Neck Sprain Exercise गर्दन की मोच से परेशान हैं तो इन एक्सरसाइज की मदद से करें गर्दन दर्द का इलाज। गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए कंघों की एक्सरसाइज करें। क्लॉकवाइज व एंटीक्लॉकवाइज एक्सरसाइज करने से दर्द से राहत मिलेगी।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कई बार रात को सोते वक्त तकिए की गलत पोजीशन की वजह से गर्दन में मोच आ जाती है, या फिर एक्सरसाइज के दौरान भी गर्दन में झटका आ जाता है, जिसकी वजह से आपको गर्दन हिलाने तक में परेशानी होती है। गर्दन की इस मोच को मेडिकल भाषा में विप्लेश कहते हैं। गर्दन में मोच आने के कारण गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न आ जाती है, जिसकी वजह से गर्दन में बेहद दर्द रहता है। आप भी इस तरह की परेशानी से कई बार जूझते होंगे। आइए आपको बताते हैं कि अगर गर्दन में झटका आ जाए तो कैसे एस्सरसाइज करके घर में ही उपचार करके इस दर्द को दूर किया जा सकता है।
गर्दन को धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाएं
गर्दन में मोच आने पर हल्की सी मूवमेंट भी काफी पीड़ा देती है। आप भी इस दर्द से निजात पाने के लिए सबसे पहले कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं। बैठते समय ध्यान दें कि दोनों पैरों के बीच में हल्का गैप रखें। अब दाएं हाथ को सिर के पिछले हिस्से पर रखें जिससे गर्दन को थोड़ा सहारा मिलें। अब सिर पर हल्का सा दबाव बनाते हुए सिर को धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाएं। सिर को घुमाते वक्त ध्यान दें कि सिर को तेज नहीं घुमाएं। इसके बाद एक से दो मिनट का ब्रेक दें, और फिर सिर को एंटीक्लॉकवाइज घुमाएं। इस पूरी प्रक्रिया को चार से पांच बार करें। इस एस्सरसाइज से गर्दन की मासपेशियों की जकड़न कम होगी और दर्द से भी राहत मिलेगी।
गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए कंधों की एक्सरसाइज
गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए कंघों की एक्सरसाइज करें। दोनों हाथों की उंगलियों को कंधे पर रखें और कोहनी मुड़ी रहे। अब हाथों को गोल-गोल घुमाएं जिससे कंधे रोल करें। इस प्रक्रिया को क्लॉकवाइज व एंटीक्लॉकवाइज आठ से दस बार दोहराएं आपको दर्द से राहत मिलेगी।
गर्दन की जकड़न के लिए
सीधे खड़े हो जाएं, रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। अब गर्दन को धीरे-धीरे दाईं ओर घुमाएं। बाएं हाथ को ठुड्डी पर रखें और धीरे-धीरे दाईं ओर घुमाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं। अब इसी प्रकिया को बाईं ओर करें और 10 बार दोहराएं।
बर्फ से करें सिकाई
गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए आप गर्दन पर बर्फ की सिकाई कर सकते हैं। गर्दन की सिकाई करने के गर्दन में सूजन और दर्द से राहते मिलती हैं। बर्फ की सिकाई के लिए आप बर्फ को तोलिए में लपेट कर गर्दन पर 15 मिनट तक सिकाई करें।
सूजन कम होने पर गर्म पानी से करें सिकाई
मोच की वजह से गर्दन में सूजन कम हो जाएं तो आप गर्म पानी से भी गर्दन की सिकाई कर सकते हैं। गर्दन की मोच की वजह से ज्यादा परेशानी है तो आप नेक ब्रेस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपकी गर्दन को आराम मिलेगा। इन आसान कसरतों से भी अगर गर्दन की जकड़न खत्म नहीं हो तो, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
Written By: Shahina Noor
Edited By: Shilpa Srivastava
अचानक झटका लगने से गर्दन की मांसपेशियां अपनी क्षमता से ज्यादा खिंच जाती हैं। इस कारण गर्दन में दर्द शुरू हो जाता है, जिसे गर्दन की मोच कहते हैं। जानकारी और जागरूकता के अभाव में यह परेशानी कई बार बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। आइए जानें गर्दन की मोच और और इससे बचाव के बारे में।
हमारा शरीर कमाल की मशीन है। किसी एक अंग में परेशानी आ जाए तो उससे संबंधित सारे अंगों को तकलीफ होती है। हमारी गर्दन का भी यही हाल है, जिसमें दर्द से अन्य समस्याएं भी सामने आती हैं।
गर्दन में मोच आ जाए तो कंधे, हाथ, पीठ और सिर सभी प्रभावित होते हैं। बेहद आम सी मालूम पड़ने वाली यह तकलीफ सेहत की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद ज्यादातर लोगों को गर्दन की मोच के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती। वे गलतफहमी में इसका गलत उपचार कर बैठते हैं। कई लोग तो इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं। यह ठीक नहीं है। गर्दन के दर्द या इसकी मोच के बारे में जानकारी, सावधानी और इससे बचाव जरूरी है।
क्यों आती है गर्दन में मोच
आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर गर्दन में मोच आती
