जैव संसाधनहमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ जिनमें जीवन है, जैव संसाधन कहलाती है। जैव संसाधन हमें जीवमंडल से मिलती हैं। Show उदाहरण-मनुष्य सहित सभी प्राणि। इसके अंतर्गत मत्स्य जीव, पशुधन, मनुष्य, पक्षी आदि आते हैं। Table of Contents
अजैव संसाधनहमारे वातावरण में उपस्थित वैसे सभी संसाधन जिनमें जीवन व्याप्त नहीं हैं अर्थात निर्जीव हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं। इन्हें भी पढ़ें:- वास्तविक संख्याएं- उदाहरण-चट्टान, पर्वत, नदी, तालाब, समुद्र, धातुएँ, हवा, सभी गैसें, सूर्य का प्रकाश, आदि। समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरणसमाप्यता के आधार पर हमारे वातावरण में उपस्थित सभी वस्तुओं को जो दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:- इन्हें भी पढ़ें:- जैव और अजैव क्या है?
नवीकरण योग्य संसाधन वैसे संसाधन जिन्हे फिर से निर्माण किया जा सकता है, नवीकरण योग्य संसाधन कहलाते है। जैसे- सौर उर्जा, पवन उर्जा, जल, वन तथा वन्य जीव। इस संसाधनों को इनके सतत प्रवाह के कारण नवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है। अनवीकरण योग्य संसाधन वातावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ, जिन्हें उपयोग के बाद निर्माण नहीं किया जा सकता है या उनके विकास अर्थात उन्हें बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, अनवीकरण योग्य संसाधन कहलाते हैं। इन्हें भी पढ़ें:- जन संघर्ष और आंदोलन स्वामित्व के आधार पर संसाधन का वर्गीकरणस्वामित्व के आधार पर संसाधनों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है:-
व्यक्तिगत संसाधन वैसे संसाधन, जो व्यक्तियों के निजी स्वामित्व में हों, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। जैसे घर, व्यक्तिगत तालाब, व्यक्तिगत निजी चारागाह, व्यक्तिगत कुँए आदि। तत्वों या वस्तुओं के निर्माण में सहायक कारकों के आधार पर संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित करते हैं- इन्हें भी पढ़ें:- प्रदूषण क्या है? | अर्थ | कारक | प्रदूषण की विस्तार जानकारी
सामुदायिक संसाधनवैसे संसाधन, जो गाँव या शहर के समुदाय अर्थात सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हों, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक खेल का मैदान, सार्वजनिक चरागाह, श्मशान, सार्वजनिक तालाब, नदी, आदि । विकास के आधार पर संसाधन का वर्गीकरणविकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में बाँटा गया है। इन्हें भी पढ़ें:- LETTER WRITING
सम्भावी संसाधन – वैसे संसाधन जो विद्यमान तो हैं परंतु उनके उपयोग की तकनीकि का सही विकास नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे- राजस्थान तथा गुजरात में पवन और सौर उर्जा की अपार संभावना है, परंतु उनका उपयोग पूरी तरह नहीं किया जा रहा है। कारण कि उनके उपयोग की सही एवं प्रभावी तकनिकी अभी विकसित नहीं हुई है। विकसित संसाधन – वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए प्रभावी तकनीकि उपलब्ध हैं तथा उनके उपयोग के लिए सर्वेक्षण, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं। इन्हें भी पढ़ें:- साबुन क्या होता है- Recommended
Solution : जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं कुछ उदाहरण दें। जैव संसाधन- इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमे जीवन व्याप्त होता है, उदाहरण- मनुष्य, वनस्पतिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि। अजैव संसाधन- वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने है। ये दो प्रकार के होते है समाप्य और असमाप्य l उदाहरण- चट्टानें और धातुएँ। जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं कुछ उदाहरण दें। जैव संसाधन- इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमे जीवन व्याप्त होता है, उदाहरण- मनुष्य, वनस्पतिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि। 3360 Views ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
2064 Views प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपयोग कैसे हुआ है? किसी भी प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता आवश्यक है। प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं। लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी इस विकास में बाधक उत्प्न्न करती है। आर्थिक विकास के लिए तकनीक की आवश्यकता होती है। इसके बाद विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता होती है। वनों, खनिजों का उपयोग होता है तथा जल की भी आवश्यकता होती है। अगस्त 1947 से पहले इग्लैंड का उपनिवेश था। विदेशी आक्रमणकर्ताओं का मुख्य आकर्षण धनी संसाधन थे। उपनिवेशों का विकास प्रद्योगिकी के उच्च स्तर के कारण हुआ तथा औपनिवेशिक शक्तियों ने अपना शासन स्थापित किया। औपनिवेशीकरण को भारत ने कई रूपों में अनुभव किया। इसलिए भारत में विकास सामान्य और संसाधन पर निर्भर रहा बल्कि प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन की गुणवत्ता का अनुभव किया। स्वतंत्रता के बाद भारत में औद्योगिकरण हुआ। इससे विस्तृत अवसर उत्पन्न हुए। आज औद्योगिक संस्थान आदि समान्य हो गई है। उद्योगो की बढ़ती संख्या ने और भी दवाब बढ़ा दिया, जैसे जल संसाधन आदि। 1162 Views लोहा अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
3496 Views भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई। इसका क्या कारण है? 1) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप: भूमि का उपयोग निम्नलिखित कार्यो के लिए किया जाता है: (i) वन (ii) कृषि के लिए अप्राप्य भूमि
(iii) अन्य गैर-कृषि भूमि
(iv) परती भूमि
(v) शुद्ध बोया गया क्षेत्र (क्षेत्रफल जो एक कृषि वर्ग में एक से अधिक बार बोया गया है) 2) 1960 -61 से निम्न कारणों से वन भूमि का क्षेत्रफल नहीं बढ़ पाया है: (i) भारत की जनसंख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। इस जनसंख्या के लिए भूमि का उपयोग भवन निर्माण आदि के लिए हो रहा है। भारत विकासशील देश है तथा संपूर्ण देश में उद्योग, मिल तथा अन्य व्यापारिक स्थल बन रहे हैं। 1510 Views पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
2758 Views अजैविक संसाधन से आप क्या समझते हैं?अजैविक संसाधन:- वैसे संसाधन जो निर्जीव होते हैं तथा जिनमे सजीव का कोई लक्षण मौजूद नही होता, उन्हें अजैविक संसाधन कहते हैं। उदाहरण:- खनिज, जल, सूर्य का प्रकाश आदि।
अजैव संसाधन कौन से हैं?अजैव संसाधन: जो संसाधन निर्जीव पदार्थों से मिलते हैं उन्हें अजैव संसाधन कहते हैं। उदाहरण: मिट्टी, हवा, पानी, धातु, पत्थर, आदि।
अजैव क्या है?अजैव संसाधन-
वे सभी निर्जीव वस्तुएं, जो मानव के लिए उपयोगी हो, अजैव संसाधन कहलाती है। चट्टाने तथा खनिज इसका प्रमुख उदाहरण है।
जैव और अजैव संसाधन कौन से होते हैं?संसाधनों के प्रकार उत्पत्ति के आधार पर - जैव संसाधन इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन व्याप्त है, जैसे मनुष्य, वनस्पतिजात, प्राणिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि । - - अजैव संसाधन वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं। उदाहरणार्थ, चट्टानें और धातुएँ।
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