गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 11th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् chhand Prakaran छंद प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Sanskrit व्याकरणम् छंद प्रकरण

छन्द

संस्कृत साहित्य में श्लोकों के लेखन एवं उच्चारण में वर्णों की एक निश्चित व्यवस्था की गई है। इस निश्चित व्यवस्था को ‘छन्द’ या ‘वृत्त’ कहते हैं।

परिभाषा-पद्य लिखते समय वर्णों की एक निश्चित व्यवस्था रखनी पड़ती है। इस व्यवस्था को ही ‘छन्द’ या ‘वृत्त’ कहते हैं। छन्द में ‘यति’, ‘गति’ इत्यादि के भी विशेष नियम होते हैं। गद्य सामान्य बोलचाल की भाषा के अनुसार होता है, जबकि पद्य में गति, लय और यति (विराम) का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे भाषा में ‘गेयता’ आ जाती है अर्थात् छन्दोबद्ध वाक्य गाने के योग्य हो जाता है। यह गेयता लाने के लिए स्वरों अथवा वर्गों में सीमा-बन्धन करना पड़ता है। इस प्रकार कुछ विशेष नियमों में बद्ध (छन्दयुक्त) रचना को ही पद्य कहते हैं।

भेद:
सामान्यतः छन्द दो प्रकार के होते हैं

  1. वर्णिक छन्द वर्णिक छन्दों में प्रत्येक पाद में वर्गों की संख्या निश्चित होती है, जैसा कि ‘वर्णिक’ शब्द से ही स्पष्ट है; जैसे–इन्द्रवज्रा छन्द।
  2. मात्रिक छन्द-मात्रिक (जाति) छन्दों के प्रत्येक पाद में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है; जैसे-आर्या छन्द। चरण-प्रत्येक श्लोक में चार चरण (पाद या भाग) होते हैं। छन्द के चौथे भाग को चरण कहते हैं।

मात्राएँ गिनने की विधि-मात्राओं की गणना करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि ह्रस्व की एक मात्रा और दीर्घ की दो मात्राएँ होती हैं, परन्तु यदि किसी ह्रस्व से परे संयुक्त व्यंजन हो तो उस ह्रस्व को भी दीर्घ माना जाता है और उसकी भी दो मात्राएँ होती हैं।

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गुरु तथा लघु-व्यवस्था
गुरु-अनुस्वारयुक्त (जैसे-क), विसर्गयुक्त (जैसे कः) तथा आ, ई, ऊ, ऋ, लु, ए, ऐ, ओ, औ गुरु (दीघ) होते हैं एवं संयुक्त वर्ण से पूर्व का वर्ण (जैसे-अङ्ग का ‘अ’) ह्रस्व होता हुआ भी दीर्घ माना जाता है और पद के अन्त वाला वर्ण भी गुरु होता है, जैसा कि ‘छन्दोमञ्जरी’ में इसकी व्यवस्था दी गई है-

सानुस्वारश्च दीर्घश्च विसर्गो च गुरुर्भवेत्।
वर्णः संयोगपूर्वश्च तथा पादान्तगोऽपि वा ॥

लघु इनके अतिरिक्त सभी वर्ण अ, इ, उ, ऋ, लु इत्यादि लघु (ह्रस्व) होते हैं।
गुरु का चिह्न ‘ड’ तथा लघु का चिह्न ।’ लगाया जाता है।

गण तथा गण-चिह्न छन्द में मात्राएँ गिनने के लिए तीन-तीन वर्णों का एक-एक गण बनाया जाता है। ये आठ गण निम्नलिखित हैं

  1. यगण – । ऽ ऽ
  2. मगण – ऽ ऽ ऽ
  3. तगण – ऽ ऽ ।
  4. रगण – ऽ । ऽ
  5. जगण – । ऽ ।
  6. भगण – ऽ । ।
  7. नगण – ऽ । ।
  8. सगण – । । ऽ

भगण आदि गुरु, जगण मध्य गुरु तथा सगण अन्त गुरु होते हैं। यगण आदि लघु, रगण मध्य लघु और तगण अन्त लघु होते हैं। मगण में गुरु और नगण में सभी वर्ण लघु होते हैं। जैसा कि ‘छन्दोमञ्जरी’ में कहा गया है कि

आदिमध्यावसानेषु भजसा यान्ति गौरवम्।
यरता लाघवं यान्ति मनौ तु गुरुलाघवम् ॥

इन गणों को समझने के लिए यह सूत्र याद रखना चाहिए-“यमाताराजभानसलगा”। इसके एक-एक वर्ण से एक-एक गण बनता है। इसमें पहले वर्ण के साथ अगले दो वर्गों को मिलाने से वह गण बन जाता है

‘य’ के साथ ‘मा’, ‘ता’ को मिलाने से ‘यमाता’ यगण । ऽ ऽ
‘मा’ के साथ ‘ता’, ‘रा’ को मिलाने से ‘मातारा’ मगण ऽ ऽ ऽ
‘ता’ के साथ ‘रा’, ‘ज’ को मिलाने से ‘ताराज’ तगण ऽ ऽ ।
‘रा’ के साथ ‘ज’, ‘भा’ को मिलाने से ‘राजभा’ रगण ऽ । ऽ
‘ज’ के साथ ‘भा’, ‘न’ को मिलाने से ‘भगण’ जगण । । ।
‘भा’ के साथ ‘न’, ‘स’ को मिलाने से ‘भानस’ भगण ऽ । ।
‘न’ के साथ ‘स’, ‘ल’ को मिलाने से ‘नसल’ नगण । । ।
‘स’ के साथ ‘ल’, ‘गा’ को मिलाने से ‘सलगा’ सगण । । ऽ

इस प्रकार उपर्युक्त सूत्र को याद करने से इन सभी गणों को उचित प्रकार समझा जा सकता है।

यति-विराम या रुकने को यति कहते हैं। छन्द पढ़ते समय छन्द के अनुसार जहाँ विराम होता है, वहाँ ‘यति’ होती है। यति के कारण स्वर में प्रवाह आता है और अर्थ को समझने में सुविधा रहती है।

वृत्त के भेद प्रायः प्रत्येक श्लोक के चार भाग होते हैं, जो पाद या चरण कहलाते हैं। जिस वृत्त के चारों चरणों में बराबर वर्ण हों, वह समवृत्त कहलाता है। जिस वृत्त के प्रथम एवं तृतीय तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण वर्णों की दृष्टि से समान हों, वह अर्द्ध समवृत्त होता है। जिस वृत्त के चारों चरणों में वर्गों की संख्या समान न हो, वह विषम वृत्त कहलाता है।

1. अनुष्टुप् (आठ वर्णों वाला समवृत्त)

लक्षण-श्लोके षष्ठं गुरुज्ञेयं सर्वत्र लघु पञ्चमम् ।
द्विचतुष्पादयोः ह्रस्वं सप्तमं दीर्घमन्ययोः॥

अर्थात् अनुष्टुप् (श्लोक) छन्द के प्रत्येक चरण में पाँचवाँ वर्ण लघु और छठा गुरु होता है। सातवाँ वर्ण दूसरे और चौथे चरणों में लघु होता है, किन्तु अन्य अर्थात् पहले और तीसरे चरणों में गुरु होता है। शेष वर्गों के लिए कोई नियम नहीं है, वे दीर्घ या ह्रस्व हो सकते हैं।

उदाहरण 1.
यगण जगण
। ऽ ऽ । ऽ ।
अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्।
। ऽ ऽ । ऽ ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥

उदाहरण 2.
यगण जगण
। ऽ ऽ । ऽ ।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
। ऽ ऽ । ऽ ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

उदाहरण 3.
ययातेरिव शर्मिष्ठा भर्तुर्बहुमता भव।
सुतं त्वमपि सम्राजं सेव पूरुमवाप्नुहि ॥

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

2. इन्द्रवज्रा:
(त त ज ग ग ग्यारह वर्णों वाला समवृत्त)
लक्षण-स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः। अर्थात् जिस छन्द के प्रत्येक पाद में दो तगण, जगण और दो गुरु हों, उसे इन्द्रवज्रा छन्द कहते हैं।

उदाहरण 1.
तगण तगण जगण दो गुरु
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
अर्थो हि कन्या परकीय एव
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
तामद्य सप्रेष्य परिग्रहीतुः।
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
जातो ममायं विशदः प्रकामम्
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा॥

उदाहरण 2.
तगण तगण जगण दो गुरु
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
स्वर्गच्युतानामिह जीवलोके
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे।
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
देवार्चनं पण्डिततर्पणञ्च ॥

3. उपेन्द्रवजा:
(ज त ज ग ग ग्यारह वर्णों वाला समवृत्त)
लक्षण-उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ।। अर्थात् जिस छन्द के प्रत्येक पाद में क्रमशः जगण, तगण, जगण और दो गुरु होते हों, उसे उपेन्द्रवज्रा छन्द कहते हैं।

उदाहरण 1.
जगण तगण जगण दो गुरु
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

उदाहरण 2.
जगण तगण जगण दो गुरु ।
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
पिता सखायो गुरवः स्त्रियश्च,
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
न निर्गुणानां हि भवन्ति लोके।
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
अनन्यभक्ताः प्रिय वादिनश्च,
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
हिताश्च वश्याश्च भवन्ति राजन् ॥

4. उपजातिः
(ग्यारह वर्णों वाला समवृत्त)
लक्षण-अनन्तरोदीरितलक्ष्मभाजौ पादौ यदीयावुपजातयस्ताः।
इत्थं किलान्यास्वपि मिश्रितासु स्मरन्ति जातिष्विदमेव नाम॥ अर्थात् जिस पद्य के चरणों में ‘इन्द्रवज्रा’ और ‘उपेन्द्रवज्रा’, दोनों छन्दों का मिश्रण हो और जिसके प्रत्येक चरण में ग्यारह वर्ण हों, उसे उपजाति छन्द कहते हैं।

उदाहरण:
तगण तगण जगण गुरु
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा (इन्द्रवज्रा)
जगण तगण जगण दो गुरु
। ऽ । ऽ ऽ । ऽ । ऽ ऽ
हिमालयो नाम नगाधिराजः। (उपेन्द्रवज्रा).
तगण तग़ण जगण गुरु
ऽ ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
पूर्वापरौ तोयनिधी वगाह्य (इन्द्रवज्रा)
जगण तगण जगण गुरु
। ऽ । ऽ ऽ । । ऽ । ऽ ऽ
स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः ॥ (उपेन्द्रवज्रा)

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

5. मालिनी:
(न न म य य पन्द्रह वर्णों वाला समवृत्त)

लक्षण-ननमयययुतेयं मालिनी भोगिलोकैः
अर्थात् जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः दो नगण, मगण तथा दो यगण हों और पन्द्रह वर्ण हों, वह मालिनी छन्द कहलाता है। इसमें आठवें और पन्द्रहवें वर्ण के बाद यति होती है।

उदाहरण:
नगण नगण मगण यगण यगण
। । । । । । ऽ ऽ ऽ । ऽ ऽ । ऽ ऽ
सरसिजमनुविद्धं शैवलेनापि रम्यं,
। । । । । । ऽ ऽ ऽ । ऽ ऽ । ऽ ऽ
मलिनमपि हिमांशोर्लक्ष्म लक्ष्मी तनोति।
। । । । । । ऽ ऽ ऽ । ऽ ऽ । ऽ ऽ
इयमधिकमनोज्ञा वल्कलेनापि तन्वी,
। । । । । । ऽ ऽ ऽ । ऽ ऽ । ऽ ऽ
किमिव हि मधुराणां मण्डनं नाकृतीनाम्।

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 6 Lines and Angles Important Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Important Questions Chapter 6 Lines and Angles

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Find the complement of the following angles :
(i) 64° 23′ 35″
(ii) 28° 25′ 48″.
Solution :
We can write,
90° = 89° 59′ 60″
(i) Complement of 64° 23′ 35″ = An angle of (90° – 64° 23′ 35″) = An angle of 25° 36′ 25″.
(ii) Complement of 28° 25′ 48″ = An angle of (90°- 28 °25′ 48″) = An angle of 61° 34′ 12″.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 2.
Find the measures of suppliment of the following angles :
(i) 115° 35′ 42″
(ii) 85° 15′ 59″.
Solution :
We can write,
180° = 179° 59′ 60″
(i) Supplement of 115° 35′ 42″ = An angle of (180° – 115°35′ 42″) = An angle of 64° 24′ 18″.
(ii) Suppliment of 85° 15′ 59″ = An angle of (180° – 85° 15′ 59”) = An angle of 94° 44′ 01″.

Question 3.
Find the measure of an angle which is 34° more than its complement.
Solution :
Let the complement of an angle be x° then
measure of an angle = (x + 34)°
We know that,
sum of an angle and its complement = 90°
∴ x° + (x + 34)° = 90°
⇒ 2x° + 34° = 90°
⇒ 2x° = 90° – 34°
⇒ 2x° = 56°
⇒ x° = \(\frac {56°}{2}\) = 28°
Hence,measure of an angle
= 28° + 34° = 62°.

