राहु काल - Rahu Kaal in hindiराहुकाल भारतीय वैदिक पंचांग में एक विशिष्ट अवधि है जो दैनिक आधार पर होती है। यह समय किसी भी विशेष कार्य को करने के लिए अशुभ माना जाता है। इसके बदले वही कार्य शुभ समय पर करने से अच्छा परिणाम मिलता है। आगे राहुकाल की गणना कैसे की जाती है, वैदिक ज्योतिष में राहुकाल को लेकर क्या कहा गया है इसे भी जानेंगे। Show 30 October 2022 | राहुकाल - 07:36:47 से 09:10:41 राहुकाल के लिए दिनांक और स्थान दर्ज करेंआपका स्थान राहुकाल -
राहुकाल की गणनायहां 8 तरह के राहुकाल खंड या मुहूर्त हैं। राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग 90 मिनट तक रहता राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिये अलग-अलग होता है। इसका कारण यह है की सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। इस सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है। कई कार्य करने के लिए समय शुभ या अशुभ हैं, यह हिंदू पंचांग से विचार-विमर्श किया जाता है। वैदिक पंचांग में राहुकाल, जिसे अशुभ माना जाता है, परिवर्तनशील है और हर दिन बदलता रहता है क्योंकि ग्रहों की गति हर गुजरते समय के साथ बदलती है। इसलिए, प्रत्येक दिन के लिए राहु काल की गणना महत्वपूर्ण है और गणना के आधार पर, विशेष कार्यों को किया जाना चाहिए। इसे अशुभ समय के रूप में देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कार्य को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है। वैदिक ज्योतिष में राहुकालहिंदू वैदिक ज्योतिष में ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति, शनि, राहु और केतु हैं। राहु और केतु का भौतिक शरीर नहीं हैं, उन्हें दिन के आठ खंडों में से एक माना जाता है। इन दोनों को भारतीय ज्योतिष में अशुभ कहा गया है और राहुकाल को दिन की सबसे अशुभ अवधि के रूप में दर्शाया जाता है। प्राचीन ज्योतिष शास्त्र बताता है कि राहु एक उत्तरी सिरा है और केतु एक दक्षिणी सिरा है, और इन दोनों में एक साथ सूर्य को ग्रहण लगाने और ब्रह्मांड पर पड़ने वाले प्रकाश को दूर करने की क्षमता मौजूद है। इसके कारण, ज्योतिष ने इन दोनों को अमंगलकारी और प्रतिकूल प्रवृत्ति के लिए अशुभ मानते हैं। प्रत्येक दिन का राहुकाल समय सोमवार - दूसरा मुहूर्त – प्रातः 7: 30 से 9:00 तक राहुकाल की गणना पूरी तरह से सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर की जाती है और इस प्रकार यह प्रत्येक प्रतिदिन बदलता रहता है। इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है। इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है। हां इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण से ये समय कुछ खिसक भी सकता है।
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राशिवैदिक ज्योतिष में राशि का विशेष स्थान है ही साथ ही हमारे जीवन में भी राशि महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ज्योतिष... और पढ़ें आज का राहु काल कितने बजे से कितने बजे तक है?आचार्य डॉ. संजय. आज राहुल राहु काल कब है?शादीशुदा जिंदगी में जहर घुल रहा है? ये 5 उपाय अपनाते ही बढ़ने लगेगा प्यार. राहु काल में क्या क्या वर्जित है?* इस काल में शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता, इसलिए यह कार्य न करें। * राहु काल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए। * राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
राहु का दिन कौन सा होता है?रविवार को नैऋत्य कोण में, सोमवार को उत्तर दिशा में, मंगलवार को आग्नेय कोण में, बुधवार को पश्चिम दिशा में, गुरुवार को ईशान कोण में, शुक्रवार को दक्षिण दिशा में, शनिवार को वायव्य कोण में राहु का निवास माना गया है।
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