मुहावरे की परिभाषा -- मुहावरा किसी विशेष भाषा में प्रचलित वह पद-बन्ध या कथन-बन्ध है जो अभिधार्थ से भिन्न लक्षणा या व्यंजना मूलक विशिष्ट अर्थ देता है।
मुहावरे को अँगरेजी में 'Phrases' कहा जाता है। यह एक प्रकार का ऐसा वाक्यांश होता है जिसके प्रयोग से भाषा में जान आ जाती है।
मुहावरों के संबंध में कुछ बातें हैं जिन्हें समझना जरूरी हैं। प्रायः अधिकांश मुहावरों के एक नहीं अनेक अर्थ होते हैं। जैसे --
आप जो भी अर्थ जानते हों, उसका वाक्य में ठीक-ठीक प्रयोग करें, जिससे उसका कोई एक अर्थ स्पष्ट हो। जैसे --
(1) मुँह चलना (भोजन होना या खाया जाना) --- क्यों जी ! भोजन सामने है और तुम्हारा मुँह नहीं चल रहा है?
(2) मुँह चलना (खूब बोलना) --- बच्चे की छोटी-छोटी गलतियों पर तुम्हारा मुँह जिस तरह चलता है, मुझे अच्छा नहीं लगता।
(3) मुँह चलना (मुँह से व्यर्थ की बातें या दुर्वचन निकलना) --- आप पढ़े लिखे एक धार्मिक व्यक्ति हैं, लेकिन आपका मुँह इस तरह से चल रहा है !
मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (hindi muhavare और muhavare ka arth)
▪︎ अंक देना या लगना (आलिंगन देना, गले लगना) -- लोग ईद की खुशी में एक दूसरे से अंक लग रहे हैं।
▪︎ अंक भरना या लगाना (गले लगाना , हृदय से लगाना) -- लोग ईद की खुशी में एक दूसरे को अंक लगा रहे हैं।
▪︎ अंग टूटना (जम्हाई के साथ आलस्य से अंगों का फैलाया जाना, अंगड़ाई आना) -- सुबह से काम करते-करते , अब मेरे अंग टूटने लगे हैं।
▪︎ अंग तोड़ना (पूर्णतः शिथिल कर देना, अंगड़ाई लेना) -- इस कठिन चढ़ाई ने मेरे अंगों को तोड़ दिया है।
▪︎ अंग लगना [गले लगना (भोजन का) शरीर को पुष्ट करना] -- डाक्टर साहब, पौष्टिक खाद्य पदार्थ भी आजकल मेरे अंग नहीं लगते हैं।
▪︎ अंग लगाना (गले या छाती से लगाना, आलिंगन करना) -- खोये पुत्र के मिलते ही, माँ ने उसे अंग लगा लिया
▪︎ अँगूठा चूमना (खुशामद करना, अधीन होना) -- लाख अँगूठे चूमो, लेकिन वह तुम्हारा काम नहीं करेगा।
▪︎ अँगूठा दिखाना (अस्वीकार करना, अवज्ञा करना) -- जरूरत पड़ने पर उसने मुझे अँगूठा दिखा दिया।
▪︎ अंधा बनना (जान बूझकर किसी बात पर ध्यान न देना) -- अपने बेटे की गलतियों पर ध्यान दो, अब अंधा बनने से काम नहीं चलेगा।
▪︎ अंधा बनाना (बेवकूफ बनाना, धोखा देना) -- तुम मुझे अंधा नहीं बना सकते, मैं सब समझता हूँ।
▪︎ आँख खुलना (भ्रम का दूर होना, नींद टूटना) -- तेज आवाज से मेरी आँखें खुल गयीं और मैं जग गया।
▪︎ आँखें दिखाना (क्रोध की दृष्टि से देखना, कोप जताना) -- बच्चे की छोटी छोटी गलतियों पर इस तरह आँखें मत दिखलाओ।
▪︎ आँखें फेरना (मित्रता तोड़ना, विरुद्ध होना) -- क्यों भई ! तुम मुझे देखते ही आँखें फेर लेते हो ?
