जॉर्ज पंचम की नाक का क्या उद्देश्य है? - jorj pancham kee naak ka kya uddeshy hai?

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लेखक बताता है कि बहुत समय पहले की बात है एलिजाबेथ द्वितीय के भारत आने की चारों तरफ चर्चा थी। दरजी पोशाकों को लेकर परेशान था कि रानी कहाँ क्या पहनेंगी। गुप्तचरों का पहले अंदेशा था कि तहकीकात कर ली जाय । नया जमाना था सो फोटोग्राफरों की फौज तैयार थी। इंग्लैंड के अखबारों की कतरने भारतीय अखबारों में छब रही थीं। सुनने में आया कि रानी के लिए चार सौ पौंड का हल्का नीला सूट बनवाया गया है जो भारत से मंगवाया गया था। रानी एलिजाबेथ की जन्मपत्री और फिलिप के कारनामें छापे गए। लेखक व्यग्य करते हुए कहता है कि अंगरक्षकों, रसोइयों की तो क्या एलिजाबेथ के कुत्तों तक की जीवनियाँ अखबारों में छप गई।

इन दिनों इंग्लैंड की हर खबर भारत में तुरंत आ रही थी। दिल्ली में विचार हो रहा था कि जो इतना महंगा सूट पहन कर आएगी, उनका स्वागत कितना भव्य करना पड़ेगा। किसी के बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने राजधानी सुन्दर, स्वच्छ तथा इमारते सुंदरियों सी सज गई लेखक आगे बताता है कि दिल्ली में किसी चीज की कमी नहीं थी एक चीज को छोड़कर और वह थी लाट से गायब जॉर्ज पंचम की नाक।

लेखक कहता है कि इस नाक के लिए कई दिन आन्दोलन चले थे। कुछ कहते थे कि नाक रहने दी जाए, कुछ हटाने के पक्ष में थे। नाक रखने वाले रात दिन पहरे दे रहे थे। हटाने वाले ताक में थे। लेखक कहता है कि भारत में जगह-जगह ऐसी नाकें थीं और उन्हें हटा-हटा कर अजायबघर पहुंचा दिया गया था। कहीं-कहीं इन शाही नाकों के लिए छापामार युद्ध की स्थिति बन गई थी।

लेखक कहता है कि लाख चौकसी के बावजूद इंडिया गेट के सामने वाले खम्भे से जॉर्ज पंचम की नाक चली गई और रानी पति के राज्य में आए और राजा की नाक न पाए तो इससे बड़ी व्यथा क्या हो सकती है। सभाएँ बुलाई गई, मंत्रणा हुई कि जार्ज की नाक इज्जत का सवाल है। इस अति आवश्यक कार्य के लिए मूर्तिकार को सर्वसम्मति से यह कार्य सौंप दिया गया। मूर्तिकार ने कहा कि नाक तो बन जाएगी पर ऐसा पत्थर लाना होगा।

सभी नेताओं ने पत्थर लाने की बात पर एक दूसरे को ऐसे ताका जैसे यह कार्य अपने से दूसरे पर थोप रहे हों। फिर इस सवाल का हल क्लर्क को सौंप कर हो गया। क्लर्क ने पुरातत्व विभाग की फाइलें चैक की। कुछ हासिल न होने पर काँपते हुए समिति  से माफी मांग ली। सबके चेहरे उतर गए। अब एक और कमेटी तैयार करके यह काम उसे हर हालत में करने का आदेश दिया गया। दूसरी समिति ने फिर मूर्तिकार को बुलाया और मूर्तिकार ने कहा कि भारत में क्या चीज है जो नहीं मिलती। वह हर हाल में यह काम करेगा चाहे पूरा भारत खोजना पड़े। उसकी मेहनत का भाषण तुरंत अखबार में छप गया।

