दूध देने वाली गाय को क्या खिलाना चाहिए? - doodh dene vaalee gaay ko kya khilaana chaahie?

ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को भरपूर पोषण नहीं देते है। ऐसे में पशुओं का शारीरिक विकास तो रूकता ही है साथ पशुओं में रोगी प्रतिरोधी क्षमता में भी कमी आ जाती है। इसलिए पशुपालकों को पशु आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि पशु स्वस्थ रहे और उसका दूध उत्पादन प्रभावित न हो।

"संतुलित आहार पशुओं के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि संतुलित आहार पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता को तो बढ़ाता ही साथ पशुओं के स्वस्थ भी रखता है। पशुपालक के पास जो उपलब्ध होता है वो ही खिला देता है। ऐसा बिल्कुल न करें। पशुओं में व्यस्क पशु, गाभिन पशु और बच्चे की आहार देने की मात्रा अलग-अलग होती है। पशुपालक उस पर भी ध्यान नहीं देते है।" ऐसा बताते हैं, भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान के न्यूट्रीशियन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पुतान सिंह।

पशु को 24 घण्टों में खिलाया जाने वाला आहार (दाना व चारा) जिसमें उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भोज्य तत्व मौजूद हों, पशु आहार कहते है। जिस आहार में पशु के सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार कहते हैं।

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संतुलित आहार के बारे में सिंह बताते हैं, ''अगर पशुपालक दाना, खली, चोकर, खनिज लवण मिलाकर संतुलित आहार तैयार करके पशु को प्रतिदिन दे तो पशु के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता में वृद्वि होती है। इसके साथ ही पशुओं के दूध उत्पादन में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है।"

कितनी मात्रा में खिलाएं पशुओं को आहार संतुलित दाना मिश्रण

पशु के शरीर की देखभाल के लिए

गाय के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए दो किलो प्रतिदिन

दुधारू पशुओं के लिए

गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना

भैंस प्रत्येक दो लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना

गाभिन गाय या भैंस के लिए

छह महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को एक से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन फालतू देना चाहिए।

बछड़े या बछड़ियों के लिए

एक किलो से 2.5 किलो तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।

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सौ किलो संतुलित दाना बनाने की विधि

  • दाना (मक्का, जौ, गेंहू, बाजरा) इसकी मात्रा लगभग 35 प्रतिशत होनी चाहिए। चाहें बताए गए दाने मिलाकर 35 प्रतिशत हो या अकेला कोई एक ही प्रकार का दाना हो तो भी खुराक का 35 प्रतिशत दे।
  • खली(सरसों की खल, मूंगफली की खल, बिनौला की खल, अलसी की खल) की मात्रा लगभग 32 किलो होनी चाहिए। इनमें से कोई एक खली को दाने में मिला सकते है।
  • चोकर(गेंहू का चोकर, चना की चूरी, दालों की चूरी, राइस ब्रेन,) की मात्रा लगभग 35 किलो।
  • खनिज लवण की मात्रा लगभग 2 किलोनमक लगभग 1 किलो
  • इन सभी को लिखी हुई मात्रा के अनुसार मिलाकर अपने को पशु को खिला सकते है।

दाना मिश्रण के गुण व लाभ

  • गाय-भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।
  • पशुओं को स्वादिष्ट और पौष्टिक लगता है।
  • बहुत जल्दी पच जाता है।
  • खल, बिनौला या चने से सस्ता पड़ता हैं।
  • पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहता
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।
  • दूध और घी में भी बढ़ोत्तरी होती है।
  • भैंस ब्यांत नहीं मारती।

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दुधारू पशुओं के आहार संतुलित कैसे बनायें और खिलाएं,पशुपालको के लिए ये बात काफी मायने रखता है ।संतुलित आहार उस भोजन सामग्री को कहते हैं जो किसी विशेष पशु की 24 घन्टे की निर्धारित पौषाणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संतुलित राशन में कार्बोहार्इड्रेट, वसा ,प्रोटीन और खनिज लवण के आपसी विशेष अनुपात के लिए कहा गया है।