▪︎ आँखें बिछाना (तन्मयता से देखना, प्रेमपूर्वक प्रतीक्षा करना) -- राधा का पति वर्षों बाद घर आ रहा है, अतः उसकी पत्नी सुबह से आँखें बिछाये बैठी है।
▪︎ आँख भर आना (आँख में आँसू आना) -- उनकी दुःख भरी कहानी सुनकर, मेरी आँखें भर आयीं।
▪︎ आँसू पीकर रह जाना (भीतर-ही-भीतर रोकर रह जाना) -- आँसू पीकर रह जाना गरीबों की लाचारी है।
▪︎ आँसू पोंछना (दिलासा देना, ढाढ़स बँधाना) -- इस संकट की घड़ी में उसके आँसू पोंछनेवाला कोई नहीं है।
▪︎ आग बरसना (बहुत गरमी पड़ना, बड़े कठोर वचन कहना) -- आज इतनी गरमी है, मानों आग बरस रही हो।
▪︎ आग बरसाना (शत्रु पर खूब गोलियाँ चलाना) -- भारतीय सेना दुश्मनों पर तब तक आग बरसाती रही, जब तक उनके पाँव उखड़ न गये।
▪︎ आसमान के तारे तोड़ना (कोई असंभव कार्य करना) -- आजकल सरकारी नौकरी मिलना आसमान के तारे तोड़ने जैसा है।
▪︎ आसमान पर चढ़ना या आसमान पर उड़ना (घमंड दिखाना, गरूर करना) -- उसे चपरासी की नौकरी क्या मिल गयी , लगता है आसमान पर चढ़ गया है।
▪︎ आसमान पर थूकना (बड़े आदमी को निन्दित करने के प्रयत्न में स्वयं निन्दित होना) -- महात्मा गाँधी की शिकायत करना आसमान पर थूकने जैसा है।
▪︎ इज्जत उतारना (बेइज्जत करना, अपमानित करना) -- एक छोटी-सी बात के लिए उसने उसकी इज्जत उतार ली।
▪︎ इज्जत देना (सम्मान करना, आदर करना) -- नेताजी के कार्यों को देखकर यहाँ की जनता उन्हें बहुत इज्जत देती है।
▪︎ ईद का चाँद होना (बहुत दिनों के बाद मुलाकात होना) -- आजकल तुम ईद के चाँद हो गये हो, कहाँ रहते हो ?
▪︎ उल्लू बनाना (बेवकूफ, ठगना) -- देखो ! अब तुम मुझे और उल्लू नहीं बना सकते।
▪︎ उल्लू बनना (बहस आदि में हारकर निरुत्तर होना) -- सोहन आज भाषण प्रतियोगिता में उल्लू बन गया।
▪︎ कटे पर नमक छिड़कना (दुःखी को और अधिक कष्ट देना, बहुत सताना) -- मैं पहले से ही दुखी हूँ, क्या कटे पर नमक छिड़क रहे हो ?
