3 स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंखला कैसे बनती है इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है? - 3 spasht keejie ki baajaaron kee shrrnkhala kaise banatee hai isase kin uddeshyon kee poorti hotee hai?

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Q3. स्पष्ट कीजिए कि बाज़ारों की श्रृंखला कैसे बनती है? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है?


Answer. एक उत्पादक वस्तुओं का उत्पादन करता है। ये वस्तुएँ थोक व्यापारियों,वितरकों को बेची जाती है । कई बड़ी कंपनियां अपने सामान को सीधे थोक व्यापारियों को न देकर वितरकों के माध्यम से उन्हें देती है। थोक व्यापारी उस सामान को खुदरा/फुटकर व्यापारियों को बेचते है । फुटकर व्यापारियों से वह सामान ग्राहकों द्वारा खरीदा जाता है।उत्पादक से ग्राहक तक की श्रृंखला को बाजार कहा जाता है । बाजार श्रृंखला से इन उद्देश्यों की पूर्ति होती है - *एक उत्पादक खुद जाकर अपने सामान को ग्राहक को नहीं बेच सकता इसीलिए उसे बाजार की ज़रुरत होती है। *छोटे व्यवसायिओं के लिए उत्पादक द्वारा बनाये गए सारे सामान को खरीदने के लिए उतनी पूँजी नहीं होती इसीलिए उसे थोक व्यापारियों या बाजार श्रृंखला की ज़रुरत होती है । * बाजार श्रृंखला के द्वारा ही उत्पादक द्वारा बनाये गए सामान को उपभोक्ताओं तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है ।

प्रश्न 4: सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है? उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।

उत्तर: कई लोग ऐसे होते हैं जो साप्ताहिक बाजार में बिकने वाले सामान भी मुश्किल से खरीद पाते हैं। दूसरी, कई लोग ऐसे होते हैं जो मॉल में जाकर महंगी चीजें आराम से खरीद लेते हैं। इससे पता चलता है कि महँगे उत्पादों की दुकानों पर कई लोगों को जाने का अधिकार ही नहीं है। निम्न आर्थिक तबके के अधिकतर लोग ऐसी दुकानों पर पैर रखने की हिम्मत नहीं करते हैं। यदि कोई गलती से पहुँच भी जाए तो शायद उसे दुकान के अंदर जाने की इजाजत न मिले।

प्रश्न 5: बाजार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: लेकिन आज ऐसे भी बाजार बन चुके हैं जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है और जिनसे खरीददारी करने के लिए हमें बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अब हम मोबाइल फोन और इंटरनेट की मदद से घर बैठे शॉपिंग कर सकते हैं। खरीददारी के इस नये रूप को ई-शॉपिंग कहते हैं।

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NCERT Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter – 8 हमारे आस-पास के बाज़ार

अध्याय के मुख्य अंश

बाज़ार–वह स्थान जहाँ से उपयोग की वस्तुएँ खरीदी जाती है, बाजार कहलाता है।

बाज़ारों के प्रकार–दुकानें, हमारे पड़ोस में फेरीवालों के स्टाल, साप्ताहिक बाज़ार, एक बड़ा शॉपिंग कांप्लेक्स और मॉल बाज़ार के प्रकार हैं।

साप्ताहिक बाज़ार–सप्ताह में एक दिन लगने वाले बाज़ार को साप्ताहिक बाजार कहते हैं।

मॉल–इसकी इमारत बहुत बड़ी होती है जिसमें कई मंजिलें, दुकानें, रेस्तराँ और कभी-कभी सिनेमाघर तक होते हैं । इन दुकानों में प्राय: ब्रांडों वाले उत्पाद बिकते हैं ।

बाजारों की श्रृंखला–बाज़ारों की श्रृंखला वह श्रृंखला है जो परस्पर एक-दूसरे से कड़ियों के समान जुड़ी होती हैं।

व्यापारी–जो लोग उत्पादक तथा उपभोक्ता के बीच होते हैं, उन्हें व्यापारी कहते हैं ।

थोक बाज़ार–वह बाज़ार जहाँ बहुत बड़ी मात्रा में वस्तुएँ खरीदी या बेची जाती हैं।

अभ्यास के प्रश्न (Textual Questions )

प्रश्न 1. एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है ?

उत्तर– एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से निम्नलिखित बातों से भिन्न है–

(1) एक फेरीवाले के पास अपनी वस्तुएं बेचने के लिए कोई स्थायी स्थान नहींहोता। उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमना पड़ता है। दूसरी ओर, दुकानदार के पास एक निश्चित स्थान होता है, जहां पर वह अपनी वस्तुएंबेचता है।

(2) एक फेरीवाला केवल सस्ते मूल्य की वस्तुएं बेचता है, जबकि दुकानदारमहंगी वस्तुएं भी बेचता है।

(3) कभी-कभी फेरीवाले के पास निम्न स्तर की वस्तुएँ होती हैं, परंतु दुकानदारके पास निम्न स्तर की वस्तुएँ होने के कम अवसर होते हैं।

(4) एक जैसी वस्तुओं के एक फेरीवाला कम परंतु दुकानदार अधिक दाम वसूल करता है।

(5) फेरीवाले की आय कम जबकि दुकानदार की आय अधिक होती है।

प्रश्न 2. निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाज़ार और एक शॉपिंग काम्प्लेक्सकी तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए ।