Question 4.
Find the measure of an angle which is 26° less than its supplement.
Solution :
Let the supplement of an angle be x°
Then measure of an angle = (x – 26)°
We know that,
Sum of an angle and its supplement = 180°
∴ x° + (x – 26)° = 180°
⇒ 2x° – 26° = 180°
⇒ 2x° = 180° + 26°
⇒ 2x° = 206°
⇒ x° = \(\frac {206°}{2}\) = 103°
Hence measure of an angle = 103° – 26° = 77°.

Question 5.
Find the angle, which is 18° less than five times its complement.
Solution :
Let the complement angle be x°
Five times of complement angle = 5x°
Then angle = (5x – 18)°
We know that, Sum of an angle and its complement = 90°
∴ (5x – 18)° + x° = 90°
⇒ 6x° – 18° = 90°
⇒ 6x° = 90° + 18°
⇒ 6x° = 108°
⇒ x° = \(\frac {108°}{6}\) = 18°
Hence,measure of angle
= 5 × 18° – 18°
= 90° – 18° = 72°.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 6.
Find the angle, which is four times its supplement
Solution :
Let the supplement angle be x°.
Then angle = 4x°
We know that, Sum of an angle and its suppliment = 180°
∴ 4x° + x° = 180°
⇒ 5x° = 180°
⇒ x° = \(\frac {180°}{5}\) = 18°
Hence,measure of the angle
= 4 × 36° = 144°.

Question 7.
Find the measure of an angle whose supplement is three times of its complement.
Solution :
Let the angle be x°, then Supplement of an angle = (180 – x)°
Compliment of an angle = (90 – x)°
According to question,
(180 – x)° = 3(90 – x)°
⇒ 180° – x° = 270° – 3x°
⇒ – x° + 8x° = 270° – 180°
⇒ 2x° = 90°
⇒ x° = \(\frac {90°}{2}\) = 45°
Hence, the measure of the angle = 45°

Question 8.
Find the measure of an angle, if five times its complement is equal to two times of its supplement.
Solution :
Let the angle be x°, then
Complement of an angle = (90 – x)°
Supplement of an angle = (180 – x)°
According to question,
5(90 – x)° = 2(180 – x)°
⇒ 450° – 5x° = 360° – 2x°
⇒ – 5x° + 2x° = 360° – 450°.
⇒ – 3x° = – 90°
⇒ x° = \(\frac {-90°}{- 3}\) = 30°
Hence the measure of the angle = 30°.

Short Answer Type Questions

Question 1.
One of two complementary angles is seven-eighth as large as the other. How many degree are in each angle?
Solution :
Let the other complementary angle be x°.
One complimentary angle = \(\frac {7}{8}\)x°
We know that, Sum of two complementary angles = 90°

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Hence, other complementary angle = 48° and one complementary angle = \(\frac {7}{8}\) × 48° = 42°.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 2.
In the figure, AC and BC are opposite rays. If 2x – 3y = 60°, then find the values of x and y.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since, AC and BC are opposite rays. Therefore, ∠ACD + ∠BCD = 180°,
(Linear pair axiom)
⇒ x + y = 180° …(i)
2x – 3y = 60° (Given) …(ii)
Multiplying equation (i) by 3 and adding equation (i) and (ii), we get
गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

⇒ x = \(\frac {600°}{5}\) = 120°
Substituting the value of x in the equation (i), we get
120° + y = 180°
⇒ y = 180° – 120° = 60°
Hence, x = 120° and y = 60°

Question 3.
In figure, BCA is a line. Find the value of x.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since, BCA is a line. Therefore ∠BCD + ∠ACD = 180°,
(Linear pair axiom)
⇒ ∠BCD + ∠DCE + ∠ACE = 180°,
[∵ ∠ACD = ∠DCE + ∠ACE]
⇒ 2x° + (2x° + 30)° + x° = 180°
⇒ 5x° + 30° = 180°
⇒ 5x° = 180° – 30°
⇒ 5x° = 150°
⇒ x° = \(\frac {150°}{5}\) = 30°
Hence, x° = 30°

Question 4.
In figure, PQR is a line. If a : b : c = 2 : 3 : 5, find the values of a, b and c.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since, PQR is a line. Therefore ∠PQM + ∠RQM = 180°, (Linear pair axiom)
⇒ ∠PQM + ∠MQS + ∠RQS = 180°,
[∵ ∠RQM = ∠MQS + ∠RQS]
⇒ a + c + b = 180°
But a : b : c = 2 : 3 : 5
Sum of ratios = 2 + 3 + 5 = 10
∴ a = \(\frac {2}{10}\) × 180° = 36°
b = \(\frac {3}{10}\) × 180° = 54°
and c = \(\frac {5}{10}\) × 180° = 90°
Hence, a = 36°, b = 54 and c = 90°.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 5.
In figure, three straight lines AB, CD and EF intersect at a point o forming the angles as shown. Find the values of x, y, z and r.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution:
y = 60°, (Vertically opposite angles)
r = 90° (Vertically opposite angles)
Since, AOB is a line.
∠AOE + ∠BOE = 180°
(Linear pair axiom)
⇒ ∠AOD + ∠DOE + ∠BOE = 180°
⇒ y + x + 90° = 180°
⇒ 60° + x + 90° = 180°
⇒ x + 150° = 180°
⇒ x = 180° – 150°= 30°
z = x
(Vertically opposite angles)
⇒ z = 30°
Hence,
x = 30°, y = 60°,
z = 30°, r = 90°.

Question 6.
In the figure , AB || CD, PQ || AX and ∠BAC = 70°, find ∠DPQ

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
∵ AB || CD and AX is a transversal
∴ ∠BAC + ∠ACD = 180°,
(Sum of a pair of allied angles is 180°)
⇒ 70° + ∠ACD = 180°,(∵ ∠BAC = 70°)
⇒ ∠ACD = 180° – 70°
⇒ ∠ACD = 110°
Now PQ || AX and CD is a transversal.
∠DPQ = ∠ACD, (Corresponding angles axiom)
⇒ ∠DPQ = 110°
Hence, ∠DPQ = 110°

Question 7.
In the figure, AB || CD aud m || n, find the value of x.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
∠QPR = 3x,
(Vertically opposite angles)
∵ AB || CD and line m is a transversal.
∴ ∠QPR + ∠PRS = 180°,
(A pair of allied angles is supplementary)
⇒ 3x + ∠PRS = 180°
⇒ ∠PRS = 180° – 3x ……(i)
Now, m || n and line CD is a transversal.
∠PRS = ∠QSD,
(Corresponding angles axiom)
⇒ 180° – 3x = 2x + 5°, [From (i), ∠PRS = 180° – 3x and ∠QSD = 2x + 5°]
⇒ 180° – 5° = 2x + 3x
⇒ 175° = 5x
⇒ \(\frac {175°}{5}\) = x
⇒ x = 35°
Hence, x = 35°

Question 8.
In the figure, AB || CD, find the value of x.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
From E, draw EF || AB || CD.
Now, AB || EF and AE is the transversal.
∴ ∠BAE + ∠AEF = 180°
(A pair of allied angles are supplementary)
⇒ 110° + ∠AEC + ∠CEF = 180°
⇒ 110° + 25° + ∠CEF = 180°
⇒ 135° + ∠CEF = 180°
⇒ ∠CEF = 180° – 135°
⇒ ∠CEF = 45°
Again CD || EF and CE is the transversal.
∴ ∠DCE + ∠CEF = 180°,
(A pair of allied angles is supplementary)
⇒ x + 45° = 180°
⇒ x = 180° – 45°
⇒ x = 135°
Hence, x = 135°

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 9.
In the figure, AB || DE and x = y, prove that BC || EF.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since AB || DE and BC is the transversal.
Therefore, ∠DOC = ∠ABC,
(Corresponding angles axiom)
⇒ ∠DOC = x
But x = y, (Given)
∴ ∠DOC = y
Thus, a pair of corresponding angles ∠DOC and y are equal. By converse of corresponding axiom, we have BC || EF. Hence proved

Question 10.
In the given figure, AB || CD, PQ || BC, ∠BAC = 52° and ∠DRS = 43°. Find the value of x.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since, AB || CD and AC is the transversal.
∴ ∠ACD = ∠BAC,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠ACD = 52°
⇒ ∠QCR = 52°,
(∵ ∠ACD = ∠QCR) …(i)
∠QRC = ∠DRS,
(Vertically opposite angles)
⇒ ∠QRC = 43° …….(ii)
In ΔCQR, we have
∠AQR = ∠QCR + ∠QRC,
⇒ x = 52° + 43°, [From (i) and (ii), ∠QCR = 52° and ∠QRC = 43°)
⇒ x = 95°
Hence, x = 95°

Question 11.
The sides BC, CA and AB of a triangle ABC are produced in order, forming exterior angles ∠ACD, ∠BAE and ∠CBF. Show that ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 360°

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
In ΔABC, we have
∠ACD = ∠1 + ∠3 ………….(i)
∠BAE = ∠1 + ∠2 ………….(ii)
∠CBF = ∠2 + ∠3 ………….(iii)
Adding (i), (ii) and (iii), we get
∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = ∠1 + ∠3 + ∠1 + ∠2 + ∠2 + ∠3
⇒ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 2∠1 + 2∠2 + 2∠3
⇒ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 2(∠1 + ∠2 + ∠3)
But ∠1 + ∠2 + ∠3 = 180°,
(Sum of the angles of a triangle = 180°)
∴ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 2 × 180°
⇒ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 360°
Hence proved

Question 12.
In the given figure, show that ∠A + ∠B + ∠C + ∠P + ∠Q + ∠R = 360°.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
In ΔABC, we have
∠A + ∠B + ∠C= 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°) …(i)
In ΔPQR, we have
∠P + ∠Q + ∠R = 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°) …(ii)
Adding (i) and (ii), we get
∠A + ∠B + ∠C + ∠P + ∠Q + ∠R = 180° + 180°
⇒ ∠A + ∠B + ∠C + ∠P + ∠Q + ∠R = 360°
Hence proved

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 13.
ABC is a triangle in which ∠A = 66°, the internal bisectors of ∠B and ∠C intersect at O. Find the measure of ∠BOC.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
In a triangle ΔABC, we have
∠A + ∠B + ∠C = 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ 66° + ∠B + ∠C = 180°
⇒ ∠B + ∠C = 180° – 66° = 114°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠B + \(\frac {1}{2}\)∠C = \(\frac {114°}{2}\) = 57°
⇒ ∠1 + ∠2 = 57° …….(i)
[∵ BO and CO are bisectors of ∠B and ∠C respectively]
Now, in ΔBOC, we have
∠1 + ∠2 + ∠BOC = 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ 57° + ∠BOC = 180°, [using (i)]
⇒ ∠BOC = 180° – 57°
⇒ ∠BOC = 123°
Hence, ∠BOC = 123°

Question 14.
The sum of two angles of a triangle is equal to its third angle. Prove that triangle is right-angled.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Let the smaller angles be A and C and greater angle be B. According to question,
∠B = ∠A + ∠C ……..(i)
But, ∠A + ∠B + ∠C = 180°,
(∵ Sum of angles of a triangle = 180°)
(∠A + ∠C) + ∠B = 180°
⇒ ∠B + ∠B = 180°, [Using (i)]
⇒ 2∠B = 180°
⇒ ∠B = \(\frac {180°}{2}\)
⇒ ∠B = 90°
Hence, triangle ABC is right angled.
Proved

Question 15.
In the given figure, ∠P = ∠Q and ∠1 = ∠2. Prove that RT || PQ.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
In ΔRPQ, we have
∠SRQ = ∠P + ∠Q
⇒ ∠1 + ∠2 = ∠Q + ∠Q
(∵ It is given ∠P = ∠Q)
⇒ ∠2 + ∠2 = 2∠Q
(∵ It is given ∠1 = ∠2)
⇒ 2∠2 = 2∠Q
⇒ ∠2 = ∠Q
Thus, a pair of alternate interior angles 2 and Q are equal, then
RT || PQ. Hence proved

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 16.
In figure, p || t and m || n. If ∠1 = 75°, prove that ∠2 = ∠1 + \(\frac {1}{3}\) of a right angle.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
∵ m || n and line p is a transversal
∴ ∠3 = ∠1
(Corresponding angles)
⇒ ∠3 = 75° (∴ ∠1 = 75°)
Now p || t and line n is a transversal.
∴ ∠2 + ∠3 = 180° (A pair of allied angles is supplementary)
⇒ ∠2 + 75° = 180°
⇒ ∠2 = 180° – 75°
⇒ ∠2 = 105°
⇒ ∠2 = 75° + 30°
⇒ ∠2 = ∠1 + \(\frac {1}{3}\) × 90°
(∵ ∠1 = 75°)
⇒ ∠2 = ∠1 + \(\frac {1}{3}\) of a right angle.
Hence proved

