2 उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं? - 2 udyog paryaavaran ko kaise pradooshit karate hain?

उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?


उद्योग पर्यावरण को निम्नलिखित तरीके से प्रदूषित करते है:
(i) वायु प्रदूषण- चिमनी से निकलने वाला धुआँ वायु को प्रदूषित करता है। अनचाही गैसे जैसे सल्फर डाईऑक्साइ तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के नियमों का उलंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते है। जहरीली गैसों का रिसाव बहुत भयानक होता है। यह मानव स्वास्थ्य, पशुओं पौधों और पुरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालती है।
(ii) जल प्रदूषण- उद्योगों से निकला हुआ जल अपने से 8 गुना अधिक ताजे जल को प्रदूषित करता है। उद्योगों द्वारा कार्बनिक और अकार्बनिक अपशिष्ट प्रदार्थों के नदी में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता है। जल प्रदूषण के प्रमुख कारक- कागज, रसायन, वस्र चमड़ा उद्योग आदि है। भारी धातुएँ जैसे सीसा, पारा आदि जल में वाहित करते है।
(iii) तापीय प्रदूषण- कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठंडा किए नदियों और तालाबों में छोड़ देने पर तापीय प्रदूषण होता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से जन्मजात विकार आदि होते है।
(iv) ध्वनि प्रदूषण- कुछ उद्योगों से ध्वनि प्रदूषण भी होता है। इससे श्रवण असक्षमता ही नहीं, रक्तचाप आदि समस्याएँ भी उत्पन्न होती है। औद्योगिक तथा निर्माण कार्य, गैस यांत्रिक, जेनरेटर आदि भी ध्वनि उत्पन करते है जो ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है।

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उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?


उद्योग पर्यावरण को निम्नलिखित तरीके से प्रदूषित करते है:
(i) वायु प्रदूषण- चिमनी से निकलने वाला धुआँ वायु को प्रदूषित करता है। अनचाही गैसे जैसे सल्फर डाईऑक्साइ तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के नियमों का उलंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते है। जहरीली गैसों का रिसाव बहुत भयानक होता है। यह मानव स्वास्थ्य, पशुओं पौधों और पुरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालती है।
(ii) जल प्रदूषण- उद्योगों से निकला हुआ जल अपने से 8 गुना अधिक ताजे जल को प्रदूषित करता है। उद्योगों द्वारा कार्बनिक और अकार्बनिक अपशिष्ट प्रदार्थों के नदी में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता है। जल प्रदूषण के प्रमुख कारक- कागज, रसायन, वस्र चमड़ा उद्योग आदि है। भारी धातुएँ जैसे सीसा, पारा आदि जल में वाहित करते है।
(iii) तापीय प्रदूषण- कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठंडा किए नदियों और तालाबों में छोड़ देने पर तापीय प्रदूषण होता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से जन्मजात विकार आदि होते है।
(iv) ध्वनि प्रदूषण- कुछ उद्योगों से ध्वनि प्रदूषण भी होता है। इससे श्रवण असक्षमता ही नहीं, रक्तचाप आदि समस्याएँ भी उत्पन्न होती है। औद्योगिक तथा निर्माण कार्य, गैस यांत्रिक, जेनरेटर आदि भी ध्वनि उत्पन करते है जो ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है।

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निम्न में से कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है?

  • एल्यूमिनियम

  • चीनी

  • सीमेंट

  • सीमेंट

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उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें?


उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए-

(i) जल का कम से कम उपयोग करें तथा पुनः उपयोग और पुनः चक्रण करें।

(ii) जल संग्रहण कर जल आवश्यकता को पूरा करें।

(iii) नदियों और तालाबों के जल में अपशिष्ट प्रदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना चाहिए।

(iv) भूमिगत जल के अधिक निष्कासन पर कानूनी रोक लगाई जानी चाहिए।

(v) वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कारखानों में ऊँची चिमनियाँ तथा गैसीय प्रदूषक प्रदार्थों को जलीय रूप से पृथक करने के लिए उपकरण लगे हो।

(vi) कोयले की जगह तेल और गैस का उपयोग कर धुँए के निष्कासन को कम किया जाए।

(vii) मशीनों, उपकरणों तथा जैनरेटरों में साइलैंसर का प्रयोग किया जा सकता है।

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समन्वित्त इस्तपात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादक क्षमता बढ़ी है?


