आलस कथा पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है - aalas katha paath se hamen kya shiksha milatee hai

मास्टर नोट्स (www.masternotes.co.in) ऑनलाइन स्टडी पोर्टल पर उपलब्ध यह लेख “कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा हिंदी अनुवाद और लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर” के बारे में है।

इस अध्याय में आलस्य के बारे में बताया गया है। अलसकथा कहानी का सार यही है कि आलस्य एक महान शत्रु है। आलसी मनुष्य अपने जीवन में कभी प्रगति नहीं कर पाता। उसका जीवन भी दयावानों की दया पर निर्भर करता है।

आलस कथा पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है - aalas katha paath se hamen kya shiksha milatee hai

कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा हिंदी अनुवाद और लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

अनुसूची तालिका  (toc)

यहाँ कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा हिंदी अनुवाद और लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर प्रकाशित किया गया है। अलसकथा कहानी का हिंदी अनुवाद सरल शब्दों में तारांकित रूप में उपलब्ध है। जो याद करने योग्य है। इसके बाद इसी पाठ से लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर को भी प्रदान किया गया है।

कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा हिंदी अनुवाद और संपूर्ण नोट्स

यहाँ पढ़ें सरल शब्दों में, कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा हिंदी अनुवाद और संपूर्ण नोट्स। यह वस्तुनिष्ठ और लघु उत्तरीय सभी प्रकार के प्रश्नों को हल करने में मदद करता है।

* अलसकथा एक व्यंग्यात्मक लघुकथा है।

* 'अलसकथा' पाठ विद्यापति द्वारा रचित 'पुरुषपरीक्षा' नामक कथाग्रंथ से संकलित एक लघुकथा है।

* विद्यापति एक लोकप्रिय मैथिलीकवि थे। पुरुषपरीक्षा विद्यापति की रचना है।

* पुरुषपरीक्षा कथाग्रंथ में मानव के विभिन्न गुणों के महत्व और विभिन्न दोषों के निवारण का वर्णन है।

* 'अलसकथा पाठ' में आलस्य नामक दोष का निरूपण किया गया है और आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गई है।

* नीतिकार आलस्य को महान शत्रु मानते हैं।

* वीरेश्वर मिथिला के मंत्री थे। वह स्वभाव से दानी और करुणामय थे।

* वीरेश्वर प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। इसके साथ ही वह आलसियों को अन्न और वस्त्र भी देते थे।

* आलसियों का यह प्रथम मत होता है कि भले ही भूखे रह जायेंगे लेकिन कोई काम नहीं करेंगे।

* अपनी जाति के जीवों के सुख को देखकर सभी उसके पीछे जाते है।

* आलसियों को मिलने वाली वस्तुओं को देखकर और भी आलसी अलसशाला में पहुंचे। इसके पश्चात् कुछ धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में भोजन ग्रहण करने लगे। इससे अलसशाला में धन का खर्च बढ़ गया।

* अलसशाला में धन के अधिक खर्च को देखकर नियोगी पुरूष ने सोचा कि स्वामी केवल अक्ष्मबुद्धि वाले आलसियों को ही धन देते हैं। परंतु कुछ कपटी लोग भी इन सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। यदि इनकी परीक्षा ली जाए तो सभी धूर्त भाग जाएंगे।

* नियोगी पुरूष ने आलसियों की परीक्षा लेने के लिए उनके सोये अवस्था में अलसशाला के चारों ओर आग लगवा दिया।

* अलसशाला में आग लगा देखकर सभी धूर्त्त लोग भाग गए। इसके पश्चात् कुछ अन्य आलसी भी भाग गए।

* अलसशाला में आग लगा देखकर भी चार आलसी वहाँ से नहीं भागे और सोये हुए ही आपस में बात करने लगे।

* पहले आलसी ने वस्त्र में सिर ढँके ही बोला - अरे यह कैसा कोलाहल (शोरगुल) है?

* दुसरे आलसी ने कहा - लगता है कि घर में आग लग गई है।

* तीसरे आलसी ने कहा - क्या कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं है जो जल से भींगे एक चटाई से हमें ढँक दें।

* चौथे आलसी ने कहा - अरे वाचाल! कितना बोलते हो? क्या तुम चुपचाप नहीं रह सकते?