Long Answer Type Questions

Question 1.
In the figure, OP and OQ are respectively bisectors of angles ∠BOD and ∠AOC. Show that the rays OP and OQ are in the same straight line.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
∠1 + ∠2 + ∠6 + ∠4 + ∠3 + ∠5 = 360° …….(i)
(Sum of angles at a point = 360°)
∵ ray OP is the bisertor of ∠BOD.
∴ ∠3 = ∠4 …….(ii)
∵ ray OQ is the bisector of ∠AOC.
∴ ∠1 = ∠2 …….(iii)
∠5 = ∠6, (Vertically opposite angles) …(iv)
From (i), (ii), (iii) and (iv), we get
∠2 + ∠2 + ∠6 + ∠4 + ∠4 + ∠6 = 360°
⇒ 2∠2 + 2∠6 + 2∠4 = 360°
⇒ 2(∠2 + ∠6 + ∠4) = 360°
⇒ ∠2 + ∠6 + ∠4 = \(\frac {360°}{2}\) = 180°
⇒ ∠POQ = 180°
Hence, OP and OQ are in the same straight line.
Hence Proved

Question 2.
In the figure, AB || CD, find the value of x.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Draw a line EF parallel to AB.
गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

∵ AB || EF and a transversal PQ cuts them at P and Q respectively.
∴ ∠APQ + ∠EQP = 180°,
(∵ Sum of a pair of allied angles is 180°)
⇒ 40° + ∠EQP = 180°, (∵ ∠APQ = 40°)
⇒ ∠EQP = 180° – 40°
⇒ ∠EQP = 140° …….(i)
∴ AB || EF, (By construction)
and AB || CD, (Given)
∴ EF || CD, (By theorem 6.6)
∠EQR = ∠QRD,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠EQR = 120°,
(∵ ∠QRD = 120°) …(ii)
Adding (i) and (ii), we get
∠EQP + ∠EQR = 140° + 120°
⇒ Reflex angle PQR = 260°
⇒ x = 260°
Hence, x= 260°.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 3.
In the given figure :
(i) If x = 70°, find y and z.
(ii) If 3x = 2y, find x.
(iii) If z = 2(x + 15), find y.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
(i) ∵ CD || EF and CE is a transversal.
∴ x + z = 180° (Sum of a pair of allied angles is 180°)
⇒ 70° + z = 180°, (∵ x = 70°)
⇒ z = 180° – 70°
⇒ z = 110°
∵ AB || CD and AC is a transversal.
∴ y = z,
(Corresponding angles axiom)
⇒ y = 110°
Hence y = 110° and z = 110°.

(ii) 3x = 2y, (Given)
⇒ \(\frac {3}{2}\)x = y …….(i)
∵ AB || EF and AE is a transversal.
∴ x + y = 180° (Sum of a pair of allied angles is 180°)
⇒ x + \(\frac {3}{2}\)x = 180°
[From (i), y = \(\frac {3}{2}\)x]
⇒ \(\frac{2 x+3 x}{2}\) = 180°
⇒ 5x = 2 × 180°
⇒ x = \(\frac {360°}{5}\)
⇒ x = 72°
Hence, x = 72°.

(iii) ∵ CD || EF and CE is a transversal.
∴ x + z = 180°, (Sum of a pair of allied angle is 180°)
⇒ x + 2(z + 15) = 180,[∵ z = 2(x + 15°)
⇒ x + 2x + 30° = 180°
⇒ 3x + 30° = 180°
⇒ 3x = 180° – 30° = 150°
⇒ x = \(\frac {150°}{3}\) = 50°
Now,
z = 2(x + 15°)
⇒ z = 2(50° + 15°)
[Put x = 50°]
⇒ z = 2 × 65°
⇒ z = 130°
Now, y = z,
(Corresponding angles)
⇒ y = 130°
Hence, y = 130°

Question 4.
In the figure, PQ || RS, find the value of x.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Through T draw LTM || PQ || RS.
∵ LT || PQ and PT is the transversal.
∴ ∠LTP = ∠TPQ,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠LTP = 55° ……..(i)
and TM || RS and TR is the transversal.
∴ ∠MTR + ∠TRS = 180°,
(A pair of allied angles is supplementary)
⇒ ∠MTR + 115° = 180°
⇒ ∠MTR = 180° – 115°
⇒ ∠MTR = 65° ……..(ii)
गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Now LTM is a line.
∴ ∠LTP + ∠PTR + ∠MTR = 180°
(Straight line)
⇒ 55° + x + 65° = 180°. [From (i) and (ii), ∠LTP = 55° and ∠MTR = 65°]
⇒ 120° + x = 180°
⇒ x = 180° – 120°
⇒ x = 60°
Hence, x = 60°.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 5.
In the figure, AB || CD, find the values of x, y and z.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
∵ AB || CD and EF is the transversal
∴ ∠PQB = ∠EPD,
(Corresponding angles)
⇒ x + 25° = 50°
⇒ x = 50° – 25° = 25° and ∠DPQ + ∠PQB = 180°,
(A pair of allied angles is supplementary)
⇒ (y + 60°) + (x + 25°) = 180°
⇒ y + 60° + 25° + 25° = 180° (∵ x = 25°)
⇒ y + 110°= 180°
⇒ y = 180° – 110°
⇒ y = 70°
In the triangle ΔPQR, Sum of the angles of a triangle is 180°
∴ x + y + z = 180°
⇒ 25° + 70° + z = 180°
⇒ 95° + z = 180°
⇒ z = 180° – 95°
⇒ z = 85°
Hence,
x = 25°, y = 70° and z = 85°

Question 6.
In the given figure, if ΔABC right angled at B, then show that ∠x = ∠y.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since, CDB is a straight line.
∠ADC + ∠ADB= 180°,(Linear pair axiom)
⇒ 110° + ∠ADB = 180°
⇒ ∠ADB = 180° – 110°
⇒ ∠ADB = 70°
In ΔABD, we have
∠ADC = ∠DAB + ∠ABD,
⇒ 110° = ∠y + 90°
⇒ 110° – 90° = ∠y
⇒ ∠y = 20° ………..(i)
Again in ΔADC, we have
∠ADB = ∠ACD + ∠DAC,
(By theorem 6.8)
⇒ 70° = 50° + ∠x
⇒ 70° – 50° = ∠x
⇒ ∠x = 20° ………..(ii)
From (i) and (ii), we get
∠x = ∠y. Hence proved

Question 7.
In the figure 6.110, AB || CD and EF is a transversal. Prove that bisectors of interior angles on the same side of transversal EF intersect at right angle. [NCERT Exemplar Problems]

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since AB || CD and EF is the transversal.
∠DPR + ∠PRB = 180°, (A pair of interior angles of the same side of transversal is supplementary) …(i)
⇒ ∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 = 180°
But
∠1 = ∠2, (∵ PQ is the bisector of ∠DPR) …(ii) and
∠3 = ∠4, (∵ RQ is the bisector of ∠PRB) …(iii)
From (i), (ii) and (iii), we get
∠1 + ∠1 + ∠3 + ∠3 = 180°
⇒ 2∠1 + 2∠3 = 180°
⇒ 2(∠1 + ∠3) = 180°
⇒ ∠1 + ∠3 = 90° ……..(iv)
In the ΔPQR, Sum of the angles of a triangle is 180°,
∴ ∠1 + ∠3 + ∠PQR = 180°
⇒ 90° + ∠PQR = 180°,
[From (iv), ∠1 + ∠3 = 90°]
⇒ ∠PQR = 180° – 90°
⇒ ∠PQR = 90°
⇒ ∠PQR = a right angle
Hence, bisectors of interior angles on the same side of the transversal EF intersect at right angle.
Hence Proved

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 8.
In the given figure, AD || BC, if y0 = \(\frac {3}{4}\)x0 and x0 = \(\frac {4}{5}\)z0, find the values of x0, y0, z0 and k0.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Since, AD || BC and BD is the transversal.
∴ ∠DBC = ∠ADB,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠DBC = x0
In ΔBDC, we have
x° + y° + z° = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°)
गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Now in ΔDAB,
∠DAB + ∠ADB + ∠ABD = 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ k° + x° + 65° = 180°
⇒ k° + 60° + 65° = 180° (∵ x = 60°)
⇒ k° + 125° = 180°
⇒ k° = 180° – 125°
⇒ k° = 55°
Hence,
x° = 60°, y° = 45°, z° = 75° and k° = 55°

Question 9.
The side BC of a tr iangle ΔABC is produced to D. The bisector of ∠A meets BC at M (see in figure). Prove that ∠ABC + ∠ACD = 2∠AMC.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
In ΔABC, we have
∠ACD = ∠ABC + ∠BAC,
(By theorem 6.8) …(i)
But AM is the bisector of ∠BAC. (Given)
∴ ∠BAM = ∠CAM
or ∠BAC = 2∠BAM
Putting the value of ∠BAC in (i), we get
∠ACD = ∠ABC + 2∠BAM … (ii)
Again, in ΔABM, we have
∠AMC = ∠ABC + ∠BAM
⇒ 2∠AMC = 2∠ABC + 2∠BAM ……(iii)
Subtracting (ii) from (iii), we get
2∠AMC – ∠ACD = ∠ABC
⇒ 2∠AMC = ∠ABC + ∠ACD
⇒ ∠ABC + ∠ACD = 2∠AMC. Hence proved

Question 10.
If two parallel lines are intersected by a transversal, prove that the bisectors of the two pairs of interior angles enclose a rectangle.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Given : Two parallel lines AB and CD are intersected by a transversal EF at P and R respectively. PQ, RS, PS and RQ are the bisectors of the two pairs of interior angles.
To prove: PQRS is a rectangle.
Proof : ∠BPR = ∠PRC,
(A pair of alternate interior angles)
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠BPR = \(\frac {1}{2}\)∠PRC
⇒ ∠QPR = ∠PRS
[∵ PQ and RS are bisectors of ∠BPR and ∠PRC
∴ ∠QPR = \(\frac {1}{2}\)∠BPR and ∠PRS = \(\frac {1}{2}\)∠PRC]
But these are alternate interior angles.
PQ || SR, (By theorem 6.3)
Similarly, SP || RQ
∴ PQRS is a parallelogram.
Now, ∠BPR + ∠PRD = 180°,
(Sum of a pair of allied angles = 180°)
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠BPR + \(\frac {1}{2}\)∠PRD = \(\frac {180°}{2}\)
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠BPR + \(\frac {1}{2}\)∠PRD = 90°
⇒ ∠QPR + ∠QRP = 90° ,
[∵ PQ and RQ are the bisectors of ∠BPR and ∠PRD respectively]
Now in ΔPQR,
∠QPR + ∠PQR + ∠QRP = 180°,
(Sum of angles of a triangle is 180°)
⇒ ∠PQR + 90° = 180°, [Using (i)]
⇒ ∠PQR = 180° – 90° = 90°
In a parallelogram PQRS, ∠PQR = 90°
Hence, PQRS is a rectangle. Hence Proved

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 11.
In the given figure, AB = AC in ΔABC. From B, BP is drawn such that BP = BC. From P, a line PQ is drawn parallel to BC to meet AB at Q. If exterior ∠RAB = 124°, find ∠BPQ.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
In ΔABC, we have
AB = AC
⇒ ∠ACB = ∠ABC, (The angles opposite to equal sides of a triangle are equal)
∠RAB = ∠ACB + ∠ABC, (By theorem 6.8)
⇒ 124° = ∠ABC + ∠ABC [∵ ∠ACB = ∠ABC]
⇒ 124° = 2∠ABC
⇒ \(\frac {124°}{2}\) = ∠ABC
⇒ ∠ABC = 62°
∴ ∠ACB = ∠ABC = 62°
Now in ΔBPC, we have
BP = BC, (Given)
∠BPC = ∠PCB, (The angles opposite to equal sides of a triangle are equal)
⇒ ∠BPC = ∠PCB = 62°, (∵ ∠PCB = ∠ACB)
In ΔBPC, we have
∠BPC + ∠PCB + ∠PBC = 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ 62° + 62° + ∠PBC = 180°
⇒ 124° + ∠PBC = 180°
⇒ ∠PBC = 180° – 124°
⇒ ∠PBC = 56°
Since, PQ || BC (Given)
∴ ∠BPQ = ∠PBC (A pair of alternate interior angles are equal)
⇒ ∠BPQ = 56°
Hence, ∠BPQ = 56°

Question 12.
In figure, ∠B > ∠C and L is a point on BC such that AL is the bisector of ∠BAC. If AM ⊥ BC, prove that ∠LAM = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C). [NCERT Exemplar Problems]

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
Given : In ΔABC, AL is the bisector of ∠BAC and AM ⊥ BC.
To prove : ∠LAM = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C).
Proof : Since AL is the bisector of ∠BAC.
∴ ∠BAL = ∠CAL
⇒ ∠1 + ∠2 = ∠3 ………….(i)
In ΔAMB, ∠AMB = 90°, [∵ AM ⊥ BC]
∴ ∠ABM + ∠AMB + ∠1 = 180°,
(∵ Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ ∠ABM + 90° + ∠1 = 180°
⇒ ∠ABM = 180° – 90° – ∠1
⇒ ∠ABM = 90° – ∠1 ……..(ii)
Again in ΔAMC, we have
∠ACM + ∠AMC + ∠2 + ∠3 = 180°,
(∵ Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ ∠ACM + 90° + ∠2 + ∠3 = 180°
⇒ ∠ACM = 180° – 90° – ∠2 – ∠3
⇒ ∠ACM = 90° – ∠2 – ∠3 …….(iii)
Subtracting (iii) from (ii), we get
∠ABM – ∠ACM = 90° – ∠1 – 90° + ∠2 + ∠3
⇒ ∠B – ∠C = ∠2 + ∠3 – ∠1
⇒ ∠B – ∠C = ∠2 + (∠1 + ∠2) – ∠1,
[From (i), ∠3 = ∠1 + ∠2]
⇒ ∠B – ∠C = 2∠2
⇒ ∠2 = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C)
⇒ ∠LAM = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C).
Hence proved.