दुधारू पशुओं के आहार को सन्तुलित राशन में मिश्रण के विभिन पदार्थ की मात्रा मौसम और पशु भार तथा उसकी उत्पादन क्षमता के अनुसार रखी जाती है। एक राशन की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है ‘एक भैंस 24 घण्टे में जितना भोजन करती अन्तर्ग्रहण  है, वह राशन कहलाता है।’ पशुओं का राशन या तो संतुलित होगा या असंतुलित होगा। असंतुलित राशन वह होता है जोकि भैंस को 24 घण्टों में जितने पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है वह देने में असफल रहता है जबकि संतुलित राशन ‘ठीक’ भैंस को ‘ठीक’ समय पर ‘ठीक’ मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करता है। दुधारू पशुओं के आहार में प्रोटीन, कार्बोहार्इड्रेट, मिनरल्स तथा विटामिनों की मात्रा पशु की आवश्यकता अनुसार उचित मात्रा में रखी जाती है ।

चारे में प्रोटीन, कार्बोहार्इड्रेट, मिनरल्स तथा विटामिनों की छमता बढ़ाने तथा कमी पूरी करने के लिए ग्रोवेल एग्रोवेट का टॉनिक और दवा नियमित रूप से दें । ग्रोवेल एग्रोवेट अपनी प्रोडक्ट्स की गारंटी देतें हैं तथा ग्रोवेल एग्रोवेट का टॉनिक और दवा नियमित रूप से देने पर उत्पादकता में काम से काम 25% की बढ़ोतरी होती है और पशुओं रोग प्रतिरोधी छमता बढ़ती है और चारे पर भी खर्च काम आता है ।

भैंस को जो आहार खिलाया जाता है, उसमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि उसे जरूरत के अनुसार शुष्क पदार्थ, पाचक प्रोटीन तथा कुल पाचक तत्व उपलब्ध हो सकें। भैंस में शुष्क पदार्थ की खपत प्रतिदिन 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार होती है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि 400 किलोग्राम वजन की भैंस को रोजाना 10-12 किलोग्राम शुष्क पदार्थ की आवश्यकता पड़ती है। इस शुष्क पदार्थ को हम चारे और दाने में विभाजित करें तो शुष्क पदार्थ का लगभग एक तिहार्इ हिस्सा दाने के रूप में खिलाना चाहिए।

उत्पादन व अन्य आवश्यकताओं के अनुसार जब हम पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा निकालते हैं तो यह गणना काफी कठिन हो जाती है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि जो चारा पशु को खिलाया जाता है उसमें पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा ज्ञात करना किसान के लिए लगभग असंभव है। ऐसा इसलिए है कि पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा प्रत्येक चारे के लिए अलग होती है। यह चारे की उम्र/परिपक्वता के अनुसार बदल जाती है। अनेक बार उपलब्धता के आधार पर कर्इ प्रकार का चारा एक साथ मिलाकर खिलाना पड़ता है। किसान चारे को कभी भी तोलकर नहीं खिलाता है। इन परिस्थितियों में सबसे आसान तरीका यह है कि किसान द्वारा खिलाये जाने वाले चारे की गणना यह मान कर की जाये की पशु को चारा भरपेट मिलता रहे। अब पशु की जरूरत के अनुसार पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों में कमी की मात्रा को दाना मिश्रण देकर पूरा कर दिया जाता है। इस प्रकार भैंस को खिलाया गया आहार संतुलित हो जाता है।

दुधारू पशुओं के आहार संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें ?

