हीलियम की संयोजकता शून्य क्यों होती है? - heeliyam kee sanyojakata shoony kyon hotee hai?

प्रश्न है हिलियम नियॉन और आर्गन की संयोजकता 0 क्यों होती है तो क्या पूछा गया कि हिलियम नियॉन और आर्गन तत्व की संयोजकता 0 क्यों होती है तो हमें इसके लिए बताने हिलियम नियॉन और आर्गन तीनों ही आखिरी एक ऐसे अर्थात उत्कृष्ट गैस का मुख्य तत्व है ठीक है हीलियम का प्रतीक जी ऐसी है जिसका प्रतीक सीएनजी है आर्गन जीत का प्रतीक जी आर है ठीक है अब हम यहां पर देखेंगे कि हीलियम का परमाणु क्रमांक कितना होता है दोस्तों दो लियोन का परमाणु क्रमांक 10 और आर्गन का परमाणु क्रमांक 18 ठीक है 88 अक्रिय गैसों का तत्व जब इस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करते हैं तो इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास करेंगे तो दो इलेक्ट्रॉन पहले कक्षक में न्यू ऑन कर दो और 8 और आर्गन का 28 और आदित्य के इस प्रकार सिलेक्टेड भरे होते हैं

तो यहां पर पूछे जा रहे किस की संयोजकता सुनने की होती है तो इसके संयोजक उसके में इलेक्ट्रॉनों की संख्या यदि देखें ठीक है पूर्ण रूप से भरा हुआ है ठीक है संयोजी इलेक्ट्रॉन संयोजी इलेक्ट्रॉन ठीक है यह भी इसके संयोजी इलेक्ट्रॉन है तो संयोजक कोष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है तो सीनियर एकमात्र संयोजकता को उसमें दो इलेक्ट्रॉन है जबकि आर्गन और नियम के संयोजक उस ओवर 8 लख तूने ठीक है तू क्यों किन तत्वों के संयोजक ई कोष में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या उपस्थित है इसलिए इसमें अन्य तत्वों की से सहयोग करने की कोई प्रवृत्ति नहीं कोई शंका नहीं अर्थात या अन्य किसी तत्वों से ना तो इलेक्ट्रॉन देता है ना ही लग तो लेता है नहीं इलेक्ट्रॉन साझा करता है ट्रेन की संयोजकता कितनी होगी सुनने होगी ठीक है संयोजकता सुनने है क्योंकि इनके संयोजक हो चुकी इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉनों की संख्या पूर्ण

रूप से भरी हुई है ठीक है यही कारण है इसका तो संयोजकता शुरू होने का धन्यवाद


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हीलियम की संयोजकता शून्य होती ...

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लिखित उत्तर

Answer :  True

Solution : Helium possesses stable duplet configuration with 2 electrons in the first shell. Hence, its valency is zero.

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हिलियम / Helium
रासायनिक तत्व

नमूना

रासायनिक चिन्ह: He
परमाणु संख्या: 2
रासायनिक शृंखला: निष्क्रिय गैसें

आवर्त सारणी में स्थिति

इलेक्ट्रॉनिक ढांचा

अन्य भाषाओं में नाम: Helium (अंग्रेज़ी)

शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब

हिलियम (अंग्रेज़ी: Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये।

हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें. और गलनांक -२७२ डिग्री से. है। इसके दो स्थायी समस्थानिक He3, परमाण्विक द्रव्यमान ३.०१७० और He4, परमाण्विक द्रव्यमान ४.००३९ और दो अस्थायी समस्थानिक He5, परमाण्विक द्रव्यमान ५.०१३७ और रेडियोएक्टिव He6, परमाण्विक द्रव्यमान ६.०२८ पाए गए हैं।

खोज एवं प्राप्ति[संपादित करें]

१८६८ ई. में सूर्य के सर्वग्रास ग्रहण के अवसर पर सूर्य के वर्णमंडल के स्पेक्ट्रम में एक पीली रेखा देखी थी जो सोडियम की पीली रेखा से भिन्न थी। जानसेन ने इस रेखा का नाम डी3 रखा और सर जे. नार्मन लॉकयर इस परिणाम पर पहुँचे कि यह रेखा किसी ऐसे तत्व की है जो पृथ्वी पर नहीं पाया जाता। उन्होंने ही हीलियम (ग्रीक शब्द, शब्दार्थ सूर्य) के नाम पर इसका नाम हीलियम रखा। १८९४ ई. में सर विलियम रामजेम ने क्लीवाइट नामक खनिज से निकली गैस की परीक्षा से सिद्ध किया कि यह गैस पृथ्वी पर भी पाई जाती है। क्लीवाइट को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गरम करने और पीछे क्वीवाइट को निर्वात में गरम करने से इस गैस को प्राप्त किया था। ऐसी गैस में २० प्रतिशत नाइट्रोजन था। नाइट्रोजन के निकाल लेने पर गैस के स्पेक्ट्रम परीक्षण से स्पेक्ट्रम में डी3 रेखा मिली। पीछे पता लगा कि कुछ उल्कालोह में भी यह गैस विद्यमान थी। रामजे और टैवर्स ने इस गैस को बड़े परिश्रम और बड़ी सूक्ष्मता से परीक्षा कर देखा कि यह गैस वायुमंडल में भी रहता है। रामजे और फ्रेडेरिक सॉडी ने रेडियोऐक्टिव पदार्थों के स्वत:विघटन से प्राप्त उत्पाद में भी इस गैस को पाया। वायुमंडल में बड़ी अल्प मत्रा (१८,६०० में एक भाग), कुछ अन्य खनिजों, जैसे बोगेराइट और मोनेजाइट से निकली गैसों में यह पाया गया। मोनोज़ाइट के प्रति एक ग्राम में १ घन सेमी गैस पाई जाती है। पेट्रोलियम कूपों से निकली प्राकृतिक गैस में इसकी मात्रा १ प्रतिशत से लेकर ८ प्रतिशत तक पाई गई है।