बाज़ार

बेची जाने वालीवस्तुओं के प्रकार

वस्तुओंका मूल्य

विक्रेता

ग्राहक

साप्ताहिकबाज़ार

शॉपिंगकाम्प्लेक्स

उत्तर—

बाज़ार

बेची जाने वालीवस्तुओं के प्रकार

वस्तुओंका मूल्य

विक्रेता

ग्राहक

साप्ताहिकबाज़ार

कई प्रकार की बिनाब्रांड की वस्तुएं

कम

छोटेव्यापारी

गरीब तथामध्य वर्गके लोग

शॉपिंगकाम्प्लेक्स

अधिकतर ब्रांड कीवस्तुएँ

अधिक

बड़ेव्यापारी

उच्च मध्यवर्गीय तथाअमीरलोग

प्रश्न 3. स्पष्ट कीजिए कि बाज़ारों की श्रृंखला कैसे बनती है ? इससे किन उद्देश्योंकी पूर्ति होती है ?

उत्तर- विभिन्‍न प्रकार के बाज़ार होते हैं जहां वस्तुएं बेची जाती हैं । वस्तुओं का उत्पादन कारखानों में, खेतों में और घरों में होता है । पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा अथवासंख्या में वस्तुएं ख़रीद लेते हैं। फिर वे इन वस्तुओं को दूसरे व्यापारियों को बेचतेहैं। प्रचून विक्रेता इन वस्तुओं को उपभोक्ता को बेचता है। यह प्रचून विक्रेतासाप्ताहिक बाज़ार का व्यापारी, पड़ोस में एक फेरीवाला या फिर शॉपिंग काम्प्लेक्समें एक दुकान हो सकती है । इस प्रकार से बाज़ारों की श्रृंखला बनती है।बाजारों की श्रृंखला वस्तुओं को दूरस्थ स्थानों पर पहुंचाने में सहायता करती है।वस्तुओं के उत्पादक अपनी वस्तुओं को सीधे उपभोक्ताओं को नहीं बेचते । बाज़ारोंकी श्रृंखला के माध्यम से ही वस्तुएं उपभोक्ताओं के पास पहुँचती हैं ।

प्रश्न 4. सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है।कया आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- यह बात सत्य है कि सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का अधिकारहै। परंतु महंगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य नहीं है। महंगे उत्पादोंकी दुकानें प्राय: बड़ी बड़ी वातानुकूलित दुकानें होती हैं । इन दुकानों में अधिकतर ब्रांड की वस्तुएँ ही बेची जाती हैं । ब्रांड की वस्तुएँ महँगी होती हैं और इन्हें कंपनियों दूवारा बड़े-बड़े विज्ञापन देकर तथा क्वालिटी का दावा करके बेचा जाता है। बिना ब्रांड की वस्तुओं की तुलना में, बहुत कम लोग इन वस्तुओं को ख़रीद पाते हैं । इसलिए. ग़रीब लोग महँगे उत्पादों की दुकानों में जाने का साहस नहीं करते।

प्रश्न 5. बाज़ार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकरइस कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- बाज़ार विभिन प्रकार के होते हैं यहां लोग भिन्न-भिन्न प्रकार का सामान तथा सेवाएंख़रीदते व बेचते हैं। ये सभी बाज़ार एक विशेष स्थान पर होते हैं और निश्चिततरीके तथा समय पर कार्य करते हैं । परंतु कई बार यह आवश्यक नहीं होता कि हमसामान ख़रीदने के लिए बाज़ार जाएं। बाज़ार जाए बिना भी ख़रीदने तथा बेचने काकार्य हो सकता है। हम फोन अथवा इंटरनेट द्वारा विभिन्‍न प्रकार की वस्तुओं केऑर्डर दे सकते हैं और सामान हमारे घर पहुँच जाता है । हम इंटरनेट पर पुस्तकों काऑर्डर दे सकते हैं और पुस्तकें हमारे घर पहुँचा दी जाती हैं। डॉक्टरों के क्लीनिकतथा नर्सिंग होम में बिक्री प्रतिनिधि डॉक्टरों की प्रतीक्षा करते दिखाई देते हैं। ऐसेलोग सामान बेचने का कार्य कर रहे होते हैं। विक्रेता घर-घर जाकर स्लिम बेल्टें, क्रॉकरी का सामान तथा दरियां इत्यादि बेचते हैं । इस प्रकार ख़रीदना और बेचना कईतरीकों से चलता रहता है। आवश्यक नहीं है कि वह केवल बाज़ार की दुकानों सेहोता है।

स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंखला कैसे बनती है इसे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है?

बाजार श्रृंखला से निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति होती है <br> (i) उत्पादक के लिए सीधे रूप में ग्राहकों को सामान बेचना संभव नहीं होता इसलिए बाजार श्रृंखला की आवश्यकता होती है। <br> (ii) छोटे व्यवसायी एवं खुदरा व्यापारी उत्पादक का सारा सामान खरीदने में असमर्थ होते हैं। इसलिए बाजार श्रृंखला की आवश्यकता होती है।

बाजारों की श्रृंखला से आप क्या समझते हैं?

Answer: बाजारों की श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ? उत्तर : यह बाजारों की एक शृंखला है, जो परस्पर एक-दूसरे से कडि़यों की तरह जुड़ी होती है, क्योंकि उत्पाद एक बाजार से होते हुए दूसरे बाजार में पहुँचते हैं

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