शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों फँस गए? - shaal ke vrksh bhayabheet hokar dharatee mein kyon phans gae?

Solution : शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में इसलिए धंस गए, क्योंकि जो धुआँ बादलों के रूप में उठ रहा था उससे उन्हें तालाब जलता हुआ नज़र आ रहा था और ऐसा लग रहा है जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। वे जलने से बचने के लिए धरती में धंस गए थे।

One Line Answer

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए 
शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

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Solution

आसमान में अचानक बादलों के छाने से मूसलाधार वर्षा होने लगी। वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 10 B)

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Chapter 1.5: पर्वत प्रदेश में पावस - प्रश्न-अभ्यास (क) [Page 28]

Q 6Q 5Q 7

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NCERT Class 10 Hindi - Sparsh Part 2

Chapter 1.5 पर्वत प्रदेश में पावस
प्रश्न-अभ्यास (क) | Q 6 | Page 28

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Q.

भाव स्पष्ट कीजिए-

मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।

Q.

भावस्पष्ट कीजिए-

जपमाला,छापैं,तिलक सरै न एकौ कामु।

मन-काँचै नाचै बृथा,साँचै राँचै रामु।।

Q.

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए

'ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई' −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

Q.

निम्नलिखितप्रश्न का उत्तरदीजिए

छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है?

Q.

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए

दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
'मेखलाकार' शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

'मेखला' का अर्थ तगड़ी होता है जिसे स्त्रियाँ कमर में पहनती हैं इस प्रकार मेखलाकार का अर्थ तगड़ी का गोल आकार हुआ पर्वत भी मेखला की तरह गोल दिखाई दे रहे हैं जो धरती की कटि को घेरे हुए हैं प्रकृति के सौंदर्य को उभरने के लिए कवि ने इसका प्रयोग किया है       

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
'सहस्र दृग-सुमन' से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

वर्षा ऋतु में पर्वतों पर असंख्य सुन्दर फूल खिल जाते हैं । कवि इनकी तुलना पर्वत के नेत्रों से कर रहा है ।ऐसा लगता है मानों पर्वत अपने इन सुन्दर नेत्रों से प्रकृति की छटा को निहार रहा है। कवि ने इस पद का प्रयोग प्रकृति को सजीव चित्रण करने के लिए किया है पर्वतों को मानव का रूपक दे दिया गया है ।      

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?

कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण में मनुष्य को अपना प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। इसी प्रकार तालाबरूपी दर्पण में पर्वतरूपी मानव अपना  प्रतिबिम्ब निहार रहा है , काव्य सौंदर्य को बढ़ाने के लिए, अपने भावों की पूर्ण अभीव्यक्ति के लिए कवि ने ऐसा रूपक बाँधा है।       

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

पर्वतीय प्रदेश में जब मूसलाधार वर्षा होने लगती है तब पर्वतों पर उगनेवाले शाल के वृक्ष दिखाई देने बंद हो जाते हैं तब ऐसा लगता है जैसे वे घबराकर धरा में छुप गए हैं मानवीकरण अलंकार का अद्धभुत प्रयोग इस पंक्ति में दिखाई देता हैपावस ऋतु में आकाश में बादल छा जाते है कभी वर्षा होने लगती है तो कभी आसमान में बादल अदृशय हो जाते हैंबादल अटखेलियां करते दिखाई देते हैं। वर्षा के कारण पर्वतीय प्रदेशों के झरने झर-झर बहने लगते हैं तथा वातावरण में संगीत उत्पन्न करते हैं समतल भूमि पर जल एकत्रित हो जाता हैं हवा के चलने के कारण वृक्ष भी झूमने लगते हैं। पूरी प्रकृति नृत्य करती सी प्रतीत होती हैं      

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की और क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?

पर्वत के ह्रदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आसमान की ओर अपनी ऊंच्चाकंशाओ के कारण देख रहे थे वे आसमान जितना ऊँचा उठना चाहते हैं  वे शांत भाव से एकटक आसमान को निहारते हैं जो इस बात की ओर संकेत करता है कि अपनी आकांशाओं को पाने के लिए शांत तथा एकाग्रता आवश्यक है       

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1 शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

आसमान में अचानक बादलों के छाने से मूसलाधार वर्षा होने लगी। वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं। Q.

शाल के वृक्ष धरती में क्यों धंस गए * 1 Point भय के कारण वे डर गए कि तालाब में आग लग गई उन्हें लगा पर्वत कहीं उड़ गया?

ऐसे में जब अचानक वर्षा होने लगती है बादल और कोहरा इतना घनीभूत हो जाता है कि आसपास का दृश्य दिखना बंद-सा हो जाता है। ऐसे में शाल के वृक्ष भी बादलों में बँक से जाते हैं। ऐसा लगता है कि इस मूसलाधार वर्षा से ही डरकर शाल के पेड़ धरती में धंस गए हैं।

पर्वत प्रदेश में पावस में शाल के वृक्ष के भयभीत होकर धरती में धँसने की बात क्यों कही गई है?

कवि के अनुसार वर्षा इतनी तेज और मूसलाधार थी कि ऐसा लगता था मानो आकाश टूटकर धरती पर गिर गया हो। कोहरे के फैलने से ऐसा लगता था मानो सरोवर जल गया हो और उसमें से धुआं उठ रहा हो। वर्षा के ऐसे भयंकर रूप को देखकर प्रतीत होता था कि शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए हो।

भय के कारण कौन पृथ्वी में समा गए हैं?

एक समय ऐसा आएगा कि पृथ्वी के समुद्र सूख जाएंगे.

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