भारत में परमाणु कार्यक्रम के जनक कौन थे - - bhaarat mein paramaanu kaaryakram ke janak kaun the -

'भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक' के रूप में किसे जाना जाता है?

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SSC CPO Tier- I Previous Paper 23 (Held on: 16th March 2019 Shift 1) 

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  1. विक्रम साराभाई
  2. सीवी रमन
  3. होमी जहांगीर भाभा
  4. एपीजे अब्दुल कलाम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : होमी जहांगीर भाभा

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General Intelligence Practice Set (Matriculation Level)

25 Questions 50 Marks 17 Mins

  • होमी जहांगीर भाभा को 'भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक' के रूप में जाना जाता है।
  • वह एक भारतीय परमाणु भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की।
  • मार्च 2019 में अजीत कुमार मोहंती को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के निदेशक के रूप में तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया गया था।
  • वह एक प्रसिद्ध परमाणु भौतिक विज्ञानी हैं। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
  • डॉ. होमी भाभा ने जनवरी 1954 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्रॉम्बे (AEET) की स्थापना की।
  • 1966 में, परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, ट्रॉम्बे का नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) कर दिया गया।
व्यक्ति के रूप में जाना जाता है/के लिए
विक्रम साराभाई भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक
सीवी रमन रमन प्रभाव
होमी जहांगीर भाभा भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक
एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल मैन ऑफ इंडिया

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Last updated on Sep 22, 2022

The Staff Selection Commission has released the additional result for the SSC Selection Post Exam. This is in reference to Phase VIII/2020 Selection Post Exam. These candidates have cleared the written exam and are now eligible for the next stage which is document verification. As of now, the recruitment cycle for Phase X/2022 (2065 vacancies) and Ladakh/2022 (797 vacancies) are ongoing. Recently, the SSC released the provisional answer key for both these cycles as the written exam was conducted from 1st to 5th August 2022. Check out the SSC Selection Post answer key details here.

नई दिल्ली,

(इंडिया साइंस वायर) भारतीय परमाणु कार्यक्रम विश्व के उन्नत और सफल परमाणु कार्यक्रमों में शुमार किया जाता है। भारत आज सैन्य और असैन्य परमाणु शक्ति-संपन्न राष्ट्रों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है।
यह उस सपने का परिणाम है, जिसे भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ होमी जहांगीर भाभा ने संजोया था।
डॉ होमी जहांगीर भाभा यानी परमाणु भौतिकी विज्ञान का ऐसा चमकता सितारा, जिसका नाम सुनते ही हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। डॉ होमी जहांगीर भाभा ही वह शख्स थे, जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की, और भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त किया।

मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से परमाणु क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य शुरू करने वाले डॉ भाभा ने समय से पहले ही परमाणु ऊर्जा की क्षमता और अलग-अलग क्षेत्रों में उसके उपयोग की संभावनाओं की परिकल्पना कर ली थी। तब नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई भी मानने को तैयार नहीं था। यही वजह है कि उन्हें “भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक” कहा जाता है।

होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्तूबर, 1909 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ। उनके पिता जहांगीर भाभा एक जाने-माने वकील थे। होमी भाभा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल स्कूल से हुई। इसके बाद आगे की शिक्षा जॉन केनन स्कूल में हुई। भाभा शुरू से ही भौतिक विज्ञान और गणित में खास रुचि रखते थे। 12वीं की पढ़ाई एल्फिस्टन कॉलेज, मुबंई से करने के बाद उन्होंने रॉयल इस्टीट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी की परीक्षा पास की। साल 1927 में होमी भाभा आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और वहां उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की। साल 1934 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

भाभा ने जर्मनी में कॉस्मिक किरणों का अध्ययन किया और उन पर अनेक प्रयोग भी किए। वर्ष 1933 में डॉक्टरेट कि उपाधि मिलने से पहले भाभा ने अपना रिसर्च पेपर “द अब्जॉर्वेशन ऑफ कॉस्मिक रेडिएशन” शीर्षक से जमा किया। इसमें उन्होंने कॉस्मिक किरणों की अवशोषक और इलेक्ट्रॉन उत्पन्न करने की क्षमताओं को प्रदर्शित किया। इस शोध पत्र के लिए उन्हें साल 1934 में ‘आइजैक न्यूटन स्टूडेंटशिप’ भी मिली।

डॉ भाभा अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद साल 1939 में भारत लौट आए। भारत आने के बाद वह बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से जुड़ गए, और साल 1940 में रीडर के पद पर नियुक्त हुए। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में उन्होंने कॉस्मिक किरणों की खोज के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की। कॉस्मिक किरणों पर उनकी खोज के चलते उन्हें विशेष ख्याति मिली, और उन्हें साल 1941 में रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुन लिया गया। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए साल 1944 में मात्र 31 साल की उम्र में उन्हें प्रोफेसर बना दिया गया।