▪︎ कमर टूटना (उत्साह का न रहना, निराश होना) -- उसकी नौकरी क्या छूटी, उसकी तो कमर ही टूट गयी।
▪︎ कमर सीधी करना (थकावट दूर करना, आराम करना) -- बहुत काम कर लिया, अब जरा कमर सीधी कर लेता हूँ।
▪︎ कलई खुलना (वास्तविक रूप का प्रकट होना, असली भेद खुलना) -- घोटाले की कलई खुलते ही, सभी आश्चर्यचकित रह गये।
▪︎ कलई खोलना (छिपी हुई बुराइयाँ प्रकट कर देना) -- सी. बी. आई ने घोटाले की सारी कलई खोलकर सरकार के सामने रख दी।
▪︎ कसम खाना (शपथ लेना, प्रतिज्ञा करना) -- मैं आज कसम खाता हूँ कि कभी झूठ नहीं बोलूँगा।
▪︎ कसम खिलाना (बाध्य करना) -- देखो ! इस काम के लिए मुझे कसम मत खिलाओ।
▪︎ कानों पर जूं रेंगना (स्थिति का ज्ञान होना, होश होना) -- चीनी आक्रमण के बाद ही नेहरूजी के कानों पर जूं रेंगी।
▪︎ कानों पर जूं न रेंगना (कुछ भी परवाह न होना, कुछ भी ध्यान न होना) -- शरारती बच्चों के कानों पर जल्दी जूं नहीं रेंगती।
▪︎ कान फूँकवाना (गुरुमंत्र लेना, दीक्षा लेना) -- अनपढ़ लोग अनपढ़ गुरु से कान फूँकवाकर गर्व महसूस करते हैं।
▪︎ कान फूँकना (बहकाना, चेला बनाना, दीक्षा देना) -- यदि शरारती बच्चों के सम्पर्क में रहोगे, तो वे कान फूंककर अपने-जैसा बना देंगे।
▪︎ काम तमाम करना (मार डालना, जान लेना, काम पूरा करना) -- हमें अतिशीघ्र सारे काम तमाम करने चाहिए।
▪︎ काम तमाम होना (प्राण निकल जाना, काम समाप्त हो जाना) -- महीने भर का काम दो दिन में ही तमाम हो गया।
▪︎ खून उबलना या खौलना (क्रोध से शरीर लाल होना, गुस्सा चढ़ना) -- अपने दुश्मनों को देखकर, सोहन का खून उबलने लगता है।
▪︎ खून के घूँट पीना (क्रोध सह जाना) -- जब भी मेरा दुश्मन मेरे सामने आता है, मैं खून के घूँट पीकर रह जाता हूँ।
▪︎ छाती फुलाना (गर्व करना, इतराना) -- बेटे की सफलता पर बाप का छाती फुलाना सामान्य बात है।
▪︎ छाती पीटना (दुःख या शोक से व्याकुल होकर छाती पर हाथ पटकना) -- पति की मृत्यु का समाचार सुनकर पली छाती पीटने लगी।
▪︎ जान देना (मरना, मरने को तैयार होना, किसी पर आसक्त होना) -- लगता है कि सम्पत्ति के लिए वह अपनी जान दे देगा।
▪︎ जान लेना (वध करना, बहुत कष्ट देना) -- लगता है कि सम्पत्ति के लिए वह किसी की जान ले लेगा।
▪︎ जी चुराना (काम से भागना, हीलहवाली करना) -- काम से जी चुराना अच्छी बात नहीं है।
▪︎ जी लगना (दिल लगना, चित्त प्रवृत्त होना) -- इस काम में अब मेरा जी लग गया है।
▪︎ टोपी उछालना (अपमानित करना बेइज्जत करना) -- भरी सभा में किसी की टोपी उछालना बुरी बात है।
▪︎ तिल का ताड़ करना (किसी छोटी बात को बहुत बढ़ा देना, बात का बतंगड़ करना) -- छोटी-सी बात पर इस तरह तिल का ताड़ मत करो।
▪︎ तीन-पाँच करना (घुमाव-फिराव या हुज्जत की बात करना, बहानेबाजी करना) -- मेरे पैसे सीधी तरह दे दो, तीन-पाँच मत करो।
▪︎ तीन-तेरह करना (तितर-बितर करना, अलग-अलग करना) -- अँगरेजों ने हमारी एकता को तीन-तेरह कर दिया था।
