4 years ago बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता की कवियित्री कौन है?निर्मला पुतुल की करुण कविता 'बूढ़ी पृथ्वी का दुख'
बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता का मुख्य संदेश क्या है?अर्थ-कवयित्री निर्मला पुतुल ने वैसे लोगों का ध्यान पेड़-पौधों की ओर आकृष्ट किया है जो निर्ममतापूर्वक पेड़ काटते जा रहे हैं। कवयित्री लोगों से यह जानना चाहती है कि क्या आपने कभी स्वप्न में चमकती हुई कुल्हाडियों के भय से काँपते हुए पेड़ों की चीख-पुकार को सुना है।
बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता में कवयित्री के अनुसार हमें किसकी चीत्कार महसूस करनी चाहिए और क्यों?Numeric Code दिया गया है।
पृथ्वी कहते हैं कविता के कवि कौन है?उत्तर: कीट्स ने अपनी कविता 'पृथ्वी की कविता' में कहा है कि पृथ्वी की कविता कभी समाप्त नहीं होती है। जब सूरज गर्म होता है, पक्षी बेहोश हो जाते हैं और वे ठंडे पेड़ों में छिप जाते हैं। कवि नए घास के मैदानों को पार करते हुए हेज से हेज तक दौड़ते हुए टिड्डे की आवाज सुनता है।
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