भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी में कमी, इसके प्रमुख कारणों व इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भ:वर्ष 2020 महिला अधिकारों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण वर्ष माना जा सकता है। गौरतलब है कि यह महिला अधिकारों और समाज के विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भूमिका से जुड़ी दो बड़ी घटनाओं की 25वीं वर्षगाँठ का वर्ष है। इस वर्ष ‘भारत में महिलाओं की स्थिति पर समिति’ (CSWI) द्वारा संयुक्त राष्ट्र को ‘समानता की ओर’ या ‘टुवर्डस इक्वालिटी’ (Towards Equality) नामक रिपोर्ट को प्रस्तुत किये हुए लगभग 25 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस रिपोर्ट में भारत में महिलाओं के प्रति संवेदनशील नीति निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए लैंगिक समानता पर एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास किया गया। साथ ही वर्ष 2020 में ’बीजिंग प्लेटफार्म फॉर एक्शन’ की स्थापना की 25वीं वर्षगाँठ भी है, जो समाज में महिलाओं की स्थिति और सरकारों के नेतृत्त्व में उनके सशक्तीकरण के प्रयासों के विश्लेषण का एक बेंचमार्क है। पिछले दो दशकों में भारत में महिला अधिकारों की रक्षा हेतु कई बड़े प्रयास किये गए और इनके व्यापक सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं, हालाँकि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये भारत की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका और इससे जुड़ी चुनौतियों की समीक्षा कर अपेक्षित नीतिगत सुधारों को अपनाना बहुत आवश्यक है। भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका:
असंगठित क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी:
कारण:
महिला भागीदारी का प्रभाव:
सरकार के प्रयास:
चुनौतियाँ:
आगे की राह:
अभ्यास प्रश्न: ‘भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की समान और प्रत्यक्ष भागीदारी के बगैर देश की जीडीपी को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने के लक्ष्य को प्राप्त करना बहुत ही कठिन होगा।’ इस कथन को स्पष्ट करते हुए देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी से संबंधित प्रमुख चुनौतियों और इसके समाधान के विकल्पों पर चर्चा कीजिये। समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला ससक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता।
भारत में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कम क्यों है?साल 2017 से 2022 के बीच लगभग 2.1 करोड़ महिलाओं ने स्थायी तौर पर रोज़गार छोड़ दिया. इसका मतलब है कि या तो ये महिलाएं बेरोज़गार हैं या फिर नौकरी की तलाश ही नहीं कर रही हैं. और, महिलाओं के नौकरी से दूरी बनाने का एक नतीजा ये हुआ है कि देश की अर्थव्यवस्था में कामगारों की भागीदारी में गिरावट आ रही है.
भारत में महिलाओं की क्या भूमिका है?लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण करना सतत विकास लक्ष्यों में एक प्रमुखता है। वर्तमान में प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, समावेशी आर्थिक और सामाजिक विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है। महिलाओं में जन्मजात नेतृत्व गुण समाज के लिए संपत्ति हैं।
राष्ट्र विकास में महिलाओं का क्या योगदान?Answer: वर्तमान में महिलाएँ समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र-उत्थान के अनेक कार्यों में लगी हैं। महिलाओं ने अपनी कर्तव्य परायणता से यह सिद्ध किया है कि वे किसी भी स्तर पर पुरूषों से कम नहीं हैं। बल्कि उन्होंने तो राष्ट्र निर्माण में अपनी श्रेष्ठता ही प्रदर्शित की है। ...
|