पर्यावरण का संबंध उन जीवित और गैर जीवित चीजो से है, जो कि हमारे आस-पास मौजूद है, और जिनका होना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत वायु, जल, मिट्टी, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि आते है। हालांकि एक शहर, कस्बे या गांव में रहते हुए हम देखते है कि हमारे आस-पास का वातावरण और स्थान वास्तव में एक प्राकृतिक स्थान जैसे कि रेगिस्तान, जंगल, या फिर एक नदी
आदि थे, जिन्हे हम मनुष्यों ने अपने उपयोग के लिए इमारतो, सड़को या कारखानो में तब्दील कर दिया है। प्रस्तावना हमारे पूरे परिवेश और जीव जगत जिसमें हवा, पानी और सूर्य का प्रकाश आदि भी शामिल है, इसके अलावा विकास और वृद्धि में अपना योगदान देने वाले जीवित जीव जैसे कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, मनुष्य आदि साथ मिलकर
पर्यावरण का निर्माण करते है। पर्यावरण संरक्षण का महत्व आज के औद्योगिक और शहरी क्षेत्र के पर्यावरण में पक्की सड़के, कई मंजिला कंक्रीट के इमारत और गगनचुंबी इमारते भी शामिल है। इनका मुख्य मकसद बढ़ती आबादी के लिए सुविधाएं तैयार करना तथा धनी और संभ्रांत वर्ग के जीवन को सुविधा और विलासतापूर्ण बानना है। हालांकि, इस औद्योगिक और शहरी आंदोलन के बावजूद भी प्राकृतिक संसाधनो पर मनुष्य की निर्भरता पहले के ही भांति बनी हुई है। हमारे द्वारा श्वसन के लिए वायु का इस्तेमाल किया
जाता है, पीने तथा अन्य दैनिक कार्यो के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है सिर्फ इतना ही नही जो भोजन हम खाते है वह भी कई प्रकार के पेड़-पौधो, पशु-पक्षीओं और सब्जियो, दूध, अंडो आदि से प्राप्त होता है। इन आवश्यकताओ को ध्यान में रखते हुए इन संसाधनो की सुरक्षा बहुत ही जरुरी हो गई है। इन संसाधनो को इस प्रकार से वर्गीकृत किया गया है। निष्कर्ष इस समय सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें इन संसाधनो के दुरुपयोग को रोकना होगा और बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से इनका उपयोग करना होगा, क्योकि पृथ्वी द्वारा इनके इतने तेजी से हो रहे उपयोग को अब और नही बर्दाश्त किया जा सकता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति सिर्फ सतत विकास के द्वारा ही संभव है। इसके अलावा उद्योग ईकाईयों द्वारा तरल और ठोस सह-उत्पाद जो कि कचरे के रुप में फेक दिए जाते है इनके भी नियंत्रण की आवश्यकता है, क्योंकि इनके कारण प्रदूषण बढ़ता है। जिससे की कैसंर और पेट तथा आंत से जुड़ी कई बीमारियां उत्पन्न होती हैं। यह तभी संभव है जब हम सरकार के ऊपर निर्भरता छोड़कर व्यक्तिगत रुप से इस समस्या के समाधान के लिए जरुरी कदम उठायें। निबंध – 2 (400 शब्द)प्रस्तावना समय के शुरुआत से ही पर्यावरण ने हमारी वनस्पतिओं और प्राणी समूहो से संबंध स्थापित करने में मदद की है, जिससे की हमारा जीवन सुनिश्चित हुआ हैं। प्रकृति ने हमें कई सारे भेंट प्रदान किये है जैसे कि पानी, सूर्य का प्रकाश, वायु, जीव-जन्तु और जीवाश्म ईँधन आदि जिससे इन चीजो ने हमारे ग्रह को रहने योग्य बनाया है। पर्यावरण का संरक्षण और बचाव कैसे सुनिश्चित करें क्योंकि यह संसाधन काफी ज्यादे मात्रा उपलब्ध है, इसलिए बढ़ती जनसंख्या के कारण धनी और संभ्रांत वर्ग के विलासतापूर्ण इच्छाओं को पूरा करने के लिए इनका काफी ज्यादे मात्रा में तथा बहुत ही तेजी के साथ उपभोग किया जा रहा है। इसलिए हर प्रकार से इनका संरक्षण करना बहुत ही आवश्यक हो गया है। यहां कुछ रास्ते बताएं गये है जिनके द्वारा इन प्राकृतिक संसाधनो के अत्यधिक उपयोग पर काबू पाया जा सकता है और इन्हे संरक्षित किया जा सकता है।
निष्कर्ष इस प्रकार से हम कह सकते है सिर्फ एक व्यक्ति के रुप में लिए गये हमारे व्यक्तिगत फैसलो के साथ सतत विकास और सही प्रबंधन के द्वारा ही हम अपने इस बहूमुल्य पर्यावरण की रक्षा कर सकते है। निबंध – 3 (500 शब्द)प्रस्तावना “कीसी भी पीढ़ी का इस पृथ्वी पर एकाधिकार नही है, हम सभी यहा जीवन व्यय के लिए है – जिसकी कीमत भी हमें चुकानी होती है” मारग्रेट थेचर का यह कथन हमारा प्रकृति के साथ हमारे अस्थायी संबंधो को दर्शाता है। पृथ्वी के द्वारा हमारे जीवन को आसान बनाने और इस ग्रह को रहने लायक बनाने के लिए प्रदान किये गए तमाम तोहफे के जैसे कि हवा, सूर्य का प्रकाश, पानी, जीव-जन्तु और खनिज आदि के बावजूद भी, हम अपने स्वार्थ के लिए हम इन संसाधनो का दोहन करने से बाज नही आ रहे है। पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाने की जरुरत हमारे बढती आबादी स्तर के वर्तमान जरुरतो को पूरा करने के लिए हम बिना सोचे-समझे अंधाधुंध रुप से अपने प्राकृतिक संसाधनो का उपभोग करते जा रहे है। हम अपने भविष्य के पीढ़ी के लिए भी कोई चिंता नही कर रहे है। इस प्रकार से आज के समय में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि हमें अपने नवकरणीय और गैर नवकरणीय संसाधनो के संरक्षण के और अपनी इस पृथ्वी के सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। पर्यावरण पर प्रदूषण के प्रभाव
