विषयसूची भगवत गीता में आत्माराम कौन है?इसे सुनेंरोकेंश्रीमद्भागवत गीता के अनुसार आत्मा परमात्मा का अंश है। इस श्लोक में देखिए भगवान् क्या कह रहे हैं। ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः । इस जीवलोक में यह सनातन जीवात्मा मेरा ही अंश है और वही प्रकृति में स्थित मन और पाँचों इन्द्रियोंको आकृष्ट करता है । भागवत गीता में सबसे पहला श्लोक कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंपरित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । गीता का पहला शब्द क्या है?इसे सुनेंरोकेंश्रीमद्भागवद गीता के सबसे पहले दो शब्द- ‘धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे’। इस जगत में हम जीवन जीते है यह एक युद्ध क्षेत्र है। जीवन हमारा कुरुक्षेत्र भी है और धर्म क्षेत्र भी। गीता में आत्मा को क्या कहा गया है? इसे सुनेंरोकेंगीता में आत्मा को अमर कहा गया है, तो फिर किसी जीव को मारना पाप क्यों है? मृत्यु तो होती ही नहीं। किंतु फिर भी मारने में पाप होता है। पाप का मरने वाले से संबंध नहीं, मारने वाले से है। आत्मा राम क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंजो मृत्युलोक में आया है उसे एक दिन अपने शरीर को छोड़कर जाना ही है। शरीर में मौजूद उर्जा जिसे आत्मा कहते हैं वह समाप्त नहीं होती बस रूपान्तरित होती रहती है। यह उर्जा जब शरीर से निकलती है तो यह कुहासे के समान होती है जिसकी छवि उसी प्रकार होती है जिस शरीर से यह निकलती है। भगवत गीता के अनुसार आत्मा को कैसे नष्ट किया जाता है? इसे सुनेंरोकेंअर्थात् यह आत्मा न तो किसी काल में जन्मता है और न मरता है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह आत्मा अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है। शरीर के मारे जाने पर भी यह आत्मा मारी नहीं जा सकती। यह आत्मा सदा अपने ही रूप में रहता है। भगवद्गीता में भगवान कृष्ण द्वारा सबसे पहले कौन से श्लोक बोले गए हैं?इसे सुनेंरोकेंपहला अध्याय : गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोकों द्वारा अर्जुन की मन: स्थिति का वर्णन किया गया है कि किस तरह अर्जुन अपने सगे-संबंधियों से युद्ध करने से डरते हैं और किस तरह भगवान कृष्ण उन्हें समझाते हैं। महाभारत का पहला श्लोक कौन सा है? इसे सुनेंरोकेंॐकारस्वरूप भगवान पितामह को नमस्कार है। ॐकारस्वरूप प्रजापतियों को नमस्कार है। ॐकारस्वरूप श्रीकृष्ण द्वैपायन को नमस्कार है। ॐकारस्वरूप सर्वविघ्नाशक विनायकों को नमस्कार है। आत्मा का स्वरुप क्या है?इसे सुनेंरोकेंआत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं- जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। गीता में आत्मा को क्या बताया गया नश्वर शाश्वत? इसे सुनेंरोकेंAnswer. 1)श्लोक में आत्मा को अमर और शरीर को नश्वर बताया है । 2)युद्ध के मैदान में एक क्षत्रिय का धर्म सिर्फ सत्य के लिए युद्ध करने का है । गीता का दूसरा अध्याय क्या है?इसे सुनेंरोकेंभावार्थ : हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिए युद्ध करना और न करना- इन दोनों में से कौन-सा श्रेष्ठ है, अथवा यह भी नहीं जानते कि उन्हें हम जीतेंगे या हमको वे जीतेंगे। और जिनको मारकर हम जीना भी नहीं चाहते, वे ही हमारे आत्मीय धृतराष्ट्र के पुत्र हमारे मुकाबले में खड़े हैं॥ गीता में आत्माराम कौन है?श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार आत्मा परमात्मा का अंश है। इस श्लोक में देखिए भगवान् क्या कह रहे हैं। ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः । इस जीवलोक में यह सनातन जीवात्मा मेरा ही अंश है और वही प्रकृति में स्थित मन और पाँचों इन्द्रियोंको आकृष्ट करता है ।
गीता में आत्मा को क्या बताया गया?गीता में श्रीकृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया है जिसे न शस्त्र कट सकता है, पानी इसे गला नहीं सकता, अग्नि इसे जल नहीं सकती, वायु इसे सोख नहीं सकती। यह तो ऐसा जीव है जो व्यक्ति के कर्मफल के अनुसार एक शरीर से दूसरे शरीर में भटकता रहता है।
गीता के अनुसार आत्मा का स्वरूप क्या है?अर्थात् यह आत्मा न तो किसी काल में जन्मता है और न मरता है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह आत्मा अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है। शरीर के मारे जाने पर भी यह आत्मा मारी नहीं जा सकती। यह आत्मा सदा अपने ही रूप में रहता है।
गीता के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?कृष्ण कहते हैं – हाँ पा जीव आत्मा। मृत्यु के बाद क्या होता है देखो, जब किसी की मृत्यु होती है तो असल में ये जो बाहर का अस्थूल शरीर है केवल यही मरता है। इस अस्थूल शरीर के अंदर जो सूक्ष्म शरीर है वो नहीं मरता। वो सूक्ष्म शरीर आत्मा के प्रकाश को अपने साथ लिए मृत्युलोक से निकलकर दूसरे लोकों को चला जाता है।
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