Question 13.
In figure, P and Q are two plane mirrors perpendicular to each other. Show that incident ray AB is parallel to the reflected ray CD.

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Solution :
∵ Angle of incidence = Angle of reflection
∴ ∠1 = ∠2 and ∠3 = ∠4
∴ ∠ABC = ∠1 + ∠2
= ∠2 + ∠2 = 2∠2 …(i)
and ∠DCB = ∠3 + ∠4 = ∠3 + ∠3
= 2∠3 …(ii)
Since, the two mirrors are perpendicular, the rays perpendicular to them are also perpendicular.
i.e., BO ⊥ OC or ∠BOC = 90°
In ΔBOC, we have
∠2 + ∠3 + ∠BOC= 180°,
(Sum of angles of a triangle = 180°)
⇒ ∠2 + ∠3 + 90° = 180°
⇒ ∠2 + ∠3 = 180° – 90°
⇒ ∠2 + ∠3 = 90°
⇒ 2∠2 + 2∠3 = 180°
⇒ ∠ABC + ∠DCB = 180°, [Using (i) and (ii)]
Thus, sum of a pair of co-interior angles ∠ABC and ∠DCB is 180°.
By theorem 6.5, we have
AB || CD. Hence proved

Multiple Choice Questions

Choose the correct alternative each of the following :

Question 1.
If two angles are supplementary of each other, then each angle is :
(a) a right angle
(b) an acute angle
(c) an obtuse angle
(d) a straight angle
Solution :
(a) a right angle

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 2.
The complement of 47° 32′ 45″ is:
(a) 43° 28′ 15″
(b) 43° 27′ 15″
(c) 42° 27′ 15″
(d) 43° 27′ 15″
Solution :
(c) 42° 27′ 15″

Question 3.
The supplement of 75° 30′ 50″ is :
(a) 14° 29′ 10″
(b) 15° 30′ 10″
(c) 105° 30′ 10″
(d) 104° 29′ 10″
Solution :
(d) 104° 29′ 10″

Question 4.
The angles a triangle are in the ratio 5 : 3 : 7 The triangle is: [NCERT Exemplar Problems]
(a) an acute angled triangle
(b) an obtused angled triangle
(c) a right triangle
(d) an isosceles triangle
Solution :
(a) an acute angled triangle

Question 5.
If angles of a triangle are in the ratio 1 : 2 : 3, then the smallest angle of the triangle is :
(a) 60°
(b) 30°
(c) 90°
(d) 50°
Solution :
(b) 30°

Question 6.
If one angle of a triangle is equal to the sum of the other two angles, then triangle is : [NCERT Exemplar Problems]
(a) a right angled triangle
(b) acute angled triangle
(c) obtuse angled triangle
(d) equilateral triangle
Solution :
(a) a right angled triangle

Question 7.
If one of the angles of a triangle is 130°, then the angle between the bisectors of the other two angles can be : [NCERT Exemplar Problems]
(a) 50°
(b) 65°
(c) 145°
(d) 155°
Solution :
(d) 155°

Question 8.
In ΔPQR, side QR is produced to S such that ∠PRS = 110, if ∠P = ∠Q, then ∠Q is equal to :
(a) 70°
(b) 55°
(c) 50°
(d) 45°
Solution :
(b) 55°

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Question 9.
In the figure, ∠x + ∠y + ∠z is equal to :

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

(a) 180°
(b) 90°
(c) 360°
(d) 270°
Solution :
(c) 360°

Question 10.
In the figure, ∠A + ∠B + ∠C + ∠P + ∠Q + ∠R is equal to :

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

(a) 180°
(b) 270°
(c) 90°
(d) 360°
Solution :
(d) 360°

Haryana State Board HBSE 11th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् karak Prakaran कारक-प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक-प्रकरण

कारक
जब हम कोई वाक्य बोलते हैं, तो उसमें कोई-न-कोई क्रिया अवश्य होती है। बिना क्रिया का कोई वाक्य नहीं होता। उस क्रिया के कई कारण होते हैं जिनके होने से उस क्रिया का होना सम्भव होता है। क्रिया के उन कारणों को ही ‘कारक’ कहते हैं। ये कारक ही क्रिया को सिद्ध करते हैं-‘क्रिया निवर्तकं कारकम् । ‘रमेश उद्यान में वृक्ष से छड़ी से सुरेश के लिए फल ‘तोड़ता है।’

यह क्रिया पद है। ‘तोड़ना’ क्रिया के कारण (साधक) छः है। रमेश, उद्यान, वृक्ष, छड़ी, सुरेश और फल। इनमें रमेश ‘कर्ता’ कारक है। उद्यान ‘अधिकरण’ कारक है। वृक्ष ‘अपादान’ कारक है। छड़ी ‘करण’ कारक है। सुरेश ‘सम्प्रदान’ कारक है और फल ‘कर्म’ कारक है। ये छः ही ‘तोड़ना’ क्रिया के कारक हैं।

इन छः कारकों के अतिरिक्त भी वाक्य में एक वस्तु रहती है-उसे ‘सम्बन्ध’ कहते हैं। मनोज पवन के बाग में पेड़ से……..। इस प्रकार बाग के किसी स्वामी का कथन किया जा सकता है, किन्तु क्योंकि पवन अथवा किसी अन्य स्वामी का तोड़ने की क्रिया में कारणत्व अपेक्षित नहीं होता है, अतः उसे कारक नहीं माना जाता है।

दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जिसका क्रिया से सीधा सम्बन्ध रहता है, उसे ‘कारक’ कहते हैं और जिसका क्रिया से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है, वह कारक न होकर केवल ‘सम्बन्ध’ कहलाता है। इस प्रकार छः कारक और सम्बन्ध ये कुल सात चीजें हैं। विभक्तियों की दृष्टि से इन सातों को इस क्रम से लिखा जा सकता है। कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध और अधिकरण। उन्हें निम्नलिखित प्रकार से देखा जा सकता है

विभक्तियाँ कारक हिन्दी के अनुसार कारक चिहून
1. प्रथमा विभक्ति कर्ता कारक ने
2. द्वितीया विभक्ति कर्म कारक को
3. तृतीया विभक्ति करण कारक से, द्वारा
4. चतुर्थी विभक्ति सम्प्रदान (देना) कारक के लिए, को
5. पञ्चमी विभक्ति अपादान (जुदाई) कारक से
6. षष्ठी विभक्ति (यह कारक नहीं है, सम्बन्ध

बताने के लिए इसका प्रयोग होता है)

का, की, के
7. सप्तमी विभक्ति अधिकरण कारक है) रा, री, रे

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

1. प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक):
जो काम करने वाला होता है, उसमें प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे- रामः गच्छति। इस वाक्य में राम जाने की क्रिया का कर्ता है; इसलिए इसमें प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया गया है। हिन्दी में इसका चिह्न ‘ने’ होता है, किन्तु कहीं-कहीं वह चिह्न भाषा में प्रयुक्त नहीं होती; जैसे- राम घर गया। इस वाक्य में ने का प्रयोग नहीं हुआ है।

2. द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक):
क्रिया के सम्पादन में कर्ता का जो अभीष्टतम (अत्यधिक इच्छित) होता है, वह कर्म कारक होता है। उसमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है, जैसे- रामः वनं गच्छति (राम वन को जाता है।) इस वाक्य में राम कर्ता का अभीष्टतम कर्म है ‘वन जाना’ इसलिए इसमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया गया है। हिन्दी में इसका चिह्न ‘को’ होता है। किन्तु उसका भाषा में कई स्थानों पर प्रयोग नहीं होता अर्थात् वह चिह्न कहीं-कहीं प्रकट रूप में नहीं होता प्रच्छन्न रूप में गुप्त रूप होता है; जैसे- राम खाना खाता है। यहाँ पर हिन्दी में राम खाने को खाता है। ऐसा प्रयोग नहीं किया गया है।

3. ततीया विभक्ति (करण कारक):
जिसकी सहायता से कार्य निष्पन्न होता है या जो कार्य की निष्पत्ति में सहायक होता है, उसे करण कारक कहते हैं, जैसे- रामः हस्तेन लिखति। (राम हाथ से लिखता है) राम लेखन का कार्य हाथ से करता है। हाथ लेखन कार्य में सहायक है, अतः यहाँ तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया गया है। तृतीया विभक्ति के लिए हिन्दी भाषा में ‘से’ या. ‘द्वारा’ चिह्नों का प्रयोग होता है।

4. चतुर्थी विभक्ति (सम्प्रदान कारक):
जिसको कोई वस्तु दी जाती है या जिसके लिए कोई कार्य किया जाता है, वह सम्प्रदान – कारक कहलाता है। इसके लिए चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है; जैसे- मोहनः रामाय पुस्तकं ददाति (राम मोहन को किताब देता है) इसके लिए हिन्दी में ‘को’ या ‘के लिए’ चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।

5. पञ्चमी विभक्ति (अपादान कारक):
जब किसी एक वस्तु का किसी अन्य वस्तु से अलग होना पाया जाए तो जिस वस्तु या स्थान से वियोग होता है, उसे अपादान कारक कहते हैं और उसमें पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, जैसे- सः प्रयागत् आगच्छति (वह प्रयाग से आता है) इसके लिए हिन्दी भाषा के ‘से’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

6. षष्ठी विभक्ति (सम्बन्ध):
(इसे कारक नहीं माना जाता) जिसका किसी अन्य के साथ सम्बन्ध पाया जाता है, उसमें षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है। इसके लिए हिन्दी में आवश्यकता के अनुसार का, की, के तथा रा, री, रे चिहनों का प्रयोग किया जाता है; जैसे- रामस्य भ्राता (राम का भाई) रामस्य भगिनी (राम की बहन) रामस्य भ्रातरः (राम के भाई) तव भ्राता (तेरा भाई) तव भगिनी (तेरी बहन) तव भ्रातरः (तेरे भाई) इत्यादि।

7. सप्तमी विभक्ति:
किसी वस्तु के आधार को अधिकरण कहते हैं अर्थात् जिसमें कोई वस्तु रखी जाए, उसे आधार कहते हैं। आधार ही अधिकरण कारक कहलाता है। इसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए हिन्दी में में’ और ‘पर’ चिहनों का प्रयोग होता है। जैसे- ‘आकाशे मेघाः गर्जन्ति’। (आसमान में बादल गरजते हैं।) यहाँ बादलों का आधार अधिकरण है। इसलिए इसमें सप्तमी विभक्ति का प्रयोग है। कारकों के अन्तर्गत ही उपपद विभक्ति को परिगणित किया जाता है।

उपपद विभक्ति

किसी दूसरे के पद के समीप आ जाने के कारण जिस विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं; जैसे- रामः देवेन सह विद्यालयं गच्छति। इस वाक्य में ‘सह’ के प्रयोग के कारण तृतीया विभक्ति आई है। अतः यह उपपद विभक्ति है। उपपद विभक्ति के लिए कारकों का ज्ञान अनिवार्य है। अतः उनका परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।

1. प्रथमा विभक्ति
सामान्यतया कर्तवाच्य के कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे–रामः गृहं गच्छति (राम घर जाता है)। यहाँ ‘राम’ कर्ता है। इसलिए उसमें प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर प्रथमा विभक्ति होती है

(क) सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-
हे बालकाः! यूयं कुत्र गच्छथ? (हे बालको! तुम कहाँ जाते हो?)