* अलसशाला के चारों तरफ आग फैल जाने पर और आलसियों के परस्पर वार्तालाप को सुनकर नियोगी पुरूष ने चारों आलसियों को केस (बाल) पकड़ कर घर से बाहर निकाला।

* इस प्रकार असली आलसियों की पहचान हुई।

* इसके पश्चात् मंत्री द्वारा चारों आलसियों को पहले से अधिक धन दिया जाने लगा।

* वास्तविक आलसियों की संख्या चार थी।

* स्त्रियों की गति उनके पति से होती है। बालकों की गति उनके माता से होती है। अर्थात इस संसार में स्त्रियों का सच्चा रक्षक उनके पति है और बच्चों का सच्चा रक्षक उनकी माता है।

* आलसियों की गति कारुणिकों (दयावानों) के बिना नहीं होती है। अर्थात इस संसार में आलसियों का सच्चा रक्षक दयावान ही है।

कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर (2 Marks Questions Answers)

यहाँ आप 'कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा के लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर हिंदी में' पढ़ सकते हैं। यहाँ कुल 18 लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रदान किए गए हैं, जो वार्षिक परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार बोर्ड की परीक्षा में संस्कृत विषय में सभी अध्याय से मिलाकर 16 लघु उत्तरीय प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनमें से केवल 8 प्रश्नों के उत्तर लिखने रहते हैं। प्रत्येक लघु उत्तरीय प्रश्न के लिए दो अंक निर्धारित रहता है।

कक्षा-10 संस्कृत पाठ-3 अलसकथा के लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 1 से 18 तक

1. विद्यापति कौन थे? उन्होंने किस ग्रंथ की रचना की है ?

उत्तर- विद्यापति एक लोकप्रिय मैथिलीकवि थे। उन्होंने पुरुषपरीक्षा नामक ग्रंथ की रचना की है। इस ग्रंथ में मनुष्य के गुणों का वर्णन किया गया है और मानव दोषों के निवारण की प्रेरणा दी गई है।

2. 'अलसकथा' पाठ के लेखक कौन है? इस पाठ में किसकी कहानी है ?

उत्तर- 'अलसकथा' पाठ के लेखक विद्यापति है। अलसकथा पुरूषपरीक्षा ग्रंथ से ली गई एक लघुकथा है। इस पाठ में आलस्य नामक दोष एवं आलसी व्यक्तियों की कहानी है। इसमें आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गई है।

3. वीरेश्वर कौन था? उनका स्वभाव कैसा था ?

उत्तर- वीरेश्वर मिथिला के मंत्री थे। वह स्वभाव से दानी और करुणामय थे। वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। साथ ही वह आलसियों को भी उनकी इच्छा अनुसार भोजन और वस्त्र आदि देते थे।

4. कौन प्रतिदिन आलसियों को उनकी इच्छानुसार भोजन और वस्त्र देते थे ?

उत्तर- मिथिला के मंत्री वीरेश्वर प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। साथ ही वह आलसियों को भी उनकी इच्छा अनुसार भोजन और वस्त्र आदि देते थे।

5. 'अलसकथा' पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर- 'अलसकथा' पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आलस्य एक महान शत्रु है। आलसी व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है। आलसियों का जीवन दयावनों पर निर्भर करता है। इस पाठ से हमें मानवीय गुणों के विकास और दोषों को दूर करने की शिक्षा मिलती है।

6. 'अलसकथा' पाठ में किस दोष का वर्णन है ?

अथवा, 'अलसकथा' पाठ में किस पर चर्चा की गई है?

उत्तर-  'अलसकथा पाठ' में आलस्य नामक दोष का वर्णन किया गया है और इसके के निवारण की प्रेरणा दी गई है। इस पाठ में आलसियों के जीवन निर्वाह के बारे में बताया गया है। आलस्य एक महान शत्रु है। आलसी व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है। आलसियों का जीवन दयावानों पर निर्भर रहता है। इस पाठ में यह भी बताया गया है कि अपनी जाति के जीवों के सुख को देखकर सभी उसके पीछे दौड़ते हैं।

7. अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों की परीक्षा क्यों ली ?

अथवा, अलसशाला में आग क्यों लगाई गई ?