▪︎ दम टूटना (साँस रुक जाना, दौड़ने आदि के कारण हाँफने लगना) -- मैं अब और दौड़ नहीं सकता, क्योंकि मेरा दम टूटने लगा है।
▪︎ दम तोड़ना (अंतिम साँस लेना, मर जाना) -- घायल व्यक्ति ने अंततः दम तोड़ ही दिया।
▪︎ दाँत-काटी रोटी (अत्यंत घनिष्ठ मित्रता, गहरी दोस्ती) -- कृष्ण और सुदामा के बीच दाँत-काटी रोटी थी।
▪︎ दाँत खट्टे करना (खूब हैरान करना, नाक में दम करना) -- भारतीय सैनिकों ने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये।
▪︎ दिन कटना (समय बीतना, समय व्यतीत होना) -- गरीबों के दिन किसी तरह कट ही जाते हैं।
▪︎ दिल लगना (रमना, प्रेम होना) -- मेरा दिल पढ़ने-लिखने में खूब लगता है।
▪︎ दिल लगाना (प्रेम करना, मन से काम करना) -- सफलता के लिए प्रत्येक काम में दिल लगाना जरूरी है।
▪︎ नाक काटना (प्रतिष्ठा नष्ट करना, इज्जत बिगाड़ना) -- पढ़ने से भागना परिवार की नाक काटने के बराबर है।
▪︎ नीचे गिरना (प्रतिष्ठा खोना, पतन होना, पछाड़ खाना) -- गलत काम से तुम धीरे-धीरे नीचे गिरते जाओगे।
▪︎ नीचे गिराना (कुश्ती में पछाड़ना, पटकना, पतित बनाना) -- सोहन की बुरी लत ने उसे समाज में नीचे गिरा दिया।
▪︎ पगड़ी उछलना (अपमान होना) -- ऐसा काम न करो जिससे समाज में तुम्हारी पगड़ी उछलती रहे।
▪︎ पगड़ी उछालना (बेइज्जती करना, उपहास करना, हँसी उड़ाना) -- किसी की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं है।
▪︎ पगड़ी रखना (लाज रखना) -- इस गरीब लड़की से शादी कर, तुमने उसके परिवार की पगड़ी रख ली है।
▪︎ पलक लगना (पलक झपकना, नींद आना) -- पलक लगते ही चोर सामान लेकर चम्पत हो गया।
▪︎ पलक लगाना (सोने के लिए आँख बंद करना) -- रात बहुत बीत चुकी है, अब पलक लगाना जरुरी है।
▪︎ पहाड़ कटना (बड़ा भारी और कठिन काम हो जाना) -- इतनी मोटी पुस्तक कुछ ही माह में पूरी हो गयी, लगता है, पहाड़ा कट गया।
▪︎ पहाड़ काटना (संकट दूर करना, असंभव काम कर डालना) -- इतनी मोटी पुस्तक कुछ ही माह में पूरी कर लेना, पहाड़ काटने जैसा है।
▪︎ पॉकेट गरम करना (घूस देना, घूस लेना) -- भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि बगैर पॉकेट गरम किये कोई काम नहीं होता।
▪︎ पॉकेट गरम होना (पास में काफी धन होना) -- उसका पॉकेट आजकल गरम हो गया है।
▪︎ पाँव चूमना (चापलूसी करना) -- बड़े बाबू के पाँव चूमने से ही काम नहीं चलेगा, कुछ काम भी किया करो।
▪︎ पाँव खींचना (व्यवधान डालना) -- तुम हर काम में पाँव खींचते रहते हो।
▪︎ पीठ दिखाना (युद्ध या मुकाबले से भाग जाना) -- दुश्मनों के सामने हमारी सेना कभी पीठ नहीं दिखा सकती है।
▪︎ पीठ पर होना (मदद पर होना, हिमायत पर होना) -- मैं मोहन की पीठ पर हूँ, तुम उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हो।
▪︎ पेट काटना (जान-बूझकर कम खाना जिसमें कुछ बचत हो जाए) -- मैं अपना पेट काटकर तुम्हें पैसे देता हूँ, अतः मन लगाकर पढ़ो।
▪︎ पेट पालना (जीवन-निर्वाह करना) -- तुम मेरी चिंता न करो, किसी तरह मैं अपना पेट पाल लूँगा।
