अपशगुन लघुकथा का प्रमुख पात्र कौन? - apashagun laghukatha ka pramukh paatr kaun?

विषयसूची

  • 1 अपशकुन लघु कथा के रचनाकार का नाम क्या है?
  • 2 रिश्ता लघुकथा में प्रमुख पात्र कौन है?
  • 3 लघु कथा में शीर्षक की क्या भूमिका है?
  • 4 लघुकथा में किसकी अभिव्यक्ति होती है *?

अपशकुन लघु कथा के रचनाकार का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहरिशंकर परसाई ने निबंध, उपन्यास, कहानी व लघुकथा क्षेत्र में निरंतर कलम चलाई. प्रगतिशील हिन्दी साहित्य में जो स्थान आजादी से पूर्व प्रेमचंद का है, वही स्थान आजादी के बाद हरिशंकर परसाई का है।

लघु कथा का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंलघुकथा एक छोटी कहानी नहीं है। यह कहानी का संक्षिप्त रूप भी नहीं है। यह विधा अपने एकांगी स्वरुप में किसी भी एक विषय, एक घटना या एक क्षण पर आधारित होती है। आधुनिक लघुकथा अपने पाठकों में चेतना जागृत करती है।

प्रारंभिक लघुकथा का कालखंड क्या है?

इसे सुनेंरोकें1790–1850. लघु कथाओं के प्रारंभिक उदाहरण 1790 और 1810 के बीच अलग-अलग प्रकाशित किए गए थे, लेकिन लघु कथाओं का पहला सच्चा संग्रह 1810 और 1830 के बीच इसी अवधि के आसपास कई देशों में दिखाई दिया।

रिश्ता लघुकथा में प्रमुख पात्र कौन है?

इसे सुनेंरोकेंरिश्ता (लघुकथा) अमर अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उच्च शिक्षा के लिए… अमर अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाकर पढ़ने की इच्छा प्रकट की, साथ में वादे भी किये कि वह पढ़ाई पूरी करते ही वापस आकर दोनों की देखभाल भी करेगा।

ज्योति जैन की प्यार की मौन भाषा बताने वाली लघु कथा का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी भी रचनाकार के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण होता है कि उसकी सारी रचनाएं हर अर्थ में भिन्न हों। इस दृष्टि से शहर की ख्यातनाम लेखिका ज्योति जैन की रचनाएं आकर्षित करती हैं।

लघु कथा लेखन की कितनी विद्याएं हैं?

इसे सुनेंरोकेंलघुकथा भारतीय साहित्य और उसकी परंपरा से जुड़ी है । इसके विकास में जातक कथाओं, बोष कथाओं, दृष्टांतों आदि का योगदान स्वीकार किया गया है । कुछ लघुकथाकारों ने बौद्ध कथाओं का उपयोग आधुनिक लघुकथा लेखन के लिए किया भी है ।

लघु कथा में शीर्षक की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंवास्तव में शीर्षक को लघुकथा का ही हिस्सा माना जाता है। या फिर लघुकथा ही अपने शीर्षक को सार्थक कर दिया करती है। जिस प्रकार किसी भवन का नामकरण बहुत सोच समझकर किया जाता है, लघुकथा का शीर्षक भी उसी प्रकार चुनना चाहिए। सुन्दर और सारगर्भित शीर्षक भी लघुकथा की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है।

लघु कथा कुंती होनी शादी की लेखिका कौन है?

इसे सुनेंरोकेंलघु कथा ‘कुंती ओ निषादी’ की लेखिका हैं सुभद्रा कुमारी च

शिक्षा लघुकथा में ज्योति जैन कौन सी समस्या उद्घाटित करती है *?

इसे सुनेंरोकेंवे लेखिका ज्योति जैन के लघुकथा संग्रह निन्यानवे के फेर में के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। मुख्य अतिथि का दायित्व निभाते हुए पंकज सुबीर ने कहा कि लेखिका ज्योति जैन ने साहित्य की लगभग हर विधा में स्वयं को सुव्यक्त किया है जबकि लेखन और समाज की तमाम जिम्मेदारियों के बीच एक साथ सभी विधाओं को साधना मुश्किल होता है।

लघुकथा में किसकी अभिव्यक्ति होती है *?

इसे सुनेंरोकेंरचना जीवन की अभिव्यक्ति है। जीवन का प्रवाह ही रचना का प्रवाह है और यही उसका मानदण्ड भी। किसी भी विधा का मूल्यांकन बाहर से थोपे गए मानदण्डों से नहीं हो सकता।

हिंदी कि प्रथम लघु कथा कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंहिंदी की पहली लघुकथा (कथा-कहानी) हाँ, बहुमत की बात करें तो अधिकतर का मत है कि माधवराव सप्रे की ‘टोकरी भर मिट्टी’ जोकि ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ पत्रिका में 1901 में प्रकाशित हुई थी, पहली लघुकथा कही जा सकती है।

बिल्ली और बुखार लघुकथा किसकी है?

इसे सुनेंरोकें’सर्वोदय विश्ववाणी’ में पहली हिन्दी लघुकथा के तौर पर ‘झलमला’ की प्रस्तुति के उपरान्त दूसरा सद्प्रयास बलराम ने किया—माखनलाल चतुर्वेदी की लघुकथा ‘बिल्ली और बुखार’ को पहली हिन्दी लघुकथा घोषित करके।

अपशगुन लघुकथा का प्रमुख पात्र कौन है?

दादा-दादी जी के पचासवीं वर्षगांठ पर हम सभी गांव गये थे। अगले दिन ही समारोह था। दादा जी ने द्वार पर खड़े आम का पेड़ की ओर इशारा करते हुए कहा, "इसे आज कटवा देते हैं, इसके छाया की वजह से जमीन का बड़ा हिस्सा बेकार है।

अपशगुन लघुकथा का रचनाकार कौन है?

इसे स्थापित करने में जितना हाथ रमेश बतरा, जगदीश कश्यप, कृष्ण कमलेश, भगीरथ, सतीश दुबे, बलराम अग्रवाल, चंद्रेश कुमार छतलानी, विक्रम सोनी, सुकेश साहनी, विष्णु प्रभाकर, हरिशंकर परसाई आदि समकालीन लघुकथाकारों का रहा है उतना ही कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, बलराम, कमल चोपड़ा, सतीशराज पुष्करणा आदि संपादकों का भी रहा है।

अपशगुन लघुकथा का विषय क्या है?

सुबह-सुबह सड़क बुहार रहे जनसेवकों से बचने के लिए अपनी धोती उठाकर बचते आ रहे कमल बाबू अचानक ही आपे से बाहर हो गए। सामने विधवा जमादारनी हीरा जो नजर आ गई थी। घूमने वाली साथी सोनीजी से बोले - 'आज तो अपशगुन हो गया कमबख्‍त! ये कलमुँही सामने पड़ गई।

हिंदी की प्रथम लघुकथा कौन सी है?

परन्तु माधवराव सप्रे की 'एक टोकरी भर मिट्टी'को प्रथम कहानी माना जाता है। 'देवरानी जेठानी की कहानी' (लेखक - पंडित गौरीदत्त ; सन् १८७०)। श्रद्धाराम फिल्लौरी की भाग्यवती और लाला श्रीनिवास दास की परीक्षा गुरू को भी हिन्दी के प्रथम उपन्यस होने का श्रेय दिया जाता है। 'एक घूँट' (जयशंकर प्रसाद ; 1915 ई.)