निष्कर्ष पर्यावरण संरक्षण मात्र सरकार का ही काम नही है, इसके लिए एक व्यक्ति के रुप में हमारा स्वंय का योगदान भी काफी आवश्यक है। जाने-अनजाने में हम प्रतिदिन प्रदूषण में अपना योगदान देते है। इसलिए प्रकृति के प्रदान किए गये भेंटो का उपयोग करने वाले एक उपभोक्ता के रुप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम जल संरक्षण को बढ़ावा दे और वस्तुओं के पुनरुपयोग और पुनरावृत्ति में हिस्सा ले, बिजली और पानी जैसे संसाधनो की बर्बादी आदि कार्यो को बंद करें। इन सब छोटे-छोटे उपायो द्वारा हम अपने ग्रह के हालत में काफी प्रभावी बदलाव ला सकते है। निबंध – 4 (600 शब्द)प्रस्तावना प्राकृतिक पर्यावरण मानव जाति और दुसरे जीवो के लिए एक वरदान है। इन प्राकृतिक संसाधनो में हवा, ताजा पानी, सूर्य का प्रकाश, जीवाश्म ईंधन आदि आते है। यह जीवन के लिए इतने महत्वपूर्ण है कि इनके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। लेकिन बढ़ती आबादी के बढ़ते लोभ के कारण, इन संसाधनो का बहुत ही ज्यादे मात्रा में दुरुपयोग हुआ है। यह आर्थिक विकास मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत गंभीर साबित हुआ है, जिनके विषय में नीचे चर्चा की गयी है। पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाने के कारण यहां प्राकृतिक संसाधनो के दुरुपयोग और हानि को रोकने के लिए और प्रदूषण द्वारा पृथ्वी के जीवो पर होने वाले निम्नलिखित प्रभावो पर चर्चा की गयी है। इसलिए पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम पर्यावरण को बचाएं।
पर्यावरण को बचाने के उपाय इतिहास के पन्नो को पलटने पे पता चलता है कि हमारे पूर्वज पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमसे कही ज्यादे चिंतित थे। इसके लिए हम सुंदरलाल बहुगुणा को मिसाल के तौर पर देख सकते है, जिन्होने वन्य संसाधनो के सुरक्षा के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी। ठीक इसी प्रकार मेधा पाटेकर ने जनजातीय लोगो के लिए पर्यावरण सुरक्षा के प्रभावी प्रयास किए थे, जो कि नर्मदा नदी पर बन रहे बांध से नकरात्मक रुप से प्रभावित हुए थे। आज के समय में एक युवा के रुप में यह हमारा दायित्व है कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए हम भी इसी तरह के प्रयास करे। कुछ छोटे-छोटे उपायो द्वारा हम प्रकृति को बचाने में अपना सहयोग दे सकते हैः
निष्कर्ष वैसे तो सरकार ने प्रकृति और वन्यजीव के सुरक्षा के लिए कई सारे कानून और योजनाएं स्थापित की गई है। लेकिन फिर भी व्यक्तिगत रुप से यह हमारा कर्तव्य है कि हरेक व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे और अपनी आने वाली पीढ़ीयो के भविष्य को सुरक्षित करे, क्योंकि वर्तमान में हमारे द्वारा ही इसका सबसे ज्यादे उपयोग किया जा रहा है। इसे लेस्टर ब्राउन के शब्दों में बहुत ही आसानी से समझा जा सकता है, “हमने इस पृथ्वी को अपने पूर्वजो से प्राप्त नही किया है, बल्कि की अपने आने वाली पीढ़ीयों से छीन लिया है”। सम्बंधित जानकारी: पर्यावरण पर निबंध पर्यावरण और विकास पर निबंध पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं एक अनुच्छेद में लिखकर अपने विचार बताइए?पर्यावरण अध्ययन पढ़ाने के लिए कुछ बुनियादी बातों पर स्पष्टता होना आवश्यक है। मसलन यह सवाल कि हम “पर्यावरण' किसे मानते हैं, यह महत्वपूर्ण है। क्या यह मात्र आस-पास के पेड़-पौधे और जीव-जन्तुओं के लिए उपयोग होगा या यह इससे बढ़कर कुछ और भी है।
पर्यावरण को बचाने के लिए हम कैसे योगदान दे सकते हैं?पौधा लगाने से पहले वह जगह तैयार करना आवश्यक है जहां वह विकसित व बड़ा होगा। उपर्युक्त सभी प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए यदि थोड़ा सा भी उचित दिशा में प्रयास करें तो बचा सकते हैं अपना पर्यावरण। सर्वप्रथम हमें जनाधिक्य को नियंत्रित करना होगा। दूसरे जंगलों व पहाड़ों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।
पर्यावरण को बचाने के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं इससे संबंधित 10 लाइन लिखिए?Paryavaran par 10 Vakya - Set 2
1) पर्यावरण वह परिवेश है जहां हम रहते हैं, जीवित रहते हैं और फलते-फूलते हैं। 2) सभी सजीवों के अस्तित्व के लिए स्वच्छ वायु व वातावरण परम आवश्यक है। 3) स्वच्छ पर्यावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
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