भीमबेटका की प्रसिद्धि का कारण क्या है? - bheemabetaka kee prasiddhi ka kaaran kya hai?

भीमबेटका की प्रसिद्धि का कारण क्या है? - bheemabetaka kee prasiddhi ka kaaran kya hai?

युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
भीमबेटका शैलाश्रय
Rock Shelters of Bhimbetka
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम

भीमबैठका के शैलचित्र

देश
भीमबेटका की प्रसिद्धि का कारण क्या है? - bheemabetaka kee prasiddhi ka kaaran kya hai?
 
भारत
प्रकार सांस्कृतिक
मानदंड (iii)(v)
सन्दर्भ 925
युनेस्को क्षेत्र दक्षिण एशिया
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख 2003 (27th सत्र)

भीमबेटका (भीमबैठका) भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं। यह स्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ४५ किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है। इनकी खोज वर्ष १९५७-१९५८ में डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी।

भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त १९९० में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई २००३ में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।

यहाँ पर अन्य पुरावशेष भी मिले हैं जिनमें प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष सम्मिलित हैं।

ऐसा माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।[1]; इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं।[2]

शैलकला एवं शैलचित्र[संपादित करें]

यहाँ 600 शैलाश्रय हैं जिनमें 275 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं। पूर्व पाषाण काल से मध्य ऐतिहासिक काल तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।[1] यह बहुमूल्य धरोहर अब पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। भीमबेटका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियाँ मिलती हैं। यहाँ के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं। चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ, लाल और सफेद हैं और कहीं-कहीं पीला और हरा रंग भी प्रयोग हुआ है।[2]

भीमबेटका की प्रसिद्धि का कारण क्या है? - bheemabetaka kee prasiddhi ka kaaran kya hai?

शैलाश्रयों की अंदरूनी सतहों में उत्कीर्ण प्यालेनुमा निशान एक लाख वर्ष पुराने हैं। इन कृतियों में दैनिक जीवन की घटनाओं से लिए गए विषय चित्रित हैं। ये हज़ारों वर्ष पहले का जीवन दर्शाते हैं। यहाँ बनाए गए चित्र मुख्यतः नृत्य, संगीत, आखेट, घोड़ों और हाथियों की सवारी, आभूषणों को सजाने तथा शहद जमा करने के बारे में हैं। इनके अलावा बाघ, सिंह, जंगली सुअर, हाथियों, कुत्तों और घडियालों जैसे जानवरों को भी इन तस्वीरों में चित्रित किया गया है यहाँ की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है, जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे।[2] इस प्रकार भीम बैठका के प्राचीन मानव के संज्ञानात्मक विकास का कालक्रम विश्व के अन्य प्राचीन समानांतर स्थलों से हजारों वर्ष पूर्व हुआ था। इस प्रकार से यह स्थल मानव विकास का आरंभिक स्थान भी माना जा सकता है।

निकटवर्ती पुरातात्विक स्थल[संपादित करें]

इस प्रकार के प्रागैतिहासिक शैलचित्र रायगढ़ जिले के सिंघनपुर के निकट कबरा पहाड़ की गुफाओं में[3], होशंगाबाद के निकट आदमगढ़ में, छतरपुर जिले के बिजावर के निकटस्थ पहाड़ियों पर तथा रायसेन जिले में बरेली तहसील के पाटनी गाँव में मृगेंद्रनाथ की गुफा के शैलचित्र एवं भोपाल-रायसेन मार्ग पर भोपाल के निकट पहाड़ियों पर (चिडिया टोल) में भी मिले हैं। हाल में ही होशंगाबाद के पास बुधनी की एक पत्थर खदान में भी शैल चित्र पाए गए हैं। भीमबेटका से ५ किलोमीटर की दूरी पर पेंगावन में ३५ शैलाश्रय पाए गए है ये शैल चित्र अति दुर्लभ माने गए हैं। इन सभी शैलचित्रों की प्राचीनता १०,००० से ३५,००० वर्ष की आंकी गयी है।[4]

चित्रदीर्घा[संपादित करें]

  • भीमबेटका की प्रसिद्धि का कारण क्या है? - bheemabetaka kee prasiddhi ka kaaran kya hai?

    दूर से देखने पर भीमबेटका गुफा का दृष्य

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सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. ↑ अ आ "भीमबेटका की गुफाएँ". इन्क्रेडिबल इण्डिया. पपृ॰ ०१. मूल (एचटीएम) से 13 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १८ जुलाई २००९.
  2. ↑ अ आ इ "भीमबेटका की पहाड़ी गुफाएं" (पीएचपी). राष्ट्रीय पोर्टल विषयवस्तु प्रबंधन दल. भारत सरकार. पपृ॰ ०१. अभिगमन तिथि १८ जुलाई २००९.
  3. "हुसैनाबाद में ढाई हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष" (एचटीएमएल). याहू जागरण. पृ॰ ०१. अभिगमन तिथि १८ जुलाई २००९.[मृत कड़ियाँ]
  4. सुब्रमणियन, पा.ना. "भोपाल के इर्दगिर्द आदि मानव के पद चिन्ह" (एचटीएम). मल्लार. वर्ल्ड प्रेस. पपृ॰ ०१. अभिगमन तिथि १८ जुलाई २००९.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत के गुफाचित्र

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • बुन्देलखण्ड दर्शन बुंदेलखंड के गुफा चित्र Archived 2010-07-24 at the Wayback Machine
  • यूनेस्को विश्व धरोहर: भीमबेतका शैलाश्रय
  • भीमबेतका की प्रागैतिहासिक कला Archived 2015-11-15 at the Wayback Machine
  • ए.एन. माहेश्वरी द्वारा भीमबेटका दीर्घा
  • मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के जाल्स्थल पर भीमबेटका
  • प्री-हिस्टॉरिक पेन्टिंग्स ऑफ भीमबेटका - एल एल कामत
  • भीमबेटका के विहंगम इंटरेक्टिव चित्र
  • द रॉक आर्ट्स ऑफ सेंट्रल इंडिया

निर्देशांक: 22°55′40″N 77°35′00″E / 22.92778°N 77.58333°E

भीमबेटका क्यों प्रसिद्ध था?

भीमबेटका (भीमबैठका) भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।

भीमबेटका की गुफाएं कितनी है?

Notes: भीमबेटका मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित सुप्रसिध्द स्थान है। यहाँ पर कुल 243 गुफाएँ हैं।

भीमबेटका में कौन से चित्र है?

भीमबेटका भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन की उत्पति की शुरुआत के निशानों का वर्णन करती है। इस स्थान पर मौजूद सबसे पुराने चित्रों को आज से लगभग 30,000 साल पुराना माना जाता है। माना जाता है कि इन चित्रों में उपयोग किया गया रंग वनस्पतियों का था। जोकि समय के साथ-साथ धुंधला होता चला गया।

भीमबेटका कौन से राज्य में स्थित है?

मध्य प्रदेशभीमबेटका रॉक शेल्तेर्स / राज्यnull