21 किताबों के बिना भी हमें पुराने जमाने के बारे में कैसे मालूम होता हैं? - 21 kitaabon ke bina bhee hamen puraane jamaane ke baare mein kaise maaloom hota hain?

शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया

अपने पहले पत्र में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है। इस किताब में चट्टान, पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, समुद्र, ज्वालामुखी और हर एक चीज, जो हम अपने चारों तरफ देखते हैं, शामिल है। यह किताब हमेशा हमारे सामने खुली रहती है। लेकिन बहुत ही थोड़े आदमी इस पर ध्यान देते, या इसे पढ़ने की कोशिश करते हैं।

अगर हम इसे पढ़ना और समझना सीख लें तो हमें इसमें कितनी ही मनोहर कहानियाँ मिल सकती हैं। इसके पत्थर के पृष्ठों से हम जो कहानियाँ पढ़ेंगे, वे परियों की कहानियों से कहीं सुंदर होंगी।

इस तरह संसार की इस पुस्तक से हमें उस पुराने जमाने का हाल मालूम हो जाएगा, जबकि हमारी दुनिया में कोई आदमी या जानवर नहीं था। ज्यों-ज्यों हम पढ़ते जाएँगे, हमें मालूम होगा कि पहले जानवर कैसे आए और उनकी तादाद कैसे बढ़ती गई। उनके बाद आदमी आए, लेकिन वे उन आदमियों की तरह न थे, जिन्हें हम आज देखते हैं। वे जंगली थे और जानवरों में और उनमें बहुत कम फर्क था। धीरे-धीरे उन्हें तजुर्बा हुआ और उनमें सोचने की ताकत आई। इसी ताकत ने उन्हें जानवरों से अलग कर दिया। यह असली ताकत थी, जिसने उन्हें बड़े-से-बड़े और भयानक-से-भयानक जानवरों से ज्यादा बलवान बना दिया।

तुम देखती हो कि एक छोटा-सा आदमी एक बड़े हाथी के सिर पर बैठकर उससे जो चाहता है, करा लेता है। हाथी बड़े डील-डौल का जानवर है और उस महावत से कहीं ज्यादा बलवान है, जो उसकी गर्दन पर सवार है। लेकिन महावत में सोचने की ताकत है और इसी की बदौलत वह मालिक है और हाथी उसका नौकर। ज्यों-ज्यों आदमी में सोचने की ताकत बढ़ती गई, उसकी सूझ भी बढ़ती गई। उसने बहुत-सी बातें सोच निकालीं। आग जलाना, जमीन जोतकर खाने की चीजें पैदा करना, कपड़ा बनाना और पहनना और रहने के लिए घर बनाना, ये सभी बातें उसे मालूम हो गईं। बहुत से आदमी मिलकर एक साथ रहते थे और इस तरह पहले शहर बने।

शहर बनने के पहले लोग जगह-जगह घूमते-फिरते थे, और शायद किसी तरह के खेमों में रहते होंगे। तब तक उन्हें जमीन से खाने की चीजें पैदा करने का तरीका नहीं मालूम था। न उनके पास चावल थे, न गेंहूँ, जिससे रोटियाँ बनती हैं। न तो तरकारियाँ थीं, और न ही दूसरी चीजें, जो हम आज खाते हैं। शायद कुछ फल और बीज उन्हें आज खाने को मिल जाते हों, मगर ज्यादातर वो जानवरों को मारकर उनका माँस खाते थे

ज्यों-ज्यों शहर बनते गए, लोग तरह-तरह की सुंदर कलाएँ सीखते गए। उन्होंने लिखना भी सीखा। लेकिन बहुत दिनों तक लिखने को कागज न था, और लोग भोजपत्र या ताड़ के पत्तों पर लिखते थे। आज भी कुछ पुस्तकालयों में तुम्हें समूची किताबें मिल जाएँगी, जो उस पुराने जमाने में भोजपत्र पर लिखी गई थीं। तब कागज बना और लिखने में आसानी हो गई। लेकिन तब छापेखाने न थे और आज की तरह हजारों की तादाद में किताबें नहीं छप सकती थीं। कोई किताब जब लिख ली जाती थी तो बड़ी मेहनत के साथ उसकी नकल की जाती थी। इन कारणों से किताबों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती थी।




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किताबों के बिना भी हमें पुराने जमाने के बारे में कैसे मालूम होता है?

होगा कि ऐसा समय ज़रूर रहा होगा । की और भी कितनी ही चीजें हैं, जिनसे हमें दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है। अगर एक छोटा-सा रोड़ा तुम्हें इतनी बातें बता सकता है, तो पहाड़ों और दूसरी चीज़ों से, जो हमारे चारों तरफ़ हैं, हमें और कितनी बातें मालूम हो सकती हैं ! उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने किया है।

हमें कैसे दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है?

अपने पहले पत्र में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है। इस किताब में चट्टान, पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, समुद्र, ज्वालामुखी और हर एक चीज, जो हम अपने चारों तरफ देखते हैं, शामिल है। यह किताब हमेशा हमारे सामने खुली रहती है।

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