फादर बुल्के का संकल्प से संन्यासी क्यों कहा गया है वे मन से सांन्यासी क्यों नहीं लगते थे? - phaadar bulke ka sankalp se sannyaasee kyon kaha gaya hai ve man se saannyaasee kyon nahin lagate the?

लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा?

फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहा है।

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पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?

फादर बुल्के ने पहला अंग्रेजी‌-हिंदी शब्दकोश तैयार किया था। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। यहाँ के लोगों की हिंदी के प्रति उदासीनता देखकर वे क्रोधित हो जाते थे। इन प्रसंगों से पता चलता है कि वे हिंदी प्रेमी थे।
वे सदैव हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चिंतित रहते थे। इसके लिए वे प्रत्येक मंच पर आवाज उठाते थे। उन्हें उन लोगों पर झुंझलाहट होती थी जो हिंदी जानते हुए भी हिंदी का प्रयोग नहीं करते थे।

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फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

देवदार एक विशाल और छायादार वृक्ष होता है, जो अपनी सघन और शीतल छाया से श्रांत-पथिक एवं अपने आस-पड़ोस को शीतलता प्रदान करता है। ठीक ऐसे ही व्यक्तित्व वाले थे- फ़ादर कामिल बुल्क़े।
लेखक के बच्चे के मुँह में अन्न का पहला दाना फादर बुल्के ने डाला था। उस क्षण उनकी नीली आँखों में जो ममता और प्यार तैर रहा था, उससे लेखक को फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।

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 फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। वे विशेष संबंध बनाकर नहीं रखते परंतु फादर बुल्के जिससे रिश्ता बना लेते थे उसे कभी नहीं तोडते थे। वर्षो बाद मिलने पर भी उनसे अपनत्व की महक अनुभव की जा सकती थी। जब वे दिल्ली जाते थे तो अपने जानने वाले को अवश्य मिलकर आते थे। ऐसा कोई संन्यासी नहीं करता। इसलिए वे परंपरागत संन्यासी की छवि से अलग प्रतीत होते थे।

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आशय स्पष्ट कीजिए-
नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।

प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि फ़ादर बुल्के की मृत्यु पर वहाँ उपस्थित नम आँखों वाले व्यक्तियों के नामों का उल्लेख करना सिर्फ स्याही को बरबाद करना है। कहने का आशय है कि आँसू बहाने वालों की संख्या इतनी अधिक थी कि उसे गिनना संभव नहीं था।
उस स्थान पर यदि नम आँखों के आँकड़े दिये जाएं तो इसे समय और मेहनत की बरबादी कहा जा सकता है।

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लेखक को फादर संकल्प से संन्यास क्यों लेते थे?

उनकी उपस्थिति और उनके सांत्वना के शब्दों में जादू जैसा प्रभाव होता था। प्रश्न (क) लेखक को फ़ादर बुल्के मन से संन्यासी क्यों नहीं लगते थे? उत्तरः लेखक को फ़ादर बुल्के मन से संन्यासी इसलिए नहीं लगते थे, क्योंकि वे रिश्ता बनाकर उसे हमेशा निभाते थे

फादर बुल्के को संकल्प से संन्यासी क्यों कहा गया है?

फादर कामिल बुल्के (अंग्रेज़ी: Father Kamil Bulcke ; 1 सितंबर 1909 – 17 अगस्त 1982) बेल्जियम से भारत आये एक मिशनरी थे। ... .

फ़ादर संकल्प से संन्यासी थे मन से संन्यासी नहीं थे इस पंक्ति द्वारा लेखक क्या कहना चाहते हैं?

फादर संकल्प से सन्यासी थे, मन से नहींइस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि फादर बुल्के भारतीय सन्यासी प्रवृत्ति खरे नही उतरते थे। उन्होंने परंपरागत सन्यासी प्रवृत्ति से अलग एक नई परंपरा को स्थापित किया था। वह सन्यासियों जैसा प्रदर्शन नहीं करते थे, लेकिन अपने कर्मों से वह सन्यासी ही थे

संकल्प से संन्यासी और वेशभूषा उसे संन्यासी बनने में क्या अंतर है?

( सिलीगुड़ी ) - #savecow - YouTube.

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