaan roop kyon kaha gaya hai?

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कबीरदास के अनुसार संसार को स्वान रूप क्यों कहा गया है? - kabeeradaas ke anusaar sansaar ko svaan roop kyon kaha gaya hai?

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कबीर ने संसार को स्वान रूप क्यों कहा है class 9?

Solution. कबीर ने संसार को श्वान रूपी कहा है क्योंकि जिस तरह हाथी को जाता हुआ देखकर कुत्ते अकारण भौंकते हैं उसी तरह ज्ञान पाने की साधना में लगे लोगों को देखकर सांसारिकता में फँसे लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगते हैं। वे ज्ञान के साधक को लक्ष्य से भटकाना चाहते हैं।

स्वान रूप संसार है ऐसा क्यों कहा गया है हमें क्या करना चाहिए?

यह अज्ञानी संसार तो उस स्वान अर्थात् कुत्ते के समान है, जो हाथी को देखकर भौक भौककर अपना समय नष्ट करता है जबकि हाथी किसी की परवाह किए बिना अपनी सहज – स्वाभाविक चाल में चलता रहता है । उसी प्रकार सत्य के साधक को संसार की चिंता किए बिना अपने सहज मार्ग पर चलते रहना चाहिए

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Answer: प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने ज्ञान को हाथी की उपमा तथा लोगों की प्रतिक्रिया को स्वान (कुत्ते) का भौंकना कहा है