These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 पद. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1. (ख) (ग) (घ) दूसरे पद में ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा गया है। जिस व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। नीच से नीच व्यक्ति का भी उद्धार हो जाता है। ऐसे लोग जो स्पर्श दोष के कारण हाथ लगने पर अपने-आपको अपवित्र मानते हैं। ऐसे दोनों पर दया करनेवाले प्रभु ही हैं जो दुखियों के | दर्द से द्रवित हो जाते हैं। (ङ) इस पंक्ति का आशय है कि सांसारिक लोग नीच जाति में उत्पन्न होनेवालों के प्रति स्पर्श दोष मानते हुए उन्हें अछूत मानते हैं, पर ईश्वर उन लोगों पर भी कृपा करते हैं। उनका उद्धार कर देते हैं, क्योंकि उनकी दृष्टि में भक्त की भक्ति ही श्रेष्ठ है। उसका प्रेम ही सर्वोपरि है। इसलिए प्रभु को पतित पावन, भक्त-वत्सल, दीनानाथ कहा जाता है। (च) रैदास ने अपने स्वामी को गरीब निवाजु, लाल, गोबिंद, गुसाई, हरि, लाल आदि नामों से पुकारा है, नाम भले ही अनेक हो, परंतु दीनदयाल गरीबों का उद्धार करने वाले हैं। वे सभी पर अपना प्रेम लुटाते (छ) प्रश्न 2. (ख) भक्त हमेशा भवसागर से पार करानेवाले परमात्मा के प्रति स्वयं को अर्पित कर देना चाहता है। हर क्षण उसी के रूप-दर्शन करने की इच्छा करता है। जिस प्रकार चकोर दिन-रात चाँद को निहारना चाहता है। उसी प्रकार रैदास भी प्रभु रूपी चाँद को एकटक निहारना चाहते हैं इसलिए एक क्षण के लिए भी उनका ध्यान प्रभु भक्ति से नहीं हटता।। (ग) जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। अर्थात् कवि स्वयं को बत्ती और प्रभु को ऐसा दीपक मानते हैं, जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है, यानी रैदास जी दिन-रात प्रभु की भक्ति से आलोकित रहना चाहते हैं। (घ) हे प्रभु! आपके अतिरिक्त भक्तों को इतना मान-सम्मान देनेवाला कोई और नहीं है। अर्थात् समाज में नीची जाति में उत्पन्न होने के कारण आदर-सम्मान मिलना कठिन होता है परंतु ईश्वर के यहाँ जातिगत भेद-भाव नहीं होता। वे सबके सम्मान की लाज रखते हैं। प्रभु ही सबका कल्याण करते हैं। उनके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों और दोनों की खोज-खबर रखता है। ईश्वर ही अछूतों को ऊँचे पद पर आसीन करते हैं। (ङ) कवि ने ईश्वर को पतित पावन, भक्त वत्सल, दीनानाथ व उद्धारक कहा है। निम्न श्रेणी के लोगों को भी प्रभु ऊँचा कर देता है। वह अपने भक्तों पर दया करता है तथा उनका उद्धार कर देता है। उनका गोबिंद किसी से नहीं डरता। कवि ने प्रभु को नाम देकर भी उसके निराकार रूप की ही चर्चा की है। गरीबों के दु:ख-दर्द को समझनेवाला वही ईश्वर है। वहीं उन्हें पीड़ाओ से मुक्ति दिलाने वाला भी है। प्रश्न 3. योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. ईश्वर की भक्ति और उनका स्मरण कैसे करना चाहिए?नवधा भक्ति. श्रवण: ईश्वर की लीला, कथा, महत्व, शक्ति, स्रोत इत्यादि को परम श्रद्धा सहित अतृप्त मन से निरंतर सुनना।. कीर्तन: ईश्वर के गुण, चरित्र, नाम, पराक्रम आदि का आनंद एवं उत्साह के साथ कीर्तन करना।. स्मरण: निरंतर अनन्य भाव से परमेश्वर का स्मरण करना, उनके महात्म्य और शक्ति का स्मरण कर उस पर मुग्ध होना।. ईश्वर की भक्ति कैसे करनी चाहिए?उन्होंने कहा कि ईश्वर को प्राप्त करने का सबसे उत्तम और सरल उपाय प्रेम ही है। प्रेम भक्ति का प्राण भी होता है। प्रेम के बिना इंसान चाहे कितना ही जप, तप, दान कर ले, ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता है। दुनिया का कोई भी साधन प्रेम के बिना जीव को ईश्वर का साक्षात नहीं करा सकता है।
ईश्वर की भक्ति क्यों आवश्यक है?ईश्वर की भक्ति करना क्यों आवश्यक है,ईश्वर की भक्ति करने से क्या फायदे हैं? श्रीमान भक्ति लोग ईश्वर, गॉड, तीर्थंकर या बुद्ध की नही करते बल्कि अपने संस्कारों और मन की भावना की उपासना करते हैं । इससे आप का मन और संस्कार को तृप्ति मिलती है। अगर आप मेरे उत्तर से इत्तफाक नहीं रखते हो तो क्षमा करना।
जीवन में ईश्वर भक्ति का क्या महत्व है लिखिए?ईश्वर भक्ति में नाम स्मरण का बेहद महत्व होता है। यूँ तो ईश्वर भक्ति के अनेक मार्ग है , लेकिन ईश्वर की भक्ति करने का सबसे सरल मार्ग है, ईश्वर के नाम का निरंतर स्मरण करना है। ईश्वर भक्ति में नामस्मरण का बेहद महत्व है, क्योंकि ईश्वर के नाम स्मरण करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं होता।
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