Haryana State Board HBSE 11th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् chhand Prakaran छंद प्रकरण Exercise Questions and Answers. Show
Haryana Board 11th Class Sanskrit व्याकरणम् छंद प्रकरणछन्द संस्कृत साहित्य में श्लोकों के लेखन एवं उच्चारण में वर्णों की एक निश्चित व्यवस्था की गई है। इस निश्चित व्यवस्था को ‘छन्द’ या ‘वृत्त’ कहते हैं। परिभाषा-पद्य लिखते समय वर्णों की एक निश्चित व्यवस्था रखनी पड़ती है। इस व्यवस्था को ही ‘छन्द’ या ‘वृत्त’ कहते हैं। छन्द में ‘यति’, ‘गति’ इत्यादि के भी विशेष नियम होते हैं। गद्य सामान्य बोलचाल की भाषा के अनुसार होता है, जबकि पद्य में गति, लय और यति (विराम) का विशेष ध्यान रखा जाता है, जिससे भाषा में ‘गेयता’ आ जाती है अर्थात् छन्दोबद्ध वाक्य गाने के योग्य हो जाता है। यह गेयता लाने के लिए स्वरों अथवा वर्गों में सीमा-बन्धन करना पड़ता है। इस प्रकार कुछ विशेष नियमों में बद्ध (छन्दयुक्त) रचना को ही पद्य कहते हैं। भेद:
मात्राएँ गिनने की विधि-मात्राओं की गणना करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि ह्रस्व की एक मात्रा और दीर्घ की दो मात्राएँ होती हैं, परन्तु यदि किसी ह्रस्व से परे संयुक्त व्यंजन हो तो उस ह्रस्व को भी दीर्घ माना जाता है और उसकी भी दो मात्राएँ होती हैं। गुरु
तथा लघु-व्यवस्था सानुस्वारश्च दीर्घश्च विसर्गो च गुरुर्भवेत्। लघु इनके अतिरिक्त सभी वर्ण अ, इ, उ, ऋ, लु इत्यादि लघु (ह्रस्व) होते हैं। गण तथा गण-चिह्न छन्द में मात्राएँ गिनने के लिए तीन-तीन वर्णों का एक-एक गण बनाया जाता है। ये आठ गण निम्नलिखित हैं
भगण आदि गुरु, जगण मध्य गुरु तथा सगण अन्त गुरु होते हैं। यगण आदि लघु, रगण मध्य लघु और तगण अन्त लघु होते हैं। मगण में गुरु और नगण में सभी वर्ण लघु होते हैं। जैसा कि ‘छन्दोमञ्जरी’ में कहा गया है कि आदिमध्यावसानेषु भजसा यान्ति गौरवम्। इन गणों को समझने के लिए यह सूत्र याद रखना चाहिए-“यमाताराजभानसलगा”। इसके एक-एक वर्ण से एक-एक गण बनता है। इसमें पहले वर्ण के साथ अगले दो वर्गों को मिलाने से वह गण बन जाता है ‘य’ के साथ ‘मा’, ‘ता’ को मिलाने से ‘यमाता’ यगण । ऽ ऽ इस प्रकार उपर्युक्त सूत्र को याद करने से इन सभी गणों को उचित प्रकार समझा जा सकता है। यति-विराम या रुकने को यति कहते हैं। छन्द पढ़ते समय छन्द के अनुसार जहाँ विराम होता है, वहाँ ‘यति’ होती है। यति के कारण स्वर में प्रवाह आता है और अर्थ को समझने में सुविधा रहती है। वृत्त के भेद प्रायः प्रत्येक श्लोक के चार भाग होते हैं, जो पाद या चरण कहलाते हैं। जिस वृत्त के चारों चरणों में बराबर वर्ण हों, वह समवृत्त कहलाता है। जिस वृत्त के प्रथम एवं तृतीय तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण वर्णों की दृष्टि से समान हों, वह अर्द्ध समवृत्त होता है। जिस वृत्त के चारों चरणों में वर्गों की संख्या समान न हो, वह विषम वृत्त कहलाता है। 1. अनुष्टुप् (आठ वर्णों वाला समवृत्त) लक्षण-श्लोके षष्ठं गुरुज्ञेयं सर्वत्र लघु पञ्चमम् । अर्थात् अनुष्टुप् (श्लोक) छन्द के प्रत्येक चरण में पाँचवाँ वर्ण लघु और छठा गुरु होता है। सातवाँ वर्ण दूसरे और चौथे चरणों में लघु होता है, किन्तु अन्य अर्थात् पहले और तीसरे चरणों में गुरु होता है। शेष वर्गों के लिए कोई नियम नहीं है, वे दीर्घ या ह्रस्व हो सकते हैं। उदाहरण 1. उदाहरण 2. उदाहरण 3. 2. इन्द्रवज्रा: उदाहरण 1. उदाहरण 2. 3. उपेन्द्रवजा: उदाहरण 1. उदाहरण 2. 4. उपजातिः उदाहरण: 5. मालिनी: लक्षण-ननमयययुतेयं
मालिनी भोगिलोकैः उदाहरण: Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 6 Lines and Angles Important Questions and Answers. Haryana Board 9th Class Maths Important Questions Chapter 6 Lines and AnglesVery Short Answer Type Questions Question 1. Question 2. Question 3. Question 4. Question 5. Question 6. Question 7. Question
8. Short Answer Type Questions Question 1. Hence, other complementary angle = 48° and one complementary angle = \(\frac {7}{8}\) × 48° = 42°. Question 2. Solution : Since, AC and BC are opposite rays. Therefore, ∠ACD + ∠BCD = 180°, (Linear pair axiom) ⇒ x + y = 180° …(i) 2x – 3y = 60° (Given) …(ii) Multiplying equation (i) by 3 and adding equation (i) and (ii), we get ⇒ x = \(\frac {600°}{5}\) = 120° Substituting the value of x in the equation (i), we get 120° + y = 180° ⇒ y = 180° – 120° = 60° Hence, x = 120° and y = 60° Question
