भारत में योग की शुरुआत कब हुई थी? - bhaarat mein yog kee shuruaat kab huee thee?

भारत में योग की शुरुआत कब हुई थी? - bhaarat mein yog kee shuruaat kab huee thee?

योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं, इसे नजरांदाज कर मनुष्य स्वयं के साथ धोखा करता है.

योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं, इसे नजरांदाज कर मनुष्य स्वयं के साथ धोखा करता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 21, 2019, 11:04 IST

    21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत में ही नही बल्कि दुनिया में मनाया जाता है. योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं. योग मानव सभ्यता की एक ऐसी देन है जो आपको स्वस्थ रहने में मदद करती है. इसे नजरांदाज कर मनुष्य स्वयं के साथ धोखा करता है.

    योग दिवस पिछले चार वर्षों से देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जाता है, पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मेजबान शहर रांची है, इस बार की थीम 'योग फॉर हार्ट केयर’ है.

    योग की शुरुआत

    भारत में योग का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं. अगस्त नामक सप्त‌ऋषि ने ही पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा कर यौगिक तरीके से जीवन जीने की संस्कृति को गढ़ा था. योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुई थी इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ. योग की बात होती है तो पतंजलि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। ऐसा क्यों? क्योंकि पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था. योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है जो न केवल देश में बल्कि एशिया, मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के भिन्न- भिन्न भागों में फैला हुआ है.

    भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा में योग की पहल की. इसके बाद 11 दिसम्बर 2014 को सयुंक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मंजूरी मिली. पहली बार 21 जून 2015 को यह दिवस मनाया गया, माना जाता है कि 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है और योग भी मनुष्य की आयु को बढ़ाता है.

    आसान व प्राणायाम का महत्व

    योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपालभाति जैसी योग क्रियाएं शामिल हैं, जो सबसे ज्यादा प्रभावी सांस की क्रियाएं हैं. इनका नियमित अभ्यास करने से लोगों को सांस संबंधी समस्याओं और उच्च व निम्न रक्तदाब जैसी बीमारियों में आराम मिलता है. योग वह इलाज है जिसका प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास किया जाए, तो यह बीमारियों से धीरे-धीरे छुटकारा पाने में काफी सहायता करता है. यह हमारे शरीर में कई सारे सकारात्मक बदलाव लाता है और शरीर के अंगों की प्रक्रियाओं को भी नियमित करता है.

    कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी एवं भस्त्रिका प्राणायाम स्वास्थ्य के साथ आपके वजन को कम करने में भी लाभकारी होते हैं. प्राणायाम के द्वारा डायबि‍टीज, अत्यधिक वजन, मानसिक तनाव आदि से छुटकारा पा सकते हैं.

    स्वस्तिकासन से पैरों के दर्द में, गोमुखासन से यकृत, गुर्दे एवं गाठिया को दूर करने में, गोरक्षासन से मांसपेशियो में रक्त संचार बढ़ाने एवं योगमुद्रासन चेहरा सुन्दर व मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. योग के सभी आसनों से लाभ प्राप्त करने के लिए सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता है. योग के दौरान श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेना और छोड़ना सबसे मुख्य है.

    योग के फायदे

    योग के फायदे बच्चों से लगाकर बुजूर्गों, महिलाओं एव गर्भवती महिलाओं सभी को होते है. योग में हजारों बिमारियों को ठीक करने के गुण छुपे हुए हैं. दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करना हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने के साथ ही कई सारी भयानक बीमारियों जैसे- कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च व निम्न रक्त दाब, हृदय रोग, किडनी का खराब होना, लीवर का खराब होना, गले की समस्याओं तथा अन्य बहुत सी मानसिक बीमारियों से भी हमारी रक्षा करता है. इस बात को देश-विदेश के चिकित्सक तक मान चुकें हैं. जो बीमारियां दवाइयों से ठीक नहीं हो पाती उनका इलाज भी योग में सम्भ्व है. नियमित योग करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं, योग के विभिन्न आसनों से शरीर के अलग-अलग हिस्सों को फायदा पहुचंता है.

    योग में शरीर के हर छोटे से छोटे अंग का व्यायाम होता है जिससे फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है. छोटे व्यक्ति से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक कोई भी आसान कर सकता है. इसके द्वारा मनुष्य के अंदर की नकारात्मकता को खत्म किया जा सकता है. योग तन के अलावा मन को भी शांति देता है. योग के कई आसान व ध्यान आपके विचारों को नियंत्रित करता है जिससे मन शांत रहता है.

    बच्चों में बढ़ रही मानसिकता और तनाव को देखते हुए सरकार ने स्कूलों में योगा क्लास लगाने का निर्णय भी लिया है जिसके तहत ज्यादातर स्कूल में योगा करवाया भी जाता है. योग शिक्षा को बचपन से ही ग्रहण करना चाहिए ताकि आगे आने वाली बीमारियों से बचा जा सकें. योग के प्रति बच्चों से लेकर बुजूर्गों तक सभी को जागरुक रहना भी चाहिए और जागरुक करना भी चाहिए.undefined

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    Tags: Benefits of yoga, International Yoga Day, PM Modi Fitness, Yoga Day 2019

    FIRST PUBLISHED : June 21, 2019, 11:04 IST

    भारत में योग कब शुरू हुआ?

    अभी हाल तक, पश्चिमी विद्वान ये मानते आये थे कि योग का जन्म करीब 500 ईसा पूर्व हुआ था जब बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में जो उत्खनन हुआ, उससे प्राप्त योग मुद्राओं से ज्ञात होता है कि योग का चलन 5000 वर्ष पहले से ही था।

    योग का जन्म स्थान कौन सा है?

    योग करने और न करने को लेकर तमाम विवाद भी चल रहे हैं। इस मौके पर dainikbhaskar.com आपको बता रहा है कि किस जगह से पतंजलि ने योग की शुरुआत की थी। पुरातत्वविद् नारायण व्यास बताते हैं कि 200 ईसा पूर्व यानी करीब दो हजार साल से भी पहले महर्षि पतंजलि का जन्म गोंदरमऊ में हुआ था।

    योग के आविष्कार कौन थे?

    अधिकतर यह मानते हैं कि योग के जनक महर्षि पतंजलि थे

    योग की शुरुआत कैसे हुई?

    ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्‍यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। योग के विज्ञान की उत्‍पत्ति हजारों साल पहले हुई थी, पहले धर्मों या आस्‍था के जन्‍म लेने से काफी पहले हुई थी। योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है।

    योग के प्रथम आचार्य कौन है?

    पतञ्जलि का योगसूत्र योग का सबसे पूर्ण ग्रन्थ है। इसका रचनाकाल ईसा की प्रथम शताब्दी या उसके आसपास माना जाता है।