क्यों है? दरअसल हमारी गर्दन में सर्किकल वर्टिब्र की सात महत्वपूर्ण हड्डियां मांसपेशियों और लिगामेंट की मदद से एक दूसरे से लिपटी रहती हैं। इन्हें बांधे रखने के लिए हमारे ऊतक रबड़ बैंड की तरह काम करते हैं। जरा-सा झटका लगने की वजह से जब गर्दन की मांसपेशियों और लिगामेंट में जरूरत से ज्यादा खिंचाव आ जाता है, तब ऊतकों को भी नुकसान पहुंचता है। इसलिए गर्दन में दर्द शुरू हो जाता है, जिसे गर्दन में मोच कहते हैं।
कार दुर्घटना और मोच
कार दुर्घटना के दौरान अक्सर गर्दन में मोच
आ जाती है। एक छोटा-सा झटका भी मोच का कारण बन सकता है, जैसे किनारे से ठोकर लगना, जिसमें कार को एक डेंट आया हो। कई बार तेज रफ्तार में गाड़ी होने पर अचानक ब्रेक लगाने से भी गर्दन में झटका लग सकता है। लंबे लोगों की गर्दन गाड़ी के हेड रेस्ट से ऊपर रहती है, इस कारण उन्हें छोटे-छोटे झटकों से भी गर्दन में चोट लगने की आशंका रहती है।
अध्ययनों की मानें तो हर साल गर्दन में मोच के मामले बढ़ रहे हैं। कुछ मामलों में चोट आसानी से और जल्दी ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार समस्या सालों तक बनी रहती है, जो गंभीर मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण बन जाती है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट (ऑथरेपेडिक एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन) डॉं राजीव के. शर्मा के अनुसार, अचानक ब्रेक लगाने या टकराने से यदि गाड़ी को झटका लगता है तो कार में बैठे लोगों को भी झटका लगेगा। इससे उनकी गर्दन तेजी से आगे-पीछे हो जाती है। इस झटके की वजह से गर्दन अपनी क्षमता से ज्यादा स्ट्रेच हो जाती है और मोच आ जाती है। बेहद आम समस्या होने के बावजूद गर्दन की इस तरह की चोट के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। यही वजह है कि अधिकतर लोग न तो इस समस्या से बचाव के लिए तैयार होते हैं और न ही ऐसा होने के बाद इसके असर से निबटने के लिए।
डॉं शर्मा ने कहा कि गर्दन पर अचानक पड़ने वाले दबाव गर्दन की हड्डियों से जुड़े नाजुक टिश्यू और लिगामेंट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गर्दन की मोच मुख्य रूप से टिश्यू और लिगामेंट की चोट होती है, जो दर्द, अकड़न, सिरदर्द, यहां तक कि कुछ ऐसे अंगों में अपंगता भी ला सकती है, जहां मस्तिष्क से जुड़ी नसें प्रभावित होती हैं। वैसे यह चोट जीवन के लिए खतरनाक नहीं होती और जानकारों की मानें तो कई बार यह समय के साथ अपने आप ठीक भी हो जाती है।
आइस पैक भी होता है कारगर
चोट लगने के तुरंत बाद अगर गर्दन पर आइस पैक लगाया जाए तो दर्द और सूजन से जल्द राहत मिल सकती है। बर्फ के क्यूब मोटे तौलिए में रख कर इसे प्रभावित हिस्से पर रख दें। इससे शुरुआती दर्द से राहत मिलेगी। दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए डॉंक्टर आपको दर्द निवारक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाएं लेने की सलाह भी दे सकता है। अधिकतर मामलों में समय के साथ घाव अपने आप भर जाता है और दर्द भी चला जाता है।
नशे
में न चलाएं गाड़ी
गलती से भी शराब पीकर गाड़ी न चलाएं। अपने पूरे होशोहवास में गाड़ी चलाते समय आप झटके लगने की आशंका को कम करने में कामयाब रहते हैं। वहीं नशे की हालत में लापरवाहियां अधिक होती हैं और मस्तिष्क सही फैसला नहीं कर पाता। यह आदत न केवल उन्हें खतरे में डालती है, बल्कि दूसरे लोगों की जान भी जोखिम में डाल देती है।
सीट बेल्ट का रखें ध्यान
आजकल गाडियों की सीटों को इस तरह तैयार किया जाता है कि झटका लगने पर गर्दन को नुकसान न पहुंचे। इनका हेड रेस्ट ऊंचा
होता है, लेकिन पीछे की सीट पर हेड रेस्ट नीचे होने के कारण पीछे बैठने वाले लोगों की गर्दन में मोच आने का खतरा बढ़ जाता है। बाहर के देशों में गाड़ी की सभी सीटों के साथ बेल्ट और एयरबैग लगे होते हैं, लेकिन भारतीय वाहनों में गर्दन की मोच से बचाव के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। कार खरीदते समय ऐसी गाड़ी को ही पसंद करें, जिसमें आगे-पीछे दोनों जगह की सीटों पर बेहतर हेड रेस्ट का इंतजाम हो। सड़क सुरक्षा के महत्वपूर्ण पैमानों को ध्यान में रखें और सीट बेल्ट बांधने में लापरवाही न करें। पीछे बैठने वाले लोग
भी इसका ध्यान रखें। विशेषज्ञों के अनुसार सीट बेल्ट बांधने से झटके की स्थिति में शरीर को बड़ा नुकसान नहीं होता।
डॉंक्टर के पास जरूर जाएं
गर्दन में आया झटका या लगी चोट सामान्य है या गंभीर, इसकी जांच जरूर कराएं, क्योंकि इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। जांच के लिए अक्सर डॉक्टर सीटी स्कैन और एक्स-रे की सलाह देते हैं।
कॉलर पहनने से मिलेगा आराम
गर्दन की मोच आपके काम करने, उठने, बैठने और यात्रा को तकलीफदेह बना सकती है। गर्दन के ब्रेस, जिसे आम भाषा
में कॉलर कहते हैं, उसका इस्तेमाल गर्दन को सहारा और राहत देने के लिए किया जा सकता है। गर्दन के लिगामेंट और मांसपेशियों में लगी चोट को जल्दी भरने के लिए इसे आराम देना जरूरी है। चोट लगने के बाद कुछ हफ्ते कॉलर इस्तेमाल करना राहत देता है।