(ख) कर्मवाच्य के कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है; जैसे-
मया पाठः पठ्यते। (मेरे द्वारा पाठ पढ़ा जाता है।)
यहाँ ‘पाठ’ में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया गया है।

2. द्वितीया विभक्ति
सामान्यतया कर्तृवाच्य में कर्ता में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-रामः वनं गच्छति (राम वन को जाता है)। यहाँ ‘वन’ कर्म है। इसलिए उसमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है

(क) अधि + शी (सोना), अधि + स्था (बैठना या रहना), अधि + आस् (बैठना) धातुओं के योग में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-

  • सः पर्यङ्कमधिशेते। (वह पलंग पर सोता है।)
  • राजा सिंहासनमधितिष्ठति। (राजा सिंहासन पर बैठता है।)
  • पुरोहितः आसनमध्यास्ते। (पुरोहित आसन पर बैठता है।)

(ख) प्रति, अनु, विना, परितः, सर्वतः, उभयतः, अभितः, धिक् इत्यादि के योग में अर्थात् इन शब्दों का प्रयोग हो तो द्वितीया विभक्ति होती है।

  • प्रति (की ओर)-कृष्णः पाठशाला प्रति गच्छति। (कृष्ण पाठशाला की ओर जाता है।)
  • अनु (पीछे) मातरमनुगच्छति पुत्रः। (पुत्र माता के पीछे जाता है।)
  • विना (बिना)-दानं विना मुक्तिः नास्ति। (दान के बिना मुक्ति नहीं होती।)
  • परितः (चारों ओर)-नगरं परितः उपवनानि सन्ति। (नगर के चारों ओर बाग है।)
  • सर्वतः (सब ओर)-ग्रामं सर्वतः जलं वर्तते। (गाँव में सब ओर जल है।)
  • उभयतः (दोनों ओर) गृहमुभयतः वृक्षाः सन्ति। (घर के दोनों ओर वृक्ष हैं।)
  • अभितः (दोनों ओर)-ग्रामम् अभितः नदी वहति। (गाँव के दोनों ओर नदी बहती है।)
  • धिक् (धिक्कार)-धिक तम् दुर्जनम्। (दुर्जन को धिक्कार है।)

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

3. ततीया विभक्ति
जिस साधन के द्वारा कर्ता क्रिया को सिद्ध करता है, उस साधन में ततीया विभक्ति का प्रयोग होता है। इसे करण कारक भी कहते हैं; जैसे-रामः हस्तेन लिखति (राम हाथ से लिखता है)। यहाँ पर राम द्वारा लिखने की क्रिया हाथ से बताई गई है। इसलिए लिखने के साधन ‘हाथ’ में तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर भी तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है

(क) कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
कर्मवाच्य में रामेण रावणः हन्यते। (राम के द्वारा रावण को मारा जाता है।)
भाववाच्य में रामेण हस्यते। (राम के द्वारा हँसा जाता है।)

(ख) ‘प्रकृति’ इत्यादि शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
रामः प्रकृत्या विनीतः। (राम स्वभाव से नम्र है।)
मोहनः स्वभावेन क्रूरः। (मोहन स्वभाव से क्रूर है।)

(ग) किसी शरीर के अंग-विकार में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
सुरेशः नेत्रेण काणः अस्ति। (सुरेश आँख से काना है।)

(घ) सह, साकम, सार्धम्, अलम, हीनः शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है

  • सह (साथ) देवेन सह कृष्णः गच्छति। (देव के साथ कृष्ण जाता है।)
  • साकम् (साथ) त्वया साकम् अन्यः कः आगमिष्यति? (तुम्हारे साथ अन्य कौन आएगा?)
  • सार्धम् (साथ) मया सार्धम् कविता पठ। (मेरे साथ कविता पढ़ो।)
  • अलम् (बस)-अलम् प्रलापेन! (प्रलाप मत करो!)
  • हीनः (रहित) नरः विद्याहीनः न शोभते। (विद्या से रहित मनुष्य शोभा नहीं पाता।)

4. चतुर्थी विभक्ति
सामान्यतया सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है अर्थात् जिसको कुछ दिया जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे–रामः कृष्णाय धनं यच्छति (राम कृष्ण को धन देता है)। यहाँ कृष्ण को धन देने की बात कही गई है। इसलिए ‘कृष्ण’ में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग किया गया है
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।

(क) नमः, स्वस्ति, स्वाहा के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है

  • नमः (नमस्कार)-देवाय नमः। (देवता को नमस्कार हो।)
  • स्वस्ति (कल्याण) सर्वेभ्यः स्वस्ति अस्तु। (सबका कल्याण हो।)
  • स्वाहा (आहुति डालना)-रुद्राय स्वाहा। (रुद्र के लिए स्वाहा ।)

(ख) रुच्, द्रुह् धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति आती है।

  • मह्यं क्षीरं रोचते। (मुझे दूध अच्छा लगता है।)
  • रामः मह्यं द्रुह्यति। (राम मुझसे द्रोह करता है।)

5. पञ्चमी विभक्ति
सामान्यतया (अपादान) अलग होने के अर्थ में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे–अहं गृहात् आगच्छामि (मैं घर से आता हूँ)। यहाँ ‘घर’ (जहाँ से मैं आता हूँ, में अपादान है। इसलिए उसमें पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त अग्रलिखित स्थानों पर पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है-

(क) पूर्व, ऋते, प्रभृति, बहिर्, ऊर्ध्वम् के योग में पञ्चमी विभक्ति आती है।

  • पूर्व (पहले) मोहनः दश वादनात् पूर्व पाठशालां गच्छति। (मोहन दस बजे से पहले पाठशाला जाता है।)
  • ऋते (बिना) ऋते धनात् न सुखम्। (धन के बिना सुख नहीं।)
  • प्रभृति (से लेकर)-जन्मनः प्रभृति स्वामी दयानन्दः ब्रह्मचारी आसीत् । (जन्म से लेकर स्वामी दयानन्द ब्रह्मचारी थे।)
  • बहिर् (बाहर)-ग्रामात् बहिर् उद्यानम् अस्ति। (गाँव से बाहर बगीचा है।)
  • ऊर्ध्वम् (ऊपर)-भूमे ऊर्ध्वम् स्वर्गं वर्तते। (भूमि के ऊपर स्वर्ग है।)

(ख) जुगुप्सा, विराम तथा प्रमादसूचक शब्दों के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।

  • जुगुप्सा (घृणा)-सत्पुरुषः पापात् जुगुप्सते। (सज्जन पाप से घृणा करते हैं।)
  • विरम (अनिच्छा) रामः अध्ययनात् विरमति। (राम अध्ययन से अनिच्छा करता है।)
  • प्रमाद (विमुखता) स धर्मात् प्रमादयति। (वह धर्म से विमुखता करता है।)

(ग) जिससे भय होता है तथा जिससे रक्षा की जाए, उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है।

  • बालकः कुक्कुरात् बिभेति। (बालक कुत्ते से डरता है।)
  • ईश्वरः मां पापात् रक्षति। (ईश्वर मुझे पाप से बचाता है।)

(घ) निवारण करना (रोकना) अर्थ वाली धातुओं के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।

  • मोहनः स्वमित्रं पापात् निवारयति। (मोहन अपने मित्र को पाप से रोकता है।)
  • कृषकः यवेभ्यः गां निवारयति। (किसान गाय को यवों से रोकता है।)

6. षष्ठी विभक्ति
सामान्यतया जिसका किसी से सम्बन्ध बताया जाए, उसमें षष्ठी विभक्ति होती है; जैसे- राज्ञः पुरुषः (राजा का पुरुष)। यहाँ पर ‘राजा’ का ‘पुरुष’ के साथ सम्बन्ध बताया गया है। इसलिए यहाँ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।

(क) ‘हेतु’ शब्द का प्रयोग होने पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-
पठनस्य हेतोः सोऽत्र वसति। (पढ़ने के लिए यह यहाँ रहता है।)

(ख) अधि + इ (पढ़ना), स्मृ (स्मरण करना) के योग में षष्ठी विभक्ति होती है।

  • शिष्यः गुरोरधीते। (शिष्य गुरु से पढ़ता है।)
  • बालकः मातुः स्मरति। (बालक माता को स्मरण करता है।)

(ग) ‘तुल्य’ अर्थ वाले सम, सदृश इत्यादि शब्दों के योग में षष्ठी तथा तृतीया विभक्तियाँ होती है।

  • तुल्य (समान)-देवः जनकस्य (जनकेन) तुल्यः । (देव पिता के समान है।)
  • सदृश (समान)-सा मातुः (मात्रा) सदृशी अस्ति। (वह माता के समान है।)

7. सप्तमी विभक्ति
अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। आधार को अधिकरण कहते हैं अर्थात् जो जिसका आधार होता है, उसमें सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे–वृक्षे काकः तिष्ठति (पेड़ पर कौआ बैठा है)। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर सप्तमी विभक्ति होती है (क) जिस वस्तु में इच्छा होती है, उसमें सप्तमी विभक्ति होती है। तस्य मोक्षे इच्छा अस्ति। (उसकी मोक्ष में इच्छा है।) ) स्निह (स्नेह करना) धातु के योग में सप्तमी विभक्ति होती है। माता पुत्रे स्निह्यति। (माता पुत्र पर स्नेह करती है।) (ग) युक्तः, व्यापृतः, तत्परः, निपुणः, कुशलः इत्यादि शब्दों के योग में सप्तमी विभक्ति होती है।

  • युक्तः (नियुक्त)-सः अस्मिन् कार्ये नियुक्तोऽस्ति। (वह इस काम में नियुक्त है।)
  • व्यापृतः (संलग्न) मोहनः निजकार्ये व्यापृतः अस्ति। (मोहन अपने काम में संलग्न है।)
  • तत्परः (प्रवृत्त)सः पठने तत्परः अस्ति। (वह पढ़ने में प्रवृत्त है।) ।
  • निपुणः (निपुण)-रामः शिक्षणे निपुणः अस्ति। (राम शिक्षण में निपुण है।)
  • कुशलः (दक्ष) देवः अध्ययने कुशलः अस्ति। (देव अपने अध्ययन में दक्ष है।)

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

संस्कृत के पाँच लकारों में वाक्य प्रयोग

1. लट् लकार (वर्तमान काल)

एकबचन द्विवचन बहुबचन
पठ् (पढ़ना)-प्रथम पुरुष पठति पठतः पठन्ति
मध्यम पुरुष पठसि पठथः पठथ
उत्तम पुरुष पठामि पठाव: पठामः

(1) प्रथम पुरुष

पुंल्लिंग

  1. वह पढ़ता है – सः पठति।
  2. वे दो पढ़ते हैं – तौ पठतः।
  3. वे सब पढ़ते हैं – ते पठन्ति ।
  4. आप पढ़ते हैं – भवान् पठति।
  5. आप दो पढ़ते हैं – भवन्तौ पठतः।
  6. आप सब पढ़ते हैं – भवन्तः पठन्ति।
  7. राम पढ़ता है – रामः पठति।
  8. राम और श्याम पढ़ते हैं – रामः श्यामः च पठतः। ।
  9. राम, श्याम और कृष्ण पढ़ते हैं – रामः, श्यामः कृष्णः च पठन्ति।

स्त्रीलिंग

  1. वह पढ़ती है – सा पठति।
  2. वे दो पढ़ती हैं – ते पठतः।
  3. वे सब पढ़ती हैं – ताः पठन्ति।
  4. आप पढ़ती हैं – भवती पठति।
  5. आप दो पढ़ती हैं – भवत्यौ पठतः।
  6. आप सब पढ़ती हैं – भवत्यः पठन्ति।
  7. रमा पढ़ती है – रमा पठति।
  8. रमा और सीता पढ़ती हैं – रमा सीता च पठतः।
  9. रमा, सीता और राधा पढ़ती हैं – रमा, सीता राधा च पठन्ति।

नपुंसकलिंग

  1. फूल गिरता है – पुष्पं पतति।
  2. दो फूल गिरते हैं – पुष्पे पततः।
  3. बहुत से फूल गिरते हैं – पुष्पाणि पतन्ति।

(ii) मध्यम पुरुष

  1. तुम पढ़ते हो, तू पढ़ता है – त्वम् पठसि।
  2. तुम दोनों पढ़ते हो – युवाम् पठथः।
  3. तुम सब पढ़ते हो – यूयम् पठथ।

(iii) उत्तम पुरुष

  1. मैं पढ़ता हूँ – अहम् पठामि।
  2. हम दोनों पढ़ते हैं – आवाम् पठावः।
  3. हम सब पढ़ते हैं – वयम् पठामः।

2. लङ् लकार (भूतकाल)

एकवचन द्विवचन बहुवचन
पठू (पढ़ना)-प्रथम पुरुष अपठत् अपठताम् अपठन्
मध्यम पुरुष अपठः अपठतमू अपठत
उत्तम पुरुष अपठम् अपठाव अपठाम