3. Solution : Since, BCA is a line. Therefore ∠BCD + ∠ACD = 180°, (Linear pair axiom) ⇒ ∠BCD + ∠DCE + ∠ACE = 180°, [∵ ∠ACD = ∠DCE + ∠ACE] ⇒ 2x° + (2x° + 30)° + x° = 180° ⇒ 5x° + 30° = 180° ⇒ 5x° = 180° – 30° ⇒ 5x° = 150° ⇒ x° = \(\frac {150°}{5}\) = 30° Hence, x° = 30° Question 4. Solution : Since, PQR is a line. Therefore ∠PQM + ∠RQM = 180°, (Linear pair axiom) ⇒ ∠PQM + ∠MQS + ∠RQS = 180°, [∵ ∠RQM = ∠MQS + ∠RQS] ⇒ a + c + b = 180° But a : b : c = 2 : 3 : 5 Sum of ratios = 2 + 3 + 5 = 10 ∴ a = \(\frac {2}{10}\) × 180° = 36° b = \(\frac {3}{10}\) × 180° = 54° and c = \(\frac {5}{10}\) × 180° = 90° Hence, a = 36°, b = 54 and c = 90°. Question 5. Solution: y = 60°, (Vertically opposite angles) r = 90° (Vertically opposite angles) Since, AOB is a line. ∠AOE + ∠BOE = 180° (Linear pair axiom) ⇒ ∠AOD + ∠DOE + ∠BOE = 180° ⇒ y + x + 90° = 180° ⇒ 60° + x + 90° = 180° ⇒ x + 150° = 180° ⇒ x = 180° – 150°= 30° z = x (Vertically opposite angles) ⇒ z = 30° Hence, x = 30°, y = 60°, z = 30°, r = 90°. Question 6. Solution : ∵ AB || CD and AX is a transversal ∴ ∠BAC + ∠ACD = 180°, (Sum of a pair of allied angles is 180°) ⇒ 70° + ∠ACD = 180°,(∵ ∠BAC = 70°) ⇒ ∠ACD = 180° – 70° ⇒ ∠ACD = 110° Now PQ || AX and CD is a transversal. ∠DPQ = ∠ACD, (Corresponding angles axiom) ⇒ ∠DPQ = 110° Hence, ∠DPQ = 110° Question 7. Solution : ∠QPR = 3x, (Vertically opposite angles) ∵ AB || CD and line m is a transversal. ∴ ∠QPR + ∠PRS = 180°, (A pair of allied angles is supplementary) ⇒ 3x + ∠PRS = 180° ⇒ ∠PRS = 180° – 3x ……(i) Now, m || n and line CD is a transversal. ∠PRS = ∠QSD, (Corresponding angles axiom) ⇒ 180° – 3x = 2x + 5°, [From (i), ∠PRS = 180° – 3x and ∠QSD = 2x + 5°] ⇒ 180° – 5° = 2x + 3x ⇒ 175° = 5x ⇒ \(\frac {175°}{5}\) = x ⇒ x = 35° Hence, x = 35° Question 8. Solution : From E, draw EF || AB || CD. Now, AB || EF and AE is the transversal. ∴ ∠BAE + ∠AEF = 180° (A pair of allied angles are supplementary) ⇒ 110° + ∠AEC + ∠CEF = 180° ⇒ 110° + 25° + ∠CEF = 180° ⇒ 135° + ∠CEF = 180° ⇒ ∠CEF = 180° – 135° ⇒ ∠CEF = 45° Again CD || EF and CE is the transversal. ∴ ∠DCE + ∠CEF = 180°, (A pair of allied angles is supplementary) ⇒ x + 45° = 180° ⇒ x = 180° – 45° ⇒ x = 135° Hence, x = 135° Question 9. Solution : Since AB || DE and BC is the transversal. Therefore, ∠DOC = ∠ABC, (Corresponding angles axiom) ⇒ ∠DOC = x But x = y, (Given) ∴ ∠DOC = y Thus, a pair of corresponding angles ∠DOC and y are equal. By converse of corresponding axiom, we have BC || EF. Hence proved Question 10. Solution : Since, AB || CD and AC is the transversal. ∴ ∠ACD = ∠BAC, (Alternate interior angles) ⇒ ∠ACD = 52° ⇒ ∠QCR = 52°, (∵ ∠ACD = ∠QCR) …(i) ∠QRC = ∠DRS, (Vertically opposite angles) ⇒ ∠QRC = 43° …….(ii) In ΔCQR, we have ∠AQR = ∠QCR + ∠QRC, ⇒ x = 52° + 43°, [From (i) and (ii), ∠QCR = 52° and ∠QRC = 43°) ⇒ x = 95° Hence, x = 95° Question