▪︎ प्राण हरना या प्राण लेना (मार डालना, बहुत संताप या दुःख देना) -- वह मुझसे इतना न काम करवाता है कि मेरे प्राण ले लेगा।
▪︎ प्राण हारना (हतोत्साह होना) -- इस काम के लिए मैं अब प्राण हार चुका हूँ।
▪︎ फाँसी चढ़ना (पाश द्वारा प्राण-दंड पाना) -- कई स्वतंत्रता सेनानी फाँसी पर हँसते-हँसते चढ़ गये।
▪︎ फाँसी चढ़ाना या फाँसी चढ़ाया जाना (गले में फंदा डालकर मार डालना, गला घोंटकर मौत की सजा देना) -- अंगरेजों ने अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को फाँसी पर चढ़ा दिया था।
▪︎ बलि चढ़ना (मारा जाना) -- देश की रक्षा हेतु बलि चढ़ना गौरव की बात है।
▪︎ बलि चढ़ाना (देवता के उद्देश्य से घात करना) -- बलि चढ़ाना गैरकानूनी ही नहीं, अनैतिक कार्य भी है।
▪︎ बात टलना (कथन का अन्यथा होना, कहे मुताबिक न होना) -- मेरी बात टल गयी, इससे मुझे बहुत दुःख हुआ।
▪︎ बात टालना (सुनी-अनसुनी करना, कही हुई बात पर न चलना) -- तुम मेरी बात हमेशा टाल देते हो, इससे मुझे बहुत दुःख होता है।
▪︎ मुँह चलना (भोजन होना, खूब बोलना) -- आजकल तुम्हारा मुँह मेरे सामने खूब चलने लगा है।
▪︎ मुँह चलाना (अनधिकार बोलना, खाना) -- बड़ों के सामने इस तरह मुँह चलाना अच्छी बात नहीं है।
▪︎ मुँह चुराना (काम से भागना) -- तुम अब हर काम से मुँह चुराने लगे हो।
▪︎ मुँह भरना (घूस देना, रिश्वत देना) -- इस कार्यालय में मुँह भरना सख्त मना है।
▪︎ मुँह मीठा करना (मिठाई खिलाना, घूस आदि देना) -- अरे यार ! कम-से कम मुँह तो मीठा करो।
▪︎ मुँह में पानी भर आना (ललचना, लार टपकना) -- रसगुल्ला देखकर हर किसी के मुँह में पानी भर आता है।
▪︎ मुँह में लगाम न होना (जो मुँह में आये सो कह देना, जबान पर अंकुश न होना) -- मुँह में लगाम न होना बदतमीजी की निशानी है।
▪︎ मुँह से फूल झड़ना (मुँह से बहुत ही सुंदर और प्रिय बातें निकलना, बोली में कोमलता होना) -- आलोक जब भी मुँह खोलता है, उसके मुँह से फूल ही झड़ते हैं।
▪︎ मुँह छिपाना (लज्जा के मारे सामने न होना, लज्जित होना) -- परीक्षा में फेल होने पर रीना कुछ समय तक सबसे मुँह छिपाती रही।
▪︎ मुँह ताकना (अकर्मण्य होकर चुपचाप बैठे रहना, आस लगाये बैठे रहना, चकित होकर देखना) -- सुशील जब गुस्साता है, उसके परिवार के लोग उसका मुँह ताकने लगते हैं।
▪︎ मुँह या गाल फुलाना या मुँह फुलाकर बैठ जाना (नाराज होना, रूठना) -- छोटी-छोटी बातों पर तुम तो गाल फुलाकर बैठ जाते हो।
▪︎ मुँह का कच्चा (अविश्वासी, जो बात को गुप्त न रख सके) -- मुकेश मुँह का कच्चा है, उसे सारी बातें मत बताओ।
▪︎ मुँह की बात छीनना (किसी व्यक्ति के कहने के पूर्व उसी बात को कह देना) -- अरे ! उसने तो मेरे मुँह की बात छीन ली।
▪︎ मुँह-तोड़ जवाब (चुप करा देनेवाला जवाब) -- आपके मुँह-तोड़ जवाब से सभी अवाक् हो गये।
▪︎ मुँह पर थूकना (अपमानित करना, घृणा-भाव प्रकट करना) -- तुमने सबके सामने उसके मुँह पर थूक दिया !