मूर्तिकार ऐसे पत्थर की खोज करने गया जिससे लाट पर मूर्ति बनी थी परन्तु उसने निराशाजनक जवाब देते हुए कहा कि नाक विदेशी पत्थर की बनी है। सभापति ने क्रोधित होकर कहा कि कितने बेइज्जती की बात हैं कि भारतीय संस्कृति ने पाश्चात्य संस्कृति पूरी तरह अपना ली। फिर भी पत्थर नहीं मिला। उदास मूर्तिकार अचानक चहककर बोला कि उपाय एक है लेकिन  अखबार वालों तक न पहुँचे। सभापति खुश हुआ। चपरासी ने गुप्त वार्ता के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए। मूर्तिकार झिझकते हुए बोला कि अगर इजाजत हो तो अपने नेताओं की किसी मूर्ति की नाक उतार कर इस पर लगा दी जाएगी। कुछ झिझक के बाद सभापति ने खुशी से स्वीकृति देते हुए इस कार्य को बड़ी होशियारी से अंजाम देने को कहा।

लेखक कहता है कि नाक के लिए मूर्तिकार फिर यात्रा पर चल दिया। वह दिल्ली से बम्बई गया, गुजरात और बंगाल गया. यूपी., मद्रास, मैसूर, केरल आदि पूरे भारत के चप्पे-चप्पे में गया परन्तु सब प्रतिष्ठित देशभक्त नेताओं की नाक जार्ज की नाक से लम्बी थी। यह जवाब पाकर सब फिर क्रोधित हुए। मूर्तिकार ने ढांढस बँधाते हुए कहा कि सन् बयालिस में शहीद हुए बच्चों की नाक शायद ऐसी मिल जाए। परन्तु दुर्भाग्य बच्चों की नाक भी जॉर्ज की नाक से बड़ी थी। मूर्तिकार ने फिर निराश होते हुये जवाब दे दिया।

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दिल्ली की तमाम तैयारियां पूरी हो गई परन्तु नेता नाक के लिए परेशान थे। मूर्तिकार पैसों का लालच नहीं छोड़ पा रहा था। उसने एक और उपाय सुझाया कि चालिस करोड़ जनता में से किसी का तो नाक नाप का मिलेगा और इसके लिए आप परेशान न हो क्योंकि नाक की जिम्मेदारी उसकी है। कानाफूसी के बाद उसे इजाजत दे दी गई।

लेखक बताता है कि दूसरे दिन अखबार में सिर्फ इतना छपा कि जॉर्ज को जिंदा नाक लगाई गई है। नाक से पहले हथियार बंद सैनिक तैनात किए गए। तालाब को साफ कर ताजा पानी भरा गया ताकि जिन्दा नाक सूखे नहीं। मूर्तिकार स्वयं अपने बताए हल से परेशान कुछ और समय माँग रहा था। उसने हिदायत अनुसार नाक लगा दी। लेकिन उस दिन अखबार में कोई खबर नहीं आई। न फीता कटा और न उद्घाटन कर कुछ स्वागत समारोह नहीं हुआ। लेखक कहता है कि एक ही तो नाक चाहिए थी फिर इतना गमगीन माहौल क्यों था इसका पता नहीं चला।

जॉर्ज पंचम की नाक का प्रश्न उत्तर 
जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का प्रश्न उत्तर 

1.सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिता या बदहवासी विखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है।

उत्तर

सरकारी तंत्र की मानसिकता निम्नलिखित मानसिकता को दर्शाता है-

(क) सरकारी तंत्र जागरूक तभी होता है जब समस्या सिर पर आ जाती है।

(ख) सरकारी तंत्र में हर मामले पर समीतियां बनाई जाती है, सभाएँ होती है और निष्कर्ष कुछ भी नहीं निकलता।

(ग) सभी जिम्मेदारी निभाने से कतराते हैं और अपने से छोटों पर कार्य का भार लाद देते हैं।

(घ) विचार-विमर्श उच्च स्तर पर होते है परन्तु निष्कर्ष निम्न स्तर के प्रकट होते है।

(ङ) सरकारी दफ्तरों में फाइलें खोजने पर नहीं मिलती या फिर फाइलों में कुछ नहीं मिलता है।

(च) अफसर केवल और केवल घूसखोर और चापलूसी करने वाले होते हैं।

(छ) एक विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर, दूसरा तीसरे पर डालता रहता है और कार्य इसी तरह फंसता चला जाता है।

2रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएंगे?