11. Solution : In ΔABC, we have ∠ACD = ∠1 + ∠3 ………….(i) ∠BAE = ∠1 + ∠2 ………….(ii) ∠CBF = ∠2 + ∠3 ………….(iii) Adding (i), (ii) and (iii), we get ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = ∠1 + ∠3 + ∠1 + ∠2 + ∠2 + ∠3 ⇒ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 2∠1 + 2∠2 + 2∠3 ⇒ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 2(∠1 + ∠2 + ∠3) But ∠1 + ∠2 + ∠3 = 180°, (Sum of the angles of a triangle = 180°) ∴ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 2 × 180° ⇒ ∠ACD + ∠BAE + ∠CBF = 360° Hence proved Question 12. Solution : In ΔABC, we have ∠A + ∠B + ∠C= 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) …(i) In ΔPQR, we have ∠P + ∠Q + ∠R = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) …(ii) Adding (i) and (ii), we get ∠A + ∠B + ∠C + ∠P + ∠Q + ∠R = 180° + 180° ⇒ ∠A + ∠B + ∠C + ∠P + ∠Q + ∠R = 360° Hence proved Question 13. Solution : In a triangle ΔABC, we have ∠A + ∠B + ∠C = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ 66° + ∠B + ∠C = 180° ⇒ ∠B + ∠C = 180° – 66° = 114° ⇒ \(\frac {1}{2}\)∠B + \(\frac {1}{2}\)∠C = \(\frac {114°}{2}\) = 57° ⇒ ∠1 + ∠2 = 57° …….(i) [∵ BO and CO are bisectors of ∠B and ∠C respectively] Now, in ΔBOC, we have ∠1 + ∠2 + ∠BOC = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ 57° + ∠BOC = 180°, [using (i)] ⇒ ∠BOC = 180° – 57° ⇒ ∠BOC = 123° Hence, ∠BOC = 123° Question 14. Solution : Let the smaller angles be A and C and greater angle be B. According to question, ∠B = ∠A + ∠C ……..(i) But, ∠A + ∠B + ∠C = 180°, (∵ Sum of angles of a triangle = 180°) (∠A + ∠C) + ∠B = 180° ⇒ ∠B + ∠B = 180°, [Using (i)] ⇒ 2∠B = 180° ⇒ ∠B = \(\frac {180°}{2}\) ⇒ ∠B = 90° Hence, triangle ABC is right angled. Proved Question 15. Solution : In ΔRPQ, we have ∠SRQ = ∠P + ∠Q ⇒ ∠1 + ∠2 = ∠Q + ∠Q (∵ It is given ∠P = ∠Q) ⇒ ∠2 + ∠2 = 2∠Q (∵ It is given ∠1 = ∠2) ⇒ 2∠2 = 2∠Q ⇒ ∠2 = ∠Q Thus, a pair of alternate interior angles 2 and Q are equal, then RT || PQ. Hence proved Question 16. Solution : ∵ m || n and line p is a transversal ∴ ∠3 = ∠1 (Corresponding angles) ⇒ ∠3 = 75° (∴ ∠1 = 75°) Now p || t and line n is a transversal. ∴ ∠2 + ∠3 = 180° (A pair of allied angles is supplementary) ⇒ ∠2 + 75° = 180° ⇒ ∠2 = 180° – 75° ⇒ ∠2 = 105° ⇒ ∠2 = 75° + 30° ⇒ ∠2 = ∠1 + \(\frac {1}{3}\) × 90° (∵ ∠1 = 75°) ⇒ ∠2 = ∠1 + \(\frac {1}{3}\) of a right angle. Hence proved Long Answer Type Questions Question 1. Solution : ∠1 + ∠2 + ∠6 + ∠4 + ∠3 + ∠5 = 360° …….(i) (Sum of angles at a point = 360°) ∵ ray OP is the bisertor of ∠BOD. ∴ ∠3 = ∠4 …….(ii) ∵ ray OQ is the bisector of ∠AOC. ∴ ∠1 = ∠2 …….(iii) ∠5 = ∠6, (Vertically opposite angles) …(iv) From (i), (ii), (iii) and (iv), we get ∠2 + ∠2 + ∠6 + ∠4 + ∠4 + ∠6 = 360° ⇒ 2∠2 + 2∠6 + 2∠4 = 360° ⇒ 2(∠2 + ∠6 + ∠4) = 360° ⇒ ∠2 + ∠6 + ∠4 = \(\frac {360°}{2}\) = 180° ⇒ ∠POQ = 180° Hence, OP and OQ are in the same straight line. Hence Proved Question 2. Solution : Draw a line EF parallel to AB. ∵ AB || EF and a transversal PQ cuts them at P and Q respectively. ∴ ∠APQ + ∠EQP = 180°, (∵ Sum of a pair of allied angles is 180°) ⇒ 40° + ∠EQP = 180°, (∵ ∠APQ = 40°) ⇒ ∠EQP = 180° – 40° ⇒ ∠EQP = 140° …….(i) ∴ AB || EF, (By construction) and AB || CD, (Given) ∴ EF || CD, (By theorem 6.6) ∠EQR = ∠QRD, (Alternate interior angles) ⇒ ∠EQR = 120°, (∵ ∠QRD = 120°) …(ii) Adding (i) and (ii), we get ∠EQP + ∠EQR = 140° + 120° ⇒ Reflex angle PQR = 260° ⇒ x = 260° Hence, x= 260°. Question 3. Solution : (i) ∵ CD || EF and CE is a transversal. ∴ x + z = 180° (Sum of a pair of allied angles is 180°) ⇒ 70° + z = 180°, (∵ x = 70°) ⇒ z = 180° – 70° ⇒ z = 110° ∵ AB || CD and AC is a transversal. ∴ y = z, (Corresponding angles axiom) ⇒ y = 110° Hence y = 110° and z = 110°. (ii) 3x = 2y, (Given) (iii) ∵ CD || EF and CE is a