पशुओं के दाना मिश्रण में काम आने वाले पदार्थों का नाम जान लेना ही काफी नही है। क्योंकि यह ज्ञान पशुओं का राशन परिकलन करने के लिए काफी नही है। एक पशुपालक को इस से प्राप्त होने वाले पाचक तत्वों जैसे कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी उर्जा का भी ज्ञान होना आवश्यक है। तभी भोज्य में पाये जाने वाले तत्वों के आधार पर संतुलित दाना मिश्रण बनाने में सहसयता मिल सकेगी। नीचे लिखे गये किसी भी एक तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है, परन्तु यह इस पर भी निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है।

1. मक्का/जौ/जर्इ 40 किलो मात्रा
बिनौले की खल 16 किलो
मूंगफली की खल 15 किलो
गेहूं की चोकर 25 किलो
मिनरल मिक्चर 02 किलो

2. जौ 30 किलो
सरसों की खल 25 किलो
बिनौले की खल 22 किलो
गेहूं की चोकर 20 किलो
मिनरल मिक्चर 02 किलो

3. मक्का या जौ 40 किलो मात्रा
मूंगफली की खल 20 किलो
दालों की चूरी 17 किलो
चावल की पालिश 20 किलो
मिनरल मिक्चर 02 किलो

4. गेहूं 32 किलो मात्रा
सरसों की खल 10 किलो
मूंगफली की खल 10 किलो
बिनौले की खल 10 किलो
दालों की चूरी 10 किलो
चौकर 25 किलो
मिनरल मिक्चर 02 किलो

5. गेहूं, जौ या बाजरा 20 किलो मात्रा
बिनौले की खल 27 किलो
दाने या चने की चूरी 5 किलो
बिनौला 15 किलो
आटे की चोकर 20 किलो
मिनरल मिक्चर 02 किलो

ऊपर दिया गया कोई भी संतुलित आहार भूसे के साथ सानी करके भी खिलाया जा सकता है। इसके साथ कम से कम 4-5 किलो हरा चारा देना आवश्यक है।

दुधारू पशुओं के आहार ,दाना मिश्रण के गुण व लाभ

• यह स्वादिष्ट व पौष्टिक है।
• ज्यादा पाचक है।
• अकेले खल, बिनौला या चने से यह सस्ता पड़ता हैं।
• पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है।
• बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।
• दूध व घी में भी बढौतरी करता है।
• भैंस ब्यांत नहीं मारती।
• भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।
• कटडे या कटड़ियों को जल्द यौवन प्रदान करता है।

दुधारू पशुओं के आहार संतुलित दाना मिश्रण कितना खिलायें

1. शरीर की देखभाल के लिए:
• गाय के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए 2 किलो प्रतिदिन

2. दुधारू पशुओं के लिए:
• गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना
• भैंस प्रत्येक 2 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना

3. गाभिन गाय या भैंस के लिए:
• 6 महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को 1 से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन फालतू देना चाहिए।

4. बछड़े या बछड़ियों के लिए:
• 1 किलो से 2.5 किलो तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।

5. बैलों के लिए:
• खेतों में काम करने वाले भैंसों के लिए 2 से 2.5 किलो प्रतिदिन
• बिना काम करने वाले बैलों के लिए 1 किलो प्रतिदिन।

नोट : जब हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो उपरलिखित कुल देय दाना 1/2 से 1 किलो तक घटाया जा सकता है।