उत्तर- रानी एलिजाबेथ साम्राज्ञी थी, कोई छोटी हस्ती नहीं थी। दरजी पर रानी की वेशभूषा की जिम्मेदारी थी। उसे ही तय करना था कि रानी हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर कब कौन-सी ड्रेस पहनेंगी। अत: उसका परेशान होना बिल्कुल तर्कसंगत है।

3. 'और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा'-नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए होंगे?

उत्तर

(1)सड़कों को मरम्मत कर उन्हें सुविधाजनक और चमकदार बनाया गया होगा।

(2) सड़कों के किनारे और पार्कों के पेड़ों की काँट-छाँट कर आकर्षक बनाया होगा।

(3  सम्पूर्ण शहर में सफाई की गई होगी और सजावट भी भरपूर की गयी होगी।

(4) सरकारी इमारतों पर रंगीन किया होगा और सभी सुविधा की सामग्री उपलब्ध कराई होगी।

(5) सरकारी लॉनों तथा पलकों की हरी-भरी घास को काँट-छौँटकर लान को चमकाया गया होगा।

4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है

(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार है?

(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

उत्तर-

() हम नहीं समझते की इस प्रकार कि पत्रकारिता समय व धन की बर्बादी के सिवाय कुछ दे सकती है। इस किस्म की पत्रकारिता घटिया होती है क्योंकि आम लोगों को चर्चित हस्तियों के पहनावे. उनके अंगरक्षकों, उनके पालतू जानवरों तथा कामगारों की जीवनियों को जानने या पढ़ने की उत्सुकता बिल्कुल नहीं होती है।

()युवा उनके पहनावे की नकल करने की कोशिश में जीवन को गलत दिशा में मोड़ देते हैं। यह फैशनपरस्ती युवा पीढ़ी पर बुरा असर डालती है क्योंकि अगर उनके पास पैसा न हो तो देखा-देखी के चक्कर में गलत धंधों में पड़ जाते हैं और पथभ्रष्ट हो जाते हैं।

5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्ल किए?

उत्तर-

() मूर्तिकार ने उस पत्थर की तलाश की जिससे लाट बनाई गई थी।

() उसने पूरे भारत में नाक की नाप लेकर पुरे भारत में नाक की तलाश की।

() उसने, बच्चों की नाके भी नाप कर देखी।

() उसने निरंतर सरकारी तंत्र को ढांढस बंधाया।

() जिंदा नाक लगाने का पूरा प्रयत्न किया।

6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए 'फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।' 'सब हुक्मरानो ने एक दूसरे की तरफ ताका।' पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

उत्तर-

(1) इस नाक के लिए बड़े तहलके मचे थे किसी वक्त। राजनैतिक पार्टियों ने प्रस्ताव किये थे चंदा जमा किया था, कुछ नेताओं ने भाषण दिए थे।

(2) देश के संपन्न और बड़े लोगों की मीटिंग बुलाई गई और मसला पेश किया गया।

(3) उच्च स्तर पर मशवरे हुए, दिमाग खरोंचे गए और तय किया गया कि हर हालत में इस नाक का होना बहुत जरूरी है।

(4) मूर्तिकार या तो कलाकार थे और जो पैसे से लाचार था।

(5) सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ ताका. .एक की नजर ने दूसरे से कहा कि यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।

(6) “सर मेरी खता माफ हो, फाइलें सब कुछ हजम हो चुकी है।"

(7) सभापति ने धीमे से कहा, "लेकिन बड़ी होशियारी से।"

7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

उत्तर- यह पाठ व्यंग्य रचना है। नाक व्यक्ति की प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। जॉर्ज पंचम की नाक कट जाने का अर्थ उसकी प्रतिष्ठा का धूल में मिल जाना है। यह दोनों देशों के लिए परेशानी का सबब बन गया। ब्रिटिश साम्राज्य की प्रतिष्ठा और भारत पर खतरे का प्रतीक बन गया। पाठ में यह सत्य भी उद्घाटित हुआ है कि भारत के नेताओं, शहीदों, बच्चों सभी की प्रतिष्ठा हमारे लिए विदेशियों से अधिक है। उन्होंने हमारे देश पर शासन किया परन्तु आत्मा पर भारत माता का शासन था. है और हमेशा रहेगा । 

