सामान्य हिन्दी 9. शब्द–ज्ञान 1. पर्यायवाची शब्द जो शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हैँ, वे पर्यायवाची शब्द कहलाते हैँ। हिन्दी भाषा मेँ प्रयुक्त होने वाले सभी शब्द अपना स्वतंत्र अर्थ रखते हैँ तथा कोई भी शब्द पूरी तरह से दूसरे शब्द का पर्याय नहीँ होता, फिर भी कुछ समानताओँ के आधार पर इन्हेँ पर्यायवाची मान लिया जाता है। परन्तु स्मरणीय बात यह है कि अर्थ मेँ समानता होते हुए भी पर्यायवाची शब्द प्रयोग मेँ सर्वथा एक–दूसरे का स्थान नहीँ ले सकते। जैसे– मृतात्माओँ के तर्पण के लिए जल शब्द का प्रयोग उपयुक्त है, पानी का नहीँ। प्रत्येक पर्यायवाची शब्द का वाक्य प्रयोग के अनुसार ही उचित अर्थ बैठता है। अतः भावानुसार इन शब्दोँ का प्रयोग करना चाहिए। पर्यायवाची शब्द गद्य या पद्य साहित्य को पुनरुक्ति दोष से ग्रसित होने से बचाते हैँ। महत्त्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द– 2. विलोम शब्द जो शब्द परस्पर विपरीत या विरोधी अर्थ प्रकट करते हैँ, उन्हेँ विलोम शब्द या विपरीतार्थक अथवा प्रतिलोम शब्द कहते हैँ। विलोम शब्दोँ के लिए निम्नलिखित बातेँ ध्यान मेँ रखनी चाहिए
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महत्त्वपूर्ण विलोम शब्द : 3. युग्म–शब्द प्रत्येक भाषा मेँ कई शब्द ऐसे होते हैँ, जिनके उच्चारण और वर्तनी मेँ बहुत कम भिन्नता होती है, परन्तु अर्थ की दृष्टि से वे बिल्कुल भिन्न होते हैँ। ऐसे शब्दोँ को युग्म–शब्द कहते हैँ। इस प्रकार के शब्द–युग्मोँ के ज्ञान के अभाव मेँ अर्थ का अनर्थ हो सकता है अतः उच्चारण और लेखन मेँ इनका ज्ञान अनिवार्य है। ♦ महत्त्वपूर्ण युग्म–शब्द : 4. एकार्थक शब्द बहुत से शब्द ऐसे हैँ, जिनका अर्थ देखने और सुनने मेँ एक–सा लगता है, परन्तु वे समानार्थी नहीँ होते हैँ। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि उनमेँ कुछ अन्तर भी है। इनके प्रयोग मेँ भूल न हो इसके लिए इनकी अर्थ–भिन्नता को जानना आवश्यक है। ♦ समानार्थी प्रतीत होने वाले भिन्नार्थी शब्द : 5. अनेकार्थक शब्द ♦ अनेकार्थक शब्द – ♦ प्रमुख अनेकार्थक शब्द : 6. पशु–पक्षियों की बोलियाँ पशु/पक्षी — बोली 7. कुछ जड़ पदार्थों की विशेष ध्वनियाँ या क्रियाएँ पदार्थ — क्रियाएँ ♦♦♦ « पीछे जायेँ | आगे पढेँ » • सामान्य हिन्दी प्रस्तुति:– |