उत्तर- आलसियों को मुफ्त में मिलने वाली वस्तुओं को देखकर बहुत सारे धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में पहुँचे। जिसके परिणामस्वरूप अलसशाला में धन का खर्च भी बढ़ गया और वास्तविक आलसियों को उचित लाभ भी नहीं मिल पाता था। इन धूर्तों को भगाने के लिए और वास्तविक आलसियों की पहचान के लिए अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों की परीक्षा ली। उनके सोये अवस्था में अलसशाला के चारों ओर आग लगवा दिया।

8. अलसशाला में आग लगने पर क्या हुआ ?

उत्तर- अलसशाला में आग लगने पर सभी धूर्त्त लोग भाग गए। परंतु आग लगा देखकर भी चार आलसी नहीं भागे और सोये हुए ही आपस में बात करने लगे। जब आग वाला के चारों तरफ फैल गया तब नियोगी पुरूष ने चारों आलसी पुरूषों को केस पकड़ कर घर से बाहर निकाला।

9. चारों आलसियों के वार्तालाप (संवाद) को अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर- अलसशाला में आग लगा देखकर भी चार आलसी नहीं भागे और सोये हुए ही आपस में बात करने लगे। पहले आलसी ने वस्त्र में सिर ढँके ही बोला - अरे यह कैसा कोलाहल (शोरगुल) है? दुसरे आलसी ने कहा - लगता है कि घर में आग लग गई है। तीसरे आलसी ने कहा - क्या कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं है जो जल से भींगे एक चटाई से हमें ढँक दें। चौथे आलसी ने कहा - अरे वाचाल! कितना बोलते हो? क्या तुम चुपचाप नहीं रह सकते?

10. 'अलसकथा' पाठ के आधार पर बताईए कि आलसी पुरूषों को किसने और क्यों निकाला ?

उत्तर- अलसशाला के चारों तरफ आग फैल जाने पर और आलसियों के परस्पर वार्तालाप को सुनकर इनकी जीवन रक्षा के लिए नियोगी पुरूष ने चारों आलसी पुरूषों को केस पकड़ कर घर से बाहर निकाला। क्योंकि ये चारों आलसी न तो अलसशाला से बाहर आ रहे थे और न ही आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे।

11. अलसशाला के कर्मियों ने आलसियों को आग से कैसे और क्यों निकाला ?

उत्तर- अलसशाला के कर्मियों ने चारों आलसियों को उनकी जीवन रक्षा के लिए केस पकड़ कर आग से बाहर निकाला। क्योंकि ये चारों आलसी न तो अलसशाला से बाहर आ रहे थे और न ही आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे।

12. 'अलसकथा' पाठ में वास्तविक आलसियों की पहचान कैसे हुई ?

उत्तर- अलसकथा' पाठ में वास्तविक आलसियों की पहचान नियोगी पुरूष द्वारा आलसियों की परीक्षा लेने के बाद हुई। उन्होंने आलसियों के सो जाने पर अलसशाला में आग लगवा दिया। अलसशाला में आग लगने पर सभी धूर्त्त लोग भाग गए। परन्तु चार लोग, जो वास्तविक आलसी थे, नहीं भागे और अलसशाला में ही सोते हुए वार्तालाप करने लगे।

13. मिथिला के मंत्री कौन थे? उन्होंने कृत्रिम आलसियों की परीक्षा कैसे ली ?

उत्तर- मिथिला के मंत्री का नाम वीरेश्वर था । वह प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। साथ ही वह आलसियों को अन्न और भोजन देते थे। कृत्रिम आलसियों की परीक्षा के लिए नियोगी पुरूष ने आलसियों के सो जाने पर अलसशाला में आग लगवा दिया। अग्निलग्न घर देखकर सभी धूर्त कृत्रिम आलसी भाग गए परन्तु चार आलसी वहीं सोते हुए बात करते रहे। जिन्हें बाहर निकाला गया।

