नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ के अनुसार बच्चों को साल में 6
से 10 बार जुकाम पकड़ता है। कई बच्चों को वायरस की वजह से जुकाम होता है इसलिए एंटीबायोटिक से इसका इलाज किया जा सकता है। अमेरिकन एकेमडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार डॉक्टर के पर्चे के बिना मिलने वाली ओवर द काउंटर दवाएं 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप घरेलू नुस्खों से ही बच्चों में जुकाम का इलाज करें।बच्चों के लिए भाप
लेने के फायदे
नासिक मार्ग में म्यूकस को ढीला करने के लिए भाप लेना सबसे असरकारी तरीका है। शिशु के कमरे में फेशियल स्टीमर या वेपोराइजर की मदद से भाप फैला दें। 6 महीने से कम उम्र के शिशु के लिए बाथरूम में गर्म पानी को नल से बहने दें और शिशु को बाथरूम में 10 से 15 मिनट तक लेकर बैठ जाएं।
एक साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए गर्म पानी में यूकेलिप्टस ऑयल की कुछ बूंदें भी डाल सकते हैं।
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बच्चों की सर्दी का इलाज है नमक के पानी के गरारे
दो साल से अधिक उम्र के बच्चे को नमक के पानी से गरारे करवाएं। इसके लिए एक कप गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक डालें और बच्चे को गरारे करने के लिए कहें। बच्चे को पहले सादे पानी से गरारे करना सिखाएं।
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शिशु को जुकाम का इलाज है गुनगुना पानी
6 महीने के शिशु को उबला हुआ पानी पिलाएं। पानी बच्चे के हिसाब से हल्का गुनगुना होना चाहिए। इससे शिशु का शरीर हाइड्रेट रहता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं। ये जुकाम से जल्दी राहत दिलाने का असरदार तरीका है।
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शिशु को जुकाम की दवा है सरसों का तेल
एक साल के बच्चे के लिए जुकाम के इलाज के लिए सरसों का तेल भी बहुत असरकारी नुस्खा है। एक चम्मच सरसों का तेल लें और उसमें 1 लहसुन की कली और लौंग डालकर एक चुटकी अजवाइन का पाउडर मिलाएं। इन सब चीजों को एक मिनट तक गर्म करें।
लहसुन जलना नहीं चाहिए। अब इसे छन्नी से छान लें। इस मिश्रण के गुनगुना होने पर बच्चे की छाती और पीठ की मालिश करें।
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नवजात शिशु जुकाम का घरेलू उपाय है शहद
शहद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रात में होने वाली खांसी, गले में इंफेक्शन और खांसी या जुकाम की वजह से बार-बार नींद टूटने का इलाज करने में मददगार होते हैं। एक साल से कम उम्र के बच्चे को शहद न दें। एक साल से अधिक उम्र के बच्चे को रात को सोने से पहले आधा चम्मच शहद
दें।
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बच्चों में जुकाम का इलाज है अदरक
बच्चों में खांसी,
जुकाम और कफ जमने के इलाज में अदरक बहुत असरकारी है। ये शरीर को गर्म कर के बलगम को पिघला देती है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे को अदरक की चाय पिलाएं। आधा इंच की
अदरक
लें और एक कप पानी में इसे 5 मिनट तक उबालें। इसके बाद पानी को छान लें और उसमें आधा चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाएं। गुनगुना बच्चे को पिलाएं।
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इतने छोटे बच्चों को दवाई नहीं दी जा सकती है इसलिए कुछ सुरक्षित घरेलू नुस्खों से शिशु को जुकाम, सर्दी और बहती
नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं। लेकिन उससे पहले 0 से 6 माह के शिशु में जुकाम के कारण जान लेते हैं।शिशु में जुकाम के कारण
यदि सर्दी-जुकाम या खांसी से ग्रस्त व्यक्ति छोटे बच्चे के पास छींकता, खांसता या बात करता है तो उससे बच्चे को भी इंफेक्शन हो सकता है। जुकाम से ग्रस्त व्यक्ति शिशु को छूता है तो इससे भी बच्चे को वायरस पकड़ सकता है। संक्रमित व्यक्ति के शिशु के आंख,
नाक या मुंह को छूने पर बच्चे को भी इंफेक्शन हो सकता है।
कुछ वायरस जमीन, पर्दों, खिलौनों या चीजों पर दो या इससे ज्यादा घंटे तक रहते हैं। इन्हें छूने पर भी बच्चा वायरस के संपर्क में आ सकता है।
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कैसे बनाएं अजवाइन की पोटली
यहां हम आपको अजवाइन की पोटली बनाने के
तरीके के बारे में बता रहे हैं।
- सबसे पहले गैस पर तवा रख दें और एक चौथाई अजवाइन लें।
- तवा लेने 6 से 7 लहसुन की कलियां लें।
- लहसुन को भी अजवाइन पर डाल दें।
- इन दोनों चीजों को तवे पर भुनने दें और तब तक चलाते रहें।
- जब अजवाइन भुनने लगेगी, तब इसमें चट की आवाज आने लगेगी।
- अजवाइन भुन जाए तो गैस बंद कर दें।
- एक प्लेट लें और उस पर सूती कपड़ा बिछा दें।
- फिर इस कपड़े की पोटली बना लें।
0 से 6 महीने के बच्चे के लिए उपयोग
अगर आपके नवजात शिशु को जुकाम हो गया है या उसके सीने में कफ जम गया है तो सरसों या नारियल तेल को हल्का गुनगुना कर लें। इस तेल से शिशु की मालिश करें और पोटली को हल्के-हल्के से बच्चे के सीने पर लगाएं।
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पोटली के इस्तेमाल से पहले क्या करें
यहां इस बात का ध्यान रखें कि पोटली बहुत हल्की गर्म होनी चाहिए क्योंकि बच्चा ज्यादा गर्म सिकाई सहन नहीं कर पाएगा। शिशु की नाक बह रही है या जुकाम तेज हो रहा है तो गुनगुनी अजवाइन की पोटली शिशु के तकिए के नीचे रख दें।
इस तरह अजवाइन की खुशबू से
शिशु की बंद नाक खुल जाती है और जुकाम भी ठीक हो जाता है।
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कहां लगाएं पोटली
शिशु को सर्दी-जुकाम और कफ जमने या नाक बहने पर इस अजवाइन की पोटली से पीठ, छाती, पसलियों और पेट की सिकाई करें। इस बात का पूरा ध्यान रखें कि पोटली बहुत ज्यादा नहीं बल्कि हल्की गर्म होनी चाहिए।
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