(1) प्रथम पुरुष

पुंल्लिंग-

  1. उसने पढ़ा – सः अपठत्।
  2. उन दोनों ने पढ़ा – तौ अपठताम्।
  3. उन सबने पढ़ा – ते अपठन्।
  4. आपने पढ़ा – भवान् अपठत्।
  5. आप दोनों ने पढ़ा – भवन्तौ अपठताम्।
  6. आप सबने पढ़ा – भवन्तः अपठन्।
  7. राम ने पढ़ा – रामः अपठत्।
  8. राम और श्याम ने पढ़ा – रामः श्यामः च अपठताम्।
  9. राम, श्याम और कृष्ण ने पढ़ा – रामः श्यामः कृष्णः च अपठन्।

स्त्रीलिंग-

  1. वह पढ़ी – सा अपठत्।
  2. वे दोनों पढ़ी – ते अपठताम्।
  3. वे सब पढ़ी – ताः अपठन्।
  4. आप पढ़ी – भवती अपठत्।
  5. आप दोनों पढ़ी – भवत्यौ अपठताम्।
  6. आप सब पढ़ी – भवत्यः अपठन्।
  7. रमा पढ़ी – रमा अपठत्।
  8. रमा और सीता पढ़ी – रमा सीता च अपठताम्।
  9. रमा, सीता और राधा पढ़ती हैं – रमा, सीता राधा च अपठन्।

नपुंसकलिंग-

  1. फूल गिरता है – पुष्पम् अपतत्।
  2. दो फूल गिरे – पुष्पे अपतताम्।
  3. बहुत से फूल गिरे – पुष्पाणि अपतन्।

(ii) मध्यम पुरुष

  1. तुमने पढ़ा, तूने पढ़ा – त्वम्, अपठः।
  2. तुम दोनों ने पढ़ा – युवाम् अपठतम्।
  3. तुम सबने पढ़ा – यूयम् अपठत्।

(iii) उत्तम पुरुष

  1. मैंने पढ़ा – अहम् अपठम्।
  2. हम दोनों ने पढ़ा – आवाम् अपठाव।
  3. हम सबने पढ़ा – वयम् अपठाम।

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

3. लृट् लकार (भविष्यत् काल)

एकवचन द्विवचन बहुवचन
पठ्र (पढ़ना)-प्रथम पुरुष पठिष्यति पठिष्यतः पठिष्यन्ति
मध्यम पुरुष पठिष्यसि पठिष्यथः पठिष्यथ
उत्तम पुरुष पठिष्यामि पठिष्याव: पठिष्याइ:

(1) प्रथम पुरुष

पुंल्लिंग-

  1. वह पढ़ेगा – सः पठिष्यति।
  2. वे दो पढ़ेंगे – तौ पठिष्यतः।
  3. वे सब पढ़ेंगे – ते पठिष्यन्ति।
  4. आप पढ़ेंगे – भवान् पठिष्यति।

(i) प्रथम पुरुष

पुंल्लिंग-

  1. उसने पढ़ा – सः अपठत्।
  2. उन दोनों ने पढ़ा – तौ अपठताम्।
  3. उन सबने पढ़ा – ते अपठन्।
  4. आपने पढ़ा – भवान् अपठत्।
  5. आप दोनों ने पढ़ा – भवन्तौ अपठताम्।
  6. आप सबने पढ़ा – भवन्तः अपठन्।
  7. राम ने पढ़ा – रामः अपठत्।
  8. राम और श्याम ने पढ़ा – रामः श्यामः च अपठताम्।
  9. राम, श्याम और कृष्ण ने पढ़ा – रामः श्यामः कृष्णः च अपठन्।

स्त्रीलिंग

  1. वह पढ़ी – सा अपठत्।
  2. वे दोनों पढ़ी – ते अपठताम्।
  3. वे सब पढ़ी – ताः अपठन्।
  4. आप पढ़ी – भवती अपठत्।
  5. आप दोनों पढ़ी – भवत्यौ अपठताम्।
  6. आप सब पढ़ी – भवत्यः अपठन्।
  7. रमा पढ़ी – रमा अपठत्।
  8. रमा और सीता पढ़ी – रमा सीता च अपठताम्।
  9. रमा, सीता और राधा पढ़ती हैं – रमा, सीता राधा च अपठन्।

नपुंसकलिंग-

  1. फूल गिरता है – पुष्पम् अपतत्।
  2. दो फूल गिरे – पुष्पे अपतताम्।
  3. बहुत से फूल गिरे – पुष्पाणि अपतन्।

(ii) मध्यम पुरुष

  1. तुमने पढ़ा, तूने पढ़ा – त्वम्, अपठः।
  2. तुम दोनों ने पढ़ा – युवाम् अपठतम्।
  3. तुम सबने पढ़ा – यूयम् अपठत्।

(iii) उत्तम पुरुष

  1. मैंने पढ़ा – अहम् अपठम्।
  2. हम दोनों ने पढ़ा – आवाम् अपठाव।
  3. हम सबने पढ़ा – वयम् अपठाम।

3. लृट् लकार (भविष्यत् काल)

एकवचन द्विवचन बहुवचन
पठ् (पढ़ना)-प्रथम पुरुष पठिष्यति पठिष्यतः पठिष्यन्ति
मध्यम पुरुष पठिष्यसि पठिष्यथः पठिष्यथ
उत्तम पुरुष पठिष्यामि पठिष्यावः पठिष्याम:

(i) प्रथम पुरुष

पुल्लिंग-

  1. वह पढ़ेगा – सः पठिष्यति।
  2. वे दो पढ़ेंगे – तौ पठिष्यतः।
  3. वे सब पढ़ेंगे – ते पठिष्यन्ति।
  4. आप पढ़ेंगे – भवान् पठिष्यति।
  5. आप दो पढ़ेंगे – भवन्तौ पठिष्यतः।
  6. आप सब पढ़ेंगे – भवन्तः पठिष्यन्ति।
  7. राम पढ़ेगा – रामः पठिष्यति।
  8. राम और श्याम पढ़ेंगे – रामः श्यामः च पठिष्यतः।
  9. राम, श्याम और कृष्ण पढ़ेंगे – रामः श्यामः कृष्णः च पठिष्यन्ति।

स्त्रीलिग-

  1. वह पढ़ेगी – सा पठिष्यति।
  2. वे दो पढ़ेंगी – ते पठिष्यतः।
  3. वे सब पढ़ेंगी – ताः पठिष्यन्ति।
  4. आप पढ़ेंगी – भवती पठिष्यति।
  5. आप दो पढ़ेंगी – भवत्यौ पठिष्यतः।
  6. आप सब पढ़ेंगी – भवत्यः पठिष्यन्ति।
  7. रमा पढ़ेगी – रमा पठिष्यति।
  8. रमा और सीता पढ़ेंगी – रमा सीता च पठिष्यतः।
  9. रमा, सीता और राधा पढ़ेंगी – रमा सीता राधा च पठिष्यन्ति।

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

नपुंसकलिंग-

  1. फूल गिरेगा – पुष्पं पतिष्यति।
  2. दो फल गिरेंगे – पुष्पे पतिष्यतः।
  3. बहुत से फूल गिरेंगे – पुष्पाणि पतिष्यन्ति।

(ii) मध्यम पुरुष

  1. तुम पढ़ोगे, तू पढ़ेगा – त्वम् पठिष्यसि।
  2. तुम दोनों पढ़ोगे – युवाम् पठिष्यथः।
  3. तुम सब पढ़ोगे – यूयम् पठिष्यथ।

(iii) उत्तम पुरुष

  1. मैं पढूंगा – अहम पठिष्यामि।
  2. हम दो पढ़ेंगे – आवाम् पठिष्यावः।
  3. हम सब पढ़ेंगे – वयम् पठिष्यामः।

4. लोट् लकार (आज्ञा अर्थ में)

एकवचन द्विवचन बहुवचन
पठ्र (पढ़ना)-प्रथम पुरुष पठतु पठताम् पठन्तु
मध्यम पुरुष पठ पठतम् पठत
उत्तम पुरुष पठानि पठाव पठाम

(i) प्रथम पुरुष
पुंल्लिंग-

  1. वह पढ़े – सः पठतु।
  2. वे दो पढ़ें – तौ पठताम्।
  3. वे सब पढ़ें – ते पठन्तु।
  4. आप पढ़ें – भवान् पठतु।
  5. आप दो पढ़ें – भवन्तौ पठताम्।
  6. आप सब पढ़ें – भवन्तः पठन्तु।
  7. राम पढ़े – रामः पठतु।
  8. राम और श्याम पढ़ें – रामः श्यामः च पठताम्।
  9. राम, श्याम और कृष्ण पढ़ें – रामः श्यामः कृष्णः च पठन्तु।

स्त्रीलिंग-

  1. वह पढ़े – सा पठतु।
  2. वे दो पढ़ें – ते पठताम्।
  3. वे सब पढ़ें – ताः पठन्तु।
  4. आप पढ़ें – भवती पठतु।
  5. आप दो पढ़ें – भवत्यौ पठताम्।
  6. आप सब पढ़ें – भवत्यः पठन्तु।
  7. रमा पढ़े – रमा पठतु।
  8. रमा और सीता पढ़ें – रमा सीता च पठताम्।
  9. रमा, सीता और राधा पढ़ें – रमा, सीता, राधा च पठन्तु।

नपुंसकलिंग-

  1. मित्र पढ़े – मित्रम् पठतु।
  2. दो मित्र पढ़ें – मित्रे पठताम्।
  3. बहुत से मित्र पढ़ें – मित्राणि पठन्तु।

(ii) मध्यम पुरुष

  1. तुम पढ़ो, तू पढ़ – त्वम् पठ।
  2. तुम दो पढ़ो – युवाम् पठतम्।
  3. तुम सब पढ़ो – यूयम् पठत।

(iii) उत्तम पुरुष

  1. मैं पढूँ – अहम् पठानि।
  2. हम दो पढ़ें – आवाम् पठाव।
  3. हम सब पढ़ें – वयम् पठाम।

5. विधिलिङ् लकार (चाहिए अर्थ में)

एकवयन द्विवचन बहुवचन
पठ् (पढ़ना)-प्रथम पुरुष पठेत् पठेताम् पठेयु:
मध्यम पुरुष पठे: पठेतम् पठेत
उत्तम पुरुष पठेयम् पठेव पठेम

(i) प्रथम पुरुष

पुंल्लिंग:

  1. उसे पढ़ना चाहिए – सः पठेत्।
  2. उन दो को पढ़ना चाहिए – तौ पठेताम्।
  3. उन सबको पढ़ना चाहिए
  4. आपको पढ़ना चाहिए – भवान् पठेत्।
  5. आप दो को पढ़ना चाहिए – भवन्तौ पठेताम्।
  6. आप सबको पढ़ना चहिए – भवन्तः पठेयुः
  7. राम को पढ़ना चाहिए – रामः पठेत्।
  8. राम और श्याम को पढ़ना चाहिए – रामः श्यामः च पठेताम् ।
  9. राम, श्याम और कृष्ण को पढ़ना चाहिए – रामः श्यामः कृष्णः च पठेयुः।

स्त्रीलिंग-

  1. उसे पढ़ना चाहिए – सा पठेत्।
  2. उन दो को पढ़ना चाहिए – ते पठेताम्।
  3. उन सबको पढ़ना चाहिए – ताः पठेयुः।
  4. आपको पढ़ना चाहिए – भवती पठेत्।
  5. आप दो को पढ़ना चाहिए – भवत्यौ पठेताम् ।
  6. आप सबको पढ़ना चाहिए – भवत्यः पठेयुः।
  7. रमा को पढ़ना चाहिए – रमा पठेत् ।
  8. रमा और सीता को पढ़ना चाहिए – रमा सीता च पठेताम्।
  9. रमा, सीता और राधा को पढ़ना चाहिए – रमा सीता राधा च पठेयुः।

नपुंसकलिंग-

  1. मित्र को पढ़ना चाहिए – मित्रम् पठेत्।
  2. दो मित्रों को पढ़ना चाहिए – मित्रे पठेताम् ।
  3. बहुत से मित्रों को पढ़ना चाहिए – मित्राणि पठेयुः।

(ii) मध्यम पुरुष

  1. तुम्हें (तुझे) पढ़ना चाहिए – त्वम् पठेः।
  2. तुम दो को पढ़ना चाहिए – यूवाम् पठेतम्।
  3. तुम सबको पढ़ना चाहिए – यूयम् पठेत।

(iii) उत्तम पुरुष

  1. मुझे पढ़ना चाहिए – अहम् पठेयम्।
  2. हम दो को पढ़ना चाहिए – आवाम् पठेव।
  3. हम सबको पढ़ना चाहिए – वयम् पठेम।

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

विभक्ति-प्रयोग के नियम

प्रथमा, सम्बोधन तथा द्वितीया विभक्ति

नियम (1) कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है; जैसे- राम पढ़ता है-रामः पठति।

नियम (2) किसी को सम्बोधन करने अथवा पुकारने में सम्बोधन विभक्ति होती है; जैसे- हे राम! हे हरे!

