हिसार[जागरण स्पेशल] शेर जंगल का राजा भले ही हो मगर हाथी का अपना ही एक अलग अंदाज रहता है। फिल्मों से लेकर किस्से कहानियों में हम हाथी के बारे में दंतकथाएं सुनते आ रहे हैं। हाथी को शाही सवारी के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं हमारे देश में तो बहुत सी जगहों पर हाथी की पूजा भी होती है और इसे भगवान गणेश के समतुल्य माना जाता है। मगर हाथियों के बारे में ऐसे बहुत से रोचक पहलू हैं जिनके बारे में हम मान्यताओं के आधार पर ही सुनते और समझते आ रहे हैं। जीव विज्ञानी एवं लेक्चरर बिजेंद्र वत्स के अनुसार उन रोचक पहलूओं के अलग ही प्रमाण हैं। इनमें से सबसे अहम हैं हाथी के कान का बड़ा और आंखों का छोटा होना।
दादी नानी की कहानी और मान्यता के आधार पर सुनने को मिलता है कि हाथी के कान इसलिए बड़े होते हैं ताकि वो अपने विशाल शरीर को न देख सके, इसलिए हाथ्ाी की आंखे भी छोटी होती हैं। हाथी को अगर अपने विशाल शरीर और ताकत का एहसास होगा तो वो जंगल में तबाही मचा देखा। मगर ये सच नहीं हैं और हकीकत कुछ ओर ही है। हाथी के बारे में रोचक जानकारी के लिए पढ़ें ये खबर।
इसलिए बड़े होते हैं हाथी के कान
हाथी के कान बड़े होते हैं हाथी दिन भर अपने कान हिलाता रहता है। मगर हाथी का कान हिलाना स्वभाविक नहीं है बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। हाथी अपने विशालकाय शरीर की गर्मी को कानों के जरिये बाहर निकालता है। हाथी के कानों में समाहित कोशिकाएं इस काम काे बखूबी करती है। महज गर्मी ही नहीं बल्कि हाथी के कान उसके शरीर का रक्तसंचार भी नियंत्रित रखते हैं। अफ्रीका में ज्यादा गर्मी होने के कारण वहां के हाथियों के कान बहुत बड़े होते हैं।
आंखे छोटी होने का ये राज
हाथी के कान जब इतने बड़े होते हैं तो आंखे छोटी क्यों होती हैं। ये सवाल भी आपके जहन में आता होगा। मगर आंखें छोटी होने के पीछे भी एक वैज्ञानिक तर्क है। हाथी की आंखों की रोशनी बेहद कम होती है बावजूद इसके हाथियों को तेज रोशनी में कम नजर आता है और वो कम रोशनी में ज्यादा देख पाते हैं। हाथी की आंख की पुतलियां बहुत जल्दी सूख जाती हैं, जिस वजह से वो अपनी आंख की पुतलियां हिला नहीं पाता है। पुतलियां आसानी से हिल सकें इसके लिये उन्हें नम रखना जरूरी होता है। इसलिए हाथी की आंख में एक तरल पदार्थ की सप्लाई होती रहती है जो ज्यादा होने पर आंख से बाहर निकल आता है, जिसे लोग आंसू समझ लेते हैं। आंखे अगर बड़ी होती तो पुतलियां और भी जल्दी सूख जाती। इसलिए प्रकृति की सरंचना अपने आप में खास है।
राह दिखाने का काम करती है सूंड
हाथी की आंखों की रोशनी कम होती है मगर वो अपनी सूंड का इस्तेमाल इस समस्या को दूर करने के लिए करता है। हाथी चलते वक्त सूंड से नीचे की ओर फूंकता है और हवा जमीन से टकरा कर वापस आती है। उससे उसे आगे की राह का अंदाजा हो जाता है। हाथी एक बार में अपनी सूंड में करीब 8 से 9 लीटर तक पानी भर सकता है। वो सूंड से 350 किलोग्राम तक भार भी उठा सकता है।
100 से 150 किलो खुराक, पचा पाता महज 35 फीसद
