भगंदर यानि एनल फिस्टुला का इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है क्योंकि यह अपने आप ठीक नहीं होता है। यदि भगंदर गुदा स्फिंक्टर मांसपेशियों के एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है तो उच्च या जटिल माना जाता है और यदि छोटे हिस्से में है तो कम या सरल माना जाता है। जटिल एनल फिस्टुला का इलाज करना कठिन होता है क्योंकि ऑपरेशन के दौरान स्फिंक्टर मांसपेशियों को नुक्सान पहुंचने की अधिक संभावना रहती है। चलिए जानते हैं कि
भगंदर का निदान और ऑपरेशन कैसे होता है और कौन सी प्रक्रिया सबसे बेहतर है। भगंदर का निदानआपका डॉक्टर गुदा के आसपास के क्षेत्र की जांच करके भगंदर का पता लगा सकता है। वह सबसे पहले गुदा की त्वचा पर फिस्टुला ट्रैक्ट के उद्घाटन की खोज करेगा और निर्धारित करेगा कि ट्रैक्ट की गहराई कितनी है। अधिकतर मामलों में सुरंग से जल स्त्रावित होता है। कुछ भगंदर गुदा की सतह पर नहीं दिखते हैं। इस स्थिति में आपके चिकित्सक को कुछ विशेष टेस्ट करने पड़ सकते हैं, जैसे:
यदि आपके गुदा में भगंदर पाया जाता है तो यह क्रोहन डिजीज से संबंधित हो सकता है। क्रोहन रोग आंत का सूजन है, जिससे लगभग 25% लोगों को भगंदर हो जाता है। क्रोहन रोग के निदान हेतु ब्लड टेस्ट, एक्स-रे या कोलोनोस्कोपी की जा सकती है। कोलोनोस्कोपी एक प्रक्रिया है जिसमें एक लचीली ट्यूब को गुदा मार्ग से आंत में डाला जाता है। भगंदर का ऑपरेशन कैसे होता है?फिस्टुला के इलाज का एक ही तरीका है और वह है सर्जरी। कुछ गैर-शल्य चिकित्सा प्रक्रियाएं भी मदद कर सकती हैं लेकिन वे पुनरावृत्ति की संभावनाओं को बढ़ाती हैं। भगंदर को ठीक करने की कई सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं। कौन सा विकल्प सबसे बेहतर है यह फिस्टुला की स्थिति पर निर्भर करेगा। भगंदर की सर्जरी के दौरान आमतौर पर सामान्य एनेस्थीसिया का उपयोग होता है। कई बार आपको रात भर अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। फिस्टुलोटॉमीइस प्रक्रिया में भगंदर को पूरी लंबाई के साथ काटकर खोला जाता है और एक फ्लैट स्कार के रूप में छोड़ दिया जाता है। यह प्रक्रिया केवल उन एनल फिस्टुला के लिए उपयुक्त है जिनका जयादा हिस्सा स्फिंकटर मांसपेशियों से बाहर होता है। इसके विपरीत स्थिति में फिस्टुलोटॉमी किए जाने पर मल असंयम की समस्या हो सकती है। इस प्रक्रिया में सर्जन को स्फिंकटर मांसपेशी का एक छोटा हिस्सा काटना पड़ सकता है। इस दौरान चकित्सक हर संभव प्रयास करता है कि वह मल असंयम के खतरे को कम कर सके। पढ़ें- भगंदर की सर्जरी में कितना खर्च आता है? LIFT प्रक्रियालिगेशन ऑफ़ इंटरस्फिंक्टेरिक फिस्टुला ट्रैक्ट (LIFT) प्रक्रिया को उस भगंदर का इलाज करने के लिए चुना जाता है जिसका एक बड़ा हिस्सा स्फिंकटर मांसपेशियों से होकर गुजरता है। आमतौर पर जब डॉक्टर को लगता है कि फिस्टुलोटॉमी जोखिम भरा हो सकता है तब लिफ्ट प्रक्रिया का विकल्प चुनते हैं। इस ऑपरेशन के दौरान सबसे पहले भगंदर के ऊपर की त्वचा को काटकर स्फिंकटर मांसपेशियों से अलग कर दिया जाता है। अब भगंदर को दोनों सिरों को बंद करके एक फ्लैट स्कार के रूप में काट दिया जाता है। अधिकतर मामलों में यह प्रक्रिया सफल होती है और कोई बड़े दुष्परिणाम भी नजर नहीं आते हैं। लेकिन इस सर्जरी के बाद फिस्टुला के पुनरावृत्ति की संभावना बहुत अधिक होती है। शायद इस पर अधिक शोध की आवश्यकता है कि लिफ्ट प्रक्रिया