transversal. Question 4. Solution : Through T draw LTM || PQ || RS. ∵ LT || PQ and PT is the transversal. ∴ ∠LTP = ∠TPQ, (Alternate interior angles) ⇒ ∠LTP = 55° ……..(i) and TM || RS and TR is the transversal. ∴ ∠MTR + ∠TRS = 180°, (A pair of allied angles is supplementary) ⇒ ∠MTR + 115° = 180° ⇒ ∠MTR = 180° – 115° ⇒ ∠MTR = 65° ……..(ii) Now LTM is a line. ∴ ∠LTP + ∠PTR + ∠MTR = 180° (Straight line) ⇒ 55° + x + 65° = 180°. [From (i) and (ii), ∠LTP = 55° and ∠MTR = 65°] ⇒ 120° + x = 180° ⇒ x = 180° – 120° ⇒ x = 60° Hence, x = 60°. Question 5. Solution : ∵ AB || CD and EF is the transversal ∴ ∠PQB = ∠EPD, (Corresponding angles) ⇒ x + 25° = 50° ⇒ x = 50° – 25° = 25° and ∠DPQ + ∠PQB = 180°, (A pair of allied angles is supplementary) ⇒ (y + 60°) + (x + 25°) = 180° ⇒ y + 60° + 25° + 25° = 180° (∵ x = 25°) ⇒ y + 110°= 180° ⇒ y = 180° – 110° ⇒ y = 70° In the triangle ΔPQR, Sum of the angles of a triangle is 180° ∴ x + y + z = 180° ⇒ 25° + 70° + z = 180° ⇒ 95° + z = 180° ⇒ z = 180° – 95° ⇒ z = 85° Hence, x = 25°, y = 70° and z = 85° Question 6. Solution : Since, CDB is a straight line. ∠ADC + ∠ADB= 180°,(Linear pair axiom) ⇒ 110° + ∠ADB = 180° ⇒ ∠ADB = 180° – 110° ⇒ ∠ADB = 70° In ΔABD, we have ∠ADC = ∠DAB + ∠ABD, ⇒ 110° = ∠y + 90° ⇒ 110° – 90° = ∠y ⇒ ∠y = 20° ………..(i) Again in ΔADC, we have ∠ADB = ∠ACD + ∠DAC, (By theorem 6.8) ⇒ 70° = 50° + ∠x ⇒ 70° – 50° = ∠x ⇒ ∠x = 20° ………..(ii) From (i) and (ii), we get ∠x = ∠y. Hence proved Question 7. Solution : Since AB || CD and EF is the transversal. ∠DPR + ∠PRB = 180°, (A pair of interior angles of the same side of transversal is supplementary) …(i) ⇒ ∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 = 180° But ∠1 = ∠2, (∵ PQ is the bisector of ∠DPR) …(ii) and ∠3 = ∠4, (∵ RQ is the bisector of ∠PRB) …(iii) From (i), (ii) and (iii), we get ∠1 + ∠1 + ∠3 + ∠3 = 180° ⇒ 2∠1 + 2∠3 = 180° ⇒ 2(∠1 + ∠3) = 180° ⇒ ∠1 + ∠3 = 90° ……..(iv) In the ΔPQR, Sum of the angles of a triangle is 180°, ∴ ∠1 + ∠3 + ∠PQR = 180° ⇒ 90° + ∠PQR = 180°, [From (iv), ∠1 + ∠3 = 90°] ⇒ ∠PQR = 180° – 90° ⇒ ∠PQR = 90° ⇒ ∠PQR = a right angle Hence, bisectors of interior angles on the same side of the transversal EF intersect at right angle. Hence Proved Question 8. Solution : Since, AD || BC and BD is the transversal. ∴ ∠DBC = ∠ADB, (Alternate interior angles) ⇒ ∠DBC = x0 In ΔBDC, we have x° + y° + z° = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) Now in ΔDAB, ∠DAB + ∠ADB + ∠ABD = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ k° + x° + 65° = 180° ⇒ k° + 60° + 65° = 180° (∵ x = 60°) ⇒ k° + 125° = 180° ⇒ k° = 180° – 125° ⇒ k° = 55° Hence, x° = 60°, y° = 45°, z° = 75° and k° = 55° Question 9. Solution : In ΔABC, we have ∠ACD = ∠ABC + ∠BAC, (By theorem 6.8) …(i) But AM is the bisector of ∠BAC. (Given) ∴ ∠BAM = ∠CAM or ∠BAC = 2∠BAM Putting the value of ∠BAC in (i), we get ∠ACD = ∠ABC + 2∠BAM … (ii) Again, in ΔABM, we have ∠AMC = ∠ABC + ∠BAM ⇒ 2∠AMC = 2∠ABC + 2∠BAM ……(iii) Subtracting (ii) from (iii), we get 2∠AMC – ∠ACD = ∠ABC ⇒ 2∠AMC = ∠ABC + ∠ACD ⇒ ∠ABC + ∠ACD = 2∠AMC. Hence proved Question 10. Solution : Given : Two parallel lines AB and CD are intersected by a transversal EF at P and R respectively. PQ, RS, PS and RQ are the bisectors of the two pairs of interior angles. To prove: PQRS is a rectangle. Proof : ∠BPR = ∠PRC, (A pair of alternate interior angles) ⇒ \(\frac {1}{2}\)∠BPR = \(\frac {1}{2}\)∠PRC ⇒ ∠QPR = ∠PRS [∵ PQ and RS are bisectors of ∠BPR and ∠PRC ∴ ∠QPR = \(\frac {1}{2}\)∠BPR and ∠PRS = \(\frac {1}{2}\)∠PRC] But these are alternate interior angles. PQ || SR, (By theorem 6.3) Similarly, SP || RQ ∴ PQRS is a parallelogram. Now, ∠BPR + ∠PRD = 180°, (Sum of a pair of allied angles = 180°) ⇒ \(\frac {1}{2}\)∠BPR + \(\frac {1}{2}\)∠PRD = \(\frac {180°}{2}\) ⇒ \(\frac {1}{2}\)∠BPR + \(\frac {1}{2}\)∠PRD = 90° ⇒ ∠QPR + ∠QRP = 90° , [∵ PQ and RQ are the bisectors of ∠BPR and ∠PRD respectively] Now in ΔPQR, ∠QPR + ∠PQR + ∠QRP = 180°, (Sum of angles of a triangle is 180°) ⇒ ∠PQR + 90° = 180°, [Using (i)] ⇒ ∠PQR = 180° – 90° = 90° In