इंसान इंसान के काटने से क्या होता है? - insaan insaan ke kaatane se kya hota hai?

जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगवाते मरीज।(फाइल) - फोटो : अमर उजाला।

कुत्ते, बिल्ली, बंदर के काटने पर ही नहीं, इंसान के काटने पर भी एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर संक्रमण का शिकार होकर गंभीर बीमारी को दावत दे सकते हैं। बीते कुछ महीनों में गोरखपुर जिला अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने आए करीब 25 लोगों को मारपीट के दौरान दूसरे ने दांत से काट लिया था।

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि अगर कोई इंसान बीमार है, उसे बैक्टीरियल संक्रमण है और उसने दूसरे व्यक्ति को काट लिया तो उसके लार से दूसरा इंसान संक्रमित हो सकता है। कई मामलों में जानवर से ज्यादा इंसानों का काटना खतरनाक है।

इन पांच बीमारियों का डर ज्यादा
डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि एक इंसान दूसरे को काटता है तो हेपेटाइटिस बी, सी, टिटनेस, रैबीज, एचआईवी और हर्पीज (होठ के आसपास दाने निकल जाना) जैसी बीमारी का डर ज्यादा रहता है। इसके अलावा अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।

  एंटी रेबीज लगवाने से कोई नुकसान नहीं
डॉ. राजेश कुमार के मुताबिक एंटी रेबीज इंजेक्शन का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। एक बार इंजेक्शन लगवाने पर छह माह तक किसी जानवर या इंसान के काटने का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

लक्षण

  • त्वचा पर छिद्रित घाव
  • त्वचा का छिलना
  • कटना
  • रक्त स्राव

उपचार

  • व्यक्ति को शांत रखें
  • यदि खून अधिक नहीं बह रहा हो तो घाव को धो लें
  • हल्के साबुन का उपयोग करें
  • बहते हुये पानी से 3-5 मिनट तक घाव को साफ करें
  • एंटीबायोटिक क्रीम लगायें
  • घाव की जीवाणुरहित महीन कपड़े से पट्टी करें
  • यदि खून अधिक बह रहा हैं, तो रक्तस्राव रोकने के लिए दबाव डालें
  • घायल भाग को थोड़ा सा उठा कर रखें
  • तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें
  • यदि टेटनस इंजेक्शन नहीं लिया गया हैं तो इंजेक्शन जरूर लेवें

डॉक्टर से परामर्श करें सभी दांत से कटे व्यक्तियों की डॉक्टरी जांच -पड़ताल होनी चाहिए खास कर उन व्यक्तियों की जिनकी-

  • छिली हुई त्वचा हैं
  • ललाई
  • सूजन
  • दर्द
  • पस बनना
  • अगर चेहरे पर आँख के पास घाव होता हैं तो
  • यदि व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हैं तो (जैसे कि एड्स, कैंसर में)

बचाव के उपाय

  • मानव के काटने की उपेक्षा न करें
  • धाव को होठ से ना छुयें और अपने मुँह से चूसने की कोशिश ना करें जैसा कि आम तौर पर चलन हैं

रोकथाम

  • दौरे से प्रभावित व्यक्ति के मुँह के पास हाथ ना रखें
  • अपने बच्चे को दांत से काटने की आदत होने से रोकें

जागरण संवाददाता, नारनौल : रेबीज कुत्ता, बिल्ली, नेवला, चमगादड़ के काटने के साथ-साथ गर्म रक्तयुक्त जान

जागरण संवाददाता, नारनौल : रेबीज कुत्ता, बिल्ली, नेवला, चमगादड़ के काटने के साथ-साथ गर्म रक्तयुक्त जानवरों के काटने से होता है। ये मनुष्य को काटते समय अपनी लार में लिसा नामक वायरस को शरीर में छोड़ देते हैं, जिससे यह वायरस मनुष्य के मस्तिष्क पर सीधा असर डालता है। रोगी को समय पर उपचार प्रदान हो जाए तो उसको बचाया जा सकता है।

