बेलपत्र में चक्र और वज्र क्या है - belapatr mein chakr aur vajr kya hai

भगवान शिव के पूजन में बिल्वपत्र का बहुत महत्व है। कहा जाता है, कि बिल्वपत्र शि‍वजी को अतिप्रिय है। इसलिए भोलेनाथ को बि‍ल्वपत्र अर्पित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं बिल्वपत्र के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें ? यदि नहीं जानते, तो जरूर पढ़िए - 

1  बिल्वपत्र 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एक बार शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है। कई जगह शिवालयों में बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पाने पर इसके चूर्ण को चढ़ाने का विधान भी है। 

Belpatra Chadhane Ke Niyam: हिंदू धर्म में भगवान भोलेनाथ अत्यंत लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं. सोमवार को भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना की जाती है. उनको प्रसन्न करने के लिए सोमवार (Monday) का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. जिसमें भगवान शिव की प्रिय सामग्री उन्हें अर्पित करने का विधान है. भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय बेल पत्र है जिसे संस्कृत में बिल्वपत्र भी कहा जाता है. भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने से उन्हें शीतलता प्राप्त होती है. सनातन धर्म में प्रकृति (Nature) के प्रति कृतज्ञता और स्नेह की भावना सर्वोपरि है. इसीलिए शास्त्रों में फूल पत्तियों को तोड़ने के कुछ नियम उल्लेखित हैं. ऐसे ही बेल पत्र को तोड़ने का भगवान शिव को अर्पित करने का क्या नियम है आइए जानते हैं.

मान्यता है कि बेल पत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है. पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. भगवान शि‍व को बेल पत्र अर्पित करने और इसे तोड़ने के कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है.

बेल पत्र तोड़ने के नियम

मान्यता के अनुसार चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथ‍ि, सं‍क्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए.

यह भी पढ़ें – Feng shui Tips: घर में इस तरह रखें कछुआ, धन को करेगा आकर्षित

भगवान शिव को बेल पत्र अत्यंत प्रिय है, इसलिए इन तिथ‍ियों या वार से पहले तोड़ी गई बेल पत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है.

बेल पत्र को लेकर शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि यदि नया बेल पत्र न मिले, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेल पत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है.

शाम होने के बाद बेल पत्र क्या किसी भी वृक्ष को हाथ नहीं लगाना चाहिए.

टहनी से एक-एक कर बेल पत्र ही तोड़ना चाहिए. पूरी टहनी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.

बेल पत्र तोड़ने से पहले और तोड़ने के बाद मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए.

इस तरह चढ़ाएं शिवलिंग पर बेल पत्र

भगवान शिव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए.

यह भी पढ़ें – सरसों के तेल में जलाएं दीपक, होगी धन की वर्षा और चमक उठेगी तकदीर

बेल पत्र में वज्र और चक्र नहीं होना चाहिए.

बेल पत्र 3 से 11 पत्ती वाले होते हैं. इसमें जितने अधिक पत्र होते हैं भगवान शिव को अर्पित करने का उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होता है.

यदि बेलपत्र ना मिल पाएं को बेल के वृक्ष के दर्शन करना ही पाप-ताप को नष्ट कर देता है.

शिवलिंग पर चढ़ाए दूसरे के बेल पत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion

FIRST PUBLISHED : February 14, 2022, 08:13 IST

बेलपत्र में चक्र और वज्र क्या होता है?

शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र चुनते वक्‍त यह देख लें कि बेलपत्र पर अधिक धारियां नहीं होनी चाहिए। बेलपत्र के बहुत से पत्‍तों पर चक्र और धारियां होती हैं जिन्हें पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। कहते हैं चक्र और वज्र वाले बेलपत्र को खंडित माना जाता है।

शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए?

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाना है शुभ शिव पुराण के अनुसार, आपके पास जितने बेलपत्र हो उतने ही चढ़ा सकते हैं। वैसे तो शिवजी को 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। लेकिन अधिक बेलपत्र हैं, तो और भी उत्तम है।

बेलपत्र तोड़ते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चरण करना चाहिए-अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा। गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।

शिव जी को कौन से लोटे से जल चढ़ाना चाहिए?

माना जाता है कि शिवलिंग को जल चढ़ाने के लिए तांबे, चाँदी और कांसे के लोटे का ही इस्तेमाल करें। शिवलिंग में जल चढ़ाने के लिए तांबे, स्टील आदि के लोटे का इस्तेमाल करने से बचें। शिवलिंग में कभी भी तेजी से जल अर्पित न करें। शिव जी का एक धारा में जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।