बुहमुखी प्रतिभा के धनी डॉ होमी जहांगीर भाभा की शास्त्रीय संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला और नृत्य के क्षेत्र में गहरी रुची और पकड़ थी। वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी.वी. रामन उन्हें ‘भारत का लियोनार्डो डी विंची’ भी कहा करते थे।

भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने के मिशन में प्रथम कदम के तौर पर उन्होंने मार्च, 1944 में सर दोराब जे. टाटा ट्रस्ट को मूलभूत भौतिकी पर शोध के लिए संस्थान बनाने का प्रस्ताव रखा। साल 1948 में डॉ भाभा ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की, और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। साल 1955 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित ‘शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग’ के पहले सम्मलेन में डॉ. होमी भाभा को सभापति बनाया गया।

होमी जहांगीर भाभा शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग के पक्षधर थे। 60 के दशक में विकसित देशों का तर्क था कि परमाणु ऊर्जा संपन्न होने से पहले विकासशील देशों को दूसरे पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टर भाभा ने इसका खंडन किया। भाभा विकास कार्यों में परमाणु ऊर्जा के प्रयोग की वकालत करते थे।

वर्ष 1957 में भारत ने मुंबई के करीब ट्रांबे में पहला परमाणु अनुसंधान केंद्र स्थापित किया। वर्ष 1967 में इसका नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया। यह होमी भाभा को देश की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि थी। इस संस्थान ने एक विशिष्ट नाभिकीय अनुसंधान संस्थान के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है। आज यहाँ नाभिकीय भौतिकी, वर्णक्रमदर्शिकी, ठोस अवस्था भौतिकी, रसायन एवं जीव विज्ञान, रिएक्टर इंजीनियरी, यंत्रीकरण, विकिरण संरक्षा एवं नाभिकीय चिकित्सा आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मूलभूत अनुसंधान हो रहे हैं।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी कहा था कि हम परमाणु ऊर्जा का दुरुपयोग नहीं करेगें। लेकिन, उनकी मृत्यु के बाद परिदृश्य में आये बदलाव ने भारत की परमाणु नीति को प्रभावित किया। भारत की सुरक्षा को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने भारत को परमाणु हथियार न बनाने की प्रतिबद्धता से मुक्त कर दिया। वर्ष 1964 में चीन ने परमाणु परीक्षण किया, तो भारत का चिंतित होना स्वाभाविक था। वर्ष1965 में, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, तो यह चिंता बढ़ गई। ऐसे में, सामरिक संतुलन के लिहाज से भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने की जरूरत अनुभव की जाने लगी।

18 मई, 1974 को भारत ने पोखरण में पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया। ये भारत की परमाणु शक्ति का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन था। 11 मई और 13 मई 1998 को भारत ने पोखरण में ही दूसरा परमाणु परीक्षण किया। वर्ष 2003 की अपनी नई परमाणु नीति में भी भारत ने परमाणु हथियारों का अपनी तरफ से पहले प्रयोग नहीं करने का ऐलान किया। इसके साथ ही, यह भी कहा गया कि परमाणु हमला होने की सूरत में भारत जवाब जरूर देगा।

होमी जहांगीर भाभा ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का जो सपना देखा था, वह अपने विस्तृत स्वरूप में आगे बढ़ रहा है। आज भारत के पास रक्षा क्षेत्र में कई परमाणु मिसाइलें हैं, जिनमें अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें शामिल हैं। वर्तमान में, भारत में करीब सात परमाणु संयंत्र हैं। वहीं, दूसरी तरफ भारत में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कृषि, उद्योग, औषधि निर्माण तथा प्राणिशास्त्र समेत विविध क्षेत्रों में भी हो रहा है। 24 जनवरी, 1966 को एक विमान दुर्घटना में भारत के इस प्रमुख वैज्ञानिक और स्वपनद्रष्टा की मृत्यु हो गई।

भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक कौन हैं?

भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ होमी जहांगीर भाभा

भारत का पहला परमाणु शक्ति संयंत्र कौन है?

सही उत्तर है तारापुर ऊर्जा संयंत्र। तारापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र-1 (टीएपीएस -1) भारत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र था। यह संयंत्र बोइसर, महाराष्ट्र में स्थित है। वर्तमान में, भारत के पास 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 22 परिचालन रिएक्टर हैं जिनकी स्थापित क्षमता 6780 MWe है।

भारत के प्रथम परमाणु वैज्ञानिक को क्या माना जाता है?

भारत में परमाणु कार्यक्रम की नींव रखने का श्रेय डॉ होमी जहांगीर भाभा को जाता है, पर डॉ राजा रामन्ना का योगदान भी इस कार्य में कम नहीं है। 18 मई, 1974 में देश के पहले सफल परमाणु परीक्षण कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने के लिए राजा रामन्ना को याद किया जाता है।

भारत के प्रमुख परमाणु संयंत्र कौन कौन से हैं?

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सूची.
तारापुर प्रचालक: न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ... .
कैगा प्रचालक: न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ... .
काकरापार प्रचालक: न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ... .
कलपक्कम ... .