8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

उत्तर- यह बात संकेत देती है कि हमारे देश के लिए शहीद हुए भारतीय नेताओं और बच्चों की प्रतिष्ठा और मान सम्मान विदेशी शासकों की तुलना में बहुत अधिक है। निर्दयी विदेशी शासकों को हम सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते। इसे सोचने पर भी गुलामी की बू आती है।

9. अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

उत्तर- इस खबर को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया- "जॉर्ज पंचम के जिन्दा नाक लगाई गई है.. यानी ऐसी नाक जो कतई पत्थर की नहीं लगती। इसके अलावा कोई खबर नहीं छपी जैसे स्वागत की, समारोह की तथा उद्घाटन की। यह नाक का विरोध करने का एक ढंग था।

10. “नयी दिल्ली में सब था....सिर्फ नाक नहीं थी।" इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर- इस कथन का आशय है कि भले ही दिल्ली में ब्रिटिश साम्राज्य का आधिपत्य था परन्तु सम्मान नहीं था। भारतीयों ने उनकी प्रतिष्ठा को धूल में मिला दिया था।

11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

उत्तर; जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार इसलिए चुप थे क्योंकि उन्हें एक विदेशी शोषक शासक पर आपने देशवासी व्यक्ति की जिंदा नाक लगाना बहुत बुरा लगा। वे इसका विरोध चुप रहकर अपने ढंग से कर रहे थे।

जॉर्ज पंचम की नाक के अन्य प्रश्न 

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के अन्य प्रश्न 

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक का क्या उद्देश्य है?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का उद्देश्य यह है कि अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी सत्ता से जुड़े विभिन्न प्रकार के लोगों की औपनिवेशिक दौर की मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट करना है।

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का क्या संदेश है?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का संदेश यह है कि हमें अंग्रेजी सत्ता से जुड़े किसी भी व्यक्ति में आस्था न रखते हुए अपने देश के स्वतंत्रता सेनानी या महापुरुषों में आस्था रखनी चाहिए।

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक की साहित्यिक विधा क्या है? 

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक की साहित्यिक विधा व्यंग्यात्मक कहानी है।

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक के लेखक कौन हैं?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक के लेखक कमलेश्वर हैं।

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ द्वितीय किन देशों की यात्रा के लिए निकली थी?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ द्वितीय हिंदुस्तान', पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर निकली थी,

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ का दर्जी परेशान क्यों था?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ का दर्जी परेशान था कि हिंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब और क्या पहनेगी।

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए क्या-क्या इंतजाम किए गए थे?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात किए गए थे। जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए पुलिस गश्त भी लगाई जा रही थी जिससे नाक बची रहे।

प्रश्न- एलिजाबेथ के भारत आगमन से पहले ही सरकारी तंत्र के हाथ-पैर क्यों भूल रहे थे?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक को कैसे ठीक किया जाए कि रानी को जार्ज पंचम की नाक सही सलामत हालत में मिले इसी चिंता में सरकारी तंत्र के हाथ पैर फूले जा रहे थे।

प्रश्न- रानी एलिजाबेथ के भारत आगमन के समय अखबारों में उनके सूट के बारे में क्या-क्या खबरें छप रही थी?

उत्तर- अखबारों ने प्रकाशित किया कि रानी ने एक ऐसा हल्के नीले रंग का सूट बनवाया है जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मँगवाया गया है। जिस पर करीब चार सौ पौंड का खर्च आया है । उस समय अखबारों में सूट के संबंध में यही सब खबरें छप रही थी।

प्रश्न- मूर्तिकार ने भारतीय हुक्मरानों को किस हालत में देखा?