चारे में आमतौर सबसे ज्यादा भूसे का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बहुत कम पौष्टिक तत्व होते हैं। पशु को सही पोषण मिले इसके लिए राइस ब्रैन, चोकर और चना दिया जाना ज़रूरी है। साथ ही हरे चारे को उसके आहार में जरूर शामिल करें जो कि सूखे चारे से ज्यादा अच्छा होता है। अच्छी नस्ल की मुर्रा भैंस या होल्सटीन फ्रीजियन गाय का वजन 450 से 500 किग्रा है। उसे अच्छी सेहत और पर्याप्त मात्रा में दूध उत्पादन के लिए हर 100 किग्रा भार पर 2.5 किग्रा सूखा चारा देने की जरूरत होती है। करीब 12.5 किग्रा पशु के एक दिन के आहार में शामिल होना चाहिए। इसमें सूखे और हरे चारे का अनुपात 50:50 फीसदी यानि बराबर होना चाहिए। जब पशु दूध के लिए तैयार हो रहा हो तो उसके संतुलित आहार में सूखा चारा, हरा चारा और दाना मिलाकर देना जरूरी है। जिसमें सूखा चारा 6.5 किग्रा, हरा चारा करीब 30 किग्रा और दाना एक किग्रा हर रोज देेना चाहिए। जब पशु दूध देने लायक हो जाए तो सूखा चारा और हरा चारा उतना ही रखें पर दाने को बढ़ा कर चार किलो और गर्भावस्था में दाना घटा कर दो किलो कर दें।

दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा

हरा चारा पशु चाव से खाते हैं। यह सूखे चारे की अपेक्षा जल्दी पचता है। दूध का उत्पादन बढ़ाता है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।

पशुओं के लिए आठ से 10 घंटे के अंतर पर चारा ज़रूरी

खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें। फलीदार सब्जी भी लाभकारी होती है। बरसीम, रिजका, ग्वार आदि सूखे चारे में मिला कर खिलाएं। इन फलियों को बिना चारे के खिलाने से पाचन क्रिया में गड़बडी और अफारा रोग होने की संभावना होती है। पशु एक दिन में 35 से 40 लीटर पानी पीता है। इसलिए साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। आहार में प्रोटीन पशुओं की बढ़त और अच्छी सेहत के लिए, कार्बोहाइडे्रट शक्ति देता है और शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। ये तन्दुरूस्ती व उचित प्रजनन के लिए जरूरी होता है। टूटे हुए गेहूं, ज्वार या बाजरे की दलिया को अच्छी तरह उबाल कर नमक, गुड़ या शीरे में मिलाकर खली, खनिज लवण के साथ देने से अच्छा उत्पादन मिल सकता है।

आईएसआई निर्धारित पशु आहार के मानक

  •  20-21 फीसदी प्रोटीन 
  • 2.5-3 फीसदी चिकनाई
  • 1 फीसदी कैल्शियम
  • 0.5 फीसदी फास्फोरस
  • 4 फीसदी सेड सिलिका
  • 12 फीसदी फाइबर
  • 3 फीसदी खनिज लवण
  • 5000 आईयू /केजी विटामिन ए /डी
  • 2.5-3 फीसदी चिकनाई
  • 1 फीसदी कैल्शियम
  • 0.5 फीसदी फास्फोरस
  • 4 फीसदी सेड सिलिका
  • 12 फीसदी फाइबर
  • 3 फीसदी खनिज लवण
  • 5000 आईयू /केजी विटामिन ए /डी

पशुपालन से सम्बंधित  कृपया आप इस लेख को भी पढ़ें ग्रोवेल का पशुपालन कैलेंडर

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Chelated Growmin Forte

चिलेटेड ग्रोमिन फोर्ट

Powerful Chelated Minerals Mixture for Cattle

Composition : Each 1 Kg. Contains:

Vitamin A : 8,00,000 IU

Vitamin D : 80,000 IU 3

Vitamin E : 600 mg

Nicotinamide : 1200 mg

Cobalt : 2200 mg

Copper : 4700 mg

Iodine : 600 mg

Iron : 2200 mg

Magnesium : 6500 mg

Manganese : 3300 mg

Potassium : 200 mg

Sodium : 40 mg

Sulphur : 0.95%

Zinc : 10000 mg

Calcium : 30%

Phosphorus : 15%

Indications & Benefits :

Cattle:

  • To overcome vitamins and minerals deficiency.
  • Keeps cattle healthy & improve carcass quality.
  • Improves fertility in male & female breeders
  • Overcome nutritional deficiencies.
  • Improves fat percentage in milk.
  • Improves growth rate.

