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भाव वाच्य की परिभाषा (Bhav Vachya Ki Paribhasha)यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन में होने वाला परिवर्तन कर्ता एवं कर्म दोनों ही के अनुसार नहीं हो, बल्कि भाव के अनुसार हो तो उस वाक्य में प्रयुक्त वाच्य को भाव वाच्य कहते हैं। भाववाच्य के वाक्यों में क्रिया सदैव पुल्लिंग एकवचन अन्यपुरुष अकर्मक क्रिया की होती है। अतः यदि किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया स्त्रीलिंग हो तो उस वाक्य में भाव वाच्य कभी नहीं होगा। भाव वाच्य (Bhav Vachya) के वाक्यों में कर्ता करण कारक (‘से’ या ‘के द्वारा’ विभक्ति सहित) में तथा क्रिया सदैव अकर्मक क्रिया होती है। भाव वाच्य (Bhav Vachya) के वाक्यों में असमर्थता का भाव होता है, लेकिन यह आवश्यक शर्त नहीं है। ऐसे बहुत से वाक्य हो सकते हैं जिनमें असमर्थता का भाव नहीं होता और उन वाक्यों में भाव वाच्य होता है। यदि किसी वाक्य में कर्ता के साथ कर्ता कारक चिह्न ‘ने’ का प्रयोग हुआ हो और वाक्य में प्रयुक्त कर्म के साथ कर्म कारक चिह्न ‘को’ जुड़ा हुआ हो तो इस स्थिति में वाक्य की क्रिया के लिंग और वचन में कोई परिवर्तन नहीं होता है। अतः ऐसे वाक्यों में भाव वाच्य होगा। जैसे:-
भाव वाच्य के उदाहरण (Bhav Vachya Ke Udaharan)
कर्तृ वाच्य से भाव वाच्य बनानाकर्तृ वाच्य में क्रिया के लिंग और वचन में परिवर्तन कर्ता के अनुसार होता है, जबकि भाव वाच्य में क्रिया कर्ता और कर्म दोनों के अनुसार ही परिवर्तित नहीं होती है। अतः कर्तृ वाच्य के वाक्य को भाव वाच्य के वाक्य में बदलते समय कर्ता को करण कारक में लिखकर वाक्य को अकर्मक क्रिया में लिखा जाता है।
FAQsभाववाच्य की क्या पहचान है?भाव वाच्य की पहचान यह है की भाव वाच्य में क्रिया सदैव पुंल्लिंग एकवचन और अकर्मक क्रिया होती है। अतः जिस वाक्य में यह पहचान मिले उस वाक्य में भाव वाच्य होगा। भाव वाच्य में कौन सी क्रिया होती है?भाव वाच्य में क्रिया सदैव अकर्मक क्रिया होती है। सदैव अकर्मक क्रिया कौन से वाच्य में होती है?सदैव अकर्मक क्रिया भाव वाच्य में होती है. सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण
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भाव वाच्य की क्या पहचान है?क्रिया के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो। दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।
कर्मवाच्य में कौन सी क्रिया होती है?कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है।
भाववाच्य का प्रयोग कहाँ होता है?भाववाच्य - जब अकर्मक क्रियाओं वाले वाक्य में कर्ता की प्रधानता न होकर भाव (क्रिया) की प्रधानता होती है तो वह भाववाच्य कहलाता है। यहाँ कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। भाववाच्य में क्रिया में सदा प्रथम पुरुष एकवचन का रूप रहता है ।
कर्म वाच्य उदाहरण क्या है?कर्म वाच्य उदाहरण क्या है? सरल शब्दों में – क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं या जहाँ क्रिया का संबंध सीधा कर्म से हो तथा क्रिया का लिंग तथा वचन कर्म के अनुसार हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। मीरा ने दूध पीया। मीरा ने पत्र लिखा।
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