विदित रहे कि किसी भी व्यक्ति को कुत्ते, बंदर, सुअर, चमगादड़, लोमड़ी या किसी जंगली जानवर ने काट लिया है तो उसके लिए जरूरी है। कि वह जानवर के काटे जाने के 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। अगर 72 घंटे के अंतराल में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है। ऐसा होने के बाद रेबीज का कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं हैं। साथ जंगली जानवर के काटे जाने के बाद मरीज को चाहिए कि अगर घाव अधिक गहरा नहीं हो तो उसको साबुन से कम से कम पंद्रह मिनट तक अवश्य धोएं। इसके बाद बीटाडीन से उसकी ठीक तरह से सफाई करे व घाव को कभी भी गलती से ढ़क कर नहीं रखे। अगर घाव अधिक गहरा हो तो तुरंत ही चिकित्सक की सलाह से उसकी साफ-सफाई का ध्यान रखे। घरों में पालतू कुत्तों को एंटी रेबीज का टीका अवश्य ही लगवाया जाए। अगर किसी घाव पर गलती से कुत्ते की लार गिर जाती है तो उससे भी रेबीज हो जाता है। मरीज रेबीज की चपेट में आ गया तो उसका कोई ईलाज नहीं हैं। हालांकि उपचार के माध्यम से मरीज को कुछ राहत प्रदान कि जा सकती है। रेबीज रोग 11 वर्षों तक रोगी को अपनी गिरफ्त ले सकता है।

रेबीज रोग के लक्षण :

रेबीज रोगी को सबसे अधिक पानी से डर लगता है, क्योंकि जिस किसी को रेबीज हो जाता है, यह रोग दिमाग के साथ-साथ गले को भी अपनी चपेट में ले लेता है। जिससे अगर रोगी पानी पीने मात्र की भी सोचता है तो उसके कंठ में जकड़न महसूस होती है। जिससे उसको सबसे अधिक पानी से ही खतरा होता है।

रोगी के नाक, मुंह से लार निकलती है

रोग की एक ऐसी भी अवस्था होती है कि वह अपने आपको निडर महसूस करता है।

रोगी को रोशनी से ड़र लगता है।

रोगी हमेशा शांत व अंधेरे वातावरण में रहना पसंद करता है।

रोगी किसी भी बात को लेकर भड़क सकता है।

कुत्ते के काटे जाने के बाद अकसर देखा जाता है कि गांवों के मरीज आते है वे 72 घंटे के बाद आते है। व घाव पर पिसी हुई लाल मिर्च लगाकर आते है। जिससे ठीक होने का खतरा कम तो घाव में इंफेक्शन होना खतरा अधिक होता है। अकसर इस तरह के रोगी ग्रामीण इलाकों से आते है। कुत्ते या अन्य किसी जानवर के काटे जाने के बाद 72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवाए। चिकित्सक की सलाह के बाद किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करे।

- डॉ. हिमांशु बड़कोदिया, एमओ, नागरिक अस्पताल, नारनौल।

मनुष्य के काटने से कौन सी बीमारी होती है?

रेबीज़ (अलर्क, जलांतक) एक विषाणु जनित बीमारी है जिस के कारण अत्यंत तेज इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क का सूजन) इंसानों एवं अन्य गर्म रक्तयुक्त जानवरों में हो जाता है।

इंसान के काटने पर क्या करे in Hindi?

प्रभावित क्षेत्र को साबुन और पानी से धोएं। दर्द और सूजन को कम करने के लिए लगभग 10 मिनट के लिए प्रभावित क्षेत्र पर ठंडा पानी या बर्फ पैक रखें।.
पेट में ऐंठन.
चक्कर आना और उल्टी.
चेहरे, होंठ या गले में सूजन.
सांस लेने में तकलीफ़।.

रेबीज का असर कितने दिन में होता है?

मनुष्यों में रेबीज की ऊष्मायन(इन्क्यूबेशन) अवधि आमतौर पर 20-60 दिनों के बीच होती है। यद्यपि फुलमिनेंट रोग 5-6 दिनों के भीतर रोगसूचक बन सकता है, चिंता की बात यह है कि 1-3% मामलों में, ऊष्मायन(इन्क्यूबेशन) अवधि 6 महीने से अधिक हो सकती है।

रेबीज के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?

मनुष्यों सहित सभी गर्म खून वाले जानवर (warm-blooded animals) रेबीज संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. रेबीज के लक्षण ज्यादातर मामलों में तीन महीनों के भीतर नजर आने लगते हैं, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में कई वर्षों बाद भी ये बीमारी हो सकती है. मानव में रेबीज के फैलने का मुख्य स्रोत कुत्ते है.

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