a parallelogram PQRS, ∠PQR = 90° Hence, PQRS is a rectangle. Hence Proved Question 11. Solution : In ΔABC, we have AB = AC ⇒ ∠ACB = ∠ABC, (The angles opposite to equal sides of a triangle are equal) ∠RAB = ∠ACB + ∠ABC, (By theorem 6.8) ⇒ 124° = ∠ABC + ∠ABC [∵ ∠ACB = ∠ABC] ⇒ 124° = 2∠ABC ⇒ \(\frac {124°}{2}\) = ∠ABC ⇒ ∠ABC = 62° ∴ ∠ACB = ∠ABC = 62° Now in ΔBPC, we have BP = BC, (Given) ∠BPC = ∠PCB, (The angles opposite to equal sides of a triangle are equal) ⇒ ∠BPC = ∠PCB = 62°, (∵ ∠PCB = ∠ACB) In ΔBPC, we have ∠BPC + ∠PCB + ∠PBC = 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ 62° + 62° + ∠PBC = 180° ⇒ 124° + ∠PBC = 180° ⇒ ∠PBC = 180° – 124° ⇒ ∠PBC = 56° Since, PQ || BC (Given) ∴ ∠BPQ = ∠PBC (A pair of alternate interior angles are equal) ⇒ ∠BPQ = 56° Hence, ∠BPQ = 56° Question 12. Solution : Given : In ΔABC, AL is the bisector of ∠BAC and AM ⊥ BC. To prove : ∠LAM = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C). Proof : Since AL is the bisector of ∠BAC. ∴ ∠BAL = ∠CAL ⇒ ∠1 + ∠2 = ∠3 ………….(i) In ΔAMB, ∠AMB = 90°, [∵ AM ⊥ BC] ∴ ∠ABM + ∠AMB + ∠1 = 180°, (∵ Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ ∠ABM + 90° + ∠1 = 180° ⇒ ∠ABM = 180° – 90° – ∠1 ⇒ ∠ABM = 90° – ∠1 ……..(ii) Again in ΔAMC, we have ∠ACM + ∠AMC + ∠2 + ∠3 = 180°, (∵ Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ ∠ACM + 90° + ∠2 + ∠3 = 180° ⇒ ∠ACM = 180° – 90° – ∠2 – ∠3 ⇒ ∠ACM = 90° – ∠2 – ∠3 …….(iii) Subtracting (iii) from (ii), we get ∠ABM – ∠ACM = 90° – ∠1 – 90° + ∠2 + ∠3 ⇒ ∠B – ∠C = ∠2 + ∠3 – ∠1 ⇒ ∠B – ∠C = ∠2 + (∠1 + ∠2) – ∠1, [From (i), ∠3 = ∠1 + ∠2] ⇒ ∠B – ∠C = 2∠2 ⇒ ∠2 = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C) ⇒ ∠LAM = \(\frac {1}{2}\)(∠B – ∠C). Hence proved. Question 13. Solution : ∵ Angle of incidence = Angle of reflection ∴ ∠1 = ∠2 and ∠3 = ∠4 ∴ ∠ABC = ∠1 + ∠2 = ∠2 + ∠2 = 2∠2 …(i) and ∠DCB = ∠3 + ∠4 = ∠3 + ∠3 = 2∠3 …(ii) Since, the two mirrors are perpendicular, the rays perpendicular to them are also perpendicular. i.e., BO ⊥ OC or ∠BOC = 90° In ΔBOC, we have ∠2 + ∠3 + ∠BOC= 180°, (Sum of angles of a triangle = 180°) ⇒ ∠2 + ∠3 + 90° = 180° ⇒ ∠2 + ∠3 = 180° – 90° ⇒ ∠2 + ∠3 = 90° ⇒ 2∠2 + 2∠3 = 180° ⇒ ∠ABC + ∠DCB = 180°, [Using (i) and (ii)] Thus, sum of a pair of co-interior angles ∠ABC and ∠DCB is 180°. By theorem 6.5, we have AB || CD. Hence proved Multiple Choice Questions Choose the correct alternative each of the following : Question 1. Question 2. Question 3. Question 4. Question 5. Question 6. Question 7. Question 8. Question 9. (a) 180° (b) 90° (c) 360° (d) 270° Solution : (c) 360° Question 10. (a) 180° (b) 270° (c) 90° (d) 360° Solution : (d) 360° Haryana State Board HBSE 11th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् karak Prakaran कारक-प्रकरण Exercise Questions and Answers. Haryana Board 11th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक-प्रकरणकारक यह क्रिया पद है। ‘तोड़ना’ क्रिया के कारण (साधक) छः है। रमेश, उद्यान, वृक्ष, छड़ी, सुरेश और फल। इनमें रमेश ‘कर्ता’ कारक है। उद्यान ‘अधिकरण’ कारक है। वृक्ष ‘अपादान’ कारक है। छड़ी ‘करण’ कारक है। सुरेश ‘सम्प्रदान’ कारक है और फल ‘कर्म’ कारक है। ये छः ही ‘तोड़ना’ क्रिया के कारक हैं। इन छः कारकों के अतिरिक्त भी वाक्य में एक वस्तु रहती है-उसे ‘सम्बन्ध’ कहते हैं। मनोज पवन के बाग में पेड़ से……..। इस प्रकार बाग के किसी स्वामी का कथन किया जा सकता है, किन्तु क्योंकि पवन अथवा किसी अन्य स्वामी का तोड़ने की क्रिया में कारणत्व अपेक्षित नहीं होता है, अतः उसे कारक नहीं माना जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जिसका क्रिया से सीधा सम्बन्ध रहता है, उसे ‘कारक’ कहते हैं और जिसका क्रिया से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है, वह कारक न होकर केवल ‘सम्बन्ध’ कहलाता है। इस प्रकार छः कारक और सम्बन्ध ये कुल सात चीजें हैं। विभक्तियों की दृष्टि से इन सातों को इस क्रम से लिखा जा सकता है। कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध और अधिकरण। उन्हें निम्नलिखित प्रकार से देखा जा सकता है