▪︎ मुँह पर न थूकना (बहुत तुच्छ और घृणित समझना) -- मैं तो उसके मुँह पर थूकना भी नहीं चाहता हूँ।
▪︎ मूँछ उखाड़ना (घमंड चूर करना) -- ऐसा मत कहो, नहीं तो मैं तुम्हारी मूंछ उखाड़ लूँगा।
▪︎ मूँछे उखड़वाना (जलील करना) -- यह काम तो मूंछे उखड़वाने-जैसा है।
▪︎ मूँछों का बाल (बहुत करीबी आदमी) -- वह मेरा सहायक ही नहीं, मूंछों का बाल है।
▪︎ मैदान जीतना या मैदान मारना (खेल या बाजी आदि में जीतना, लड़ाई जीतना) -- भारतीय सैनिकों ने युद्ध में मैदान मार लिया।
▪︎ मैदान छोड़ना (रणक्षेत्र से भागना) -- मैदान छोड़ना कायरों का काम है।
▪︎ रंग जमना (प्रभाव या असर पड़ना, आनन्द का पूर्णता पर आना) -- कुमार सानू के गाते ही महफिल का रंग जम गया।
▪︎ रंग जमाना या रंग बाँधना (प्रभाव डालना) -- कुमार सानू ने महफिल में अपना रंग जमा दिया।
▪︎ रोटी-दाल चलना (जीवन निर्वाह होना) -- इस महँगाई में रोटी-दाल चल जाए, यही बड़ी बात है।
▪︎ रोटी कमाना (जीविकोपार्जन करना) -- वह इन दिनों रोटी कमाने दिल्ली गया है।
▪︎ लगाम कड़ी करना (कार्यादि का नियंत्रण करना) -- बच्चे अक्सर लगाम अधिक कड़ी करने से बिगड़ जाते हैं।
▪︎ लगाम ढीली करना (कार्यादि पर नियंत्रण न रखना) -- बच्चे अक्सर लगाम अधिक ढीली करने से बिगड़ जाते हैं।
▪︎ लाठी चलना (लाठी से मारपीट होना, लाठियों की मारपीट होना) -- आज बाजार में देखते-ही-देखते लाठी चलने लगी।
▪︎ लाठी चलाना (लाठी से मारपीट करना) -- लाठी चलाने से ही सब काम नहीं होते हैं।
▪︎ लुटिया डूबना (सारा काम बुरी तरह बिगड़ जाना) -- पिता की मृत्यु क्या हुई, उसकी तो लुटिया ही डूब गयी।
▪︎ लुटिया डुबाना (महत्व या प्रतिष्ठा नष्ट करना) -- तुमने तो परिवार की लुटिया ही डुबा दी।
▪︎ लोहे के चने चबाना (बहुत कठिन कार्य करना) -- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना, लोहे के चने चबाने-जैसा है।
▪︎ साँप छाती पर लोटना (बहुत व्याकुल होना, भारी सदमा पहुँचना) -- मेरी सफलता देखकर उसकी छाती पर साँप लोटने लगा।
▪︎ साँप को दूध पिलाना (शत्रु को सहायता देना) -- सोहन-जैसे व्यक्ति की सहायता करना, साँप को दूध पिलाने के समान है।
▪︎ साँप से खेलना (खतरनाक आदमी से मेल-मिलाप करना) -- सोहन से संबंध बढ़ाना साँप से खेलने-जैसा है।
▪︎ साया उठना (संरक्षक का मर जाना) -- चाचा के मरते ही अनिल का अंतिम साया भी उठ गया।
▪︎ सितारा-चमकना या सितारा बुलंद होना (भाग्योदय होना, अच्छी किस्मत होना) -- आजकल लालजी का सितारा बुलंद है।
▪︎ सितारा गर्दिश में होना (दुर्भाग्य के दिन होना) -- आजकल कुछ पार्टियों का सितारा गर्दिश में है।