कितने लंबे समय तक अच्छा कार्य करती है। लेजर ऑपरेशनभगंदर का लेजर ऑपरेशन में फिस्टुला ट्रैक्ट को सील करने के लिए लेजर बीम का उपयोग होता है। रोगी को लोकल या जनरल एनेस्थीसिया देने के बाद सर्जन नियंत्रित लेजर किरणों को भगंदर पर डालता है और भगंदर ठीक हो जाता है। भगंदर की लेजर सर्जरी में आपको आंत्र असंयम जैसी समस्या नहीं होगी, क्योंकि गुदा में कोई कट नहीं लगाया जाता है। इलाज में होने वाले खर्च से परेशान हैं? आज ही फॉर्म भरें और लाभ उठाएं 1. किस्तों में उपचार की सुविधा (कोई ब्याज नहीं – No cost EMI) सेटन तकनीकयदि फिस्टुला स्फिंकटर मांसपेशियों के एक महत्वपूर्ण हिस्से में मौजूद है तो चिकित्सक सेटन तकनीक की सिफारिश कर सकता है। इस प्रक्रिया में भगंदर को खुला रखने के लिए सेटन (सर्जिकल धागे का एक टुकड़ा) को डाल दिया जाता है। सेटन की मदद से पस बाहर निकल पाता है और स्थिति बेहतर होने लगती है। यदि प्रक्रिया के दौरान ढीले सेटन का उपयोग हुआ है तो भगंदर सूख जाएगा लेकिन ठीक नहीं होगा। फिस्टुला को ठीक करने के लिए कड़े सेटन का उपयोग होना चाहिए। इस प्रक्रिया को आमतौर पर जनरल एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जाता है। रोगी उसी दिन घर जा सकता है। जरूरत पड़ने पर सेटन को बदला या एडजस्ट किया जा सकता है जिसके लिए आपको कई बार हॉस्पिटल में बुलाया जाएगा। इंडोस्कोपिक एब्लेशनइस प्रक्रिया में सबसे पहले एंडोस्कोप (एक पतली ट्यूब जिसके एक अंत में कैमरा लगा होता है) को भगंदर में डाला जाता है। अब आपका डॉक्टर एंडोस्कोप के माध्यम से एक इलेक्ट्रोड भगंदर तक ले जाएगा और इसे सील करेगा। यह प्रक्रिया बेहतर परिणाम देती है और जटिलताओं की चिंता भी कम रहती है। बायोप्रोस्थेटिक प्लगइस प्रक्रिया में फिस्टुला के आंतरिक उद्घाटन को सील करने के लिए एक विशेष प्लग का उपयोग किया जाता है। यह प्लग एनिमल टिश्यू से बना होता है और एक कोण की तरह दिखाई देता है। यह सर्जरी भगंदर के उद्घाटन को अच्छी तरह ब्लाक कर देती है और कोई जटिलता भी उत्पन्न नहीं करती है। एडवांसमेंट फ्लैप प्रक्रियायदि आपका भगंदर स्फिंकटर मांसपेशियों से होकर गुजरता है तो एक गुदा रोग स्पेशलिस्ट फिस्टुलोटॉमी के बजाय इस प्रक्रिया पर विचार कर सकता है। इस ऑपरेशन में सबसे पहले भगंदर को काटना और उसे बाहर निकालना शामिल है। इसके बाद मलाशय के अंदर का टिश्यू निकाल कर छेद को भर दिया जाता है। इस सर्जिकल प्रक्रिया में स्फिंकटर मांसपेशियों को काटने की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन इसका सक्सेस रेट फिस्टुलोटॉमी से कम है। फाइब्रिन ग्लूफाइब्रिन ग्लू एनल फिस्टुला का नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट है। इस प्रक्रिया में सर्जन भगंदर के भीतर एक विशेष ग्लू को इंजेक्ट करते हैं। गोंद फिस्टुला को सील करता है और जल्दी ठीक होने में मदद करता है। फाइब्रिन ग्लू प्रक्रिया पूर्ण रूप से सुरक्षित है लेकिन इसका सक्सेस रेट कम है। साथ ही यह लंबे समय तक एक बेहतरीन परिणाम दे पाने में असमर्थ साबित होती है। भगंदर का इलाज के लिए सबसे अच्छी प्रक्रिया कौन सी है?भगंदर की गंभीरता और पोजीशन के अनुसार डॉक्टर तय करता है कि कौन सी प्रक्रिया लाभदायक रहेगी। यदि स्फिंकटर मांसपेशियों को नुकसान पहुँचने का खतरा है तो फिस्टुलोटॉमी सुरक्षित नहीं है। अन्य प्रक्रियाएं या सर्जरी, जिनसे स्फिंकटर मांसपेशियों को कोई खतरा नहीं होता है, एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में भगंदर बहुत जल्द दोबारा विकसित हो जाता है। ऐसी में भगंदर का लेजर ऑपरेशन सबसे सुरक्षित और सफल प्रक्रिया होती है। इस सर्जरी से स्फिंकटर मांसपेशियों को कोई क्षति नहीं पहुंचती है और पुनरावृत्ति की संभावना भी बहुत कम रहती है। इसके अन्य फायदे हैं:
भगंदर की सर्जरी के बाद रिकवरीसर्जरी के प्रकार और फिस्टुला पथ की गहराई के आधार पर प्रत्येक रोगी में ठीक होने का समय भिन्न हो सकता है। यदि आप ओपन सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरे हैं तो इसे ठीक होने में 6-8 सप्ताह का समय लगता है। फिस्टुला के लेजर ऑपरेशन के बाद एक मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में केवल 4 सप्ताह लगते हैं। अपनी रिकवरी को बढ़ावा देने और जटिलताओं को रोकने के लिए निम्न युक्तियों का पालन करना चाहिए:
भगंदर की सर्जरी के जोखिमयदि आपका लेजर ऑपरेशन हुआ है तो निश्चिन्त रहें, आपको किसी भी जटिलता का सामना नहीं करना पड़ेगा। ओपन सर्जिकल प्रक्रियाओं, जैसे फिस्टुलोटॉमी या LIFT प्रक्रिया, के बाद निम्न जोखिम सामने आ सकते हैं:
यदि रिकवरी पीरियड के दौरान बुखार आती है, घाव दर्द करता है या ठीक नहीं हो रहा है तो शीघ्र ही डॉक्टर से मिलना चाहिए। निष्कर्षआप फिस्टुला के साथ स्थायी रूप से नहीं रह सकते हैं और यह अपने आप ठीक होगा नहीं। इसलिए शुरूआती समय में ही शल्य चिकित्सा उपचार चुनना कम दर्द और कम लागत के साथ बेहतर इलाज प्रदान कर सकता है। आमतौर पर भगंदर का निदान, उपचार और धीमी रिकवरी आपको निराशाजनक लग सकती है। यही कारण हैं कि हम आपके शहर में भगंदर का एडवांस लेजर ऑपरेशन करते हैं, जो केवल आधा घंटा में फिस्टुला ट्रैक्ट को सुखा देती है। भगंदर की सर्जरी से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति का अनुभव आसान और बेहतर बनाने के लिए हम कई तरह की सहायता उपलब्ध कराते हैं जिसमें से अधिकतर मुफ्त हैं। अधिक जानने के लिए आप हमें कॉल कर सकते हैं। भगन्दर का ऑपरेशन कैसे किया जाता है?फिस्टुला प्लग एक नई विधि है, जिसमें फिस्टुला ट्रैक्ट में एक विशेष सामग्री भरी जाती है। यह नली को बंद करने में मदद करता है। हालांकि, इन सभी में लेजर सर्जरी सबसे अच्छी है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर बस फिस्टुला पर नियंत्रित लेजर बीम डालते हैं, और कुछ ही सेकंड के भीतर फिस्टुला ठीक हो जाता है।
क्या सर्जरी के बाद फिस्टुला दोबारा हो सकता है?हां, अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो सर्जरी के एक साल के भीतर एनल फिस्टुला वापस आ सकता है।
भगंदर के ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए?भगन्दर रोग में क्या खाएं (Your Diet During Fistula). अनाज: पुराना शाली चावल ,गेहूं, जौ. दाल: अरहर, मूँग दाल, मसूर. फल एवं सब्जियां: हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, केला , सेब, आंवला, खीरा, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, रेशेदार युक्त फल. फिस्टुला ऑपरेशन के बाद क्या करना चाहिए?फिस्टुला की सर्जरी वाली जगह के आस-पास कोई क्रीम या पाउडर न इस्तेमाल करें। सिर्फ डॉक्टर द्वारा बताए गए ट्यूब या क्रीम का इस्तेमाल करें। इसके अलावा रिकवरी के समय कोई भी नई चीज का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से बात करें।
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