भारत सरकार के असाधारण राजपत्र भाग-दो, अनुभाग-तीन, उप अनुभाग (1) दिनांक 20 फरवरी छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित अनुसूचित
क्षेत्रपरिभाषित किये गये हैं।
छत्तीसगढ़ :-
सरगुजा जिला (संपूर्ण)।
कोरिया जिला (संपूर्ण)।
बस्तर जिला (संपूर्ण)।
दंतेवाड़ा जिला (संपूर्ण)।
कांकेर जिला (संपूर्ण)।
कोरबा जिला (संपूर्ण)।
जशपुर जिला (संपूर्ण)।
बिलासपुर जिले में मरवाही, गौरेला-1, गौरेला-2 आदिवासी
विकासखंड और कोटा राजस्व निरीक्षक खंड।
दुर्ग जिले की बालोद तहसील का डोण्डी आदिवासी विकासखंड।
राजनांदगांव जिले में चौकी, मानपुर और मोहला आदिवासी विकासखंड।
रायपुर जिले की बिन्द्रानवागढ़ तहसील के गरियाबंद, मैनपुर एवं छुरा आदिवासी विकास खंड।
धमतरी जिले का सिहावा (नगरी) आदिवासी विकासखंड।
रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़, घरघोड़ा, तमनार, लैलूंगा, और खरसिया जनजाति विकासखंड।
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भारतीय संविधान के 5वीं और 6वीं अनुसूची में उल्लेखित क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता हैं। पांचवीं अनुसूची में कुल 10 राज्य छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िसा, राजस्थान और तेलंगाना को शामिल किया गया है। वहीं
छठीं अनुसूची में चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम शामिल हैं।
- छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र
- अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के लिए मानदंड –
- छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में शामिल 13 जिले –
छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र
छत्तीसगढ़ राज्य से 13 जिले एवं 85 आदिवासी विकासखण्ड 5वीं अनुसूची के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र के रूप में घोषित किये गये हैं।
छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या का एक बड़ा भाग लगभग 33% आदिवासी जनसंख्या है। जिसके कारण राज्य का अधिकतर भाग संविधान के अंतर्गत (विशेष अधिकार संपन्न) “अनुसूची 5 का क्षेत्र” घोषित किया गया है।
छत्तीसगढ़ के 7 जिले सरगुजा, कोरिया, जशपुर, कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा और कोरबा पूर्णतया पाँचवी अनुसूची के अंतर्गत आते है और 6 अन्य जिले रायगढ़, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर और धमतरी आंशिक रूप से पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं।
अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने के लिए मानदंड –
पांचवीं अनुसूची के तहत किसी भी क्षेत्र को “अनुसूचित क्षेत्र” के रूप में घोषित करने के लिए मानदंड निम्नलिखित हैं:-
- जनजातीय आबादी की प्रधानता,
- क्षेत्र की सघनता और उचित आकार,
- एक व्यवहार्य प्रशासनिक इकाई जैसे जिला, ब्लॉक या तालुक, और
- पड़ोसी क्षेत्रों की तुलना में क्षेत्र का आर्थिक पिछड़ापन
छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में शामिल 13 जिले –
- बस्तर जिला (संपूर्ण)।
- दंतेवाड़ा जिला (संपूर्ण)।
- कांकेर जिला (संपूर्ण)।
- जशपुर जिला (संपूर्ण)।
- सरगुजा जिला (संपूर्ण)।
- कोरिया जिला (संपूर्ण)।
- कोरबा जिला (संपूर्ण)।
- बिलासपुर जिले में मरवाही, गौरेला-1, गौरेला-2 जनजाति विकासखंड और कोटा राजस्व निरीक्षक सर्किल।
- दुर्ग जिले की डोण्डी जनजाति विकासखंड।
- राजनांदगांव जिले में चौकी, मानपुर और मोहला जनजाति विकासखंड।
- रायपुर जिले की बिन्द्रानवागढ़ तहसील के गरियाबंद, मैनपुर एवं छुरा जनजाति विकास खंड।
- धमतरी जिले का सिहावा (नगरी) जनजाति विकासखंड।
- रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़, घरघोड़ा, तमनार, लैलूंगा, और खरसिया जनजाति विकासखंड।
#Source :- भारत के राजपत्र क्र. 33004/99, दिनांक 20 फरवरी 2003
छत्तीसगढ़ राज्य, दिनांक 1 नवंबर 2000 को अलग होकर अस्तित्व में आया। 10 फरवरी 2020 को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व मे आने के बाद अब छ0ग0 में जिलों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है।छत्तीसगढ़ राज्य के शेष 27 जिले निम्नानुसार हैं:-
रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार , गरियाबंद , बेमेतरा , बालोद , मुंगेली , सूरजपुर , बलरामपुर, सुकमा , कोंडागांव महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, रायगढ़, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, जशपुर, अंबिकापुर तथा कोरिया। माह अप्रैल 2007 में जगदल्पुर से पृथक करके नरायणपुर एवं दंतेवाड़ा से पृथक कर बीजापुर का गठन किया गया। इसी प्रकार माह जनवरी 2012 में 9 नवीन जिलों का गठन किया गया। इसमें बस्तर, नरायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर,सुकमा ,सूरजपुर , बलरामपुर, कोंडागांव, कांकेर, सरगुजा, कोरिया, कोरबा एवं जशपुर पूर्ण रूप से आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। राज्य में कुल 146 विकासखंड हैं, इनमें आदिवासी विकासखंडों की संख्या 85 है।