हाथी एक दिन में करीब 100 से 150 किलो तक खाना खाता है। मगर वह इसका केवल 35 फीसदी ही पचा पाता है। वहीं विशाल शरीर होने के बावजूद हाथी दिन भर में करीब 10 से 20 किलोमीटर चलते हैं और सोते सिर्फ 3 से 4 घंटे ही हैं। हाथियों की अधिकतम आयु अब तक 70 साल रिकॉर्ड की गई है। हाथी का वजन 5000 से 7000 किलोग्राम तक हो सकता है। हाथी एक मात्र ऐसा जानवर है, जिसको यौन क्रिया के लिये उत्तेजित करने के लिये प्रकृति ने अलग से ग्लैंड दिया है। जिसे टेंपोरल ग्लैंड कहते हैं।
ये भी हैं रोचक पहलू
- हाथी इंसान की तरह ही काफी सामाजिक होते हैं और परिवार में यानि झुंड में ही रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
- अगर हाथी को चीटी, मच्छर या मक्खी काट भर ले, तो उसे घाव हो सकता है, क्योंकि हाथी की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है। इसलिए वो इनसे बचने की कोशिश करता है।
- हाथी अपनी त्वचा को सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचाने के लिये खुद पर किचड़ या मिट्टी उढ़ेलता है।
- शोध बताता है कि हाथी आवाज को सुनकर पुरुष और स्त्री की आवाज में भिन्नता को पहचान कर सकता है।
- हाथी करीब चार से पांच किलोमीटर दूर से ही अपने साथी की अावाज को सुन सकता है। इसी तरह हाथी दूर दराज होने वाली बारिश का भी पता लगा लेते हैं।
- हाथी के मरने पर हाथी इंसानों की तरह ही कई दिनों तक शोक मनाता है और हाथ्ाी के शव को छोड़कर जल्दी से नहीं जाता है।
- हाथी के दांतों की कीमत लाखाें करोड़ों रुपये में होती हैं, यही कारण है कि हाथियों को शिकार किया जाता हैं। दांतों पर नक्काशी कर दांतों को ताजों में भी लगाया जाता रहा है।
डार्क सर्कल और झुर्रियां सबसे आम समस्याएं हैं जिनका सामना कई महिलाएं करती हैं। क्या आपके साथ भी ऐसा ही है? अगर हां, तो कई चीजें हैं जो हमारी त्वचा में इस बदलाव को ट्रिगर करती हैं। डार्क सर्कल और झुर्रियां कभी-कभी आंखों की सूजन से भी जुड़ी होती हैं।
आंखों के नीचे की त्वचा आपके पूरे शरीर की सबसे नाजुक त्वचा में से एक है। यदि आपकी आंखें धंसी हुई हैं, तो आप अपनी आंखों के नीचे या अपनी निचली पलकों पर एक खोखली दिखने वाली जगह और गहरे रंग की छाया देखेंगे। वहां की त्वचा पतली दिख सकती है।
विश्व प्रसिद्ध त्वचा विशेषज्ञ और सौंदर्य चिकित्सक डॉ. अजय राणा के अनुसार, धंसी हुई आंखों को आमतौर पर ‘हौलो आइज’ के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति में आंखों के आसपास की त्वचा धंसी हुई या अंदर की ओर खिंची हुई दिखाई देती है। आइ बॉल आंख के गर्तिका में चले जाते हैं, जिससे आंखें भारी, थकी हुई और खोखली लगने लगती हैं।
डॉ राणा कहते हैं – यह एक कॉस्मेटिक समस्या है। इसके अलावा धंसी हुई आंखें आमतौर पर वृद्ध लोगों में दिखाई देती हैं।”
हालांकि, कई कारणों से कम उम्र के लोगों में भी धंसी हुई आंखें विकसित हो सकती हैं। अधिक जानने के लिए पढ़ें।
ये उपाय आपको घर पर ही दिला सकते हैं काले घेरों से छुटकारा चित्र: शटरस्टॉक
यहां जानिए आंखें धंसी हुई दिखने का क्या कारण है
1. एजिंग
