गुप्त नवरात्रि में बगलामुखी साधना कैसे करे - gupt navaraatri mein bagalaamukhee saadhana kaise kare

गुप्त नवरात्रि में बगलामुखी साधना कैसे करे - gupt navaraatri mein bagalaamukhee saadhana kaise kare

  • admin
  • June 19, 2022
  • Baglamukhi Anushthan, Baglamukhi Puja, Gupt Navratri
  • 0 Comments

गुप्त नवरात्री में माँ बगलामुखी की पूजा का महत्व-

गुप्त नवरात्री में देवी के दस विद्याओं की पूजा की जाती है। दस महाविद्या में आठवीं विद्या है माँ बगलामुखी. गुप्त नवरात्री के आठवे दिन माँ बगलामुखी की पूजा करने का नियम है। परन्तु जो लोग शत्रुओं से अत्यधिक परेशान हैं तब प्रथम नवरात्रें से अष्टमी तक माँ बगलामुखी का नियमित पूजन करें।

बगलामुखी पूजन बगलामुखी पीठ यानी आप हमारे यहाँ भी पूजन, पाठ, जप, व यज्ञ  या  प्रयोग करा सकते हैं।  माँ बगलामुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। माँ बगलामुखी पीताम्बरा पीत अर्थात पीले वर्ण हैं। इनकी पूजा में पीले रंग का ही विशेष महत्व होता है। माँ बगलामुखी को विशेष कर स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है की सौराष्ट्र में आये एक महातूफ़ान को शान्त करने के लिये स्वयं भगवान नारायण ने माँ बगलामुखी की घौर तपस्या की थी। भगवान् नारायण के द्वारा की गयी तपस्या के फलस्वरुप ही माँ बगलामुखी का प्राकट्य हुआ और प्रलय के उस कारक दैत्य का देवी ने संघर किया. विशेष रूप से शत्रु और शत्रु दल, बल विरोधियों को परास्त करने तथा मुकदमे में जीत या सरकारी नौकरी, राज्य पद आदि प्राप्त करने के लिए माँ बगलामुखी की उपासना प्रसिद्ध हैं.’

और जानें: माँ भगवती बगलामुखी पीताम्बरा

माँ बगलामुखी की पूजा –

  • माँ बगलामुखी की पूजा तांत्रिक पूजा के नाम से जानीं जाती है। इसलिए बिना किसी गुरु के निर्देश के इनकी पूजा नही करनी चाहिए। परन्तु यहाँ बगलामुखी शक्ति पीठ पर सिद्ध साधक (उच्च कोटी के साधक) उपस्थित होते हैं तब भयभीत होने की कोई भी आवश्यकता ही नहीं है। आप अपनी समस्याओं के निदान हेतु संकल्प करा कर हमारे पुरोहितों से पूजन करा सकते हैं व अन्य गंभीर समस्या पर गुरू देव से भी परामर्श व प्रयोग कराया जा सकता है।
  • शत्रु शमन् हेतु माँ बगलामुखी की पूजा, बगलामुखी खड्ग, बगलामुखी ब्राह्मस्त्र पाठ, बगलामुखी अष्टोत्री पाठ, तथा राज्य पद व राजनीति से सम्बन्धित पद प्रतिष्ठा चुनाव आदि हेतु भी प्रयोग का चलन है।
  • जो लोग कोर्ट-कचहरी, मुक़दमा आदि से परेशान हैं, या कारावास से मुक्ति चाहते हैं तो वे भी पूजन व संकल्प लेकर सवा लाख जप, जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण व तर्पण का दशांश मार्जन, व मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज जैसे कड़ी-चावल व पेठा का प्रासाद का आयोजन कार सकते हैं।
  • माँ बगलामुखी की पूजा व पाठ प्रयोग आदि में हमेशा पीले आसन, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले नैवैद्य का ही प्रयोग करना चाहिए
  • माँ बगलामुखी के मन्त्र का जाप करने के लिये हमेशा हल्दी की माला का प्रयोग ही करना चाहिए.
  • माँ बगलामुखी की पूजा हमेशा प्रांत व सँध्याकाल या मध्यरात्रि में करनी चाहिए.
  • अगर आप अपने शत्रु और विरोधियों को शांत करना चाहते हैं तो माँ बगलामुखी के जन्मोत्सव और गुप्त नवरात्री में इनकी पूजा ज़रूरी हो जाता है।

