Download Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 3 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 9 Hindi A board exam and Score More marks. Here we have given Hindi A Sample Paper for Class 9 Solved Set 3. हल सहित खण्ड ‘क’ : अपठित बोध 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- संसार भर में जो कभी ज्ञान-प्रभा भरते रहे, सर्वोच्च भारतवर्ष की जो योग्यतम सन्तान थे, (क) कवि को किस बात का अफसोस है? खण्ड ‘ख’ : व्याकरण 4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की पहचान करके उसके भेद लिखिए 5. निम्नलिखित पद्यांशों में प्रयुक्त अलंकारों को पहचानकर
लिखिए- खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक 7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए- (ख) हम भारतीय लोग आधुनिक चकाचौंध के कारण अपने संस्कार भूल चुके हैं, अत: लक्ष्यभ्रम से पीड़ित हैं। वस्तुतः हम बाहरी चमक-दमक को ही जीवन का लक्ष्य मान बैठे हैं। (ग) लोगों का प्रकृति के प्रति उदासीन नजरिया है। सालिम अली प्रकृति तथा पक्षी विज्ञानी थे। साथ ही वे सरल तथा सहृदय व्यक्ति थे। उनके अनुसार प्रकृति तथा हरियाली की रक्षा प्राणी मात्र के लिए आवश्यक है अत: हमें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए प्रकृति के प्रति पूर्ण सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए। (घ) नाना साहब के पुत्र, कन्या अथवा संबंधी को मार दिया जाए। उनके महल, संपत्ति अथवा नामो-निशान को भी नष्ट कर दिया जाए। 8. निम्नलिखित पद्यांश पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए- 9. निम्नलिखित पद्यांश पर पूछे गए प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए- 10. एकांकी रीढ़ की हड्डी में नारीपात्र उमा के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए। एकांकी में उमा के व्यक्तित्व को ही सर्वोत्कृष्ट चित्रित गया है। वह नारी को उचित सम्मान न दिए जाने की बात को दृढ़तापूर्वक उठाती है जो एकांकी के उद्देश्य को स्पष्ट करती है। खण्ड ‘घ’ : लेखन अथवा (ग)
महँगाई एक समस्या अतिथि = अ = न हो, तिथि = आने का निश्चित समय अर्थात् जिसके आने का कोई समय निश्चित न हो; वह किसी भी समय और कभी भी बिना बताए आए, अतिथि कहलाता है। | भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता का स्थान दिया गया है। प्राचीन समय में अतिथि को खूब मान-सम्मान और आदर-सत्कार दिया जाता था। किसी एक व्यक्ति का अतिथि सिर्फ उसका ही अतिथि न होकर पूरे समाज का हुआ करता था और उसे पूरे समाज में वही आदर-सम्मान प्राप्त हुआ करता था जो उसे अपने यजमान के यहाँ प्राप्त होता था। परन्तु आज के समय में अतिथि को न वह आदर-सत्कार मिलता और न ही वह मान-सम्मान। आज के समय में यदि किसी के घर अतिथि आता है तो उसे हर समय यह चिन्ता सताती रहती है कि यह कितनी देर में जाएगा कहीं वह रुकने के लिए तो नहीं आया है। यदि किसी के यहाँ अतिथि आए और वह यजमान घर पर न हो तो पड़ोसी उसे बाहर से ही मना कर देते हैं कि उन्हें पता नहीं है वे कहाँ गए हैं ना कि पहले के समान उसे घर पर बुलाकर खाना तो दूर की बात एक गिलास पानी भी नहीं पूछता है। आधुनिक समय में अतिथि केवल एक व्यक्ति मात्र रह गया है। जो केवल उनके घर पर कुछ समय के लिए आएगा और फिर चला जाएगा किन्तु यदि कहीं गलती से वह अतिथि कुछ समय के लिए रुकने के लिए आए हैं तो वह अपना देवत्व छोड़कर यजमान के लिए राक्षस का रूप धारण कर लेता है। वह यजमान उसे किसी न किसी तरह से घर से भगाने के उपाय सोचता रहता है। आज अतिथि का स्वरूप बदलता जा रहा है। वह अपना देवत्व खोता जा रहा है और ‘अतिथि: देवो भव’ की भावना धूमिल होती जा रही है। आज फिर अतिथि के महत्व को समझना होगा, उसे उचित आदर-सम्मान देना होगा और साथ ही अतिथि को भी यजमान को उतना ही मान-सम्मान देना चाहिए। अतिथि को यजमान की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखना चाहिए। तभी यह उक्ति अपना उचित मंतव्य प्राप्त कर सकेगी किञ्-अतिथिः देवो भव । अथवा समस्त जीवधारियों का जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जीव का जीवन, उसकी शक्ति एवं उसका विकास पर्यावरण की गोद में ही विकसित होता है। प्रकृति और पर्यावरण हमें विरासत में मिला है। मूल रूप में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण की मुख्य समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण आज विभिन्न रूपों में सामने आ रहा है। जिनमें प्रमुख हैं-भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण बाँध और हमारे अत्यधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग है। बाँधों के कारण भूमि का अपक्षय होता है। कल कारखाने, मोटर-स्कूटर, रेलें, बसें दिन-रात धुएँ के बादलों के रूप में वायु प्रदूषण करते हैं। कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, कार्बन मोनो ऑक्साइड का प्रभाव मनुष्य ही नहीं वरन् पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। पराबैंगनी किरणें कैंसर जैसे भयंकर रोगों को जन्म दे रही हैं। शुद्ध वायु अशुद्ध होती जा रही है। औद्योगीकरण ने जल-प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चीनी, कपड़ा, जूट, रसायन आदि उद्योगों का सारा कचरा नदियों और जलाशयों के जल को निरन्तर प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषित जल पीने के कारण बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। ध्वनि प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। औद्योगीकरण एवं मशीनीकरण ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। धार्मिक संस्कार, त्यौहार एवं लाउडस्पीकर आदि भी ध्वनि प्रदूषण के विस्तार में सहायक हैं। 