बादल कैसे बनते हैं?
हम जानते हैं कि सूर्य की गर्मी से नदियों, तालाबों, झीलों और सागरों का पानी भाप बनकर हवा में उड़ता रहता है वाष्प से युक्त गर्म हवा हल्की होने के कारण आकाश में ऊपर उठती रहती है अधिक वाष्प वाली हवा जब एक जगह जमा हो जाती है, तो उसका रूप धुंए जैसा हो जाता है जलवाष्पयुक्त हवा के इसी रूप को हम बादल कहते हैं उपयुक्त अवस्थाओं में बादलों में उपस्थित जलवाष्प धुल, नामक और धुंए के कणों पर संधनित होकर बूंदों में बदल जाती है यही बूंदे बड़ी होकर वर्षा के रूप में धरती पर गिरती हैं |
बादल कितने प्रकार के होते हैं?
आकाश की ओर ध्यानपूर्वक देखने से पता चलता है कि सभी बादल एक जैसे नहीं होते हैं l बादलों को उनके आकार व स्वरूप के अनुसार मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जा सकता है:-
1. पक्षाभ मेघ (Cirrus) : ये बादल बहुत ऊंचाई पर बनते हैं इनका रंग सफेद होता है और ये चिड़िया के पंख की भांति दिखते हैं इनकी ऊंचाई धरती से 8 से 11 कि. मी. (5 से 7 मील) तक होती है ये बर्फ के छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनते हैं |
2. स्तरीय मेघ (Stratus) : ये बादल लगभग 2440 मीटर (8000 फुट की ऊंचाई पर बनते हैं ये कोहरे की परत जैसे लगते हैं ये प्राय: खराब मौसम और बूंदा-बांदी की सूचना देते है |
3. कपासी मेघ (Cumulus) : कपास की ढेर की शक्ल के ये बादल पृथ्वी से 4000 या 5000 फुट की ऊंचाई पर बनते हैं ये ऊपर से गुम्बद के आकार के होते हैं और नीचे से चपटे होते हैं ये आकाश में सफेद पहाड़ की तरह नजर आते है |
4. वर्षा मेघ (Nimbo Stratus) : ये सबसे कम ऊचाई पर बनने वाले बदल हैं ये गहरे भूरे या काले रंग के होते हैं इन बादलों से ही वर्षा होती है इसके अतिरिक्त बादलों की और भी किस्में होती हैं, लेकिन मुख्य रूप से यही किस्में होती हैं |
हम आशा करते है की आपको अब समझ में आ गया होगा की बादल कैसे बनता है अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें | Submitted by Hindi on Wed, 12/29/2010 - 10:16 Source अभिव्यक्ति हिन्दी, 9 जनवरी 2007
बादल पानी या बर्फ़ के हज़ारों नन्हें नन्हें कणों से मिलकर बनते हैं। ये नन्हें कण इतने हल्के होते हैं कि वे हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं।
बादल के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं— सिरस, क्युमुलस और स्ट्रेटस। इन नामों को बादलों की प्रकृति और आकार के आधार पर रखा गया है। बहुत बार बादल मिलेजुले आकार-प्रकार के भी होते हैं। ऐसे बादलों को मिलेजुले नामों से जाना जाता है। इन प्रकारों के विषय में ठीक से जानने के लिए उन के दस नाम रखे गए हैं। ये सब नाम लैटिन भाषा में हैं।
क्युमुलस का अर्थ है ढेर। अपने नाम के अनुरूप ये बादल रूई के ढेर की तरह दिखाई देते हैं। कभी कभी ये गहरे रंग के होते हैं तब इनमें से पानी या ओलों की वर्षा हो सकती है। ऐसे बादलों को क्युमुलोनिंबस कहते हैं। क्युमुलोनिंबस बादल एवरेस्ट पर्वत से दुगुने ऊँचे हो सकते हैं और अकसर उनमें आधा करोड़ टन से ज्यादा पानी होता है। लैटिन भाषा में क्युमुलोनिंबस का अर्थ है पानी से भरा हुआ बादल।
बादलों में संघनन के कारण बूँदें बनती हैं। ऐसा तब होता है जब गरम हवा ऊपर उठती है और ठंडी हो जाती है। बादलों को देखकर मौसम की भविष्यवाणी की जा सकती है।
स्ट्रेटस का अर्थ है फैला हुआ। अपने नाम के अनुरूप ये बादल काफ़ी नीचे होते है और पूरे आकाश को घेर लेते है। जब ऐसे बादल वर्षा करते हैं तो उन्हें निंबोस्ट्रेटस कहते हैं।
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//www.abhivyakti-hindi.org/phulwari/
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