वर्तमान समय में भारत में दस समन्वित इस्पात संयंत्र तथा अनेक मिनी इस्पात हैं। समन्वित्त इस्तपात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है-
(i) समन्वित संयत्र बहुत बड़े होते हैं जबकि लघु संयत्र अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।
(ii) समन्वित इस्पात संयंत्र बड़े होते है। वे आधारभूत उद्योग की तरह कार्य करते है, जो लौह इस्तपात से सम्बंधित उद्योगों को तैयार करते है। ये निर्माण सामग्री, रक्षा उपकरण आदि बनाते है। इसके विपरीत मिनी सयंत्र एक या दो वस्तुओं का निर्माण करते है।
(iii) उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग भी समन्वित संयंत्रों से कच्चा माल लेते है। जबकि लघु संयंत्र छोटे पैमाने पर कच्चा माल अन्य उद्योगों को प्रदान करता है।

समन्वित्त इस्तपात उद्योग की निम्नलिखित समस्याएँ हैं:
(i) इन उद्योगों को भारी परिवहन खर्च वहन करना होता है।
(ii) इन उद्योगों के लिए एक कुशल परिवहन जाल की आवश्यकता होती है।
(iii) भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात का उपभोग बहुत कम है।
(iv) कुकिंग कोयले की ऊँची कीमत, श्रम की निम्न उत्पादकता, निम्न संसाधन आदि के कारण ये हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होते है।

निम्नलिखित सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादक क्षमता बढ़ी है-
(i) उदारीकरण और विदेशी निवेश ने निजी उद्योगकर्ताओं के लिए बढ़ावा दिया है।
(ii) अनुसंधान और विकास के लिये संसाधन प्रदान किए गए जिससे इस्तपात में वृद्धि की जा सके।

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निम्न में से कौन-सी एजेंसी सर्वजनिक क्षेत्रों में स्टील को बाजार में उपलब्ध कराती है?

  • हेल (HAIL)

  • सेल(SAIL)

  • टाटा स्टील

  • टाटा स्टील

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II उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?

Solution : उद्योग पर्यावरण को निम्नलिखित तरीके से प्रदूषित करते है (i) वायु प्रदूषण चिमनी से निकलने वाला धुआँ वायु को प्रदूषित करता है। अनचाही गैसे जैसे सल्फर डाईऑक्साइ तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के नियमों का उलंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते है।

उद्योगों से पर्यावरण को हानि कैसे होती है इसे समझाइए?

वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, तापीय प्रदुषण इत्यादि में उद्योग में बढ़ोतरी होती है। उद्योग पर्यावरण कई तरह से प्रदूषित करते है। वायु प्रदुषण: चिमनी से धुँआ निकलते समय कार्बन मोनोक्साइड और सल्फर देके जैसे कई कारण होते है। जल प्रदुषण: उद्योग का कचरा जब पानी में बहाया जाता है तब पानी में रहते जिव को हानि पहुंचती है।

पर्यावरण कैसे प्रदूषित हो सकता है?

व्यवसाय निम्नलिखित तरीकों से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाता है :.
उत्पादन इकाईयों से निकलने वाली गैसों और धुएं से,.
मशीनों, वाहनों आदि के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण के रूप में,.
औद्योगिक इकाईयों को स्थापित करने के लिए वनों की कटाई से,.
औद्योगिकीकरण तथा शहरीकरण के विकास से,.
नदियों तथा नहरों में कचरे तथा हानिकारक पदार्थों के विसर्जन से,.

उद्योग द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

(i) जल का कम से कम उपयोग करें तथा पुनः उपयोग और पुनः चक्रण करें। (ii) जल संग्रहण कर जल आवश्यकता को पूरा करें। (iii) नदियों और तालाबों के जल में अपशिष्ट प्रदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना चाहिए। (iv) भूमिगत जल के अधिक निष्कासन पर कानूनी रोक लगाई जानी चाहिए।