उत्पादन[संपादित करें]

प्राकृतिक गैसों के धोने से कार्बन डाइआक्साइड और अन्य अम्लीय गैसें निकल जती हैं। धोने में मोनाइथेनोलेमिन और ग्लाइकोल मिला हुआ जल प्रयुक्त होता है। धोने के बाद गैस को सूखाकर उसे ग्र्क़ से ३०० डिग्री ताप तक ठंढा करते हैं। उस ताप पर प्रति वर्ग इंच ६०० पाउंड से अधिक दबाव डालते हैं। इससे हीलियम और कुछ नाइट्रोजन को छोड़कर अन्य सब गैसें तरलीभूत हो जाती हैं। अब हीलियम (५० प्रतिशत) और नाइट्रोजन (५०%) का मिश्रण बच जाता है। इसे और ठंडा कर प्रति वर्ग इंच २,५०० पाउंड दबाव से दबाते हैं जिससे अधिकांश नाइट्रोजन तरलीभूत हो जाता है और हीलियम की मात्रा ९८.२% तक पहुँच जाती है। यदि इससे अधिक शुद्ध हीलियम प्राप्त करना हो तो सक्रियकृत नारियल के कोयले को द्रव नाइट्रोजन के ऊष्मक में रखकर उसके द्वारा हीलियम को पारित करते हैं जिससे केवल लेशमात्र अपद्रव्यवाला हीलियम प्राप्त होता है।

गुणधर्म[संपादित करें]

वर्णरहित, गंधहीन और स्वादहीन गैस है। तापध्वनि और विद्युत का सुचालक है। जल में अल्प विलेय है। अन्य विलायकों में अधिक घुलता है। इसका तरलन हुआ है। द्रव हीलियम दो रूपों में पाया गया है। इसका घनत्व ०.१२२ है। इसका ठोसीकरण भी हुआ है। तरल द्रव के १४० वायुमंडल दबाव पर २७२ डिग्री से. पर कीसम ने १९२६ ई. में ठोस हीलियम प्राप्त किया था। इसकी गैस में केवल एक परमाणु रहता है। इसकी विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात ४ : १.६६७ है। किसी भी तत्व के साथ यह कोई यौगिक नहीं बनता। इसकी संयोजकता शून्य है। आवर्तसारणी में इसका स्थान प्रथम समूह के प्रबल विद्युत् धनीय तत्वों और सप्तम समूह के प्रबल विद्युत् ऋणीय तत्वों के बीच है।

उपयोग[संपादित करें]

वायु पोतों में हीलियम का प्रयोग होता है

वायु पोतों (airships) में हाइड्रोजन के स्थान में अब हीलियम का प्रयोग होता है यद्यपि हाइड्रोजन की तुलना में इसकी उत्थापक क्षमता ९२.६ प्रतिशत ही है पर हाइड्रोजन के ज्वलनशील होने और वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनने के कारण अब हीलियम का ही उपयोग हो रहा है। मौसम का पता लगाने के लिए बैलूनों में भी हीलियम गैस का आज उपयोग होता है। हल्की धातुओं के जोड़ने और अन्य धातु कर्म संबंधी उपचारों में निष्क्रिय वायुमंडल के लिए हीलियम काम में आ रहा है। औषधियों में भी विशेषत: दमे और अन्य श्वसन रोगों में आक्सीजन के साथ मिलाकर कृत्रिम श्वसन में हीलियम का उपयोग बढ़ रहा है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठंड करने के लिए किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठंड करने के लिए।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • अक्रिय गैस
  • द्रव हिलियम

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • The Periodic Table of Videos - Helium
  • US Government' Bureau of Land Management: Sources, Refinement, and Shortage. With some History of Helium.
  • U.S. Geological Survey Publicationson Helium beginning 1996
  • It's Elemental – Helium
विस्तृत जानकारी
  • Helium at the Helsinki University of Technology; includes pressure-temperature phase diagrams for helium-3 and helium-4
  • Lancaster University, Ultra Low Temperature Physics - includes a summary of some low temperature techniques
विविध
  • Physics in Speech with audio samples that demonstrate the unchanged voice pitch
  • Article about helium and other noble gases
  • Ebyte article on helium scarcity and potential effects on NMR and MRI communities

हीलियम की संयोजकता शून्य होती है क्यों?

Solution : हीलियम के एकमात्र संयोजकता कोश में दो इलेक्ट्रॉन हैं, जबकि आर्गन और निऑन के संयोजकता कोशों में 8 इलेक्ट्रॉन हैं, क्योंकि इन तत्वों के संयोजकता कोशों में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या उपस्थित है, इनमें अन्य तत्वों से संयोग करने की कोई प्रवृत्ति नहीं होती है। अतः इनकी संयोजकता शून्य होती है।

हीलियम की संयोजकता क्या होगी?

अतः यह एक इलेक्ट्रॉन का त्याग कर सकते हैं। इसलिए उनकी संयोजकता एक (1) कही जाती है।

किसकी संयोजकता 0 नहीं होती है?

सही उत्तर हीलियम है।

संयोजकता से क्या तात्पर्य है?

दूसरे शब्दों में, संयोजकता एक संख्या है जो यह प्रदर्शित करती है कि जब कोई परमाणु कितने इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है, या खोता है या साझा करता है जब वह अपने ही तत्व के परमाणु से या किसी अन्य तत्व के परमाणु से बन्धन बनाता है।

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