चितरंजन में क्या बनाया जाता है? - chitaranjan mein kya banaaya jaata hai?

होम /न्यूज /व्यवसाय /रेलवे ने रचा इतिहास- लॉकडाउन के बावजूद बनाए 150 रेल इंजन, पिछले साल बनाया ये वर्ल्ड रिकॉर्ड

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चितरंजन में क्या बनाया जाता है? - chitaranjan mein kya banaaya jaata hai?

1948 से ये रेल फैक्ट्री लगातार इंजन बना रही है. वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण कर CLW ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है.

कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते किए गए लॉकडाउन के बावजूद चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप (Chittaranjan Locomotive Works) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक 150 रेल इंजनों का उत्पादन पूरा कर लिया है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 15, 2020, 09:18 IST

नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी के बीच भारतीय रेलवे (Indian Railways) के चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप (CLW) ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक 150 रेल इंजनों का उत्पादन पूरा कर लिया है. चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप की दनकुनी स्थित यूनिट से 150वें इंजन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया. वर्कशॉप से 8 सितंबर को ही 100 वां इंजन बन कर निकला था. अप्रैल और मई में पूरी तरह से लॉकडाउन और जुलाई, अगस्त और सितंबर में आंशिक लॉकडाउन के बावजूद ये प्रोडक्शन किया गया है.

अब तक बन चुके हैं 10 हजार इंजन- भारतीय रेलवे के चितरंजन रेल इंजन फैक्ट्री ने देश की सेवा करते हुए 70 साल पूरे कर लिए हैं. इस कारखाने ने स्टीम इंजन से शुरुआत कर डीजल और अब इलेक्ट्रिक इंजन को मिलाकर कुल 10,000 से ज्यादा रेलवे इंजन बनाने का काम पूरा किया जा चुका है.

Accelerating Production to become AatmaNirbhaar :


Electric Loco Assembly & Ancillary Unit (ELAAU)/Dankuni, a unit of Chittaranjan Locomotive Works produced 150th locomotive. GM/CLW flagged off the 150th locomotive to the Service of the Nation.#AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/KhynG4BeSS

— Ministry of Railways (@RailMinIndia) September 14, 2020


1948 से ये रेल फैक्ट्री लगातार इंजन बना रही है. वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण कर CLW ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है.

चितरंजन लोकोमोटिव में डब्लूएपी 7 इंजन भी बनाया जा रहा है ये इंजन हेड ऑन जनरेशन तकनीक पर चलता है.

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इसके चलते इस इंजन में बिजली की खपत काफी कम हो जाती है. इस इंजन को राजधानी और शाताब्दी जैसी हाई स्पीड गाड़ियों में चलाया जा रहा है.

चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप में हाल ही में 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलने की क्षमता वाले इंजन डब्लूएपी 5 भी बनाया गया है. इस इंजन के जरिए पुश एंड पुल तकनीकी की मदद से भी ट्रेनों को चलाया जा रहा है.

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इस फैक्ट्री में 6000 एचपी से लेकर 9000 एचपी तक के इंजन को बनाया गया है. इस इंजन के जरिए माल गाड़ियों को चलाया जाता है. 9000 एचपी के इंजन को 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलाया जा चुका है.

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Tags: Business news in hindi, Indian railway, Indian Railway Catering and Tourism Corporation, Indian Railways

FIRST PUBLISHED : September 15, 2020, 09:05 IST

भारतीय रेलवे के सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव

2017-10-30 16:552018-02-02 13:34भारतीय रेलवे के सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव

भारतीय रेलवे के सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव

भारत में अभी इलेक्ट्रिक और डीजल इंजन चलते हैं। भारत में पहले भाप इंजन भी चलते थे लेकिन अब उनका उपयोग सिर्फ सिर्फ हेरिटेज गाड़ियों के लिए ही किया जाता है। लोकोमोटिव को भी लोको या इंजन कहा जाता है। आज हम आपको भारतीये रेलवे के पावरफुल इंजनों के बारे में बता रहे हैं।

1. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएजी-9

भारतीय रेलवे के इंजनों में डब्ल्यूएजी-9 सबसे शक्तिशाली बोझ ले जाने वाला लोकोमोटिव है। यह बिल्कुल डब्ल्यूएपी-7 की तरह है, सिर्फ इसमें गियर अनुपात ही एकमात्र बड़ा अंतर है जो भारी माल ढुलाई के लिए उपयुक्त बनाता है।


2. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएजी-7

इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएजी-7 भारतीय रेलवे में शक्तिशाली लोकोमोटिव डिज़ाइन वाला रेलवे इंजन है। डब्ल्यूएजी-7 चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स द्वारा बनाया गया है और भारत की सबसे सफल लोकोमोटिव है।


3. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएजी-5

भारतीय रेल द्वारा डब्ल्यूएजी-5 दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला लोकोमोटिव इंजन है। भारतीय रेल के डब्ल्यूएजी-5 लोकोमोटिव वर्ग यात्री विशिष्ट वर्ग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है।


4. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएपी-7

डब्ल्यूएपी-7 चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स द्वारा बनाया गया है। यह 110-140 किमी/घंटा (68-87 मील प्रति घंटे) के बीच की गति पर ट्रेनों को चलाने में सक्षम है। यह लोकोमोटिव ज्यादातर उत्तर रेलवे ज़ोन (एनआर), साउथ सेंट्रल रेलवे (एससीआर), साउथर्न रेलवे (एसआर), पूर्व रेलवे (ईआर), दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर), सेंट्रल रेलवे (सीआर), वेस्टर्न रेलवे (डब्ल्यूआर), वेस्ट सेंट्रल रेलवे (डब्ल्यूसीआर), ईस्ट कोस्ट रेलवे (ईसीओआर), दक्षिणपूर्व रेलवे (एसईआर)।


5. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएपी-5

डब्ल्यूएपी-5 हाई स्पीड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स के एक वर्ग का नाम है जो भारतीय रेल द्वारा निर्मित और इस्तेमाल किया जाता है।1995 में स्विट्जरलैंड में एबीबी से पहले 10 इंजनों का आयात किया गया था। इन लोकोमोटिव को उपयोग भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस और भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस में किया जाता है।


6. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएपी-4

इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएपी-4 का उपयोग व्यापक रूप से भारतीय रेलवे के यात्री सेवा गाड़ियों के नेटवर्क के लिए किया जाता है। डब्ल्यूएपी-4 लोकोमोटिव का निर्माण चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स द्वारा किया गया था।


7. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूडीएम-3ए

डब्ल्यूडीएम-3ए भारतीय रेलवे का डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है। 1993 से, यह डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू), वाराणसी द्वारा भारत में निर्मित किया गया है।


8. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूडीएम-3डी

इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूडीएम-3डी या एएलसीओ डीएल 560सी एक डीजल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है जो भारतीय रेलवे द्वारा यात्रियों और माल ढुलाई के लिए उपयोग किया जाता है।


9. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूडीएम-2

डब्ल्यूडीएम-2 भारतीय रेलवे का कामकाजी डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है। डब्ल्यूडीएम-2, 1962 में सबसे पहला लोकोमोटिव अमेरिकन लोकोमोटिव कंपनी से आयात किया गया था। 1964 से यह इंजन वाराणसी के लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू) में बनाये जा रहे हैं। डब्ल्यूडीएम-2 भारतीय रेल का सबसे सामान्य डीजल इंजन है।


10. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएएम-4

भारतीय लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूएएम-4 भारत में उपयोग किए जाने वाले 25 केवी एसी विद्युत लोकोमोटिवों का एक बहुत सफल वर्ग है। सबसे पहला डब्ल्यूएएम-4 लोकोमोटिव 1970 में चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स द्वारा स्वदेशी डिजाइन में बनाया गया था।


11. इंडियन लोकोमोटिव क्लास डब्ल्यूडीपी-4

डब्ल्यूडीपी-4 लोकोमोटिव को जनरल मोटर्स इलेक्ट्रो-मल्टी डिवीजन द्वारा डिज़ाइन किया गया था और भारतीय रेलवे ने यात्री ट्रेनों के लिए इस्तेमाल किया था।


चितरंजन में क्या बनता है?

1948 से ये रेल फैक्ट्री लगातार इंजन बना रही है. वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण कर CLW ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है. चितरंजन लोकोमोटिव में डब्लूएपी 7 इंजन भी बनाया जा रहा है ये इंजन हेड ऑन जनरेशन तकनीक पर चलता है.

रेल का इंजन कहाँ बनता है?

बनारस रेल इंजन कारखाना (अंग्रेज़ी:Banaras Locomotive Works), (पूर्व नाम: डीजल रेल इंजन कारखाना) वाराणसी में स्थापित भारतीय रेल का रेल इंजन निर्माण का कारखाना है।

रेल के इंजन बनाने का सबसे पुराना कारखाना कौन सा है?

क्.सं.
रेलवे
कारखाने का नाम
2.
मध्य
माटुंगा
3.
परेल
4.
पूर्व
जमालपुर
5.
कांचरापाड़ा
रेल कारखाने - Indian Railwayindianrailways.gov.in › railwayboard › view_sectionnull

रेलवे इंजन बनाने में कितना खर्चा आता है?

भारतीय रेल के इंजन को बनाने में 20 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है. चूंकि, भारतीय रेल के इंजन देश में ही बनाए जाते हैं, इसलिए इसकी कीमत इतनी कम है.