40 से 50 डेसीबल तक की सामान्य ध्वनि सीमा 110 डेसीबल तक पहुँच गई है। भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अनावश्यक बाँधों के निर्माण, वनों की कटाई तथा रासायनिक उर्वरकों के अतिशय प्रयोगों पर रोक लगानी चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों में प्रयुक्त दूषित जल को सीधे नदियों, जलाशयों में न छोड़ा जाए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों की चिमनियों पर ऐसे फिल्टर लगाए जाएँ जो धुएँ आदि प्रदूषणकारी तत्वों को वायुमण्डल में न मिलने दें। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण-बढ़ती हुई जनसंख्या पर शीघ्र अंकुश लगाया जाए। महँगाई अथवा मूल्यवृद्धि का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। विकासशील देशों के पास धन का अभाव है और जनता अपनी आय में वृद्धि चाहती है। इसके परिणामस्वरूप मुद्रा का फैलाव बढ़ता है। दाम सूचक सिक्के की कीमत घट जाती है और महँगाई उसी अनुपात में बढ़ जाती है। जब महँगाई या मूल्यवृद्धि नियंत्रण से बाहर हो जाती है, तब यह समस्या का रूप धारण कर लेती है। महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं-उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि महँगाई का प्रमुख कारण है। कभी-कभी सूखा, बाढ़ तथा अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। वस्तुओं की जमाखोरी भी महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण है। काला बाजारी, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली तथा अंधाधुध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति भी महँगाई तथा भ्रष्टाचार के प्रमुख कारक हैं। सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना भी महँगाई और जमाखोरी को बढ़ावा देता है। | इस जानलेवा महँगाई ने आम नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। अब उसे दो जून की रोटी जुटाना तक कठिन हो गया है। पौष्टिक आहार का मिलना तो और भी कठिन हो गया है। आवास समस्या पर भी महँगाई की मार पड़ी है। महँगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है कि हमारी आवश्यकताएँ तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम किसी भी दाम पर वस्तु खरीद लेते हैं। इससे जमाखोरी और महँगाई को बढ़ावा मिलता है। महँगाई को सामान्य व्यक्ति की आय के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। महँगाई के लिए अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या भी उत्तरदायी है। इस पर भी नियंत्रण करना होगा। तथा सरकारी अधिकारियों को उन दुकानों पर छापे मारने होंगे जो वस्तुओं के दाम ज्यादा लेते हैं। ऐसी जानकारी होने पर हमें सख्ती दिखानी होगी तभी महँगाई रुक सकेगी। इस बढ़ती हुई महँगाई को रोककर ही हमारे देश का कल्याण हो सकता है। 12. आपके इलाके में बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण आपकी परीक्षा तैयारी प्रभावित हो रही है। बिजली व्यवस्था में सुधार हेतु वी.एस.ई.एस, राजधानी पावर लिमिटेड करनाल को एक शिकायती पत्र लिखिए। 13. ‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’ विषय पर दो मित्रों के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। We hope the Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 3, help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Solved Set 3, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. एक अतिथि के रूप में लेखक को तिब्बत में क्या अनुभव प्राप्त हुआ ल्हासा की ओर पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए?प्रश्न: तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक ने क्या-क्या नए अनुभव प्राप्त किए? उत्तर: अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान लेखक ने पाया कि वहाँ समाज में छुआछूत, परदा प्रथा जैसी बुराइयाँ नहीं है। वहाँ औरतों को अधिक स्वतंत्रता मिली है। लोगों में छंड पीने का रिवाज है।
लेखक को तिब्बत यात्रा एक भिखारी के रूप में क्यों करनी पड़ी?लेखक को ऊँचे-नीचे पहाड़ी रास्ते पर तेज धूप में यात्रा करना पड़ा। उसे यह यात्रा डाकुओं के भय के साए में करनी पड़ी। उसे रास्ते में डाकुओं जैसी सूरत को देखते ही “कुची-कुची एक पैसा” कहकर उससे भीख माँगनी पड़ी। उसका घोड़ा सुस्त था, इसलिए वह अपने साथियों से बिछड़ गया।
लेखक जिस रास्ते से तिब्बत गया उसकी क्या विशेषता थी?तिब्बत में यात्रियों के लिए बहुत-सी तकलीफ़े भी हैं और कुछ आराम की बातें भी। वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें पर्दा ही करती हैं । इसके साथ-साथ यह सैनिक रास्ता होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण था। इस रास्ते में चीनी सेना अपने उपकरणों एवं हथियारों के साथ रहा करती थी।
लेखक ने तिब्बत यात्रा के लिए किसका वेश धारण किया?लेखक ने तिब्बत की यात्रा भिखमंगों के वेश में की क्योंकि उस समय तिब्बत की यात्रा पर प्रतिबंध था। इसके अलावा डाँडे जैसी खतरनाक जगहों पर डाकुओं से इसी वेश में जान बचायी जा सकती थी।
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