▪︎ सिर-आँखों पर होना (सहर्ष स्वीकार होना, खुशी से स्वीकार होना) -- आपका आदेश सिर-आँखों पर है।
▪︎ सिर गिरना (सिर कटना, सिर झुकना) -- दंगे में कई सिर गिर गये।
▪︎ सिर गिराना (जान से मारना) -- दंगाइयों ने कई सिर गिरा डाले।
▪︎ सिर मुंडना (जट लेना, धोखा देना, मूर्ख बनाना) -- महेश से बचकर रहो, नहीं तो वह तुम्हारा भी सिर मूंड़ लेगा।
▪︎ सिर मुँडाना (साधु हो जाना) -- सुरेश ने तो अब सिर मुंड़ा लिया है।
▪︎ सिर से बोझ उतरना (झंझट दूर होना, निश्चिन्तता) -- यह किताब अब पूरी हो गयी है, मेरे सिर से बोझ उतर गया।
▪︎ सिर से बोझ उतारना (बोझ टालना, उत्तरदायित्व से मुक्त होना) -- प्रत्येक काम को तुम इस प्रकार करते हो, मानों सिर से बोझ उतारते हो।
▪︎ सिर हिलना (सिर काँपना) -- उसका सिर हमेशा हिलता रहता है, किसी अच्छे डॉक्टर से दिखलाओ।
▪︎ सिर हिलाना (स्वीकृति, अस्वीकृति, प्रशंसा आदि की सूचना में सिर को हलकी गति देना) -- बात समझकर ही सिर हिलाया करो।
▪︎ सौदा पटना (बात पक्की होना) -- इस सौदे का सौदा पट गया है?
▪︎ सौदा पटाना (बात पक्की करना) -- तुम्हें सौदा पटाना नहीं आता है।
▪︎ स्वर्ग जाना या स्वर्ग सिधारना (मरना, देहान्त होना) -- उसके पिताजी स्वर्ग सिधार गये।
▪︎ हँसी में उड़ाना (परिहास की बात कहकर टाल देना) -- देखो, मेरी बात हँसी में मत उड़ाओ।
▪︎ हाथ खाली होना (बिना पैसे का होना, करने के लिए कोई काम न होना) -- आजकल मेरा हाथ खाली हो गया है।
▪︎ हाथ आना (वश में आना, अधिकार में होना, फायदा होना) -- बहुत दिनों बाद डाकू मंगल सिंह पुलिस के हाथ आया।
▪︎ हाथ गरम होना (धन की प्राप्ति होना) -- आज मेरे हाथ गरम हो गये।
▪︎ हाथ हिलाते आना (खाली हाथ आना) -- पुलिस हाथ हिलाते वापस आ गयी, क्योंकि चोर भाग चुके थे।
▪︎ हुलिया बिगड़ना (चेहरे का रंग उतर जाना, बुरी हालत होना) -- उसका हुलिया मार-पीट में बिगड़ गया है।
▪︎ हुलिया बिगाड़ देना या हुलिया बिगाड़ना (हालत खराब कर देना, दुर्दशा करना) -- किसने तुम्हारा हुलिया बिगाड़ दिया ?
▪︎ हृदय उमड़ना या हृदय भर आना (वेदना होना, प्रेम या करुणा आदि के कारण चित्त का द्रवित होना) -- मोहन के कष्ट को देखकर मेरा हृदय भर आया।
▪︎ हृदय से लगाना (आलिंगन करना, आत्मीय और प्रिय बनाना) -- राम ने श्याम को हृदय से लगा लिया।
▪︎ होश में आना (चेतना प्राप्त करना, तमीज सीखना, आपे में आना) -- होश में आने के बाद ही मुझसे बात करो।
▪︎ होश ठिकाने होना (भ्रांति या मोह दूर होना, दंड पाकर भूल का पछतावा होना) -- अब तो तुम्हारे होश ठिकाने हुए?