पूजन विधि-

  • महाविद्या बगलामुखी की साधना को करने के लिए व्यक्ति को सर्वप्रथम दीक्षित होना आवश्यक है। परन्तु पूजन कराने के लिए आचार्य आदि बगलामुखी के उपासक व विधान सहित दीक्षित होना आवश्यक है। जजमान को पूछना चाहिए कि आपने कहाँ से दिक्षा प्राप्त कीं है तथा आपके गुरू कौन है।

और जानें: आचार्य अतुल्य नाथ

  • महाविद्या बगलामुखी की साधना में स्वयं साधक के पास सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “बगलामुखी यंत्र”, “हल्दी की माला” देवी की प्रतिमा आदि होना आवश्यक है.
  • महाविद्या बगलामुखी की साधना आप गुप्त नवरात्रि के दिन गुरू आज्ञ्या प्राप्त कर आरम्भ कर सकते हैं .
  • बगलामुखी की दिक्षा गुप्त नवरात्रि में लेना श्रेष्ठ है।
  • आप अपने घर में किसी एकान्त स्थान या पूजा-कक्ष में पश्चिम दिशा में भगवती बगलामुखी की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा का मूख पूर्व दिशा की तरफ़ होना चाहिए।
  • भगवती की प्रतिमा लकड़ी की चौकी पर पिला वस्त्र बिछाकर, जल छिड़कर एक हल्दी से षट्कोणीय यत्रं का निर्माण करें। मूर्ति स्थापित करें व मूर्ति ना होने पर बगलामुखी यंत्र स्थापित करें (याद रखें मूर्ति या यत्रं प्राण संजीवन क्रिया से युक्त होना आवश्यक है। जो आप हमारे यहा से मँगवा सकते है)
  • आपके बैठने के लिए हमेशा पीले रंग के ऊनी आसन का ही प्रयोग श्रेष्ठ है।
  • इसके पश्चात्, बगलामुखी यन्त्र के समक्ष शुद्ध गाय का घी का दीपक प्रज्वलित करें। घी में एक चुटकी हल्दी पिसीं हुईं डाल दें। बगलामुखी का पूजन पीले पुष्प व हल्दी से पीले किये गये चावल अर्पित करें।
  • पूजन करने के पश्चात् बगलामुखी कवच का पाठ करें।
  • माँ बगलामुखी की साधनाआठ दिनों तक की जाती है। अत: अष्टमी की रात्रि का विशेष महत्व है।
  • माँ बगलामुखी की साधना करते समय साधक को पूरी श्रद्धा और आस्था व विश्वास के साथ सभी नियमों का पालन करना चाहिए.
  • नियमित रूप से माँ बगलामुखी के मन्त्र का जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि आवश्यक है। इसे आवरण पूजन कहा जाता है।
  • आठ दिनों की निरंतर पूजा जप के साथ प्रतिदिन हवन आवश्यक है। यह करने के पश्चात् पूजा पूर्णतः संपन्न करने के लिए हवन अवश्य करें।
  • माँ बगलामुखी के हवन में पीली सरसों, हल्दी, पीले पुष्प, व नीम की लकड़ी व सरसों के तेल मिलाकर हवन कुंड में आहुति दें।
  • हवन पूर्ण करने के पश्चात् अपने घर के मदिर में माँ बगलामुखी यंत्र की या मूर्ति स्थापना कर दें। छोटा यन्त्र होने पर इसे अपने गले में भी धारण कर लें. यह कवच का काम करेगा।
  • पूजा और हवन में बची हुई पूजा सामग्री को किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें या फिर किसी पीपल के पेड़ नीचे गड्ढा खोद कर दबा दें.
  • गुरूदेव द्वारा दिया गए एकाक्षर या दो-अक्षर, चार-अक्षर आदि मंत्रों का जप, हवन इसी विधान से बारम्बार करना है।
  • ऐसा करने से आपकी साधना पूर्ण हो जाएगी और आपके ऊपर माँ बगलामुखी देवी की कृपा हमेसा बनी रहेगी।
  • माँ बगलामुखी की साधना करने से मनुष्य के जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और धन प्राप्ति के नये-नये अवसर मिलते हैं।
  • माँ बगलामुखी की साधना करने से साधक के सभी शत्रु समाप्त हो जाते हैं.

