पंचांग - 10 अक्टूबर 2022 - सोमवार
तिथि - कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा
नक्षत्र - रेवती नक्षत्र, सायं 04.02 तक
चन्द्रमा - मीन राशि में, सायं 04.02 तक
राहुकाल - प्रातः 07.30 से 09.00 तक
दिशाशूल - पूर्व दिशा
तिथि
कृष्ण पक्ष द्वितीया - अक्टूबर 11 01:39 AM – अक्टूबर 12 01:29 AM
कृष्ण पक्ष तृतीया - अक्टूबर 12 01:29 AM – अक्टूबर 13 01:59 AM
नक्षत्र
अश्विनी -
अक्टूबर 10 04:02 PM – अक्टूबर 11 04:17 PM
भरणी - अक्टूबर 11 04:17 PM – अक्टूबर 12 05:10 PM
योग
हर्षण - अक्टूबर 10 04:42 PM – अक्टूबर 11 03:16 PM
वज्र - अक्टूबर 11 03:16 PM – अक्टूबर 12 02:20 PM
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय - 6:26 AM
सूर्यास्त - 6:01 PM
चन्द्रोदय - अक्टूबर 11 7:09 PM
चन्द्रास्त - अक्टूबर 12 8:28 AM
अशुभ काल
राहू - 3:07 PM – 4:34 PM
यम गण्ड - 9:19 AM – 10:46 AM
कुलिक -
12:13 PM – 1:40 PM
दुर्मुहूर्त - 08:45 AM – 09:31 AM, 10:59 PM – 11:49 PM
वर्ज्यम् - 02:14 AM – 03:54 AM
शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:36 PM
अमृत काल - 09:00 AM – 10:38 AM
ब्रह्म मुहूर्त - 04:49 AM – 05:37 AM
शुभ योग
अमृतसिद्धि योग - अक्टूबर 11 06:26 AM - अक्टूबर 11 04:17 PM (Ashwini and Tuesday)
सर्वार्थसिद्धि योग - अक्टूबर 11 06:26 AM - अक्टूबर 11 04:17 PM (Ashwini and Tuesday)
आज आपका दिन मंगलमयी रहे, यही शुभकामना है। 'वेबदुनिया' प्रस्तुत कर रही है खास आपके लिए आज के दिन के विशिष्ट मुहूर्त। अगर आप आज वाहन खरीदने का विचार कर रहे हैं या आज कोई नया व्यापार आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सकें। ज्योतिष एवं धर्म की दृष्टि से इन मुहूर्तों का विशेष महत्व है। मुहूर्त और चौघड़िए के आधार पर 'वेबदुनिया' आपके लिए प्रतिदिन के खास मुहूर्त की सौगात लेकर आई है।
प्रस्तुत हैं आज के मुहूर्त
शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022
संवत्सर नाम-राक्षस
अयन-दक्षिणायण
मास-आश्विन
पक्ष-शुक्ल
ऋतु-शरद
वार-मंगलवार
तिथि (सूर्योदयकालीन)-नवमी
नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-उत्तराषाढ़ा
योग (सूर्योदयकालीन)-अतिगण्ड
करण (सूर्योदयकालीन)-कौलव
लग्न (सूर्योदयकालीन)-कन्या
शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
दिशा शूल-उत्तर
योगिनी वास-पूर्व
गुरु तारा-उदित
शुक्र तारा-अस्त
चंद्र स्थिति-मकर
व्रत/मुहूर्त-दुर्गा नवमी
यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
आज का उपाय-देवी मंदिर में रक्त चंदन भेंट करें।
वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
(निवेदन-उपर्युक्त विवरण पंचांग आधारित है पंचांग भेद होने पर तिथि/मुहूर्त/समय में परिवर्तन होना संभव है।)
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
Dev Uthani Ekadashi 2022 Date: देवउठनी एकादशी या देवोत्थान 2022, 4 नवंबर, दिन शुक्रवार को है. देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2022) कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होती है. इसे प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देव-शयन हो जाता है और फिर कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन, चातुर्मास का समापन होता है. इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा
से जगते हैं और शुभ मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. जानें देवउठनी (Dev Uthani Ekadashi 2022 Shubh Muhurat) एकादशी 2022 पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, नियम और महत्व. कादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 03, 2022 को शाम 07 बजकर 30 मिनट से शुरू एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 04, 2022 को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर खत्म पारण (व्रत
तोड़ने का) समय - नवम्बर 05, 2022 को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 47 मिनट तक पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 05:06 शाम तक है. एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत संकल्प लें इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी
की पूजा की जाती है. इस दिन को विष्णु को जगाने के लिए कहा जाता है. शंख, घंटी बजाकर उन्हें जगाया जाता है. अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं. फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें. मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरुरी अर्पित करनी चाहिए. शाम को विष्णु जी की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें.देवउठनी एकादशी तारीख, शुभ मुहूर्त (Dev Uthani Ekadashi 2022 Date Shubh Muhurat)
देवउठनी एकादशी व्रत पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)
एकादशी के दिन पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए.
एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता.
एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है.
एकादशी का व्रत खोलने के बाद ब्राहम्णों को दान-दक्षिणा दें.
देवउठनी एकादशी का महत्व (Significance of Dev Uthani Ekadashi)
मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने वालों के पितृ मोक्ष को प्राप्त कर स्वर्ग में चले जाते हैं. एकादशी का व्रत करने वालों के पितृपक्ष के दस पुरुष, मातृपक्ष के दस पुरुष और दूसरे पितृजन बैकुण्ठवासी होते हैं. एकादशी का व्रत यश, कीर्ति , वैभव, धन, संपत्ति और संतान को उन्नति देने वाला है.
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Published Date Fri, Nov 4, 2022, 7:46 AM IST