डार्क सर्कल का एजिंग प्रमुख कारक है क्योंकि जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, आंखों के चारों ओर वसायुक्त ऊतक कम होते जाते हैं, जिससे आंखों के आसपास की त्वचा पतली दिखाई देती है। डॉ राणा कहते हैं, “एजिंग धंसी हुई आंखों के प्रकट होने के कई कारणों में से एक है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर में कोलेजन का उत्पादन कम होता जाता है। हमारी त्वचा ढीली पड़ने लगती है जिसके संभावित परिणाम आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैं। ”
2. नींद की कमी
नींद कम आना आजकल एक आम समस्या है। नींद की कमी का सीधा असर आपकी आंखों पर पड़ता है। डॉ राणा कहते हैं, “पर्याप्त नींद न लेने से धंसी हुई आखें, जौल्स और बहुत कुछ हो सकता है।” व्यक्ति को आराम और तरोताजा महसूस करने के लिए 7-8 घंटे की अच्छी, नींद बहुत जरूरी है।
3. डिहाइड्रेशन
पोषण की कमी और डिहाइड्रेशन धंसी हुई आंखों के संभावित कारण हैं। डॉ राणा कहते हैं, “डिहाइड्रेशन सबसे आम त्वचा की स्थिति के प्राथमिक कारणों में से एक है।” लेकिन अच्छी खबर यह है कि जिस क्षण ऊतक हाइड्रेटेड हो जाते हैं, यह हौलोनेस ठीक हो जाती है।
4. हानिकारक यूवी किरणें
डॉ राणा कहते हैं “अत्यधिक सूर्य त्वचा की अखंडता को कमजोर करता है और सूर्य की हानिकारक यूवी किरणें इसे खराब कर देती हैं और एक लाल रंग की उपस्थिति लेती हैं। अगर हम सनस्क्रीन और धूप के चश्मे के बिना बाहर जाते हैं, तो हमारी आखोन को नुकसान पहुंच सकता है।”
धूप में बैठना आपकी आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक
वास्तव में, यदि आपके पास पहले से ही काले घेरे हैं, तो सूर्य के संपर्क में आने से स्थिति और खराब हो जाएगी क्योंकि सूर्य की किरणें मेलेनिन का उत्पादन करती हैं जो त्वचा को काला कर देती हैं।
5. कुछ चिकित्सीय स्थितियां
हे फीवर और अन्य प्रकार की एलर्जी जैसी कई चिकित्सीय स्थितियां आंखों के नीचे काले घेरे और ढीली त्वचा का कारण बन सकती हैं। साइनस संक्रमण भी आंखों पर पीछे से हमला कर सकता है और उन्हें धँसा और काला दिखाई दे सकता है।
यहां डॉ. राणा द्वारा इस समस्या से छुटकारा पाने के उपाय दिए गए हैं:
धंसी हुई आंखें या आंखों के गड्ढों से छुटकारा पाने के लिए 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है।
आंखों को धूप से बचाने के लिए हर तीन से चार घंटे में एक अच्छी गुणवत्ता वाला सनस्क्रीन लगाएं और दोबारा लगाएं। संवेदनशील त्वचा होने पर भी आंखों की सुरक्षा के लिए मिनरल सनस्क्रीन सबसे अच्छा काम करती है।
खीरे या आलू के स्लाइस को लगाने से त्वचा ठंडी होती है और उस क्षेत्र में रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, जिससे थकान से राहत मिलती है।
आँखों की सूजन और काले घेरे दूर करे खीरा. चित्र : शटरस्टॉक
गहरी धंसी हुई आंखों से छुटकारा पाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे केल, पालक, ब्रोकली स्प्राउट्स और साग का स्वस्थ आहार लें।
हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त पानी पिएं। हाइड्रेटेड रहने से आपकी त्वचा तरोताजा और रूखेपन से मुक्त रहेगी।