और जानें: माँ बगलामुखी साधना पीठ

शत्रुओं का नाश करने के लिए इन तरीको से करें माँ बगलामुखी की पूजा

  • शत्रुओं का नाश करने के लिए एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं
  • अब चौकी पर माँ बगलामुखी के चित्र या प्रतिमा को स्थापित करें.
  • माँ पिताम्बरा को पीला ही नैवेद्य चढ़ाएं.
  • बगलामुखी से पहले भैरव, व गणपति मृत्युंजय की अराधाना करें. (बगलामुखी परिसर के देवताओं की साधनाओं का भी विधान है। इस तरह पूर्णतः बगलामुखी दिक्षा, पूजन, आवरण पूजन, पुरश्चरण, फिर प्रयोग आदि यह गुरू दुबारा ही प्राप्त कर समझना चाहिए और फिर करना चाहिए अन्यथा चौर विंध्या, या प्रंत्यगरा तंत्र के द्वारा नुक़सान पहुँचाया जा सकता है। )
  • बगला कवच का पाठ करें.
  • कवच का पाठ करने के पश्चात् ही संकल्प लेकर भगवती का ध्यान करें। फिर न्यास करें और पश्चात आवरण पूजन (यन्त्र पूजन/ देवी पूजन व पश्चात मन्त्र का जाप करें)।

मंत्र –

“ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्ववां कीलय, बुद्धि विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा”

  • इस मन्त्र का जाप ८ दिनों में सबा लाख करें या करायें।
  • अनुष्ठान पूरा करने के पश्चात् दशांश हवन आवश्यक है।

दुख-दरिद्रता, शत्रु, रोग व क़र्ज़ को दूर करने के लिये बगलामुखी पूजन, पश्चात बगला खड्ग करें।  देवी पर तेल अभिषेक विधान है जो हमारे यहाँ ही विशेष कराया जाता है।

  • दरिद्रता दूर करने के लिए नियमित रूप से सुबह माँ बगलामुखी की आराधना करें.
  • हल्दी की माला से दरिद्रता नाश के लिए यह मंत्र भी जाप किया जा सकता है।

मंत्र –

“श्रीं ह्रीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि देहि स्वाहा”

  • माँ बगलामुखी की पूजा में विशेष सात्विकता ध्यान रखें.
  • गुप्त नवरात्री में आठवे दिन माँ बगलामुखी को हल्दी की दो गाँठ अर्पित करें या हल्दी का उबटन करायें।
  • अब माँ बगलामुखी के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ कर भगवती से अपनी प्राथना करेंअपने शत्रु और विरोधियों के शांत हो जाने की प्रार्थना करें.
  • अब माँ बगलामुखी पीताम्बरा को अर्पित की गयी हल्दी की दो गांठो में से एक गाँठ अपने पास या तिजोरी में रख लें.
  • बची हुई दूसरी गाँठ को बहती हुई नदी में सभी सामाग्री के सहित जल में प्रवाहित कर दें (जैसे राख, हवनकुंड की पुष्प माला सभी सामाग्री जो बैकार हो जाती हैं)
  • इस प्रकार से माँ बगलामुखी की पूजा करने से या कराने पर गुप्त नवरात्रि में आप हर तरह की शत्रु बाधा से मुक्त हो जाते है।

और जानें: हमारी सेवाएं

मां बगलामुखी की सिद्धि कैसे करें?

इस विधि से पूजा करने पर प्रसन्न हो, हर इच्छा पूरी करती हैं मां....
साधना काल में ब्रह्मचर्य का अनिवार्य रूप से करें ।.
साधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करें ।.
एक समय बिना शक्कर, नमक के उपवास रहे, या केवल फलहार पर ही रहे, एवं एक समय सुपाच्य भोजन करें ।.
साधना अनुष्ठान के दिनों में बाल नहीं कटवायें ।.

बगलामुखी माता का दिन कौन सा है?

Baglamukhi Jayanti 2022: वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 9 मई, सोमवार को मां बगलामुखी की जयंती है। बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महावविद्या हैं। उन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं।

बगलामुखी का पाठ कैसे करें?

मां बगलामुखी की जयंती के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करके पीला वस्त्र धारण कर पूजा स्थल बैठे. पूजा चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर मां बगलामुखी की मूर्ति स्थापित करें. अब कलश स्थापित कर पूजा का संकल्प लें. मां बगलामुखी को अक्षत्, चंदन, रोली, बेलपत्र, पान, मौसमी फल, सिंदूर, पीले पुष्प, धूप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करें.

बगलामुखी का पाठ करने से क्या होता है?

माता बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं की पराजय होती है और सभी तरह के वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। मां बगलामुखी की पूजा से लाभ शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय आदि के लिए मां बगलामुखी की साधना काफी शुभ एवं लाभ पहुंचाने वाली है। बगलामुखी मां की उपासना से हर प्रकार के तंत्र से निजात मिलती है।