नियम (3) कर्ता जिसको (व्यक्ति, वस्तु अथवा क्रिया को) सबसे अधिक चाहता है, उसे कर्म कहते हैं तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. राम पुस्तक पढ़ता है – रामः पुस्तकं पठति।
  2. सीता राम को देखती है – सीता रामं पश्यति।
  3. वे सब घर जाते हैं – ते गृहं गच्छन्ति।
  4. तुम जल पीते हो – त्वमू जलं पिबसि।
  5. तुम सब फल चाहते हो – यूयम् फलानि इच्छथ।
  6. मैं प्रश्न पूछता हूँ – अहं प्रश्नं पृच्छामि।
  7. हम दोनों गरु को नमस्कार करते हैं – आवाम गरु नमावः।

नियम (4) निम्नलिखित पदों के साथ द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. अभितः (दोनों ओर)-नदी के दोनों ओर वृक्ष हैं-नदीम् अभितः वृक्षाः सन्ति।
  2. परितः (चारों ओर)-गाँव के चारों ओर जल है-ग्रामं परितः जलम् अस्ति।
  3. समया (समीप)-विद्यालय के समीप बगीचा है-विद्यालयं समया उद्यानम् अस्ति।
  4. निकषा (समीप)-घर के समीप मन्दिर है-गृहं निकषा मन्दिरम् अस्ति।
  5. उभयतः (दोनों ओर) मन्दिर के दोनों ओर घर हैं-मन्दिरम् उभयतः गृहाणि सन्ति।
  6. सर्वतः (सब ओर)-नगर के सब ओर मार्ग हैं नगरं सर्वतः मार्गाः सन्ति।
  7. उपर्युपरि (ऊपर-ऊपर) वृक्ष के ऊपर-ऊपर बन्दर हैं-वृक्षम् उपर्युपरि वानराः सन्ति।
  8. अधोऽधः (नीचे-नीचे)-लता के नीचे-नीचे फूल हैं-लताम् अधोऽधः पुष्पाणि सन्ति।
  9. अध्यधि (बीच-बीच में) तालाब के बीच-बीच में कमल हैं जलाशयम् अध्यधि कमलानि सन्ति।
  10. हा (खेद, दुःख) दुर्जन के लिए खेद है हा दुर्जनम्।

नियम (5) समय और स्थान के दूरवाची शब्दों में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. समय-रमेश दस दिन तक पढ़ता है-रमेशः दश दिनानि पठति।
  2. स्थान की दूरी-सीता कोस भर चलती है-सीता क्रोशं चलति।

नियम (6) निम्नलिखित धातुएं द्विकर्मक हैं। इनके साथ दो कर्म होते हैं; जैसे-

  1. दुह् (दुहना)-सुरेश गाय से दूध दुहता है-सुरेशः गां पयः दोग्धि।
  2. याच् (माँगना)-ब्राह्मण राजा से धन माँगता है-ब्राह्मणः नृपं धनं याचते।
  3. पच् (पकाना) माता चावलों से भात पकाती है माता तण्डुलान् ओदनं पचति।
  4. दण्ड् (दण्ड देना)-शासक चोर पर सौ रुपए दण्ड लगाता है-शासकः चौरं शतं दण्डयति।
  5. रुध् (रोकना) वह घर में बकरी को रोकता है-सः गृहम् अजां रुणद्धि।
  6. प्रच्छ् (पूछना) छात्र गुरु से प्रश्न पूछता है-छात्रः गुरुं प्रश्नं पृच्छति।
  7. चि (चुनना)-तपस्वी लता से फूल चुनता है-तापसः लतां पुष्पाणि चिनोति।
  8. ब्रू (बोलना)-द्रोणाचार्य दुर्योधन को धर्म बताता है-द्रोणाचार्यः दुर्योधनं धर्मं ब्रवीति।
  9. शास् (बताना) पिता पुत्र को ज्ञान बताता है-पिता पुत्रं ज्ञानं शास्ति।
  10. जि (जीतना) रमेश महेश से सौ रुपए जीतता है-रमेशः महेशं शतं जयति।

तृतीया विभक्ति

नियम (1) क्रिया की सिद्धि में जो सबसे अधिक सहायक होता है, उसे करण कहते हैं तथा करण में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. बालक गेंद से खेलता है बालकः कन्दुकेन क्रीडति।
  2. वृद्ध लाठी से चलता है-वृद्धः लगुडेन चलति।।

नियम (2) साथ अर्थवाची सह, साकम्, सार्थम्, समम् के साथ अप्रधान कर्ता में तृतीया होती है

  1. राम सीता के साथ वन जाते हैं रामः सीतया सह वनं गच्छति।
  2. पुत्र पिता के साथ विद्यालय जाता है-पुत्रः पित्रा साकं विद्यालयं गच्छति।
  3. बच्चा बन्दर के साथ खेलता है-बालकः वानरैः सार्धम् क्रीडति।
  4. वह किसके साथ आता है-सः केन सह आगच्छति।

नियम (3) जिस चिह्न से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का बोध होता है, उसमें तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. बालक पुस्तकों से छात्र प्रतीत होता है बालकः पुस्तकैः छात्रः प्रतीयते।
  2. वह जटाओं से तपस्वी लगता है-सः जटाभिः तापसः।

नियम (4) प्रकृति (स्वभाव), सुख, दुःख शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. राम स्वभाव से सज्जन है रामः स्वभावेन् सज्जनः अस्तिः।
  2. रावण प्रकृति से दुर्जन है-रावणः प्रकृत्या दुर्जनः अस्ति।
  3. साधु सुख से जीता है साधुः सुखेन जीवति।
  4. रोगी दुःख से चलता है-रुग्णः दुःखेन चलति।

नियम (5) सादृश्यवाची सदृश, तुल्य, सम आदि शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. गुरु पिता के समान होता है-गुरुः पित्रा सदृशः अस्ति।
  2. लव राम के सदृश है-लवः रामेण तुल्यः अस्ति।

नियम (6) मत, बस अर्थवाची अलम् शब्द के साथ तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. कोलाहल मत करो–अलम् कोलाहलेन।
  2. मत हँसो अलम् हसितेन।

नियम (7) शरीर के जिस अंग में विकार से व्यक्ति विकृत दिखायी दे, उसमें तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. साधु नेत्र से अंधा है साधुः नेत्राभ्याम् अन्धः अस्ति।
  2. कुत्ता पैर से लँगड़ा है कुक्कुरः पादेन खञ्जः अस्ति।
  3. बालक कान से बहरा है बालकः कर्णाभ्याम् बधिरः अस्ति।
  4. चोर हाथ से ढूंडा है-चौरः हस्तेन लुञ्जः अस्ति।
  5. धनिक सिर से गंजा है-धनिकः शिरसा खल्वाटः अस्ति।

नियम (8) हेतु अर्थात् कारण प्रकट करने वाले शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-

  1. कपिल पढ़ने के कारण होस्टल में रहता है कपिलः पठनेन छात्रावासे निवसति।
  2. पुण्य के कारण हरि का दर्शन होता है-पुण्येन हरेः दर्शनं भवति।

नियम (9) पृथक्, विना के साथ तृतीया विभक्ति भी होती है; जैसे-

  1. राम के बिना संसार नहीं है-रामेण पृथक् संसार न अस्ति।
  2. धन के बिना जीवन नहीं है धनेन विना जीवनं न अस्ति।

चतुर्थी विभक्ति

नियम (1) दान आदि क्रिया जिसके लिए की जाती है उसे सम्प्रदान कहते है तथा सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. राजा ब्राह्मण को धन देता है-राजा ब्राह्मणाय धनं ददाति।
  2. माँ बालक को दूध देती है माता बालकाय दुग्धं यच्छति।

नियम (2) रुच् (अच्छा लगना) अर्थ वाली धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. गणेश को लड्डू अच्छा लगता है गणेशाय मोदकं रोचते।
  2. लड़की को फूल अच्छा लगता है बालिकायै पुष्पं रोचते।

नियम (3) क्रुधू, द्रुह, ईष्र्ण्य, असूयु अर्थ वाली धातुओं के साथ जिस पर क्रोध आदि किया जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. कंस कृष्ण पर क्रोध करता है कंस कृष्णाय क्रुध्यति।
  2. दुर्जन सज्जन से द्रोह करता है दुर्जनः सज्जनाय द्रुह्यति।
  3. निर्धन धनी से ईर्ष्या करता है निर्धनः धनिकाय ईर्ण्यति।
  4. मूर्ख विद्वान् से असूया करता है मूर्खः विदुषे असूयति।

नियम (4) (ऋणी होना, उधार लेना) के योग में ऋण देने वाले व्यक्ति में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. राम कृष्ण का सौ रुपए का ऋणी है-रामः कृष्णाय शतं धारयति।
  2. हरि भक्त को मोक्ष देता है हरिः भक्ताय मोक्षं धारयति।

नियम (5) स्पृह (चाहना) धातु के योग में जो वस्तु चाही जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. पुजारी पुष्प चाहता है पूजकः पुष्पाणि स्पृह्यति।
  2. लता फल चाहती है लता फलानि स्पृह्यति।

नियम (6) कथ् (कहना), निवेदय (निवेदन करना), उपदिश् (उपदेश देना), कल्पते (होना), सम्पद्यते (होना) के साथ चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. मुनि तपस्वी से कहता है मुनिः तापसाय कथयति।
  2. प्रजा राजा से निवेदन करती है प्रजा राज्ञे निवेदयति।
  3. गुरु शिष्य को उपदेश देता है-गुरुः शिष्याय उपदिशति। (उपदिश् के साथ द्वितीया भी होती है)-गुरुः शिष्यम् उपदिशति।
  4. विद्या धन के लिए हैं विद्या धनाय कल्पते।
  5. ज्ञान सुख के लिए है-ज्ञानं सुखाय संपद्यते।

नियम (7) जिस प्रयोजन के लिए जो वस्तु या क्रिया की जाती है, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. भक्त मोक्ष के लिए हरि को भजता है भक्तः मोक्षाय हरिं भजति।

नियम (8) निम्नलिखित शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. नमः (नमस्कार) गुरु को नमस्कार-गुरवे नमः।
  2. स्वस्ति (आशीर्वाद)-शिष्य का कल्याण हो-शिष्याय स्वस्ति।
  3. स्वाहा (आहुति)-अग्नि के लिए स्वाहा-अग्नये स्वाहा।
  4. स्वधा (हवि)-पितरों के लिए हवि का दान-पितृभ्यः स्वधा।
  5. अलम् (समर्थ) हरि राक्षसों के लिए समर्थ हैं हरिः दैत्येभ्यः अलम्।
  6. वषट् (हवि) इन्द्र के लिए हविदान-इन्द्राय वषट् ।
  7. हितम् (हित) ब्राह्मण का हित हो-ब्राह्मणाय हितं भूयात्।

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

पंचमी विभक्ति

नियम (1) जिससे कोई वस्तु आदि अलग होती है, उसे अपादान कहते हैं और अपादान में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-

  1. पेड़ से फल गिरता है वृक्षात् फलं पतति।
  2. घोड़े से मनुष्य गिरता है-अश्वात् मनुष्यः पतति।

नियम (2) भय और रक्षा अर्थ वाली धातुओं के साथ जिससे भय होता है, उसमें पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. बच्चा कुत्ते से डरता है बालः कुक्कुरात् बिभेति।
  2. सेनापति शत्रु से राजा की रक्षा करता है-सेनापति शत्रोः नृपं रक्षति।

नियम (3) जिससे विद्या आदि पढ़ी जाए, उसमें पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-

  1. शिष्य गुरु से पढ़ता है शिष्यः गुरोः पठति।
  2. रमा उपाध्याय से पढ़ती है-रमा उपाध्यायात् अधीते।

नियम (4) निम्नलिखित धातुओं के साथ पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. विरम (रुकना)-रवि अध्ययन से विराम करता है रविः अध्ययनात विरमति।
  2. प्रमद् (प्रमाद करना)-दुर्जन धर्म से प्रमाद करता है-दुर्जनः धर्मात् प्रमाद्यति।
  3. जुगुप्सा (घृणा करना) सज्जन पाप से घृणा करता है सज्जनः पापात् जुगुप्सते।
  4. निवृ (हटाना)-भगवान भक्त को पाप से हटाता है भगवान भक्तं पापातु निवारयति
  5. प्रभू (निकलना)-गंगा हिमालय से निकलती है-गंगा हिमालयात् प्रभवति।
  6. उद्भ (निकलना)-अग्नि से धुआँ निकलता है-अग्नेः धूम्रः उद्भवति।
  7. प्रति + दा (बदले में देना) रमा तिलों से उडद बदलती है-रमा तिलेभ्यः माषान् प्रतियच्छति।
  8. जन् (उत्पन्न होना)-प्रजापति से संसार पैदा होता है प्रजापतेः संसारः जायते।
  9. निली (छिपना)-चोर राजा से छिपता है-चौरः नृपात् निलीयते।

