राधेश्याम सोनवानी, रितेश यादव – Show गरियाबंद। गरियाबंद जिले में पदस्थ अपर कलेक्टर जे.आर. चौरसिया अपने एक वर्ष के संविदा सेवाकाल पूर्ण करते हुए सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने जिले में कुल 4 वर्ष अपनी सेवाएं दी। जिला प्रशासन द्वारा गुरुवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम में श्री चौरसिया को अधिकारी – कर्मचारियों द्वारा भावभीनी विदाई दी गई। इस दौरान कलेक्टर प्रभात मलिक की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में जिले के समस्त विभाग के अधिकारी एवं कलेक्टोरेट के समस्त शाखाओं के कर्मचारी सम्मिलित हुए। जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर प्रभात मलिक ने सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर जे.आर चौरसिया को साल-श्रीफल, पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट किया। विदाई समारोह को सम्बोधित करते हुए कलेक्टर श्री मलिक ने कहा कि कार्य के प्रति तत्पर रहने के कारण श्री चौरसिया की पहचान कर्तव्यनिष्ट अधिकारी के रूप में रही है। राजिम माघी पुन्नी मेला आयोजन, राजस्व प्रकरणों, कानून व्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कलेक्टर ने सेवानिवृत्ति पर श्री चौरसिया के सुदीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए अपनी शुभकामनाएं दी। विदाई समारोह में जिला पंचायत के सीईओ रोक्तिमा यादव ने कहा कि श्री चौरसिया के अनुभवों का लाभ जिला प्रशासन को मिलता रहा, वे किसी भी समस्या के समाधान के लिए तत्पर रहते थे। उन्होंने कहा कि निर्वाचन, राजिम मेला और कानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उन्होंने बखूबी संभाला। डी.एफ.ओ मयंक अग्रवाल ने कहा कि श्री चौरसिया जी क्षमता के अनुरूप कार्य करने में सक्षम थे। वे किसी भी समस्या का सकारात्मक ढंग से समाधान करने में सक्षम थे। उनके कार्य अनुभव ज्ञान का लाभ अधीनस्थ अधिकारियों को भी मिलेगा। श्री अग्रवाल ने उनके स्वस्थ व दीर्घायु जीवन की कामना की। एस.डी.एम श्री विश्वदीप ने उनके साथ बिताये कार्यकाल को याद किया। उन्होंने कहा कि उनके रहते जिले में प्रोटोकॉल की समस्या पैदा नहीं हुई। वर्तमान अपर कलेक्टर अविनाश भोई, सी.एम.एच.ओ डॉ एन आर नवरत्न, डिप्टी कलेक्टर करुण डहरिया, सहायक संचालक उद्यान मिथलेश देवांगन, सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर श्री चौरसिया के सम्मान में अपने विचार व्यक्त किये। रेशम विभाग के सहायक संचालक एस.के. कोल्हेकर ने बीते हुए लम्हों की कसक.. गीत गाकर विदाई समारोह में अपनी स्वरांजलि अर्पित किया। विदाई समारोह में सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर श्री चौरसिया ने अपने सेवा काल के अनुभव शेयर करते हुए अवगत कराया कि वे 13 मार्च 1984 को नायब तहसीलदार के पद पर शासकीय सेवा ज्वाइन किया। शासकीय सेवा प्रारंभ से अब तक उनकी पोस्टिंग जिला मुख्यालय में ही हुई। श्री चौरसिया ने बताया कि अपने वरिष्ठ अधिकारी के प्रति अधिकारी कर्तव्यनिष्ट रहे। वे नियम प्रक्रिया की जानकारी के साथ निर्भय होकर काम करे। उन्होंने कहा कि जिला के सहकर्मी अधिकारियों और कलेक्टर एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक जिले में कुल चार वर्ष का कार्यकाल पूर्ण किया। श्री चौरसिया ने सेवानिवृत्ति पर सम्मान के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बी.के.सुखदेवे ने किया। Continue Readingगरियाबंद जिला छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में से एक है । इसका मुख्यालय गरियाबंद शहर में है। जिले को 2012 में रायपुर जिले से अलग कर बनाया गया था। [1] गरियाबंद जिला जिला की छत्तीसगढ़ राजीवलोचन विष्णु मंदिर, राजिमो में छत्तीसगढ़ में गरियाबंद जिले की स्थिति सूची (2011) इतिहासजिले का सबसे प्राचीन इतिहास राजिम से जुड़ा है । वहाँ राजीव लोचन मंदिर में, 7 वीं शताब्दी के एक शिलालेख में राजा को विलासतुंगा के रूप में दर्ज किया गया है, जो सबसे अधिक संभावना नल वंश से है । इस क्षेत्र पर मौर्यों और गुप्तों सहित विभिन्न शक्तियों का नियंत्रण था। Kalachuris , जो 10 वीं सदी में क्षेत्र पर विजय प्राप्त की 1742 में मराठा हमलों तक वहां शासन करने के लिए जारी रखा। भूगोलजिले में 5,822 वर्ग किलोमीटर (2,248 वर्ग मील) का क्षेत्र शामिल है। [२] यह जिला दक्षिण में ओडिशा के नबरंगपुर जिले से, पूर्व में ओडिशा के कालाहांडी और नुआपाड़ा जिलों से, उत्तर में महासमुंद और रायपुर जिलों से और पश्चिम में धमतरी जिले से घिरा है । उत्तर में जिला महानदी नदी से घिरा है, जो राजिम के पास पैरी नदी में मिल जाती है । ओडिशा के साथ जिले की दक्षिणी सीमा का एक हिस्सा तेल नदी द्वारा बनता है । जिले को पांच तालुकों में बांटा गया है:
जिले में चार शहरी निकाय हैं: गरियाबंद नगर पालिका और राजिम, छूरा और फिंगेश्वर नगर पंचायत। जिले का अधिकांश भाग वनों से आच्छादित है। जिले का वन क्षेत्र 2,935 वर्ग किलोमीटर (1,133 वर्ग मील) है, जिसमें उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व शामिल है , जो जिले के आधे से अधिक क्षेत्र का निर्माण करता है। गरियाबंद के वर्तमान कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट छतर सिंह डेहरे (आईएएस) हैं। [३] श्री भोजराम पटेल गरियाबंद जिले के पुलिस अधीक्षक हैं । जनसांख्यिकी2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 597,653 थी। लिंगानुपात १०२० था और साक्षरता दर ६८.२६% थी। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या क्रमश: 17.97 प्रतिशत और 36.14 प्रतिशत है। आदिवासियों ने छुरा तालुक का 48% हिस्सा बनाया और गरियाबंद और मैनपुर तालुकों में बहुसंख्यक थे। २०११ की जनगणना के अनुसार ६९.४८% आबादी छत्तीसगढ़ी , २२.९ ५% उड़िया , ५.१% हिंदी और १.१९% मराठी अपनी पहली भाषा के रूप में बोलती है । संस्कृतिराजिम एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो त्रिवेणी संगम पर स्थित है: पैरी और महानदी नदियों का संगम। इसे कभी-कभी "छत्तीसगढ़ के प्रयाग" के रूप में जाना जाता है। हर साल माघ पूर्णिमा से महा शिवरात्रि तक राजिम कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। राजिम वैष्णवों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और शहर में विष्णु के रूपों को समर्पित विभिन्न प्रकार के मंदिर हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के शिव मंदिर भी हैं। पर्यटनजतमई मंदिर - रायपुर से 85 किमी (53 मील) गरियाबंद में स्थित है । जतमई मंदिर माता जतमई को समर्पित है और एक छोटे से जंगल में स्थित है। मंदिर एक विशाल मीनार और कई छोटे शिखर / मीनारों के साथ ग्रेनाइट से तराशा गया है। मुख्य प्रवेश द्वार के शीर्ष पर पौराणिक पात्रों का चित्रण करने वाली एक भित्ति चित्र देख सकते हैं। घाटरानी मंदिर - यह जतमई मंदिर से 25 किमी (16 मील) दूर स्थित है। पास ही एक प्रसिद्ध जलप्रपात है। नवरात्रि त्योहार इस मंदिर में मनाया जाता है। भूतेश्वरनाथ - यह गरियाबंद से 3 किमी (1.9 मील) दूर घने जंगलों के बीच बसा एक गाँव है। यहां दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग पाया जा सकता है। हर साल महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार को लोग (कावरिया) यहां आते हैं। सिकसेर बांध - सिकसेर बांध एक कृत्रिम बांध है [४] जो जिला मुख्यालय से ५० किमी (३१ मील) की दूरी पर स्थित है। यह सभी मौसमों में उपलब्ध है। सिकसेर बांध 1977 में बनाया गया था। सिकसर बांध 1,540 मीटर (5,050 फीट) लंबा और 9.32 मीटर (30.6 फीट) ऊंचा है। सिकसेर बांध में 2X35 मेगावाट का वाटर हाइड्रोपावर प्लांट स्थापित है जो बिजली के साथ-साथ सिंचाई भी कर रहा है । उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व - छत्तीसगढ़ सरकार रायपुर के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की अधिसूचना वर्ष 2009 में अस्तित्व में आई। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व शुद्ध नस्ल जंगली भैंसों के लिए प्रयास करता है। [५] वर्तमान में एक मादा भैंस, एक मादा बच्चा और नौ नर भैंसे हैं। उनकी संख्या बढ़ाने के लिए लगभग 25 हेक्टेयर (62 एकड़) में बचाव केंद्र बनाया गया है। जहां मादा भैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रजनन करते हैं लेकिन अब नर भैंस अधिक हैं और उनकी प्रजातियों को बचाने के लिए मादा भैंस की तत्काल आवश्यकता है। संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का कलेक्टर कौन है?श्री प्रभात मलिक, भा. प्र. से.
गरियाबंद जिले में कुल कितने गांव हैं?जिले के तहत कुल 711 गांव आते हैं।
गरियाबंद जिले में कुल कितने ब्लॉक हैं?गरियाबंद जिले में मंडल और तहसील
यह 711 गांव छत्तीसगढ़ में जिले के 5 तहसील या 5 ब्लॉक (प्रखंड) के अंतर्गत आते है, मैनपुर ब्लॉक में सबसे ज्यादा गांव है और फिंगेश्वर विकासखंड में सबसे कम गांव है, और गरियाबंद जिले में 4 अनुमंडल है गरियाबंद, राजिम, मैनपुर और देवभोग है ।
गरियाबंद जिले की जनसंख्या कितनी है?जनसांख्यिकी. |