14. 'अलसकथा' का सारांश लिखें।

अथवा, 'अलसकथा' पाठ की कहानी को संक्षेप में लिखें।

उत्तर- 'अलसकथा' पाठ के लेखक विद्यापति है। इसमें आलस्य नामक दोष का निरूपण किया गया है और आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गई है। वीरेश्वर मिथिला के मंत्री थे। वे प्रतिदिन संकटग्रस्तों और अनाथों को उनकी इच्छा अनुसार भोजन कराते थे। साथ ही वह आलसियों को भी अन्न और भोजन देते थे। आलसियों को मिलने वाली वस्तुओं को देखकर धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में भोजन ग्रहण करने लगे। इससे अलसशाला में धन का खर्च बढ़ गया। इसके बाद नियोगी पुरूष ने आलसियों की परीक्षा लेने के लिए उनके सोये अवस्था में अलसशाला के चारों ओर आग लगवा दिया। अलसशाला में आग लगा देखकर सभी धूर्त्त लोग भाग गए परन्तु चार आलसी नहीं भागे और सोये हुए ही आपस में बात करने लगे। अलसशाला के चारों तरफ आग फैल जाने पर और आलसियों के परस्पर वार्तालाप को सुनकर नियोगी पुरूष ने चारों आलसियों को केस पकड़ कर घर से बाहर निकाला। इसके पश्चात् मंत्री द्वारा चारों आलसियों को पहले से अधिक धन दिया जाने लगा।

15. आलसी कौन है ?

उत्तर- अलसकथा पाठ के अनुसार आलसी वैसे मनुष्य है जो भले ही भूखे रह जाए परन्तु कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे मनुष्य संकट के समय अपनी रक्षा भी नहीं कर पाते हैं।

16. निर्गतियों और अनाथों में आलसी को प्रथम क्यों माना गया है ?

उत्तर- आलसियों को छोड़कर बाकी अन्य निर्गति और अनाथ लोग अपने जीवनयापन कुछ-न-कुछ काम जरूर करते हैं। जो इसमें सक्षम नहीं होते हैं, वे भिक्षा मांग कर अपना पेट भरते हैं। परंतु आलसी वैसे प्राणी है जो भले ही भूखे रह जाए परन्तु कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे मनुष्य संकट के समय अपनी रक्षा भी नहीं कर पाते हैं। इसीलिए निर्गतियों और अनाथों में आलसी को प्रथम माना गया है।

17. अलसशाला में धन का खर्च बढ़ जाने पर नियोगी पुरुष ने क्या किया ?

उत्तर- अलसशाला में धन का खर्च बढ़ जाने पर नियोगी पुरुष ने आलसियों की परीक्षा‌‌ ली। उन्होंने आलसियों के सो जाने पर अलसशाला में आग लगवा दिया। अलसशाला में आग लगने पर सभी धूर्त्त लोग भाग गए। परन्तु चार लोग, जो वास्तविक आलसी थे, नहीं भागे और अलसशाला में ही सोते हुए वार्तालाप करने लगे।

18. अलसशाला का खर्च‌‌ क्यों बढ़ गया ?

उत्तर- आलसियों को मुफ्त में मिलने वाली वस्तुओं को देखकर बहुत सारे धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य धारण कर अलसशाला में पहुँचे। जिसके परिणामस्वरूप अलसशाला खर्च भी बढ़ गया।

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आलस कथा का क्या शिक्षा या संदेश है?

उत्तर- अलसकथा का संदेश है कि आलस्य एक महान् रोग है। आलसी का सहायक प्रायः कोई भी नहीं होता । जीवन में विकास के लिए व्यक्ति का कर्मठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरीर में रहनेवाला महान् शत्रु है जिससे अपना, परिवार का और समाज का विनाश अवश्य ही होता है।

आलस कथा पाठ से आप क्या समझते हैं?

अलसकथा में आलस्य के निवारण की प्रेरणा दी गयी है। इस पाठ में संसार की विचित्र गतिविधि का भी परिचय मिलता है। आलस- किसी भी काम को देर से करने या उसके करने से बचने को कहा जाता है। आलसी- जो सुस्त यानी निकम्मा होता है उसे आलसी कहा जाता है।

आलस सलाह का खर्च क्यों बढ़ गया?

उत्तर ⇒ अलसशाला में आलसियों की सुख-सुविधाओं को देखकर कम आलसी एवं कृत्रिम आलसियों की भीड़ जुटी थी जिससे अलसशाला का खर्च बेवजह बढ़ गया था ।

आलस कथा के लेखक कौन थे?

'अलस कथा' पाठ के लेखक विद्यापति हैं।