Aqua:

  • Helps to develop immune response and defence mechanism.
  • Enriches pond water by developing plankton.
  • Optimizes FCR and maximises productivity.
  • Provides quality brood stock development.
  • Better digestibility and disease resistance.
  • Maintains pH of pond water.
  • Regulates osmoregulation.

Poultry :

  • To overcome vitamins and minerals deficiency.
  • Making feed more nutritious & powerful.
  • Overcome nutritional deficiencies.
  • Improves growth rate.

Dosages:

For Cattle:

Large Animals : 50 gm daily
Small Animals : 5-10 gm daily

Mix  1 kg in 100 kg of feed

For Aqua:

Mix 10 kg in One Ton of feed

For Poultry:

Mix  1 kg in 100 kg of feed.

Should be given daily for 7 to 10 days, every month or as recommended by veterinarian.

Packaging : 1 Kg. & 5 Kg.

Download Literature

 

Immune Booster

(Feed Premix)

इम्यून  बुस्टर प्री-मिक्स 

An Ultimate Immunity Builder & Minerals & Mixture  for Cattle 

Composition : Each 10 gm contains:

Vitamin – E : 35 mg

Selenium : 10 ppm

Glycine : 100 mg

Amla : 30 mg

Sodium Citrate : 25 mg

Potassium Chloride : 5 mg

Manganese Sulphate : 7.5 mg

Zinc Sulphate : 8.0 mg

Yeast Extract  : 35 mg

Vitamin B 12 : 3 mcg

In a base fortified with immunoactive polysaccharides

Indications & Benefits  :

  • For building resistance power against diseases and stress of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • To overcome speedy recovery from viral infection of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • Treatment of anoestrus due to nutritional deficiency of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • To increase conception rates after every AI.
  • To prevent ketosis in high yielding animals.
  • To combat lactation stress of cattle.
  • For general health and productivity of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • For optimum follicular growth of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • To prevent clinical and sub-clinical infection of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • Aiding in the recovery after surgical operations in , poultry & cattle.
  • For better weight & growth of fish , shrimp, poultry & cattle.
  • Enhance immunity & diseases resistance in fish , shrimp , poultry & cattle.

Dosage:

For Cattle:

Mix  1 kg in 100 kg of feed

Large Animals : 50 gm daily
Small Animals : 5-10 gm daily

For Aqua:

Mix 10 Kg in 1 Ton of feed

For Poultry:

Mix  1 kg in 100 kg of feed

Should be given daily for 7 to 10 days, every month or as recommended by veterinarian.

Packaging : 1 Kg. & 5 Kg.

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ज्यादा दूध देने के लिए गाय को क्या खिलाना चाहिए?

गेहूं का दलिया और चोकर बहुत ही उपयोगी हेता है। खली: सरसों और लाही, तिल, मूंगफली, अलसी तथा बिनौले आदि को खिलाने से दूध की मात्रा एवं पौष्टिकता में वृद्धि होती है।

गाय को मेथी खिलाने से क्या फायदा होता है?

वह आगे कहते हैं, "इससे खिलाने से पशुओं को काफी ऊर्जा भी मिलती है। इसके सेवन से पशु के ब्याने के बाद 60 से 75 दिन के अंदर फिर उसमें हीट के लक्षण दिखने लगते है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसके प्रयोग से किसानों को काफी फायदा हुआ है।"

गाय को हल्दी खिलाने से क्या फायदा होता है?

हल्दी युक्त बाजरे की रोटी एवं आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाने से गायों में इम्युनिटी बढ़ती है। इससे वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। फिटकरी एवं फिनाइल युक्त पानी के छिड़काव से बैक्टीरिया समाप्त हाे जाता है।

गाय को क्या नहीं खिलाना चाहिए?

गाय को हमेशा पहली रोटी खिलानी चाहिए. उत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए यदि आप रोटी में घी और गुड़ लगाकर गाय को खिलाना चाहिए.

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