1. प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक): 2. द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक): 3. ततीया विभक्ति (करण कारक): 4. चतुर्थी विभक्ति (सम्प्रदान कारक): 5. पञ्चमी विभक्ति (अपादान
कारक): 6. षष्ठी विभक्ति (सम्बन्ध): 7. सप्तमी विभक्ति: उपपद विभक्ति किसी दूसरे के पद के समीप आ जाने के कारण जिस विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं; जैसे- रामः देवेन सह विद्यालयं गच्छति। इस वाक्य में ‘सह’ के प्रयोग के कारण तृतीया विभक्ति आई है। अतः यह उपपद विभक्ति है। उपपद विभक्ति के लिए कारकों का ज्ञान अनिवार्य है। अतः उनका परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है। 1. प्रथमा विभक्ति (क) सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे- (ख) कर्मवाच्य के कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है; जैसे- 2. द्वितीया विभक्ति (क) अधि + शी (सोना), अधि + स्था (बैठना या रहना), अधि + आस् (बैठना) धातुओं के योग में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-
(ख) प्रति, अनु, विना, परितः, सर्वतः, उभयतः, अभितः, धिक् इत्यादि के योग में अर्थात् इन शब्दों का प्रयोग हो तो द्वितीया विभक्ति होती है।
3. ततीया विभक्ति (क) कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे- (ख) ‘प्रकृति’ इत्यादि शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे- (ग) किसी शरीर के अंग-विकार में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे- (घ) सह, साकम, सार्धम्, अलम, हीनः शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है
4. चतुर्थी विभक्ति (क) नमः, स्वस्ति, स्वाहा के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है
(ख) रुच्, द्रुह् धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति आती है।
5. पञ्चमी विभक्ति (क) पूर्व, ऋते, प्रभृति, बहिर्, ऊर्ध्वम् के योग में पञ्चमी विभक्ति आती है।
(ख) जुगुप्सा, विराम तथा प्रमादसूचक शब्दों के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।
(ग) जिससे भय होता है तथा जिससे रक्षा की जाए, उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है।
(घ) निवारण करना (रोकना) अर्थ वाली धातुओं के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।
6. षष्ठी विभक्ति (क) ‘हेतु’ शब्द का प्रयोग होने पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे- (ख) अधि + इ (पढ़ना), स्मृ (स्मरण करना) के योग में षष्ठी विभक्ति होती है।
(ग) ‘तुल्य’ अर्थ वाले सम, सदृश इत्यादि शब्दों के योग में षष्ठी तथा तृतीया विभक्तियाँ होती है।
7. सप्तमी
विभक्ति
संस्कृत के पाँच लकारों में वाक्य प्रयोग 1. लट् लकार (वर्तमान काल)
(1) प्रथम पुरुष पुंल्लिंग
स्त्रीलिंग
नपुंसकलिंग
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) उत्तम पुरुष
2. लङ् लकार (भूतकाल)
(1) प्रथम पुरुष पुंल्लिंग-
स्त्रीलिंग-
नपुंसकलिंग-
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) उत्तम पुरुष
3. लृट् लकार (भविष्यत् काल)
(1) प्रथम पुरुष पुंल्लिंग-
(i) प्रथम पुरुष पुंल्लिंग-
स्त्रीलिंग
नपुंसकलिंग-
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) उत्तम पुरुष
3. लृट् लकार (भविष्यत् काल)
(i) प्रथम पुरुष पुल्लिंग-
स्त्रीलिग-
नपुंसकलिंग-
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) उत्तम पुरुष
4. लोट् लकार (आज्ञा अर्थ में)
(i) प्रथम पुरुष
स्त्रीलिंग-
नपुंसकलिंग-
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) उत्तम पुरुष
5. विधिलिङ् लकार (चाहिए अर्थ में)
(i) प्रथम पुरुष पुंल्लिंग:
स्त्रीलिंग-
नपुंसकलिंग-
(ii) मध्यम पुरुष
(iii) उत्तम पुरुष