उत्तर- जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर हुक्मरानों के चेहरे पर अजीब परेशानी देखी वह उदास और कुछ बदहवास हालत में थे।

प्रश्न- जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में मूर्तिकार ने भारतीय हुक्मरानों की परेशानी दूर करने के लिए क्या कहा? 

उत्तर- मूर्तिकार ने कहा कि नाक लग जाएगी पर मुझे यह मालूम होना चाहिए कि यह लाट कब और कहां बनी थी तथा इसके लिए पत्थर कहां से लाया गया था।

प्रश्न- एलिजाबेथ के भारत आगमन पर इंग्लैंड और भारत दोनों स्थानों पर कैसी तैयारी चल रही थी?

उत्तर- एलिजाबेथ के दौरे की करने वालों में विभिन्न समाचार पत्र, दिल्ली ,एलिजाबेथ का दर्जी, विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, मंत्री गण विशेष रूप से सम्मिलित थे । इसके अलावा अन्य तैयारियों के लिए अफसरों और मंत्रियों की परेशानी तो देखते ही बनती थी क्योंकि जॉर्ज पंचम की नाक की टूटी नाक जोड़ने का प्रबंध उन्हें जो करना था।

प्रश्न- कमलेश्वर का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर- कमलेश्वर का जन्म सन 1932 में मैनपुरी उत्तर प्रदेश में हुआ था?

प्रश्न- कमलेश्वर ने किन-किन पत्रिकाओं का संपादन किया?

उत्तर- कमलेश्वर ने सारिका, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर इत्यादि पत्रिकाओं का संपादन किया।

प्रश्न- नई कहानी आंदोलन के प्रवर्तक रहे कमलेश्वर की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन है?

उत्तर- कमलेश्वर की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं- राजा निरबंसिया, खोई हुई दिशाएं, सोलह छतों वाला घर, जिंदा मुर्दे (कहानी संग्रह) वही बात, आगामी अतीत, डाक बंगला, काली आंधी और कितने पाकिस्तान (उपन्यास)

जॉर्ज पंचम की नाक का शब्दार्थ 
जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का शब्दार्थ

बेसाख्ता शब्द का क्या अर्थ है बेसाख्ता शब्द का अर्थ है स्वाभाविक रूप से
नाज़नीनो शब्द का क्या अर्थ है नाज़नीनो शब्द का अर्थ है कोमलांगी
खैरख्वाहो शब्द का क्या अर्थ है खैरख्वाहो शब्द का अर्थ है भलाई चाहने वाला
दारोमदार शब्द का क्या अर्थ है दारोमदार शब्द का अर्थ है किसी कार्य के होने या ना होने की पूरी जिम्मेदारी या कार्यभार
सरगरमी शब्द का क्या अर्थ है सरगरमी शब्द का अर्थ है गहमागहमी या हलचल
जान हथेली पर लेना मुहावरे का क्या अर्थ है जान हथेली पर लेना मुहावरे का अर्थ है प्राणों की परवाह न करना 

दास्तान शब्द का क्या अर्थ है दास्तान शब्द का अर्थ है कहानी
करिश्मा शब्द का क्या अर्थ है करिश्मा शब्द का अर्थ है आश्चर्य है या जादू
मसला शब्द का क्या अर्थ है मसला शब्द का अर्थ है मामला या समस्या
लाट शब्द का क्या अर्थ है लाट शब्द का अर्थ है खंभा या मूर्ति
कतरन शब्द का क्या अर्थ है कतरन शब्द का अर्थ है टुकड़ा
मय शब्द का क्या अर्थ है मय शब्द का अर्थ है सहित
पन्ने रंगना मुहावरे का क्या अर्थ हैपन्ने रंगना मुहावरे का अर्थ है बहुत कुछ लिखना
मशवरा शब्द का क्या अर्थ है मशवरा शब्द का अर्थ है सलाह
खता शब्द का क्या अर्थ है खता शब्द का अर्थ है गलती 

