Short Note
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?
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Solution
\[\ce{\text{गैस} + \text{विलायक} \leftrightarrows \text{विलयन} + \text{ऊष्मा}}\]
गैस का द्रव में घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। ताप बढ़ाने पर साम्य बायीं ओर विस्थापित होता है और विलयन से गैस मुक्त होती है।
Concept: द्रवीय विलयनों का वाष्प दाब
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Chapter 2: विलयन - अभ्यास [Page 61]
Q 2.11Q 2.10Q 2.12
APPEARS IN
NCERT Chemistry Class 12 CBSE [रसायन विज्ञान १२ वीं कक्षा]
Chapter 2 विलयन
अभ्यास | Q 2.11 | Page 61
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ताप बढ़ाने पर गैसों में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?
द्रव के सभी कणों को इतनी ऊर्जा मिल जाती है कि वे वाष्प में बदल जाते हैं। 8 के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है।
ताप बढ़ाने पर गैसों की विलेयता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
Solution : ताप बढाने पर गैसों की द्रव में विलेयता कम हो जाती है।
क्या कारण है कि तापक्रम में वृद्धि से गैस द्रव में कम विलय होती है?
Solution : अधिकतर गैसों की ताप में वृद्धि से द्रव में विलेयता घटती है, क्योकि घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। गर्म करने पर घुली हुई गैसे विलयन से बाहर निकलती है।