विभक्ति-प्रयोग के नियम प्रथमा, सम्बोधन तथा द्वितीया विभक्ति नियम (1) कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है; जैसे- राम पढ़ता है-रामः पठति। नियम (2) किसी को सम्बोधन करने अथवा पुकारने में सम्बोधन विभक्ति होती है; जैसे- हे राम! हे हरे! नियम (3) कर्ता जिसको (व्यक्ति, वस्तु अथवा क्रिया को) सबसे अधिक चाहता है, उसे कर्म कहते हैं तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (4) निम्नलिखित पदों के साथ द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (5) समय और स्थान के दूरवाची शब्दों में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (6) निम्नलिखित धातुएं द्विकर्मक हैं। इनके साथ दो कर्म होते हैं; जैसे-
तृतीया विभक्ति नियम (1) क्रिया की सिद्धि में जो सबसे अधिक सहायक होता है, उसे करण कहते हैं तथा करण में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (2) साथ अर्थवाची सह, साकम्, सार्थम्, समम् के साथ अप्रधान कर्ता में तृतीया होती है
नियम (3) जिस चिह्न से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का बोध होता है, उसमें तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (4) प्रकृति (स्वभाव), सुख, दुःख शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (5) सादृश्यवाची सदृश, तुल्य, सम आदि शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (6) मत, बस अर्थवाची अलम् शब्द के साथ तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (7) शरीर के जिस अंग में विकार से व्यक्ति विकृत दिखायी दे, उसमें तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (8) हेतु अर्थात् कारण प्रकट करने वाले शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (9) पृथक्, विना के साथ तृतीया विभक्ति भी होती है; जैसे-
चतुर्थी विभक्ति नियम (1) दान आदि क्रिया जिसके लिए की जाती है उसे सम्प्रदान कहते है तथा सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (2) रुच् (अच्छा लगना) अर्थ वाली धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (3) क्रुधू, द्रुह, ईष्र्ण्य, असूयु अर्थ वाली धातुओं के साथ जिस पर क्रोध आदि किया जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (4) (ऋणी होना, उधार लेना) के योग में ऋण देने वाले व्यक्ति में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (5) स्पृह (चाहना) धातु के योग में जो वस्तु चाही जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (6) कथ् (कहना), निवेदय (निवेदन करना), उपदिश् (उपदेश देना), कल्पते (होना), सम्पद्यते (होना) के साथ चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (7) जिस प्रयोजन के लिए जो वस्तु या क्रिया की जाती है, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (8) निम्नलिखित शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे-
पंचमी विभक्ति नियम (1) जिससे कोई वस्तु आदि अलग होती है, उसे अपादान कहते हैं और अपादान में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-
नियम (2) भय और रक्षा अर्थ वाली धातुओं के साथ जिससे भय होता है, उसमें पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (3) जिससे विद्या आदि पढ़ी जाए, उसमें पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-
नियम (4) निम्नलिखित धातुओं के साथ पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (5) तुलना में जिससे तुलना की जाती है, उसमें पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (6) दूर और निकटवाची शब्दों में पंचमी, तृतीया तथा द्वितीया होती है; जैसे-
नियम (7) निम्नलिखित शब्दों के योग में पंचमी विभक्ति होती है; जैसे-
षष्ठी विभक्ति नियम (1) सम्बन्ध का बोध कराने के लिए षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-
नियम (2) हेतु शब्द के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-
नियम (3) स्मरण अर्थ की धातुओं के साथ कर्म में षष्ठी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (4) बहुतों में से एक को छाँटने में जिसमें से छाँटा जाए उसमें षष्ठी तथा सप्तमी दोनों विभक्तियों का प्रयोग होता है; जैसे-
नियम (5) दूर और समीपवाची शब्दों के साथ षष्ठी और पंचमी दोनों विभक्तियाँ होती हैं, जैसे-
नियम (6) तुल्यवाची शब्दों (तुल्य, सदृश, सम) के साथ षष्ठी और तृतीया दोनों विभक्तियाँ होती हैं, जैसे-
नियम (7) आशीर्वाद सूचक शब्दों के साथ षष्ठी और चतुर्थी दोनों विभक्तियाँ होती हैं; जैसे-
