Show नरेन:सद्गुरु, मैं ब्रह्म मुहूर्त के बारे में कुछ जानना चाहता हूं। जहां तक मुझे पता है इसकी शुरुआत साढ़े तीन बजे से होती है, लेकिन खत्म कब तक होता है, ये मुझे ठीक-ठीक नहीं मालूम। हम इस मुहूर्त का बेहतरीन फायदा कैसे ले सकते हैं - क्या इस समय ध्यान या कोई क्रिया अथवा दोनों कर सकते हैं? इसी से जुड़ा मेरा अगला सवाल है कि साढ़े तीन बजे का इस मुहूर्त के साथ क्या संबंध है और इसका क्या महत्व है? सद्गुरु:साढ़े तीन बजे का महत्व सिर्फ 33 डिग्री अक्षांश तक के लिए ही होता है। 3.40 पर सूर्य उस जगह पहुंच जाता है, जहां उसका सीधा संबंध पृथ्वी से हो जाता है। इस समय उसकी किरणें ठीक आपके सिर के ऊपर होती हैं। जब सूर्य की किरणें धरती के दोनों तरफ एक ही जगह पड़ती हैं, तो इंसान का सिस्टम एक खास तरीके से काम करने लगता है और तब एक संभावना बनती है। इस संभावना के इस्तेमाल करने को लेकर लोगों में जागरूकता रही है। Subscribe Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox. अगर आपके सिस्टम में एक जीवंत बीज पड़ चुका है और अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में जागकर कोई भी अभ्यास करने बैठते हैं तो यह बीज आपको सबसे ज्यादा फल देगा। ब्रह्म मुहूर्त कितने बजे होता हैवैसे तो सूर्य हमेशा आपके सिर के ऊपर ही होता है, लेकिन जब मैं कहता हूं कि सूर्य ठीक आपके सिर पर है तो इसका मतलब है उस समय वह आपके सिर पर लंबवत है। उस समय यह एक विशेष तरीके से काम करता है। यह समय होता है 3.40 से लेकर अगले 12 से 20 मिनट तक। ब्रह्म मुहूर्त का महत्त्व और महिमाआप जिस भी क्रिया में दीक्षित हुए हैं, अगर इस समय वह करना शुरू कर देंगे, तो आपको इसका सर्वश्रेष्ठ फल मिलेगा। हां, यह समय किताब पढ़ कर सीखी हुई क्रिया करने का नहीं है। आपके भीतर पड़ा वह बीज इस समय विशेष सहयोग मिलने से अकुंरित होने लगेगा या दूसरे समय की अपेक्षा ज्यादा तेजी से फूटेगा। यह समय सिर्फ दीक्षित हुए लोगों के लिए ही अनुकूल है। अगर आप दीक्षित नहीं है तो फिर 3.40 हो या 6.40 या फिर 7.40 कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए संध्या काल ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। यह एक तरह का संधि काल होता है। जब मैं कहता हूं कि सूर्य ठीक आपके सिर पर है तो इसका मतलब है उस समय वह आपके सिर पर लंबवत है। उस समय यह एक विशेष तरीके से काम करता है। यह समय होता है 3.40 से लेकर अगले 12 से 20 मिनट तक। संध्या का मतलब है संक्रमण या एक स्थिति से दूसरी में जाना। सूर्योदय से बीस मिनट पहले व बीस मिनट बाद या सूर्यास्त से बीस मिनट पहले व बीस मिनट बाद का समय संध्या कहलाता है। ऐसा ही वक्त दोपहर बारह बजे और आधी रात को आता है, लेकिन ये दोनों संध्याएं अलग प्रकृति की होती है। दिन में चालीस मिनट की ये चार अवधियां संध्या काल कहलाती हैं। इस संध्या काल में आपका सिस्टम एक खास तरह के संक्रमण से गुजरता
है। इस समय में मानव शरीर में मौजूद दो प्रमुख नाडिय़ों - इड़ा और पिंगला के बीच एक खास तरह का संतुलन कायम होता है। नरेन:तो क्या मैं अपनी क्रिया आधी रात को कर सकता हूं? सद्गुरु:अगर व्यक्ति अपने जीवन की दिशा को एक खास तरह से बदलने के लिए इच्छुक नहीं है, तो उसे आधी रात को साधना नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान की गई साधना कुछ ऐसे बदलाव लाती है, जिसे आप शायद संभाल न पाएं। Brahma Muhurta : हमारे वेदों पुराणों एवं ग्रंथो में ब्रह्म मुहूर्त को बेहद शुभ माना गया है. हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है. इस समय सोना शास्त्रों में निषिद्ध माना गया है. यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है. ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. ब्रह्म मुहूर्त में दिनचर्या शुरू करने से पूरा दिन अच्छा जाता है. इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा होती है और इस वक्त किया गया कोई भी कार्य सफल होता है. आइए जानते हैं क्यों माना जाता है बह्म मुहूर्त को इतना खास और इसका सही समय क्या है? क्या होता है ब्रह्म मुहूर्त अर्थ ब्रह्म मुहूर्त का समय ब्रह्म मुहूर्त का महत्व ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे
ये भी :-Puja Colours Significance: पूजा-पाठ में करें इन 4 रंगों का प्रयोग, बनी रहेगी सुख-समृद्धि Surya Dev Ki Aarti: पाना चाहते हैं सूर्यदेव की कृपा तो रविवार को करें सूर्यदेव की आरती, होंगे अदभुत फायदे Disclaimer:यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. ब्रह्म मुहूर्त सुबह कितने बजे तक होता है?सूर्योदय के डेढ़ घण्टा पहले का मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त (ब्राह्ममुहूर्त) कहलाता है। सही-सही कहा जाय तो सूर्योदय के २ मुहूर्त पहले, या सूर्योदय के ४ घटिका पहले का मुहूर्त। १ मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट होती है। अतः सूर्योदय के ९६ मिनट पूर्व का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले क्या करना चाहिए?ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। * यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है, क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है।
ब्रह्म मुहूर्त का सही समय क्या है?सुबह 4 से 5:30 तक का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है. प्राचीन काल में ऋषि-मुनि ध्यान साधना करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त को सबसे उत्तम समय मानते थे. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में की गई भगवान की पूजा का फल जल्द ही प्राप्त होता है. इस समय सोना वर्जित माना जाता है.
सुबह उठने का शुभ मुहूर्त क्या है?'ब्रह्म मुहूर्त', सूर्योदय से ठीक डेढ़ घंटे पहले भोर का समय है, जिसे ऋषि सुबह उठने के लिए एक शुभ समय होने का दावा करते हैं। ब्रह्म मुहूर्त, ब्रह्म का समय है जो प्राचीन, पवित्र और बेदाग है और प्रार्थना के लिए सबसे अच्छा समय है।
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