नियम (5) तुलना में जिससे तुलना की जाती है, उसमें पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-

  • धन से ज्ञान अधिक बड़ा है धनात् ज्ञानं गुरुतरम्।
  • राम से कृष्ण अधिक कुशल है-रामात् कृष्णः पटुतरः ।

नियम (6) दूर और निकटवाची शब्दों में पंचमी, तृतीया तथा द्वितीया होती है; जैसे-

  • विद्यालय गाँव से दूर है-विद्यालयः ग्रामस्य दूरात् (दूरेण, दूरम्)।
  • घर मन्दिर के पास है-गृहं मन्दिरस्य समीपम् अस्ति।

नियम (7) निम्नलिखित शब्दों के योग में पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. अन्य (दसरा) ईश्वर से दसरा कौन रक्षक है ?-ईश्वरात अन्यः कः रक्षकः अस्ति ?
  2. आरात् (समीप, दूर)-गाँव के समीप उद्यान है-ग्रामात् आरात् उद्यानम् अस्ति।
  3. इतरः (अन्य) राम से अन्य कौन सत्य बोलता है-रामात् इतरः कः सत्यं वदति।
  4. भिन्नः (अलावा) कृष्ण से भिन्न कौन गोपाल है-कृष्णात् भिन्नः कः गोपालः।
  5. ऋते (बिना) ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं-ज्ञानात् ऋते न मुक्तिः।
  6. प्रभृति (से लेकर)-बचपन से लेकर मैं यहाँ पढ़ता हूँ-शैशवात् प्रभृतिः अहम् अत्र पठामि।
  7. आरभ्य (आरम्भ करके)-यौवन से लेकर वह व्यापार करता है-यौवनात् आरभ्य सः व्यापारं करोति।
  8. बहिः (बाहर)-नगर के बाहर देवालय है-नगरात् बहिः देवालयः अस्ति।
  9. प्राक् (पहले, पूर्व की ओर) मन्दिर से पूर्व की ओर बगीचा है-मन्दिरात् प्राक् उद्यानम् अस्ति।
  10. प्रत्यक् (पश्चिम की ओर)-बगीचे के पश्चिम की ओर कुआँ है-उद्यानात् प्रत्यक् कूपः अस्ति।
  11. उदक् (उत्तर की ओर)-विद्यालय के उत्तर की ओर नदी है-विद्यालयात् उदक् नदी अस्ति।
  12. दक्षिणा (दक्षिण की ओर) घर के दक्षिण की ओर वृक्ष है-गृहात् दक्षिणा वृक्षः अस्ति।

षष्ठी विभक्ति

नियम (1) सम्बन्ध का बोध कराने के लिए षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-

  • राम का घर है-रामस्य गृहम् अस्ति।
  • यह मेरा पुत्र है-अयं मम पुत्रः अस्ति।

नियम (2) हेतु शब्द के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-

  • गोपाल धन के लिए यहाँ रहता है-गोपालः धनस्य हेतोः अत्र निवसति।
  • राम पढ़ाई के लिए वहाँ जाता है-रामः पठनस्य हेतोः तत्र गच्छति।

नियम (3) स्मरण अर्थ की धातुओं के साथ कर्म में षष्ठी विभक्ति होती है; जैसे-

  • बालक माता का स्मरण करता है-बालकः मातुः स्मरति ।
  • रमेश पिता का स्मरण करता है रमेशः पितुः स्मरति।

नियम (4) बहुतों में से एक को छाँटने में जिसमें से छाँटा जाए उसमें षष्ठी तथा सप्तमी दोनों विभक्तियों का प्रयोग होता है; जैसे-

  • छात्रों में कृष्ण श्रेष्ठ है-छात्राणाम् (छात्रेषु) कृष्णः श्रेष्ठः अस्ति।
  • मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ है मनुष्याणाम् (मनुष्येषु) ब्राह्मणः श्रेष्ठः अस्ति।

नियम (5) दूर और समीपवाची शब्दों के साथ षष्ठी और पंचमी दोनों विभक्तियाँ होती हैं, जैसे-

  • नदी गाँव से दूर है-नदी ग्रामस्य (ग्रामात्) दूरम् अस्ति।
  • विद्यालय के पास वृक्ष हैं -विद्यालयस्य (विद्यालयात्) सकाशं वृक्षाः सन्ति।

नियम (6) तुल्यवाची शब्दों (तुल्य, सदृश, सम) के साथ षष्ठी और तृतीया दोनों विभक्तियाँ होती हैं, जैसे-

  • गुरु पिता के तुल्य है-गुरुः पितुः (पित्रा) तुल्यः अस्ति।
  • राम के सदृश कोई नहीं है-रामस्य (रामेण) सदृशः कोऽपि न अस्ति।

नियम (7) आशीर्वाद सूचक शब्दों के साथ षष्ठी और चतुर्थी दोनों विभक्तियाँ होती हैं; जैसे-

  • राम का कुशल हो-रामस्य कुशलं भूयात् अथवा रामाय भद्रं भूयात् ।

नियम (8) निम्नलिखित शब्दों के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-

  1. उपरि (ऊपर)-नगर के ऊपर बादल हैं-नगरस्य उपरि मेघाः सन्ति।
  2. उपरिष्टात् (ऊपर की ओर)-पर्व के ऊपर की ओर जाओ-पर्वतस्य उपरिष्टात् गच्छ।
  3. अधः (नीचे) वृक्ष के नीचे बन्दर हैं वृक्षस्य अधः वानराः सन्ति।
  4. अधस्तात् (नीचे की ओर) हरि पर्वत के नीचे की ओर जा रहा है हरिः पर्वतस्य अधस्तात् गच्छति।
  5. पुरः (सामने)-गाय घर के सामने है-धेनुः गृहस्य पुरः अस्ति।
  6. पुरस्तात् (सामने की ओर)-विद्यालय के सामने की ओर छात्र हैं-विद्यालयस्य पुरस्तात् छात्राः सन्ति।
  7. पश्चात् (पीछे)-गाँव के पीछे वन है ग्रामस्य पश्चात् वनम् अस्ति।
  8. अग्रे (आगे) घर के आगे धरती खोदता है-गृहस्य अग्रे वसुधां खनति।
  9. दक्षिणतः (दक्षिण की ओर, दाहिनी ओर)-नंगर के दक्षिण की ओर मन्दिर है-नगरस्य दक्षिणतः देवालयः अस्ति।
  10. उत्तरतः (उत्तर की ओर)-भवन के उत्तर की ओर वृक्ष है-भवनस्य उत्तरतः वृक्षः अस्ति।

सप्तमी विभक्ति

नियम (1) किसी वस्तु के आधार को अधिकरण कारक कहते हैं और अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. सुरेश विद्यालय में पढ़ता है सुरेशः विद्यालये पठति।
  2. विद्यालय में गुरु रहते हैं विद्यालये गुरवः वसन्ति ।
  3. माता पतीली में पकाती है-माता स्थाल्यां पचति।

नियम (2) ‘विषय में ‘बारे में अर्थ को प्रकट करने में सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-

  1. जनक की मोक्ष के विषय में इच्छा है-जनकस्य मोक्षे इच्छा अस्ति।

नियम (3) समय बोधक शब्दों में सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. ‘मैं दिन में पढ़ता हूँ सायंकाल में खेलता हूँ अहं दिने पठामि, सायंकाले क्रीडामि।
  2. बचपन में सब चंचल होते हैं शैशवे सर्वे चपलाः भवन्ति।

नियम (4) प्रेम, आसक्ति या आदरसूचक धातुओं और शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. पिता पुत्र से स्नेह करता है-पिता पुत्रे स्निह्यति।
  2. हरि रमा पर अनुरक्त है हरिः रमायाम् अनुरक्ताः अस्ति ।
  3. गुरु शिष्यों में आदर पाता है गुरुः शिष्येषु आद्रियते।।

नियम (5) विश्वास और श्रद्धा अर्थ वाली धातुओं और शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-

  1. शिष्य की गुरु में श्रद्धा होती है शिष्यस्य गुरौं श्रद्धा भवति।
  2. पुत्र माता पर विश्वास करता है-पुत्रः मातरि विश्वसिति।

नियम (6) फेंकना अर्थवाची क्षिप, मुच् आदि धातुओं के साथ सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-

  1. दशरथ मृग पर बाण छोड़ता है-दशरथः मृगे बाणं क्षिपति।।

नियम (7) संलग्न अर्थ वाले लग्नः, युक्तः आदि शब्दों तथा चतुर अर्थ वाले ‘कुशलः निपुणः’ आदि शब्दों के योग में सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-

  1. मैं इस समय काम में लगा हूँ अहम् इदानीम् कार्ये लग्नः अस्मि।
  2. चन्द्रापीड शास्त्रों में कुशल है-चन्द्रापीड़ः शास्त्रेषु कुशलः अस्ति।

नियम (8) एक क्रिया के बाद दूसरी क्रिया होने पर पहली क्रिया में सप्तमी होती है तथा उसके कर्ता में भी सप्तमी होती है; जैसे-

  1. राम के वन जाने पर दशरथ मर गए-रामे वनं गते दशरथः मृतः।

अभ्यासार्थ प्रश्नाः

I. 1. करण कारकस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत।
2. सम्प्रदान कारकस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत।
3. अधिकरण कारकस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत।
4. कर्मकारकस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत।
5. अपादान कारकस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत।

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

II. अधोलिखित प्रश्नानां प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु शुद्धविकल्पं लिखत
(निम्नलिखित प्रश्नों के दिए गए विकल्पों में से शुद्ध विकल्प लिखिए)

1. ‘सह’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ?
(A) प्रथमा
(B) पंचमी
(C) तृतीया
(D) द्वितीया

2. ‘अलम्’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ?
(A) प्रथमा
(B) तृतीया
(C) द्वितीया
(D) चतुर्थी

3. विना’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ?
(A) प्रथमा
(B) पंचमी
(C) तृतीया
(D) द्वितीया

4. ‘नमः’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ?
(A) चतुर्थी
(B) षष्ठी
(C) पंचमी
(D) द्वितीया

5. ‘कर्म कारके’ का विभक्तिः भवति?
(A) चतुर्थी
(B) द्वितीया
(C) पंचमी
(D) सप्तमी

III. कोष्ठकाङ्कितेषु पदेषु उपयुक्तपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(कोष्ठक में दिए गए शब्दों को उपयुक्त स्थान पर लिखें) ।

(क) ………………. परितः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालयम्/विद्यालयस्य)
(ख) मोहन ……………… सः क्रीडति। (मित्रस्य मित्रेण)
(ग) …………… नमः। (देवाय देवेन)
(घ) …………… हसितेन। (अलम्/सह)
(ङ) ………………. अवकाशः आसीत्। (श्वः/ह्यः)
उत्तराणि:
(क) विद्यालयम्,
(ख) मित्रेण,
(ग) देवाय,
(घ) अलम्,
(ङ) ह्यः।

IV. उपपदम् आधृत्य उचित विभक्ति प्रयोगं कुरुत

(क) ………… नमः। (गुरवे/गुरुं)
(ख) ……….. विना न जीवनम्। (जल:/जलम्)
(ग) ………… निकषा वृक्षाः सन्ति। (विद्यालयः विद्यालयं)
उत्तराणि:
(क) गुरवे,
(ख) जलम,
(ग) विद्यालयः।

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 16 Environmental Issues Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 16 Environmental Issues

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 15 Biodiversity and Conservation Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 15 Biodiversity and Conservation

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 14 Ecosystem Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 14 Ecosystem

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 13 Organisms and Populations Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 13 Organisms and Populations

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 12 Biotechnology and Its Applications Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 12 Biotechnology and Its Applications

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 11 Biotechnology: Principles and Processes Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 11 Biotechnology: Principles and Processes

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 10 Microbes in Human Welfare Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 10 Microbes in Human Welfare

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 9 Strategies for Enhancement in Food Production Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 9 Strategies for Enhancement in Food Production

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया में पियवा और सखिया शब्द के प्रतीकार्थ क्या हैं - godee mein piyava chamak uthe sakhiya mein piyava aur sakhiya shabd ke prateekaarth kya hain

गोदी में पियवा चमक उठे सखिया चिहुंक उठे ना इस पंक्ति में पियवा कौन है?

उनकी खँजड़ी डिमक - डिमक बज रही है और वे गा रहे हैं -`गोदी में पियवा, चमक उठे सखिया, चिहुँक उठे ना !` हाँ, पिया तो गोद में ही है, किंतु वह समझती है, वह अकेली है, चमक उठती है, चिहुँक उठती है। उसी भरे-बदलोंवाले भादों की आधी रात में उनका गाना अँधेरे में अकस्मात कौंध उठनेवाली बिजली की तरह किसे न चौंका देता ?

पियवा का अर्थ क्या होता है?

उत्तर : अर्थ-डटकर सामना करना।