अनचाहे गर्भधारण से बचने की नई दवा
30 जनवरी 2010
इमेज कैप्शन,
नई दवा बिना डॉक्टर का पर्चे दिखाए नहीं ख़रीदी जा सकती.
अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए हाल ही में एक ऐसी दवा को लाइसेंस मिला है जिसका सेवन महिलाएं यौन संबंध बनाने के पाँच दिनों बाद भी कर सकती हैं.
स्कॉटलैंड के शोधकर्ताओं ने पाया है कि नई गोली यूलीप्रिस्टल अभी तक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल हो रही गर्भनिरोधक गोली लेवनरजेस्त्रल से भी ज़्यादा असरदायक है.
हालाँकि लेवनरजेस्त्रल दवा तीन दिनों के भीतर ही इस्तेमाल किए जाने पर अपना असर दिखाती है, लेकिन ये नई दवा यूलीप्रिस्टल सहवास के पांच दिनों बाद भी खाने पर अपना असर दिखाती है.
अभी यूलीप्रिस्टल सिर्फ डॉक्टर के पर्चे पर ही मिलती है जबकि लेवनरजेस्त्रल दवा की दुकान से सीधे ही हासिल की जा सकती है.
परीक्षण
यौन संबंध के बाद गर्भनिरोध के लिए इस्तेमाल की जा रही गोलियां शरीर में मौजूद हॉर्मोन पर ऐसे असर डालती हैं कि वो या तो प्रजनन के लिए अंडाशय से अंडे को निकलने नहीं देती है या फिर उसे गर्भाशय में विकसित नहीं होने देती है.
यूलीप्रिस्टल के असर के बारे में जानने के लिए और पिछले साल उसके इस्तेमाल के लिए लाइसेंस दिए जाने से पहले ब्रिटेन, अमरीका और आयरलैंड की 16 हज़ार से ज़्यादा महिलाओं पर इसका परीक्षण हुआ.
इस परीक्षण के दौरान गर्भनिरोध की इस नई दवा यूलीप्रिस्टल को अभी तक की सबसे लोकप्रिय दवा लेवनरजेस्त्रल की तुलना में ज़्यादा प्रभावी पाया गया.
इन दोनों ही तरह के गर्भनिरोधक के सेवन से होने वाले 'साइड इफेक्ट' एक समान थे.
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दवा को अभी केमिस्ट के यहाँ से सीधे इसलिए नहीं लिया जा सकता क्योंकि इसके सुरक्षा रिकॉर्ड को देखना बाकी है.
अभी ये बाकी दूसरी गर्भनिरोधक गोलियों कि तुलना में ज़्यादा महँगी भी है.
प्रेंगनेंसी रोकने के चार नए तरीके
27 नवंबर 2016
आम तौर पर महिलाओं में गर्भधारण करने से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लेना ज्यादा सुविधाजनक रास्ता माना जाता है.
इन गोलियों से मुंह पर होने वाले दाने और पीरियड के दौरान होने वाले दर्द से थोड़ी राहत भी मिलती है लेकिन यह हर किसी पर सूट नहीं करता है.
डेनमार्क में हुए एक हाल के शोध में पता चला है कि इन गर्भनिरोधक गोलियों से डिप्रेशन की भी ख़तरा रहता है.
हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे चार नए आसान तरीकों के बारे में जिसकी मदद से गर्भनिरोधक गोलियों के बिना भी अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है.
फर्टिलिटी एप
अब एप की मदद से आप अपनी फर्टिलिटी साइकिल पर नज़र रख रकते हैं. इसके लिए यूजर्स को हर रोज़ अपने तापमान का हिसाब रखना होता है.
पत्रकार हॉलि ग्रीग-स्पैल इस एप के बारे में बताती हैं, "सिर्फ़ तीस सेकेंड में पता चल जाता है कि कब मैं फर्टाइल हूं और कब नहीं. जब मैं फर्टाइल रहती हूं तब मैं यह तय कर सकती हूं कि मैं सेक्स करूं या ना करूं. या फिर सेक्स के लिए कंडोम का इस्तेमाल करूं."
हॉलि ने अपनी किताब 'स्विटनिंग द पिल' के सिलसिले में गर्भ निरोध के हार्मोन्स पर सालों तक काम किया है.
नए तरह का पिल
दो तरह के गर्भनिरोधक गोलियां होती हैं. एक जिसमें एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन दोनों तरह के हार्मोन होते हैं.
ये दोनों ही हार्मोन महिलाओं में पाए जाते हैं लेकिन इसकी मात्रा बढ़ने के बाद ये अंडाशय से अंडाणुओं को निकलने से रोक देते हैं.
जिन महिलाओं में उच्च रक्तचाप और मोटापा की समस्या होती हैं, वे महिलाएं एस्ट्रोजेन नहीं ले सकती हैं.
इसलिए नए तरह के पिल में सिर्फ़ प्रोजेस्टेरोन होता है जिसे 'मिनी पिल' कहते हैं.
ये दोनों ही तरह के पिल 99 फ़ीसदी प्रभावी होते हैं.
फैक्लटी ऑफ़ सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टीव हेल्थकेयर की डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर सारा हार्डमैन का कहना है, "अगर एक हार्मोन के कारण कोई साइड इफेक्ट है तो कोई जरूरी नहीं कि दूसरे हार्मोन के साथ भी हो."
मर्दों के लिए पिल
जितनी पुरानी महिलाओं की गर्भनिरोधक गोली है उतनी ही पुरानी मर्दों की गर्भनिरोधक गोली भी है लेकिन साइड इफेक्ट और फंड की कमी को लेकर होने वाली चिंताओं की वजह से यह कभी भी कारगर नहीं हो पाया है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोल्वरहैंपटन के शोधकर्ताओं ने उम्मीद जगाई है कि उनके पास इस दवा का सही फार्मूला है जो कारगर साबित होगा.
उन्होंने एक ख़ास तरह का पेप्टाइड (प्रोटीन) विकसित किया है जो शुक्राणु की गति को धीमा करता है.
इसे पिल, स्प्रे या फिर क्रीम के रूप में बनाया जा सकता है. इसका इस्तेमाल सेक्स के कुछ घंटे पहले करना होगा.
मर्दों के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन
हाल में हुई जांच में पाया गया है कि मर्दों के लिए बनाई गई गर्भनिरोधक इंजेक्शन गर्भ रोकने में 96 फ़ीसदी प्रभावी है.
दो सौ सत्तर लोगों पर यह परिक्षण किया गया था. उन्हें दो हार्मोन की सूइंया हर आठ हफ़्ते पर दी गईं. एक प्रोजेस्टेरोन की और दूसरी टेस्टोस्टेरोन की अलग किस्म की.
छह महीने तक उनकी जांच करने पर पाया गया है कि उनके अंदर शुक्राणुओं की संख्या दस लाख से कम हो चुकी है.
यह जांच मूड स्विंग और मुंह पर दाने की समस्या की वजह से बीच में ही छोड़ना पड़ा था.
लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि वे इस पर अभी काम जारी रखेंगे.
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