दिमाग खरोचना मुहावरे का क्या अर्थ है दिमाग खरोच ना मुहावरे का अर्थ है परेशान होकर सोचना
हुक्काम शब्द का क्या अर्थ है हुक्कामम शब्द का अर्थ है अधिकारीगण
चप्पा-चप्पा मुहावरे का क्या अर्थ है चप्पा-चप्पा मुहावरे का अर्थ है प्रत्येक जगह
इजाजत शब्द का क्या अर्थ है इजाजत शब्द का अर्थ है अनुमति
जान में जान आना मुहावरे का क्या अर्थ है जान में जान आना मुहावरे का अर्थ है राहत महसूस करना
लानत शब्द का क्या अर्थ है लानत शब्द का अर्थ है धिक्कार
बूत शब्द का क्या अर्थ है बूत शब्द का अर्थ है मूर्ति
फीता काटना मुहावरे का क्या अर्थ है फीता काटना मुहावरे का अर्थ है उद्घाटन करना
रवाब शब्द का क्या अर्थ है रवाब शब्द का अर्थ है गंदगी युक्त मिट्टी या गाद
कतई शब्द का क्या अर्थ है कतई शब्द का अर्थ है बिल्कुल
ढांढस बधाना मुहावरे का क्या अर्थ है ढ़ाढस बधाना मुहावरे का अर्थ है दिलासा दिलाना
कानाफूसी होना मुहावरे का क्या अर्थ है कानाफूसी होना मुहावरे का अर्थ है धीरे-धीरे बातें होना
हैरतअंगेज खयाल मुहावरे का क्या अर्थ है हैरतअंगेज खयाल मुहावरे का अर्थ है चकित कर देने वाला विचार
आंखों में चमक आना मुहावरे का क्या अर्थ है आंखों में चमक आना मुहावरे का अर्थ है आशा भरा नया विचार आना
खानसामा शब्द का क्या अर्थ है खानसामा शब्द का अर्थ होता है राज दरबार के रसोईघर का व्यवस्थापक
मजाल शब्द का क्या अर्थ है मजाल शब्द का अर्थ है हिम्मत
अजायबघर का क्या अर्थ है अजायबघर का अर्थ है पुरानी एवं दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह

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जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का उद्देश्य क्या है?

Solution : जॉर्ज पंचम की नाक. निबंध स्वाभिमानशून्य भारतीय शासकों पर व्यंग्य है। लेखक ने आजाद भारत के उन शासकों का उपहास उड़ाया है जो अपने आत्मसम्मान को भूल चुके हैं। वे अतीत में हुए अपने अपमान को भूलकर अत्याचारियों का सम्मान करने में लगे हुए हैं।

जॉर्ज पंचम की नाक से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

भारत में अंग्रेज़ों के अत्याचारों के कारण भारतीय उनसे घृणा करते थे। इसी घृणा तथा ब्रिटिश शासन के प्रति लोगों के असम्मान को प्रकट करने के लिए जॉर्ज पंचम की नाक को काट दिया गया था। इससे यह शिक्षा मिलती है कि आजाद तो हम हो चुके हैं लेकिन अभी भी दिल्ली को संभालने वाले लोग अंग्रेजों के मानसिक रूप से गुलाम हैं।

जॉर्ज पंचम की नाक के माध्यम से लेखक क्या बताना चाहता है?

जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चों की नाक फिट न होने की बात से लेखक इस ओर संकेत करना चाहता है कि भारतीय नेता और शहीद हुए भारतीय बच्चों का सम्मान जॉर्ज पंचम के सम्मान से कई गुना बढ़ा है

जॉर्ज पंचम की नाक में किसका वर्णन किया गया है?

जॉर्ज पंचम की नाक के लिए हथियार बंद पहरेदार तैनात कर दिए गए थे, क्या मजाल कि कोई उनकी नाक तक पहुँच जाए । हिंदुस्तान में जगह- जगह ऐसी नाकें खड़ी थीं। और जिन तक लोगों के हाथ पहुँच गए उन्हें शानो-शौकत के साथ उतारकर अजायबघरों में पहुँचा दिया गया। कहीं-कहीं तो शाही लाटों की नाकों के लिए गुरिल्ला युद्ध होता रहा...

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