नियम (8) निम्नलिखित शब्दों के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-
सप्तमी विभक्ति नियम (1) किसी वस्तु के आधार को अधिकरण कारक कहते हैं और अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (2) ‘विषय में ‘बारे में अर्थ को प्रकट करने में सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-
नियम (3) समय बोधक शब्दों में सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (4) प्रेम, आसक्ति या आदरसूचक धातुओं और शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (5) विश्वास और श्रद्धा अर्थ वाली धातुओं और शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-
नियम (6) फेंकना अर्थवाची क्षिप, मुच् आदि धातुओं के साथ सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-
नियम (7) संलग्न अर्थ वाले लग्नः, युक्तः आदि शब्दों तथा चतुर अर्थ वाले ‘कुशलः निपुणः’ आदि शब्दों के योग में सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-
नियम (8) एक क्रिया के बाद दूसरी क्रिया होने पर पहली क्रिया में सप्तमी होती है तथा उसके कर्ता में भी सप्तमी होती है; जैसे-
अभ्यासार्थ प्रश्नाः I. 1. करण कारकस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत। II. अधोलिखित प्रश्नानां प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु शुद्धविकल्पं लिखत 1. ‘सह’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ? 2. ‘अलम्’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ? 3. विना’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ? 4. ‘नमः’ इति उपपदस्य योगे का विभक्तिः ? 5. ‘कर्म कारके’ का विभक्तिः भवति? III. कोष्ठकाङ्कितेषु पदेषु उपयुक्तपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत (क) ………………. परितः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालयम्/विद्यालयस्य) IV. उपपदम् आधृत्य उचित विभक्ति प्रयोगं कुरुत (क) ………… नमः। (गुरवे/गुरुं) Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 16 Environmental Issues Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 16 Environmental IssuesHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 15 Biodiversity and Conservation Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 15 Biodiversity and ConservationHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 14 Ecosystem Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 14 EcosystemHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 13 Organisms and Populations Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 13 Organisms and PopulationsHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 12 Biotechnology and Its Applications Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 12 Biotechnology and Its ApplicationsHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 11 Biotechnology: Principles and Processes Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 11 Biotechnology: Principles and ProcessesHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 10 Microbes in Human Welfare Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 10 Microbes in Human WelfareHaryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 9 Strategies for Enhancement in Food Production Textbook Exercise Questions and Answers. Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 9 Strategies for Enhancement in Food Productionगोदी में पियवा चमक उठे सखिया चिहुंक उठे ना इस पंक्ति में पियवा कौन है?उनकी खँजड़ी डिमक - डिमक बज रही है और वे गा रहे हैं -`गोदी में पियवा, चमक उठे सखिया, चिहुँक उठे ना !` हाँ, पिया तो गोद में ही है, किंतु वह समझती है, वह अकेली है, चमक उठती है, चिहुँक उठती है। उसी भरे-बदलोंवाले भादों की आधी रात में उनका गाना अँधेरे में अकस्मात कौंध उठनेवाली बिजली की तरह किसे न चौंका देता ?
पियवा का अर्थ क्या होता है?उत्तर : अर्थ-डटकर सामना करना।
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